देसी गर्ल किस सेक्स स्टोरी में मैंने अपनी शादीशुदा बहन को उसके ससुराल से लिवाने गया तो पहले उसे होटल के कमरे में चुदाई के लिए ले गया. वह पहले भी मुझसे चुद चुकी थी.
कहानी के दूसरे भाग
शर्मीली लड़की के साथ होटल के कमरे में
में आपने पढ़ा कि मैं मोनी को लेकर कुछ घण्टे के लिए एक होटल के कमरे में आ गया था.
उस आदमी के जाने के बाद मैं और मोनी होटल के कमरे में अकेले रह गये थे.
अब आगे देसी गर्ल किस सेक्स स्टोरी:
मगर अब दिक्कत यह थी कि उससे बात शुरू कैसे करूं?
जब से मेरे और मोनी के सम्बन्ध बने थे, तब से हम एक दूसरे बहुत ही कम बात करते थे।
बहुत जरूरी होने पर ही हमारी बात होती थी और वह भी अधिकतर बस ‘हाँ ना’ से ही काम चलता था।
मोनी से कुछ कहने में मुझे संकोच हो रहा था.
मगर फिर भी बात शुरु करने के लिये मैंने ही पहल करते हुए कहा- ओह, बहुत गर्मी है. चलो कम से कम अब गर्मी में तो नहीं रहेंगे.
मोनी ने कुछ नहीं कहा … बस एक बार मेरी ओर देखकर रह गयी।
मैं सोफे पर बैठ गया.
मगर मोनी अभी भी अपने बच्चे को गोद में लिये सहमी सहमी सी इधर उधर ही देख रही.
शायद वो पहली बार इस तरह से सजा धजा कमरा देख रही थी.
कमरा तो क्या … मुझे तो लग रहा था कि वह शायद होटल ही आज पहली बार आई थी।
“खड़ी क्यों हो … बैठ जाओ.” मैंने अब फिर से कहा.
तो मोनी बैड के एक किनारे पर जाकर बैठ गयी।
ए सी को अभी अभी चालू किया था तो कमरे में अभी भी गर्मी थी.
ऊपर से मोनी के बैठते उसके बच्वे ने अब फिर से रोना शुरु कर दिया.
“आराम से ऊपर होकर बैठ जाओ, बस थोड़ी देर में कमरा ठण्डा हो जायेगा.” मैंने अब फिर से कहा।
मोनी ने अब एक बार तो मेरी तरफ देखा फिर चप्पल को उतारकर उसने अपने दोनों पैरों को ऊपर कर लिया और धीरे से खिसक कर बैड के बीच में हो गयी।
उसका बच्चा अभी भी रो रहा था, उसे चुप करवाने के लिये वह मेरी ओर पीठ करके बच्चे को दूध पिलाने लगी.
मैं सोफे पर बैठे बैठे मोनी की ओर देख रहा था.
तभी किसी ने दरवाजा बजा दिया- सर, आपकी कोल्ड ड्रिंक!
शायद वह वेटर था।
मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो एक वेटर ट्रे में पानी और कोल्ड ड्रिंक लिये खड़ा था।
उसने ट्रे टेबल पर रख दी और मेरी ओर देखते हुए कहा- सर, खाने का ऑर्डर?
मोनी अभी भी बच्चे को दूध पिला रही थी मगर जब वेटर ने खाने के लिये पूछा तो मोनी ने तुरन्त मेरी ओर देखा और बोली- वो … खाना मैं घर से बनाकर लाई हूँ!
“कोई नहीं, वो रात को खा लेंगे.” मैंने मोनी की ओर देखते हुए कहा.
तो मोनी अब एक हाथ से अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक से करने लगी.
उसने अपनी साड़ी के पल्लु से बच्चे व अपने आप को छुपाते हुए कहा- बहुत है, रात में भी हो जायेगा.
मैंने मोनी की ओर देखते हुए कहा- ठीक है तो सब्जी मँगवा ही लेता हूँ.
वेटर की ओर देखते हुए मैंने कहा- एक पालक पनीर और एक दाल ले आना बस.
“यस सर, कितने बजे तक लेकर आऊं?”
मैंने घड़ी की ओर देखा तो साढ़ेग्यारह बज रहे थे.
“डेढ़ बजे तक ले आना!” मैंने कहा।
“यस सर! कहते हुए वेटर दरवाजा बन्द करके चला गया।
मैंने अन्दर की कुण्डी लगा ली और उस ट्रे में से कोक की बोतल मैंने अपने लिये उठा ली और माजा की बोतल मोनी को देने के लिये बैड के पास आया..
“वहीं रख दे, मैं बाद में पी लूंगी!” मोनी ने फिर से साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए कहा।
“पी लो, बाद में गर्म हो जायेगी.” कहते हुए मैं वो बोतल लेकर वहीं खड़ा हो गया.
मोनी ने चुपचाप मेरे हाथ से बोतल पकड़ ली.
