न्यू हिंदी Xxx भाभी कहानी में एक पब्लिक प्लेस में मेरी नजर एक भाभी से लड़ गयी. वह मुस्कुराने लगी. मैंने मौक़ा देख कर उससे बात की और उसे अपना नम्बर दे दिया.
मित्रो, मेरा नाम वनराज है और मैं भरूच का रहने वाला हूँ.
वैसे तो मेरी आज तक बहुत सारी गर्लफ्रेंड रह चुकी हैं लेकिन आज मैं जो सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो एक भाभी के साथ की उसी के घर में उसकी चुदाई की कहानी है.
यह न्यू हिंदी Xxx भाभी कहानी बरसात के टाइम की है, जब मैं दोस्तों के साथ एक मंदिर में दर्शन के लिए गया था.
मंगलवार का दिन था और बारिश बहुत ही ज़्यादा थी.
मेरे सभी दोस्त भीगे हुए थे, मैं भी भीग चुका था.
उस टाइम हम सब अपने बैग लेकर गए थे.
हम लोगों ने मंदिर के लिए प्रसाद लिया और जब मैं अन्दर जाने लगा तो मेरी नज़र एक भाभी पर पड़ी.
वो भाभी थोड़ी बहुत ही भीगी थी.
उसका बदन थोड़ा उभरा हुआ दिख रहा था तो मैं बार बार उसकी तरफ देख रहा था.
उसी वक्त न जाने कैसे उसकी नजर भी मेरी आंखों से मिल गईं.
हमारी नजरें बहुत बार एक दूसरे से मिली जा रही थीं.
इसका अर्थ यह था कि शायद भाभी जी को भी मेरा देखना अच्छा लग रहा था.
मेरा मूड बन गया था.
तभी उन्होंने अपने बाजू में खड़ी अपनी सहेली को कुछ कहा.
तो उसकी सहेली भी पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखने लगी.
उसने भी मुझे स्माइल दी.
मैंने भी स्माइल पास कर दी.
करीब 20 मिनट लाइन में लगने के बाद मैं दर्शन करके बाहर आया.
कुछ पल बाद वे दोनों भी बाहर आ गईं.
उस समय हम सब नारियल की भेंट देने के लिए खड़े थे और वे दोनों मेरे करीब आकर खड़ी हो गई थीं.
मैं उनकी तरफ देखने लगा.
तो उन्होंने मुझसे कहा- मेरा भी श्रीफल फोड़ दो.
मैंने उनका नारियल भी तोड़ दिया और उनकी तरफ देखा.
तो भाभी ने एक नॉटी स्माइल पास की.
उनका इशारा तो मैं समझ ही गया था.
लेकिन मेरे साथ मेरे दोस्त भी थे इसलिए मैं कुछ नहीं बोला.
उसके बाद हम सभी दोस्त नाश्ता करने के लिए एक स्टॉल पर रुके.
वहां वे लोग भी आईं तो मैंने स्माइल दी.
उन्होंने भी स्माइल दे दी और भाभी मेरे बाजू में ही बैठ गईं.
मैंने उनसे पूछा- भाभी, आप कहां से हैं?
तो उन्होंने बताया कि मैं यूपी से हूँ.
मैंने- अच्छा तो आप यूपी से स्पेशली मंदिर में आई हैं?
भाभी जी- नहीं, हम लोग यूपी से हैं, अगर रहते यहीं नज़दीक में ही हैं.
मैंने- यहीं कहां? मेन रोड पर बनी किसी सोसाइटी में रहती हैं क्या?
भाभी जी- नहीं, मैं रिलायन्स मॉल के सामने वाली सोसायटी में रहती हूँ.
मैंने- ओह ओके.
भाभी जी ने थोड़ी उदासी वाली शक्ल बनाते हुए हम्म कहा.
मैंने- क्या हुआ?
भाभी जी- कुछ नहीं, बस नाश्ता करके निकलती हूँ.
मैंने- ओके.
भाभी जी- हां.
मैंने- कैसे जाओगी भाभी?
भाभी जी- ऑटो से … पर जल्दी कोई ऑटो मिलेगा नहीं.
मैंने- ओके.
तभी मेरे बाजू में बैठे एक दोस्त ने मुझे इशारा करते हुए धीमे से कहा- अपने साथ ही बिठा ले न!
भाभी जी- तुम्हारा क्या नाम है?
मैंने- वनराज … और आपका?
भाभी जी- मीना.
