घरेलू नौकरानी की वासना- 2

हॉट खेत चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी नौकरानी ने पूरी घटना बताई कि कैसे उसके मौसेरे भाई ने खेत में बने कमरे में नंगी करके चोद दिया था. उस वक्त वह एकदम कच्ची कली थी, अनछुई थी.

कहानी के पहले भाग
शराबी पति से नाखुश नौकरानी
में आपने पढ़ा कि हमारी नौकरानी अपने शराबी पति से तंग आकर हमारी शरण में आई और मदद मांगी. मेरी पत्नी ने मुझे उसके पति से बात करके उसे धमकाने को कहा.
मैं शाम को उसके घर चला गया. वहां उसे देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. वह भी मेरे लंड का मजा लेना चाह रही थी.

अब आगे हॉट खेत चुदाई कहानी:

बीना ने अपनी मौसी के बेटे के साथ सेक्स की घटना बतानी शुरू की.

साहब, यह बात मेरी शादी से पहले की है.

मेरी मौसी गांव में रहती हैं और मनोज उनका ही एकलौता लड़का है.
गांव में खेती बाड़ी है, वह बस उसे ही देखता है.

मैंने महसूस किया था कि जब भी मनोज हमारे यहां आता तो मनोज की निगाह हर वक्त मेरी कमसिन जवानी पर ही रहती थी.
वह मेरे मम्मों को हमेशा घूरता रहता था और कभी खेल खेल में मेरे मम्मों को दबा देता था.

मैं भी जवानी की ओर कदम रख रही थी, मैं अपनी मौसी के यहां कुछ दिन रहने के लिए गई थी.

एक दिन मनोज खेत पर काम कर रहा था.
मौसी ने मुझसे बोला- बीना, जरा मनोज के लिए खाना ले जा. दोपहर हो रही है, उसे भूख लग रही होगी.
मैंने कहा- हाँ मौसी, मैं ले जाती हूँ.

मैं मनोज के लिए खेत पर खाना लेकर चली गयी.

खेत में ही एक छोटा सा टयूबवैल के लिए कमरा बना हुआ था.

मैं कमरे के बाहर पहुंची तो कमरे का दरवाजा थोड़ा सा बंद था और मनोज वहीं चारपाई पर अपना लंड हाथ में लिये मेरा नाम लेकर बड़बडा रहा था- बीना-बीना मेरी जान … एक बार बस मेरे लंड को अपनी चूत में ले लो ना … यार सच में बहुत मजा आयेगा. बीना तुम नहीं जानती हो कब से तुम्हारे हुस्न का प्यासा हूँ. तुमने मुझे पागल किया हुआ है.

मैं मनोज को इस हालत में देखकर दंग रह गई.

हड़बड़ी में मैंने दरवाजा खोल दिया.

मनोज एकदम से मुझे देखकर हड़बड़ा गया और अपने हाथ को अपने लंड से हटा लिया.
उसके मुंह से बस निकला- बीना … तुम …
उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी.

मैं भी शर्म से पानी पानी हो गयी.
मैंने खाने का टिफिन वहीं रखा और वापिस घर की ओर चल दी.

दोपहर का समय था खेतों में दूर-दूर तक कोई नहीं था.

मनोज मेरे पीछे भागता हुआ आया- बीना सुनो … बीना!
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने बाहुपाश में बांध लिया और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी.

फिर मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और उसी कमरे में मुझे ले गया.
मैंने कहा- मनोज भईया, ये क्या कर रहे हो?
मनोज- बीना, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. जब से तुम यहां आयी हो, बस मेरा दिमाग खराब है. तुम्हारे शरीर की खुशबू मुझे सोने नहीं दे रही है. बस आज तुम मेरी हो जाओ!

उसने मुझे वहीं चारपाई पर लिटा दिया, मेरी चुनरी उतारकर फैंक दी और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.

वह मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा कर मुझे फिर से जोर जोर से चूमने लगा.

