अनाथ लड़के का यौन जीवन- 1 (Mera First Fuck)

मेरा फर्स्ट फक ब्यूटी पार्लर वाली आंटी के साथ था जो मुझसे दोगुनी उम्र की थी. उन्हीं ने मुझे चोदना सिखाया, चूत वालियों को खुश करना सिखाया. उसके बाद आंटी ने क्या किया?

दोस्तो, मैं आपका पुराना साथी रतन दत्त आपकी सेवा में पुन: हाजिर हूँ.

मेरी पिछली कहानी थी: दो सहेलियों ने पति की अदला बदली की

यह सेक्स कहानी एक विजय नाम के व्यक्ति की है. उन्होंने अपने जिगोलो जीवन की यादों को जो उसके फर्स्ट फक से शुरू होती हैं, लिख कर मुझको भेजा है.

मैंने उसकी कहानी को पढ़ा और मुझे लगा कि ये सेक्स कहानी काफी रोचक है और इसे आप सभी के मनोरंजन हेतु भेजा जाना चाहिए.

तो मैंने विजय की सेक्स कहानी के सब नाम बदल दिए हैं और सेक्स कहानी को उसी की जुबानी प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा है आपको पसंद आएगी.

मैं विजय … एक छोटे से कस्बे में बड़ा हुआ.
पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता था; किसी तरह मैंने 12वीं पास की.

पिताजी फ़ौज में थे, उन्होंने मेरे स्वास्थ, खेल कूद और कसरत पर जोर दिया.
मैंने फ़ौज में नौकरी की कोशिश की पर परीक्षा पास नहीं कर सका.

मेरा कद 6 फुट, बदन कसरती था. मेरे हल्के सांवले रंग और तीखे नयन नक्श पर कस्बे की महिलाएं फ़िदा थीं.
मैं किसी पर ध्यान नहीं देता और अपनी जिंदगी संवारने के लिए काम करता रहता.

अचानक मेरे माता पिता की बस दुर्घटना में मौत हो गयी, कुछ रिश्तेदार आए.
माता पिता की क्रिया कर्म के बाद लौट गए.

मेरे कस्बे में एक पड़ोसी (उम्र 35) रहते थे.
उनको मैं चाचा कहता था.
वे शहर में अपनी पत्नी के साथ रहते थे.

पिताजी की खबर सुनकर वे भी आए और मुझे अपने साथ शहर ले गए.
उन्होंने कहा कि वहां शहर में नौकरी पाने की कोशिश करते हैं.

चाचा एक पांच सितारा होटल में माली का काम करते थे.
चाची लोगों के घरों में जाकर खाना बनाती थीं.

चाचा ने होटल मालिक से बात की.
मालिक ने मेरा इंटरव्यू लिया, मेरा डील डौल और सुन्दर चेहरा देखकर मालिक ने होटल का मुख्य दरवाज़ा खोलकर महमानों का स्वागत करने की ड्यूटी दे दी.

मैनेजर ने मुझे काम समझाया, अंग्रेजी के कुछ शब्द सिखाए.
मेरा यूनिफार्म भी शानदार था.

होटल में आने वाली मेहमान महिलाएं मुझे नजर भरकर देखतीं, मुझे अच्छी टिप देतीं और आपस में कहतीं कि क्या हैंडसम बंदा है.

हमारे होटल के ब्यूटी पार्लर की मालकिन सुकृति मैडम थीं.
वे करीब 40 की उम्र की लम्बी कद की महिला थीं.
उनका सुन्दर चेहरा, सुन्दर फिगर था.

वे काफी मधुर स्वभाव की थीं. वे अक्सर आतीं तो सबसे अच्छे से बात करतीं … मुझसे भी.
माली चाचा से वह अपने बगीचे के बारे में सलाह लेतीं.

चाचा ने मुझे बताया कि तीन साल पहले मैडम विधवा हो गयी थीं.
उनके पति का फ़ास्ट फ़ूड का बिजनेस भी वही संभालती हैं.