मैंने- ओके चलो आप लोग मेरी बाइक पर बैठ जाओ, मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूँगा.
भाभी जी- नहीं नहीं, हम लोग चले जाएंगे.
उन्होंने ड्रामा करते हुए कहा.
मैंने- चलो ना भाभी, वैसे भी थोड़ी थोड़ी बारिश तो हो ही रही है … और अभी भी हम सब काफी भीग चुके हैं.
भाभी जी- मैं अकेली नहीं हूँ.
मैंने- हां, तो कोई बात नहीं बाइक भी एक नहीं है ना!
भाभी जी- पर मैं अपनी सहेली से पूछ लेती हूँ कि वो बैठेगी या नहीं!
मैंने- ओके.
भाभी जी- बैठोगी बाइक पर, हम जल्दी पहुंच जाएंगे!
सहेली- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बस बाइक स्लो चलाना पड़ेगा.
मैं- ओके.
मैंने- आओ चलो बैठ जाओ.
भाभी जी- पर मेरी सहेली किसके घोड़े पर बैठेगी?
ये उन्होंने कहा तो ऐसे लगा जैसे वे पूछ रही हों कि मेरी सहेली किसके लौड़े पर बैठेगी?
मैंने भी कामुक अंदाज में कहा- मेरे घोड़े पर भी जगह है और मेरे दोस्त का घोड़ा भी दमदार है.
तो मैंने भी उनकी दोअर्थी बात का जवाब उसी अंदाज में दिया.
भाभी जी मुस्कुरा दीं और बोलीं- ठीक है, मैं तुम्हारे साथ बैठ जाती हूँ और किसी दोस्त को बोलो कि वो संध्या को बिठा ले.
अंकुर ने कहा- आप मेरी बाइक पर बैठ जाओ संध्या भाभी.
भाभी की सहेली संध्या बोली- मेरी शादी नहीं हुई है अभी! मैं किधर से भाभी हो गई हूँ?
उसकी बात पर हम सब हंसने लगे और उन दोनों को बाइक पर बिठा कर निकल गए.
रास्ते में मैं भाभी से बातें करने लगा.
मैंने उनसे काफी बातें की.
बाद में मैंने भाभी से कहा- क्या मुझे आपका नंबर मिलेगा?
पहले तो उन्होंने मना कर दिया पर फिर से मांगने के बाद उन्होंने मेरा नंबर ले दिया और बोलीं- मैं कॉल कर दूँगी.
मैं खुश हो गया.
मैंने भाभी से पूछा- आपके हज़्बेंड क्या करते हैं?
भाभी जी- वे जॉब करते हैं.
मैंने- कौन सी कंपनी में हैं.
भाभी जी ने एक मल्टी नेशनल कंपनी का नाम लेते हुए बताया कि वे प्लांट सुपरिन्टेंडेंट हैं.
मैंने- ओह ओके … तब तो फिर तो उनकी नाइट शिफ्ट भी रहती होगी?
भाभी जी- हां यार.
ये उन्होंने उदास होते हुए कहा.
मैंने- क्यों भाभी, क्या हुआ आप ऐसे बोल रही हैं?
भाभी जी- कुछ नहीं वनराज. घर पर अकेली रह कर बोर हो जाती हूँ.
मैंने- ओके. तो अब मुझे कॉल कर लिया करो ना!
भाभी जी ने स्माइल करते हुए कहा- अच्छा!
मैंने- हां उसमें क्या?
उनका सीधा सीधा मतलब समझ आ रहा था.
पर मैं नाटक करता हुआ बोला- भाभी जी, मुझे आप जैसे दोस्त ही ज़्यादा पसंद आते हैं.
भाभी- क्यों?
‘क्योंकि आप ओपन माइंड हैं और साफ बात करती हैं … इसलिए!’
‘ओह अच्छा.’
फिर भाभी का घर आ गया.
भाभी- बस यहीं छोड़ दो मुझे.
मैंने- सॉरी.
भाभी जी- सॉरी क्यों? तुमने तो हेल्प की मेरी!
मैंने- बात अधूरी रह गई, उसके लिए सॉरी.
भाभी जी- हां तो कॉल कर लेना ना!
मैंने- आपने नंबर कहां दिया.
भाभी जी- ओके, चलो मैं घर जाकर देती हूँ.
मैंने- क्या दोगी घर ले जाकर?
भाभी जी- कॉल ही करूँगी ना और क्या कर सकती हूँ भला!
मैंने- बहुत कुछ … पर उसके लिए घर ले जाना पड़ेगा.