मगर उसके चेहरे पर शर्म से हल्की हंसी के भाव आ गये।
मोनी को कोल्ड ड्रिंक देने के बाद मैं अब टीवी को चलाया और सोफे पर जाकर बैठ गया।
तब तक एसी चलने से कमरा ठण्डा हो गया था इसलिये मोनी का बच्चा दूध पीते पीते ही सो गया था.
बच्चे के सोते ही मोनी ने उसे बिस्तर पर सुला दिया और चुपचाप उसके बगल में ही बैठकर वो भी अपनी कोल्ड ड्रिंक पीने लगी।
जब तक हम दोनों ने कोल्ड ड्रिंक खत्म नहीं हुई तब तक कोई बात नहीं हुई।
वैसे भी मोनी तो बात ही कहाँ कर रही थी।
जो भी कुछ बात करने की कोशिश थी, वो मैं ही कर रहा था. मोनी तो बस उसका जवाब ही दे रही थी।
“इसे ठण्ड लग जायेगी, चादर औढ़ा दो.” मैंने फिर से बात शुरु करते हुए कहा।
उसने बच्चे को चादर औढ़ा दी.
“तुमको फ्रेश होना है तो हो आओ!” मैंने कहा.
मोनी ने ना में अपनी गर्दन हिलाई।
मोनी का बच्चा भी सो गया था, मेरे लिये अब अच्छा मौका था.
इसलिये मैं सोफे से उठकर बैड की तरफ आ गया।
मोनी मेरी ओर ही देख रही थी.
मेरे अब बैड के पास आते ही मोनी के चेहरे पर शर्म और घबराहट के मिले झुले से भाव उभर आये।
मोनी को देखकर पता नहीं अब मुझको भी क्या हुआ कि मैं भी मोनी के पास जाने की बजाय बाथरूम में घुस गया।
वैसे तो मैं मोनी के पास जाने के लिये ही उठकर उधर आया था मगर उसके चेहरे पर आये बदलाव को देखकर मेरी अब उसके पास जाने की हिम्मत ही नहीं हुई।
पता नहीं मोनी के पास ही जाने में मुझे ऐसा क्यों लग रहा था?
नहीं तो अगर मोनी की जगह कोई और लड़की होती और उसके साथ मैंने पहले इतना कुछ किया हुआ होता तो अभी तक मैं क्या कुछ नहीं कर गया होता।
खैर बाथरूम में मैंने पेशाब किया, फिर चेहरे को ठण्डे पानी से धोकर फ्रेश हुआ ताकि कुछ रिलेक्स हो जाऊं।
फ्रेश होकर मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला.
दरवाजा खुलते ही मोनी ने मेरी तरफ देखा।
उसके चेहरे पर अभी भी वैसे ही भाव थे मगर मैंने अब सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाये, मोनी चाहे मेरे बारे में कुछ भी सोचे, पर मुझे कुछ ना कुछ तो करना होगा, नहीं तो ये होटल का खर्चा बेकार चला जायेगा।
अपने दिल और दिमाग को काबू में करके मैं अब बाथरूम से निकलकर सीधा बैड पर जाकर बैठ गया.
मोनी के चेहरे पर शर्म के से भाव आ गये और वह खिसककर थोड़ा सा अन्दर की ओर हो गयी।
वह यह समझ ही चुकी थी कि मैं उसे होटल में क्यों लाया हूँ और उसके साथ क्या करना चाहता हूँ.
मगर फिर भी शुरुआत करने में हम दोनों के बीच जो झिझक और शर्म बाकी थी, बस ये उसी लड़ाई चल रही थी।
मोनी शरमा रही थी मगर मुझे तो शर्म के साथ साथ डर भी लग रहा था कि कहीं वह बुरा ना मान जाये।
इसलिये बिस्तर पर बैठ कर मैंने अब एक बार तो मोनी की ओर देखा फिर धीर से उसके मेरी तरफ वाले हाथ पर अपना हाथ रख दिया.
मोनी तो जैसे अब शर्म से सिकुड़ ही गयी।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया तो साँस भी तेज हो गयी।
वह मुझसे नजर नहीं मिला रही थी.
उसने अपना मुँह दूसरी तरफ करके धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ के नीचे से खींच लिया।
मैं अब धीरे धीरे खिसक कर मोनी के नजदीक हो गया, फिर धीरे से अपने दाँयें हाथ को उसकी गर्दन के पीछे से ले जाकर सीधा मोनी के दाँयें कँधे पर रख दिया.
मेरा स्पर्श पाते ही उसने मेरी ओर देखा, शर्म और लाज से अब भी वह हल्के से मुस्कुरा रही थी।
मुझे अब डर तो लग रहा था मगर फिर भी मोनी के कँधे को पकड़कर मैंने अब उसे मेरी ओर खींच लिया.
मोनी मेरी ओर देख रही थी.