एक शाम मेरी ड्यूटी ख़त्म होने के बाद मैं घर जाने वाला था, अचानक जोर से बारिश शुरू हो गयी.
सुकृति मैडम दौड़कर अपनी कार तक जाने लगीं तो वे गिर पड़ीं.

मैडम गिरने की वजह से उठ कर सही से चल नहीं पा रही थीं.
मैं लपक कर उनके पास पहुंचा तो वे कराह रही थीं.
उनका दर्द भरा चेहरा मुझे कातर भाव से देख रहा था.

मैंने एक पल की भी देर न की और उनको अपनी गोद में उठा लिया.

मैं मैडम को अपनी गोद में लिए हुए पोर्च में ले आया.

मैडम ने टैक्सी बुलाने का कहते हुए मुझसे कहा- विजय, क्या तुम मेरे साथ चल सकते हो? पहले डॉक्टर के पास जाएंगे, फिर तुम मुझे घर छोड़ देना.
मैंने ओके कहा और उन्हें पोर्च में रखी एक कुर्सी पर बिठा कर टैक्सी बुलाई.

जब टैक्सी आ गई तो मैंने उन्हें वापस गोद में उठाकर टैक्सी में लेटा दिया.
आगे की सीट पर बैठ कर मैं उनके साथ चल पड़ा.

डॉक्टर ने बताया कि पैर में मोच है. उसने पट्टी लगायी, दवा दी और कहा कि कुछ दिन चलना नहीं है.

मैं मैडम को उनके घर ले गया.

मैडम ने नौकरानी को आने के लिए फ़ोन किया पर वह शहर से बाहर थी.
मैंने कहा- मैं रुक जाता हूँ.

मैडम के कहने पर मैं उनको उठाकर बैडरूम में ले गया.

तब मैडम ने उनके कपड़े अल्मारी से निकालने को कहा.
चूंकि उनके कपड़े भीग गए थे तो वे सर्दी से कंप रही थीं.

मैडम उठ नहीं पा रही थीं.
उन्होंने मुझे अपनी आंख पर चुन्नी बांधकर उनके कपड़े बदलने को कहा.

मैंने उनके कपड़े उतारे, बदन को पौंछा और उन्हें मैक्सी पहना दी.

किसी स्त्री को स्पर्श करने का मेरा पहला अनुभव था.
मुझे अजीब सुखद अनुभव हुआ.

फिर फ्रिज से खाना निकालकर गर्म करके उन्हें खिलाया और खुद भी खाया.

रात को मैडम को उठाकर बाथरूम ले गया, उनकी मैक्सी कमर तक उठाकर कमोड पर बिठाया.
मैडम काफी शरमा रही थीं, पर मज़बूरी थी.

सुबह नौकरानी आ गयी तो मैं काम पर चला गया.

शाम को मैं मैडम के घर गया.
मैंने उनसे कहा- कोई जरूरत हो तो आप जरूर बताएं.

सुकृति मैडम- नौकरानी रात को नहीं रुक सकती है. जब तक मैं ठीक न हो जाऊं … क्या तुम रात को इधर रुक सकते हो?
मैं राजी हो गया.

मैडम को जब मैं गोद में लेकर बाथरूम ले जाता, मैडम मेरे गले में हाथ डालकर मुझे देखतीं, तो मुझे काफी अच्छा लगता.

चार दिन बाद मैडम छड़ी के सहारे चलने लगीं.
उस शाम मैडम ने मुझे बताया- पति के जाने के बाद मैं अकेली हो गयी हूँ. पैसा बहुत है. दिन भर तो मैं काम में व्यस्त रहती हूँ, पर रात नहीं कटती है.
मैं बस उन्हें सुनता रहा.

सुकृति मैडम- विजय, तुम अपने बारे में भी कुछ बताओ, कोई गर्ल फ्रेंड है क्या? तुम जिंदगी में क्या करना चाहते हो?