भाभी जी हंस कर बोलीं- अच्छा … क्या मतलब है तुम्हारा?
मैं- आप जो समझ रही हो भाभी जी.
मैंने शरारती मुस्कान के साथ कहा.
भाभी जी- ओके, तो फिर रहने दो. मैं कॉल नहीं करूँगी.
मैंने- अरे बाबा … चाय नाश्ते की बात कर रहा था.
भाभी जी- अच्छा कौन सा चाय नाश्ता … गुटर गूँ वाला!
मैंने- नहीं भाभी, रियल का चाय नाश्ता.
उनकी तरफ से सिग्नल कुछ ज्यादा ही ग्रीन हो गया था.
गुटर गूँ वाला चाय नाश्ते का मतलब लव कपल में सटासट करने वाला खेल.
भाभी- ओके डियर, कॉल करती हूँ.
मैंने- ओके बाय भाभी जी
आधा दिन निकल गया, भाभी का कॉल नहीं आया.
फिर अचानक से कॉल आया.
मैं- हैलो कौन?
भाभी ही उधर से बोलीं- मैं भाभी बोल रही हूँ.
मैं- अरे वाह भाभी जी, कबसे आपके फोन आने का इंतजार कर रहा था. बोलो ना भाभी जी क्या हाल हैं आपके? मेरी याद तो आ रही है ना!
भाभी- तुम ना पिटोगे मेरे हाथ से!
मैंने- क्यों क्या हुआ?
भाभी- कुछ नहीं.
मैं- ओके ज़्यादा ठंड तो नहीं लगी ना बाइक पर?
भाभी- ज्यादा तो नहीं, लेकिन थोड़ी थोड़ी ठंड लग रही थी.
मैंने- तो आपको गर्मी ले लेनी चाहिए भाभी जी!
भाभी- अच्छा … और वह कहां से लाती?
मैं- गर्म गर्म चाय नाश्ता करवा के!
भाभी- ओके, वैसे गर्मी दूसरी तरह की भी होती है. मुझे लगा कि तुम वो बोल रहे हो!
मैंने- हां भाभी, वो वाली गर्मी की ज़रूरत तो मुझे भी है.
भाभी- फिर से …
मैं- सच में भाभी.
भाभी- ओके, तो चले आओ मेरे फ्लैट पर.
मैंने- हा हा हा … जाओ जाओ रहने दो भाभी जी … अभी आने की बात बोलूँगा, तो मना कर दोगी.
भाभी- मैंने तुमको मंदिर में ही भांप लिया था कि तुम पूरे वो हो!
मैं- वो कैसे भाँपा था भाभी जी!
भाभी- तुम्हारी पैंट देख कर.
मैंने- इस्स … और आप सहेली को क्या बोली थीं?
भाभी- वही, जो तुम देख रहे थे.
मैं- ऑह.
भाभी जी- हां जी.
मैंने- तो मैं आने का पक्का कर दूँ?
भाभी- हां जल्दी आ जाओ.
मैंने- ओके चलो आता हूँ. कुछ लाना है?
भाभी- नहीं, कुछ मत लाना. नहीं तो मज़ा नहीं आएगा.
मैंने- कंडोम के बिना?
भाभी- पहले आओ तो सही.
मैं गया.
तब भाभी सिर्फ़ एक बेबीडॉल वाली मैक्सी में ही थीं.
उन्हें यूं देख कर लंड खड़ा हो गया.
भाभी ने नाश्ते के लिए पूछा, मैंने कहा- हां भाभी जी, गर्म गर्म ताजा वाला दूध पिला दो.
तो भाभी मज़ाक में और हंसती हुई बोलीं- वनराज जी, ताजा वाला दूध तो निकालना पड़ेगा.
मैं भाभी के पीछे तुरंत भागा और उन्हें पीछे से दबोच लिया.
वे हंसती हुई मेरी बांहों में मचलने लगीं.
मैंने पूछा- भाभी जी निकाल लूँ दूध?
भाभी बोलीं- अभी नहीं, पहले ये गिलास वाला दूध पी लो.
तभी उनके फोन पर फोन आया.
उनके पति का फोन था- हनी आज ट्रेफिक ज्यादा है, आने में थोड़ा टाइम लग जाएगा.
भाभी भी बोलीं- ओके हनी, सोसायटी के बाहर वाले मॉल के करीब पहुंच जाओ, तो कॉल कर देना. मुझे कुछ सामान मंगवाना है.
पति- ठीक है जान.