पहले तो मैंने उसे अपने से दूर करने की कोशिश की … फिर धीरे-धीरे मेरे यौवन ने भी अंगड़ाई लेनी चालू कर दी और मैं भी उसका साथ देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

उसने मेरे कपड़े उतारने चालू कर दिये, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
मेरे सामने वो मंजर घूमने लगा था जब मैं एक बार अपने घर में रात को पेशाब के लिए उठी तो देखा दूसरे कमरे से माँ की आवाजें आ रही थी- चोदो … जोर जोर से चोदो मुझे बीना के बापू … ये साली चूत भी हर समय प्यासी रहती है … आह उह उउउ उहा हा हा हा … तुम्हारा मूसल लंड मुझे बहुत अच्छा लगता है … मेरे राजा चोदो मुझे … चोदो मेरे राजा … आह … उह … आह!

और बापू माँ को गाली बक रहे थे- रंडी, हरामजादी तुझे ना चोदूंगा तो फिर बीना को थोड़े ही चोदूंगा?
उस दिन रात को बापू के मुंह से मेरा नाम सुनकर मुझे नींद नहीं आई, पहली बार मुझे बहुत अजीब सा लगा था, मेरी चूत भी गीली हो गयी थी.

उसके बाद तो मैं माँ और बापू की चुदाई देखा करती थी और अपने हाथ से अपनी मुनिया को गीली करने लगी थी.

उस दिन बस तभी से मेरी मुनिया भी हिलौरें मारने लगी थी.

मनोज ने मेरा कुर्ता उतार दिया.
मेरे जिस्म पर एक पतली से ब्रा रह गयी.

मैंने अपने दोनों चूचों को अपने हाथ से ढक लिया और शर्माकर ऐसे ही खड़ी हो गया.

फिर मनोज ने धीरे से मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया.
मैं अब मनोज के सामने लगभग नंगी हो गयी थी, सलवार के नीचे मैंने कुछ नहीं पहना था.

अब मेरे शरीर पर केवल एक पतली सी ब्रा रह गयी थी, उसे भी मनोज ने उतार दिया.

मनोज ने एक पजामा और एक कमीज पहनी हुई थी … वो भी उसने उतार कर एक तरफ फेंक दी.
अब हम दोनों ही आदमजात नंगे थे.

मनोज ने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और फिर से चारपाई पर लिटा दिया.
और वह मेरी चूत को चूसने लगा.

मुझे बड़ा अजीब लग रहा था पर मजा भी आ रहा था.
वह पागलों की तरह मेरी चूत को चूसे जा रहा था.

अचानक से मेरी चूत से बहुत सारा पानी निकल गया और मेरा शरीर अकड़ कर ढीला हो गया.

पर वह अभी भी मुझे पागलों की तरह चूस रहा था, मेरा सारा रस उसने चूस लिया था.

फिर वह मेरे उपर चारपाई पर आ गया और अपना मूसल लंड मेरी चूत पर लगाया और हल्का सा धक्का मारा.
उसका लंड थोड़ा सा मेरी चूत में घुस गया और मेरी एक घुटी हुई सी चीख निकल गई- मनोज क्या कर रहे हो … बाहर निकालो इसको, मुझे दर्द हो रहा है.

मनोज प्यार से मुझसे बोला- कुछ नहीं होगा बीना … पहली पहली बार थोड़ा सा दर्द होता है.

वैसे तो मेरी चूत एकदम गीली थी पर पहली बार जब किसी लड़की की चूत में मूसल लंड जाता है तो तो थोड़ा सा दर्द तो होता ही है.

फिर उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और बहुत सारा थूक अपने लंड पर लगाया और फिर से मेरी चूत के दरवाजे पर सैट किया और जोर से एक धक्का मारा.

उसका लंड मेरी चूत के किनारों को छीलता हुआ मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और बहुत जोर से मेरी चीख निकल गई- हाय मार डाला!
मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरी चूत में गर्म गर्म चीज मेरी चूत में डाल दी हो।

वो तो उस वक्त आसपास कोई नहीं था … वरना तो जरूर हम हॉट खेत चुदाई करते पकड़े जाते!