मैं- कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मेरे माता पिता का देहान्त हो गया है, मैं अकेला हूँ. हमारे पड़ोसी, जिनको मैं चाचा कहता हूँ. वे ही मुझे शहर लाए और नौकरी दिलवाई. मैं उनके साथ में ही रहता हूँ. वहां जगह कम है, मैं दूसरा घर ढूंढ रहा हूँ. मेरे माता पिता ने मुझे सिखाया था कि कोई भी काम छोटा नहीं होता. मन लगाकर काम करना, जिससे जो काम के पैसे दे रहा है … उसको ख़ुशी और संतुष्टि हो. सबकी मदद करना. मैं मेहनत करके खूब रूपए कमाना चाहता हूँ.

मेरी बातों से मैडम काफी खुश लग रही थीं कि मेरे इतने नेक विचार हैं.

मैं बैडरूम में जमीन पर सोता था, सुकृति मैडम पलंग पर.
मुझे बिना चड्डी के लुंगी पहनकर सोने की आदत है तो मैं ऐसे ही सोता था, सुबह मेरा लंड खड़ा हो जाता.

पांचवें दिन सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मैडम पलंग से मेरी ओर देख रही हैं.

मैं शर्माकर अपना खड़ा लंड छुपाने लगा और करवट बदल कर लेट गया.

मैडम के बाथरूम जाने के बाद मैं उठा.

चाय नाश्ते के समय मैडम ने कहा- विजय, अब मैं ठीक हूँ, तुमने मेरी बहुत मदद की. आज रात से तुम अपने घर सो सकते हो!
मैं अपने घर चला आया.

एक्सीडेंट के दस दिन बाद मैडम ने मुझे फ़ोन किया- विजय आज शाम मेरे घर आ जाना. ठीक होने की ख़ुशी में पार्टी करेंगे.

शाम को जब मैं मैडम के घर गया.
मैडम बिना बांह की बैकलेस ब्लाउज, नाभि दर्शना साड़ी और मेकअप में बहुत सुन्दर और सेक्सी दिख रही थीं.
उनके लो-कट ब्लाउज से उनकी चूचियों का बहुत सा ऊपरी भाग दिख रहा था.

टेबल पर चखना, व्हिस्की रखी थी.

मैंने दोस्तों के साथ शराब पी थी.

मैडम ने दो पैग बनाए.
हम दोनों ने गिलास टकराकर चियर्स करके पार्टी शुरू की.

एक पैग के बाद मैडम झुक कर दूसरा पैग बना रही थीं.
मैं उनके मम्मों पर नजरें गड़ाए वहां देख रहा था.

मैडम अपनी कुर्सी पर बैठी थीं- विजय तुमने कभी किसी स्त्री से सम्भोग किया है … या करने की इच्छा होती है?
मैं- मैडम मैं अभी कुंवारा हूँ. मेरी इच्छा तो बहुत होती है, पर सम्भोग के बाद कुछ प्रॉब्लम न हो जाए, इस बात से डरता हूँ. मैंने सम्भोग के बारे में एक विवाहित दोस्त से सुना था.

मैडम- पति जाने के बाद मेरी सम्भोग की इच्छा होती है, पर आज तक कोई नहीं मिला था … जिसके ऊपर विश्वास करूं. हम दोनों एक ही नाव पर सवार हैं, दोनों की इच्छा है. मैं 40 की हूँ, तुम 20 के हो. हम दोनों में प्रेम सम्बंध तो नहीं हो सकता, पर एक दूसरे की जरूरत को पूरी कर ही सकते हैं!

दोनों को हल्का नशा हो गया था. हम दोनों एक साथ खड़े हो गए.

मैंने अपनी बांहें फैला दीं, मैडम मुझसे लिपट गईं.
मैडम मेरे होंठ चूमने लगीं.

तब मैडम ने मेरे कान में कहा- चलो बैडरूम में चलते हैं.

बैडरूम में जाकर मैं मैडम के चूचे दबाने लगा.
मैडम कामुक सिसकारी भरने लगीं.

उन्होंने मेरी शर्ट को उतार दिया.
मैंने उनका ब्लाउज उतार दिया.