भाभी ने मुझे दूध का गिलास लाकर दिया और बोलीं- वनराज, अपने पास टाइम कम है.
मैंने- चलो तो फिर चालू करें क्या?
भाभी कुछ नहीं बोलीं, बस मुस्कुराती हुई चुपचाप खड़ी रहीं.
मैंने- आगे क्या होना है मेरी जान?
भाभी जी- यार बताया तो है कि टाइम कम है.
मैंने- ओके चलो.
भाभी जी चुप थीं पर चुदने के लिए राज़ी दिखाई दे रही थीं.
मैं अपने कपड़े निकालने लगा.
भाभी जी अभी भी चुप थीं.
मैंने अपने कपड़े निकालने के बाद भाभी की बेबीडॉल को निकाल दिया.
भाभी नीचे से पूरी नंगी थीं.
मैं उनकी चूत को हाथ से टटोलते हुए बोला- कभी आपके हज़्बेंड ने आपकी चूत चाटी है?
भाभी जी कसमसाती हुई बोलीं- नहीं.
मैंने- ओके, आज आपको इसका मज़ा आएगा.
भाभी जी अपनी चूत को मेरे हाथ से मिंजवाती हुई कह रही थीं- जी नहीं.
मैंने- अरे यार मज़े लो न मेरी जान!
भाभी जी कुछ नहीं बोलीं.
मैं उन्हें लिटा कर उनकी चूत चाटने लगा और सर उठा कर पूछा- कैसा लग रहा है?
भाभी कसमसाती हुई बोलीं- मज़ा आ रहा है.
मैंने- पहली बार चाटी है क्या किसी ने?
भाभी जी- हां, बात मत करो … बस चाटते रहो.
कुछ 5-7 मिनट तक चूत चाटने के बाद मैंने कहा- अब मेरा लंड चूसो जान!
भाभी जी ने मेरे अंडरवियर को उतारा और लंड देखते ही बोलीं- बड़ा मस्त हथियार है.
मैंने- क्यों, आपके पति का अच्छा नहीं है क्या?
भाभी जी- अच्छा है, लेकिन पतला और छोटा सा है. तुम्हारे लंड का साइज़ कितना है?
मैंने- मेरा 7 इंच का है भाभी जी.
भाभी जी- हां देख कर ही लग रहा है.
मैंने- चलो अब लंड चूसो.
भाभी जी लंड चूसने लगीं.
मैंने- पूरा अन्दर तक लो ना जान!
भाभी जी- पूरा नहीं जा पाएगा यार!
मैंने- थोड़ा मैं कोशिश करूं क्या?
भाभी जी- नहीं.
मैंने- प्लीज जान.
भाभी जी- ओके … थोड़ा सा करना.
मैंने- एक बार आधा तो अन्दर लो.
भाभी जी- ओके ट्राई कर लेती हूँ.
मैंने- चलो लो अब.
भाभी जी लेने लगीं.
मैंने- थोड़ा ही बचा है, डाल दूँ क्या भाभी जी?
भाभी जी ने हां में इशारा किया.
मैंने लंड पेला और कहा- अहह मज़ा आ गया मेरी जान!
भाभी जी- अभी तो मजा आना शुरू हुआ है.
मैंने- हां तो चलो अब लेट जाओ.
भाभी जी- हाय, अन्दर पेलोगे … क्या बात है!
मैंने- क्यों क्या हुआ?
भाभी जी- कुछ नहीं … बस आज तुम मुझे अच्छे से चोदोगे तो कल फिर से तुम्हें बुलाऊंगी.
मैंने- तुम चिंता मत करो जान!
भाभी जी- वाह .. आप से सीधा तुम पर?
मैंने- हां तो … और अभी तो मैं गाली भी दूंगा. गाली पसंद है न तुम्हें?
भाभी जी- थोड़ी थोड़ी.
मैंने- चल लेट जा साली भैनचोद!
भाभी जी हंसती हुई चूत पसार कर लेट गईं.
मैंने- एक बार में ही पूरा डाल दूँ … क्या बोलती है रांड!
भाभी जी- नहीं, धीमे धीमे डालो बहुत दिन से नहीं किया है न!
मैंने- क्या नहीं किया … साफ बोल ना मादरचोद!
भाभी जी- बहुत दिनों से चुदी नहीं हूँ.
मैंने- क्यों तेरा पति नहीं चोदता क्या तुझको … साली भैन की लौड़ी!
भाभी जी- पहले तू चोद न भोसड़ी के … लगा साला चुदुर चुदुर करने!