मैंने उसके कँधे को भी पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा तो उसके नर्म मुलायम होंठ अब सीधा मेरे होंठों से आ लगे.
मेरे होंठों ने मोनी के होंठों को छू तो लिया पर यह चुम्बन कुछ ही पल का रहा.
क्योंकि तब तक मोनी ने खुद को सम्भाल लिया, उसने कसमसाकर तुरन्त अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग कर लिया और फिर से सीधी होकर बैठ गयी।
मोनी को देखकर लग रहा था कि वह चुदाई के लिए तैयार तो है लेकिन मेरी तरह ही उसमें भी लाज शर्म की झिझक बाकी है.
तो मोनी को पकड़कर मैंने उसे फिर से अपनी ओर खींच लिया.
अबकी बार मैंने उसे थोड़ा जोर से खींचा था तो वह अब सीधा मेरे सीने से आ लगी।
वह मुझसे अलग होना चाहती थी मगर तब तक मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और फिर से अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया.
इस बार मोनी ने भी मुझसे अलग होने का इतना प्रयास नहीं किया, बस चुपचाप मैं जो कर रहा था, करने दिया।
मैंने मोनी के होंठों को चूमते चूसते धीरे धीरे दबाव डालते हुए उसे बिस्तर पर लेटा लिया.
उसने कोई विरोध तो नहीं किया मगर जैसे ही हम बिस्तर पर लेटे, उसने हल्का सा कसमसाकर अपना मुँह दूसरी तरफ, बच्चे की तरफ करके लेट गयी।
मैं मोनी के पीछे था तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और धीरे से अपना एक हाथ उसके ऊपर से ले जाकर सीधा उसकी चूचियों को पकड़ लिया.
लाल रंग के ही ब्लाउज में कैद उसकी चूचियाँ उसकी तेज़ी से चलती साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थी।
मैंने पहले तो उन्हें कपड़ों के ऊपर से सहलाया, फिर धीरे से उसकी साड़ी के पल्लू को उसकी छाती से हटाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरु किये.
वैसे मेरा दिल तो कर रहा था कि जल्दी से उसके सारे कपड़े उसके शरीर से अलग कर दूँ.
लेकिन मेरे अन्दर का डर व शर्म मुझे ऐसा करने से रोक रहा था।
डर के कारण मेरे हाथ कांप रहे थे इसलिये मेरे हाथों की गति भी धीमी ही थी।
मोनी मेरा विरोध नहीं कर रही थी मगर उसने अब जो चादर अपने बच्चे को औढ़ा रखी थी, उसे पकड़कर अपने ऊपर भी खींच लिया।
शायद उसको मुझे अपनी चूचियाँ दिखाने में शर्म आ रही थी क्योंकि अभी तक मेरे और मोनी के बीच जब भी सम्बन्ध बने थे वो रात के अन्धेरे में ही बने थे.
अपनी चूचियों को दिखाने में वह अभी भी मुझसे शरमा रही थी।
मैंने भी चादर हटाने की कोशिश नहीं की. बल्कि चादर के अन्दर ही उसके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उसकी ब्रा को ऊपर खिसका दिया और दोनों चूचियों को ब्रा से बाहर निकालकर उसकी एक चूची को अपनी हथेली में भर लिया.
एकदम स्पंज के जैसे नर्म नर्म और एकदम भरी हुई चूचियाँ थी मोनी की जो दूध भर आने से अब पहले से ज्यादा बड़ी हो गयी थी।
मेरी हरकत से मोनी छुई मुई की तरह सिकुड़ ही गयी।
उसने कुछ कहा तो नहीं मगर अपने दोनों घुटनों को मोड़कर आगे की ओर कर लिया और अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख कर उसे पकड़ लिया. मगर उसके हाथ में विरोध बिल्कुल भी नहीं था.
इसलिये मैंने बारी बारी उसकी दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.
मोनी की चूचियों में दूध भरा हुआ था तो मेरे दबाने से दूध निकल आया।
दूध से मेरा हाथ गीला हो गया.
मैं कुछ देर उसकी चूचियों को दबाता रहा, फिर धीरे से मोनी के कंधे पर दबाव डालकर उसे सीधी कर लिया।
मैंने मोनी की तरफ देखा तो वह भी मेरी ओर ही देख रही थी.
मगर जैसे ही हमारी नजरें मिली, उसने अपना मुँह दूसरी ओर कर लिया।
वैसे तो मैं चूचियों को चूसना बहुत पसन्द करता हूँ मगर उनके दूध का पीना मुझे इतना पसन्द नहीं है।
मैंने एक दो बार अपनी भाभी का व पिंकी भाभी का दूध पीकर देखा है, मुझे अधिक पसन्द नहीं आया।
मैंने मोनी की चूचियों को पीने की बजाय अब सीधा अपना हाथ मोनी की चूत की ओर बढ़ा दिया.
मेरी इस देसी गर्ल किस सेक्स स्टोरी पर अपने विचार मुझे भेजते रहें.
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