मैं मैडम की ब्रा नहीं उतार पा रहा था, मुझे यह कला नहीं आती थी.
मैडम ने अपना ब्रा को उतार दिया.

मैं बहुत उत्तेजित हो गया. मैडम के एक चूचे को दबाने, दूसरे को चूसने लगा.
मेरा लंड खड़ा हो गया.

जाने कब हमने एक दूसरे के बाकी के कपड़े भी उतार दिए.
हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे को आलिंगन में लिए खड़े थे.

मैडम के चूचे मेरी छाती में दबे थे, मुझे बड़ा सकून सा मिल रहा था.

तब मैडम ने मुझसे अपने आपको छुड़ाया और पलंग पर चित लेटकर अपने पांव फैला दिए.

फिर अपनी एक उंगली से मुझे अपने पास आने का इशारा किया.
वह मेरे 5 इंच के लंड को हसरत से देख रही थीं.

मैं मंत्रमुग्ध हो गया था और किसी कठपुतली की तरह चल कर पलंग पर चढ़ कर उनके करीब आ गया.
मैडम के फैले पैरों के सामने बैठकर मैं उनके नग्न शरीर को निहारने लगा.

मैंने किसी स्त्री को पहली बार नग्न देखा था.

मैडम बोलीं- अब मेरे ऊपर आ जाओ, रहा नहीं जा रहा.

जैसा मेरे दोस्त ने मुझे चुदाई के बारे में बताया था, मैं अपना खड़ा लंड मैडम की चिकनी चूत पर फेरने लगा.

उनकी चूत से रस निकल रहा था. मुझसे चूत का छेद नहीं मिल रहा था.
मैडम ने हंसकर मेरा लंड पकड़ा और अपने प्यार के छेद में लगा दिया.

उन्होंने कहा- अब डालो.
मैंने एक झटके से लंड चूत में डाल दिया और कमर हिलाकर चुदाई करने लगा.
मेरा फर्स्ट फक शुरू हो गया.

मैडम- विजय धीरे करो, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
पर मैं अपने आपको रोक ही नहीं सका, झटके से चुदाई करता रहा.

बस 3-4 मिनट में ही मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकली और उनकी चूत में भर गयी.
जल्दी झड़ जाने से निराश होकर मैं उतर कर मैडम के बाजू में लेट गया.
मैडम बाथरूम से होकर आईं और उन्होंने मुझसे कहा कि जाओ लंड धोकर आओ.

मेरे वापस आते ही मैडम बोलीं- विजय निराश मत हो, पहली बार ऐसा होता है. मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि कैसे देर तक टिकना होता है.
मैं सर झुकाए खड़ा था.

मैडम- विजय, सम्भोग धीरे धीरे शुरू करना चाहिए. इसमें दोनों को आनन्द आएगा. स्त्री को तब ही संतोष होता है, जब पुरुष उसके बाद या उसके साथ झड़ता है. सम्भोग के समय स्त्री झड़ने के पहले यदि तुम्हें लगे कि तुम्हारे झड़ने की संभावना है, तो लंड को पूरा या आधा चूत से बाहर निकाल लेना. लंड को जड़ से उंगलियों का घेरा बनाकर कसकर जकड़ लेना और लम्बी लम्बी सांस लेना. मन में यह सोचना कि अभी तुम्हें नहीं झड़ना है. फिर थोड़ा जोश कम होने पर ही वापस सम्भोग शुरू करना.

मुझे मैडम ने वापस पलंग के पास बुलाया.
मैं जाकर पलंग के पास खड़ा हो गया.
मैडम ने मेरे लंड को सहलाया, चूमा … फिर वे लंड के टोपे पर जीभ फिराने लगीं.

मेरे लंड को मुँह में लेकर थोड़ी देर चूसा.
मुझे असीम आनन्द आ रहा था; मेरे मुँह से ‘आह ओह …’ निकल रहा था.

मैडम लंड चाटती हुई बोलीं- कैसा लगा?
मैंने कहा- स्वर्गिक आनन्द मिला.