मैंने एक ही बार में पूरा लंड चूत के अन्दर पेल दिया.
भाभी जी- अहह मर गई … धीमे करो प्लीज.
मैंने- नहीं अब तुझे रंडी बनाऊंगा मेरी जान!
भाभी जी- प्लीज धीमे करो जान!
मैंने लंड ठांस दिया और धीमे धीमे भाभी जी को चोदना चालू कर दिया.
भाभी- आहह उउउहह धीमे करो प्लीज.
थोड़ी देर में भाभी का दर्द मज़े में बदल गया और उनके रंग रूप देखने को मिलने शुरू हो गए.
भाभी गांड उठाती हुई मस्ती में कहने लगीं- आआहह उऊहह म्म्म्म आह … कितना मस्त चोदता है रे तू!
मैं- क्यों साली रंडी … तेरा पति नहीं चोदता है क्या?
भाभी सिसकारियां लेती हुई बोलीं- इतना अच्छा चोदता तो क्यों तेरे पास आती चुदवाने!
मैं भी धकापेल चोदने लगा और अपनी चुदाई की रफ्तार को काफी तेज कर दिया.
भाभी चिल्लाने लगीं- उई मां मर गई आआह आआह और तेज और तेज … आह.
उसी समय उसके पति का कॉल आया कि वह मॉल के पास पहुंच गया है.
भाभी ओके बोलते हुई बोलीं- अभी लिस्ट भेजती हूँ.
उन्होंने चुदते हुए ही अपने पति को एक लिस्ट व्हाट्सैप पर फॉरवर्ड कर दी.
तब तक मैंने भाभी को घोड़ी बनाया.
तो भाभी ने कहा- प्लीज अभी और देर नहीं लगाना.
मैंने कहा- ठीक है तू खुद लंड पर आ जा.
भाभी लौड़े के ऊपर आ गईं और एक ही बार में लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर बैठ गईं.
उन्होंने चूत में लंड को अन्दर सैट किया और गांड उचकाती हुई कूदने लगीं.
भाभी मेरे लौड़े से चुदवा कर बहुत खुश हो गई थीं वे बोलीं- जान, मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने कहा- हां आ जा रंडी, मेरे मुँह में अपना रस झाड़ दे.
वे मेरे मुँह पर चूत रगड़ने लगीं और मैंने उनकी चूत से टपकता पूरा पानी पी लिया.
फिर मैं उनके ऊपर चढ़ गया और तेज़ी से चोदने लगा.
थोड़ी देर फुल स्पीड में चोदने के बाद मैंने भाभी की गांड में उंगली कर दी.
तो वे बोलीं- उधर नहीं … प्लीज अभी आगे की चुदाई जल्दी से खत्म कर दो. मेरे पति आ जाएंगे.
मैंने उनकी चूचियों को मसलते हुए कहा कि नेक्स्ट टाइम मैं तुम्हारी गांड मारूँगा.
भाभी कुछ नहीं बोलीं.
मैं फुल स्पीड में चोदने लगा.
भाभी चिल्लाने लगीं- आह … और ज़ोर से ऊऊओं म्म्मा आअह आहह … तुम्हारा होने को आए तो बोल देना!
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- अन्दर मत करना.
मैं- ओके मेरी रंडी.
मैंने उन्हें चोदना जारी रखा.
कुछ मिनट बाद जब मैं झड़ने वाला था तो लंड निकाल कर सीधा भाभी के मुँह में दे दिया और चूसने को कहा.
भाभी तेजी से लंड चूसने लगीं.
जब मेरा काम होने वाला था, तो भाभी का सिर पकड़ कर मैंने पूरा लंड गले तक ठेल दिया और झड़ गया.
भाभी गों गों करके पूरा लंड चूसती रहीं और लंड का रस खा गईं.
मैंने लंड बाहर निकाल और पूछा- मज़ा आया?
भाभी बोलीं- मज़ा आ गया जान … अब जल्दी कपडे पहन कर निकल जाओ … मेरा पति आता ही होगा.
मैं कपड़े पहन कर बाहर निकल गया.
बाहर जाते समय जैसे मैं 7-8 सीढ़ी उतरा, तो शायद उसका पति मेरे पास से गया. वह अपने दोनों हाथों में सामान के थैले लिए था.
दोस्तो, अगली बार लिखूँगा कि मैंने भाभी जी की गांड कैसे मारी.
उस चुदाई की कहानी का बस जरा सा इंतजार कीजिए.
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