मैं एकदम से छटपटा गई, मेरी आवाज मेरे मुंह में से अब बाहर नहीं आ रही थी.
मनोज ने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख लिया और ताबड़तोड़ तरीके से अपनी लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

कम से कम 5 मिनट तक वह मुझे ऐसे ही बेरहम तरीके से चोदता रहा.

मैं एकदम से बदहवास सी अपने आप को छुड़ाने का प्रयास कर रही थी.
पर वो था कि उसे मुझ पर कोई तरस नहीं आ रहा था.

और 5 मिनट बाद उसका गाढ़ा गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में भर गया और वह भी निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गया.

एक तो वैसे ही बहुत गर्मी थी, उस गर्मी में हम दोनों पसीनों से लगभग नहा गये थे.
मेरी हालत तो ऐसी थी कि किसी ने मुझे बहुत मारा हो, सारा शरीर दर्द करने लगा था और चूत तो ऐसी लग रही थी कि किसी ने गर्म गर्म लावा मेरी चूत में डाल दिया हो.
बहुत सारा खून भी मेरी चूत से आ रहा था … जिसे देखकर मैं घबरा गई और मनोज से कहने लगी- मनोज, ये क्या कर दिया तुमने … ये खून क्यों आ रहा है?

मनोज एकदम से मेरे ऊपर से उठा, बोला- बीना, घबराने की कोई बात नहीं है, पहली बार जब लंड ओर चूत मिलते हैं तो ऐसा होता है.
पर मैं घबरा रही थी.

उसने एक कपड़े लाकर मेरी चूत को साफ किया और मुझसे प्यार से कहा- बीना, तुम घबराओ मत, कुछ नहीं होगा.

मुझसे सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
उसने धीरे से मुझे उठाया और बाहर टयूबवैल पर मुझे ठंडे पानी से नहलाया.

थोड़ी देर बाद मेरी हालत कुछ ठीक हुई … पर मुझसे अभी भी टेढ़ा ही चला जा रहा था.
मैंने मनोज से कहा- ये तुमने क्या कर दिया मनोज, अब मैं मौसी को क्या कहूंगी?
मनोज बोला- कुछ नहीं, बोल देना, खेत में ढोले से गिर गयी थी.

मैं घर वापिस आ गयी.

मौसी ने मुझे लड़खड़ा कर चलते हुए देखा तो पूछा- अरी बीना, क्या हुआ ऐसे कैसे चल रही है?
मैं बोली- मौसी, कुछ नहीं … खेत में डोले पर चढ़ी रही थी, गिर गयी।

मौसी- अरी ऐसे कैसे गिर गई, ज्यादा चोट तो नहीं लगी?
मैं- नहीं मौसी, ठीक हो जाऊंगी.
मौसी- अच्छा दूध के साथ हल्दी ले और थोड़ा सा मरहम लगा ले.

उसके बाद मनोज और मैंने कई बार लंड और चूत के मजे लिये।
मनोज ने कहीं से मुझे दवा लाकर दे दी थी जिससे कि मैं गर्भवती ना हो पाऊं।

फिर 2-3 महीने में ही मेरी माँ ने रमेश के साथ मेरी शादी कर दी.
बस साहब, तभी से मेरे करम फूट गये, इस नालायक, हरामजादे, नाकामी इंसान के साथ मेरी शादी कर दी।

साहब अब मनोज की भी शादी हो गयी है, वह भी अब कम आता है.
तो आप ही बताओ सर जी कि मैं अपनी मुनिया की आग को शांत कैसे करूँ, मेरी प्यारी मुनिया बस प्यासी ही रहती है.