मैडम अब पैर फैलाकर चित लेटकर बोलीं- अब तुम मेरी चूत चाटो चूसो, मुझे भी मजा दो.
उनकी चूत बाल रहित, नर्म और फूली हुई थी.

मैं उनकी चूत चूमने के बाद चाटने लगा.

मैडम मुझे बोल बोल कर सिखा रही थीं ‘अब जीभ चूत के अन्दर डालो चाटो, चूसो.’
फिर मुझे उंगली से भगनासा दिखाती हुई बोलीं- इस दाने को भी चाटो, इस पर उंगली फिराओ.

मैडम आनन्द से धनुष के समान हो रही थीं और सिसकारी भर रही थीं.
वे मेरा सर चूत में दबा रही थीं.
उनकी चूत से ढेर सा रस निकल कर मेरे मुँह, चेहरे पर गिरने लगा.

मुझे उनकी चुत के रस का नमकीन स्वाद बड़ा ही अच्छा लगा.
सारा रस चाट लेने के बाद मैं लेट गया.

मैडम निढाल होकर मेरी छाती पर सर रखकर आराम करने लगीं.

मेरा लंड खड़ा था.
मैं मैडम के सिर व पीठ पर हाथ फेर रहा था.

थोड़ी देर बाद मैडम ने मेरे खड़े लंड को सहलाया और पांव फैलाकर चित लेट गईं.
मैं उनका इशारा समझ गया; मैं मैडम के फैले हुए पैरों के बीच गया. घुटनों के बल पर बैठकर लंड चूत पर फिराकर छेद ढूँढने लगा.

मैडम ने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के छेद में टिका दिया.
मैं धीरे धीरे चुत को सुपारे से रगड़ कर लंड अन्दर डालने लगा.

बीच बीच में थोड़ा रूककर मैडम के चूचे दबाता, फिर लंड को अन्दर डालने लगता.
आखिरकार मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया.

मैंने धीरे धीरे चुदाई शुरू की.
मैडम कमर उचकाकर साथ दे रही थीं.
मैंने चोदने की गति बढ़ाई.

थोड़ी देर बाद लगा कि मैं झड़ सकता हूँ.
जैसा मुझे मैडम ने सिखाया था, मैंने लंड आधा बाहर निकाला और लंड की जड़ को उंगलियों से लपेटकर कसकर पकड़ लिया.

मैं लम्बी सांसें लेने लगा.
मन में मैंने सोचा कि मैडम से पहले नहीं झड़ना है.

कमाल हो गया. मेरा झड़ना टल गया.
मैं फिर से उन्हें चोदने लगा.

करीब 15-20 मिनट बाद मैडम जोर से सिसकारियां भरने लगीं.
उन्होंने अपने पैर मेरी कमर में लपेट लिए, मुझे अपनी तरफ खींचकर लिपट गईं.

उसी वक्त उनकी चूत से ढेर सा कामरस निकल कर मेरे लंड और गोटों को भिगोने लगा.
मैडम आह भरती हुई बोलीं- मेरा हो गया … आह मैं गई.

अब मैं तूफानी रफ्तार से मैडम को चोदने लगा.
मेरे हर धक्के से साथ मैडम के सुंदर और सुडौल रस से भरे हुए चूचे डोल रहे थे.

बहुत ही मनोरम दृश्य था.
मैं और जोश में चोदने लगा.

थोड़ी ही देर में मैं मैडम की चूत में झड़ गया.

मैडम के चेहरे में परम संतुष्टि थी.
मैं गर्वित महसूस कर रहा था, जैसे मैंने कोई पहाड़ की चोटी पर विजय प्राप्त की हो.

मेरा लंड सिकुड़ने लगा था.
मैं नीचे उतर कर मैडम के बाजू में लेट गया.

मैडम ने मेरा चेहरा हाथों में लिया और वे मेरे होंठ चूमकर बोलीं- सच में मजा आ गया. तुम बड़ी जल्दी सीख जाते हो.
मैंने कहा- मुझे भी बहुत मजा आया.

कुछ देर बाद हम दोनों ने बाथरूम में आ गए और अपने अपने लंड चूत धोये, एक दूसरे के सामने ही शु शु की, नंगे ही बाहर आकर थोड़ा सा खाना खाया और एक दूसरे से लिपटकर सो गए.

मैं सुबह जागा तो मैडम आराम से सो रही थीं.
उनके चेहरे पर मीठी मुस्कान थी जो मैंने पहली बार देखी.

मैंने उनके नंगे बदन को नजर भर देखने के बाद चाय बनाकर पी.

फ्रेश होकर मैडम को जगाकर चाय दी, मैडम चाय के बाद फ्रेश होकर आईं.

वे मुझसे बोलीं- मेरा बदन दुख रहा है, तुम्हारे झटके ज्यादा ही जोर के थे. मेरी मालिश कर दो.

जब मैं तेल मालिश कर रहा था, मैडम बोलीं- हल्के हाथों से करो. मैं तुम्हें अपने पार्लर में फुल बॉडी मालिश करना सिखाऊंगी.

मालिश के बाद वे कहने लगीं- मैं नहाकर आती हूँ, तुम नाश्ता तैयार रखना. नाश्ते के बाद तुम्हें काम पर जाना है.

नाश्ते के बाद मैडम ने मुझे एक लिफाफा दिया. मैंने खोलकर देखा, उसमें रूपए थे.
मेरे पूछने पर मैडम ने बताया- यह तुम्हारी मेहनत की कमाई है. कल रात तुमने मुझे सम्भोग के समय मुझे बहुत आनन्द दिया. अब मैं और मन लगाकर काम कर सकती हूँ. मेरी कमाई बढ़ेगी, उसका हिस्सा दे रही हूँ. मना मत करना, मुझे तुमसे शारीरिक सुख चाहिए और तुम्हें रुपयों की जरूरत है.

इस तरह से अनजाने में ही मेरे जिगोलो जीवन की शुरूआत हो गयी थी.

होटल जाने के लिए मैं बस में बैठकर मन ही मन हंस रहा था कि कैसे मुझे चूत का छेद नहीं मिल रहा था.

मुझे एक दोस्त का कहा चुटकुला याद आ गया.

चुटकुला यह था कि एक लड़के के घर में भैंस थी.
उसने देखा था जब भैंस के ऊपर भैंसा उसे ग्याभन करने के लिए चढ़ाया जाता तो उसके पिताजी भैंस की पूँछ साइड में कर देते और भैंसा अपना लिंग भैंस की योनि में डाल देता.
जब उस लड़के की शादी की बात चली, उसने लम्बे बालों वाली लड़की पसंद की. लड़के के दोस्त ने देखा कि लड़का शादी के बाद परेशान रहता है.
दोस्त के पूछने के बाद भी लड़के ने कुछ नहीं बताया.

दोस्त ने छुपकर देखा, रात को लड़का अपनी पत्नी के लम्बे बालों की हटाकर कुछ देख रहा था.
उसने पत्नी का जूड़ा बांधा, फिर निराश होकर सो गया.
दोस्त ने दूसरे दिन पूछा कि बीबी के बाल हटाकर क्या देखते हो?
लड़के ने बताया भैंस की पूछ हटाकर पिताजी भैंसा चढ़ाते थे, पर पत्नी के बाल हटाने से कुछ भी नहीं दिखा.
दोस्त ने सर पकड़ लिया.
फिर उसने लड़के को स्त्री की नग्न तस्वीर दिखाई, समझाया, तब बात बनी.

आगे क्या हुआ वह अगले भाग में पढ़ें.

आपको मेरी फर्स्ट फक कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
कृपया अपने विचार बताते समय कहानी का नाम और उसका भाग संख्या अवश्य भी लिखें.
मेरी मेल आईडी है [email protected]

मेरा फर्स्ट फक कहानी का अगला भाग: अनाथ लड़के का यौन जीवन- 2

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