साहब न जाने कब से मैं आपके प्यार में पागल हूँ, जब से आपके यहां कम करने लगी हूँ तभी से आप पर मर मिटने का, आप में समा जाने का मन करता है.
पर आपने तो कभी मुझे ठीक से देखा भी नहीं.
साहब आज सुबह जब से आपसे गले मिली हूँ, मुझे भी न जाने क्या हो गया है … बस हर जगह बस आप ही आप दिखाई दे रहे हो साहब!

मैं- बीना, शायद मैं भी आज तक तुम्हारे हुस्न को ठीक से नहीं देख पाया, तुम मेरी रीतिका से भी ज्यादा सैक्सी लग रही हो.

बीना- साहब, दीदी और मुझमे 10 साल का अंतर है.

कहकर हंसने लगी- साहब, मैं तो कब से चाह रही थी कि आप मेरे हुस्न का जलवा भी देखो. माना कि मैं रीतिका दीदी जितनी खूबसूरत नहीं हूँ. पर साहब इतना तो है कि आपको निराश नहीं करूंगी … एक बार मेरे हुस्न का स्वाद चख लिया तो रीतिका दीदी का हुस्न भी फीका लगने लगेगा.
बीना मेरी ओर देखकर अपनी आंख दबा कर मुझसे बोली।

अब तक बीना और मैं काफी घुलमिल गये थे और वह बेबाकी से मुझसे बातें कर रही थी।

मेरा मस्तराम मेरी पैन्ट से निकलकर बाहर आने को बेताब हो रहा था.
और मेरे सामने बैठी बीना भी मेरे मस्तराम को देख देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी.

मैं और बीना हम दोनों ही एक दूसरे की ओर निहार रहे थे.

इधर उधर की बातें करने के बाद:

बीना- साहब आप चाय पीयेंगे?
मैं- यार बीना, तुम इतने प्यार से कह रही हो तो आज तुम्हारे हाथ की चाय पी ही लेते हैं.
बीना- साहब, मैं अभी बनाकर लायी।

बीना के घर में 2 कमरे थे, एक जिसमें में बैठा था, और दूसरे में उसने किचन बनाया हुआ था.

वह उठकर चाय बनाने के लिए चली गयी.
वैसे तो सामने से ही वह दिखाई दे रही थी, मैंने भी मन ही मन सोचा कि क्यूं ना चौका मार लिया जाये!

मैं उठकर किचन में उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपने हाथों का घेरा उसकी कमर में डाल दिया और धीरे से उसकी गर्दन पर एक किस दे दिया.

बीना मेरी ओर घूमी और मुझे बेइंतहा चूमने लगी.
वह मुझे ऐसे चूम रही थी मानो बहुत दिनों से प्यासी हो.

मुझे नहीं मालूम था कि उसकी प्रतिक्रिया ऐसी होगी.

वह मुझे अभी भी पागलों की तरह चूम रही थी, मेरे माथे पर, चेहरे पर, गाल पर अनगिनत चुम्बनों की बारिश हो रही थी.
मैंने भी अपने होठों का मुंह खोला और उसके होंठों से अपने होंठों को लगा लिया.

मैं अपने हाथों से उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.
और उसके हाथ मेरे तने हुए लंड को खोज रहे थे.

उसने अपने हाथ से पैन्ट के अंदर ही मेरे लंड के सुपारे को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
मैंने भी अपने एक हाथ को उसके पेटीकोट अन्दर डाल जैसे ही उसकी मुनिया को छुआ, वह एकदम छिटक कर मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी क्लीन शेव चूत एकदम से पानी पानी हो गयी.

कुछ मिनट के लिए हम दोनों ही एक दूसरे में खो गये.

मन तो कर रहा था कि अभी साली को नीचे लिटाकर उसकी चूत को अपने लंड से मसल दूं.
पर फिर ख्याल आया कि यह समय सही नहीं है, इसका पति आता होगा और अब ये कहां जायेगी.
बस यही सोचकर मैंने बीना को अपने से अलग किया, अपने कपड़े ठीक किये और बाहर आ गया.

मेरी इस हॉट खेत चुदाई कहानी में आपको मजा आ रहा होगा.
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