चचेरे भाई की सेक्सी बीवी- 2 (Hairy Pussy Fuck Kahani)

हेयरी पुसी फक कहानी में मैं अपनी भाभी के साथ उनके बेडरूम में था, हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे. मैंने भाभी को उनकी चूत का रस चखाया. फिर मैंने भाभी की गांड चाटी.

कहानी के पहले भाग
चचेरे भाई की गर्म बीवी की चूत
में आपने पढ़ा कि मेरा चचेरा भाई कुछ दिन के लिए शहर से बाहर जा रहा था तो उसकी सेक्सी बीवी ने मुझे रात को अपने पास बुला लिया.
हम दोनों वासना के समन्दर में उतर चुके थे.
रेनू आंखों को बन्द कर आनंद और वासना के असीम सागर में गोते लगा रही थी.

अब आगे हेयरी पुसी फक कहानी:

अपने होंठ मैंने उसके होंठों पर रख दिए उसने मेरे होंठों को चूसना शुरु कर दिया.
मैंने चुपके से चूत रस से भीगी दूसरी उंगली को उसके मुंह में डाल दिया.

रेनू ने उंगली को चाटना शुरू कर दिया.
आज पहली बार रेनू ने खुद की चूत से निकले अमृत रस को चखा था।

“कैसा लगा अमृत कलश से झलका रस?”
“कुछ खट्टा-कुछ कसैला सा स्वाद है. क्या है ये? तुम्हारे वीर्य का तो मस्त स्वाद है?”
“तुम्हारी चूत रूपी स्वर्गद्वार से जो शबनम बरस रही है, वही है ये!”

“छी, छी, कितने गंदे हो तुम! मेरी ही चूत से निकला पानी मुझे चटा दिया, अब हटो, मुझे मेरा मुंह अच्छा करना है!”
“मेरी जान, तुम्हारे इसी अमृत रस के स्वाद ने तो मुझे कब से दीवाना बना रखा है!”

कहकर मैंने अपने प्यासे होंठ उसकी रसीली और गीली हेयरी पुसी पर रख दिए.

रेनू का बदन अकड़ गया, होंठों की मखमली छुअन से उसने दोनों टांगों को खोल चूत के प्रवेश द्वार को थोड़ा-सा और चौड़ा कर दिया.
काले बालों में ढकी उसकी गुलाबी चूत अंदर गहरी लालिमा लिए हुए थी.

चूत का छोटा सा छेद दो हल्की सांवली सी पंखुड़ियों से ढका हुआ था, चूत के अंदर से बहने वाला अमृत रस रेनू की अतृप्त इच्छाओं को बयां कर रहा था।

“आह! बस करो … मत तड़पाओ … अब तो डाल दो अन्दर प्लीज़! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा! प्लीज़ अब तो चोद दो इसे!”
“बस थोड़ा सा इंतजार करो मेरी जान!”

मैंने रेनू की मांसल और मखमली चूत को अपने मुंह में भर दिया.

हेयरी पुसी की दोनों हल्के सिल्की बालों से ढकी फांकों को खोल कर उसकी भगनासा को चूसना और जीभ से कुरेदना शुरू कर दिया.

भगनासा पर मेरे होठों की छुअन से रेनू के शरीर में मानो बिजली सी दौड़ गई.
उसके दोनों हाथ मेरे सर को सहलाने लगे.

मैंने अपनी जीभ को थोड़ा सा नुकीला कर रेनू के अमृत रस से भर चूत द्वार में घुसा दिया.
रेनू आह … आह … कर सीत्कार उठी.
उसने मेरे सर को कस के चूत के ऊपर दबा दिया.

मैं अंगूठे से रेनू के जी-स्पॉट धीरे-धीरे को सहलाने लगा.
रेनू के चूतड़ नृत्य की मुद्रा में हिलने लगे.

रेनू के जी-स्पॉट का आकार अन्य लड़कियों की अपेक्षा थोड़ा बड़ा था.
मेरी जीभ उसकी चूत के छेद को कुरेद रही थी, मेरा अंगूठा रेनू की भगनासा को धीरे-धीरे से मसल रहा था.

रेनू की हालात खराब हो चुकी थी.
वह सोफे के ऊपर जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी लेकिन ये तड़प उसे वासना और आनन्द के असीम सागर में डूबो रही थी।

सच में अगर पराई स्त्री और लड़की को अच्छे चोदना हो तो ऐसा ही माहौल होना चाहिए जैसा आज मुझे मिला था.

ना किसी के आने का डर ना जाने का डर … दो दिन तक बस रेनू को जी भर कर चोदना था।
बाहर से रेनू जितनी शान्त और सुशील औरत दिखती है, वह बिस्तर पर उतनी ही जंगली है।

मैंने रेनू को घोड़ी बनने को बोला.

वह बहुत खुश होकर तुरंत घोड़ी बन गई.
मैं उसकी गांड के पीछे जाकर बैठ गया.

मैंने उसकी नाइटी को उपर उठाकर उसकी पीठ पर रख दिया.
सामने जो नजारा था, वह जुबां से बयां कर पाना नामुमकिन है.

मेरे सामने रेनू की नंगी सुडौल जांघें जिन पर बालों का नामोनिशान नहीं था, उसकी चौड़ी गांड, नग्न नितम्ब मन में हाहाकार मचा रहे थे.
रेनू के इस घोड़ी रूप में उसके नग्न मांसल नितम्ब देखना सौभाग्य की बात है.

मैंने उसके नितम्बों को सहलाना, चूमना और चाटना शुरू कर दिया.
उसकी चौड़ी गांड के छोटे से छेद पर जैसे ही जीभ फिराई उसके नितम्बों में कम्पन सा होने लगा, उसकी गांड से अजीब सी सुंगध आ रही थी.

मैंने गांड के छेद को चाटना शुरू कर दिया.
गांड के छेद के नीचे रेनू की काले बालों से ढकी हुई आधी चूत तिकोने आकार में दिख रही थी.

घोड़ी बनने के बाद उसकी चूत का द्वार थोड़ा सा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।
मैंने रेनू की चूत की दीवारों के छल्लों को रगड़ते हुए धीरे से एक उंगली घुसाई.
वह चिंहुक उठी.

मैंने उंगली से चूत के अंदरूनी किनारों को रगड़ते हुए आगे-पीछे करना शुरू कर दिया.

मेरी इस हरकत से रेनू के लिए खुद पर संयम रखना असंभव सा हो गया.
उसकी चूत ने फिर से अमृत रस की बरसात शुरू कर दी.

मैंने पीछे से चूत को जीभ से चोदना शुरू कर दिया.
रेनू की आहें कमरे में गूंजने लगीं.

मैंने धीरे से जीभ की जगह दो उंगलियाँ घुसा दीं और चूत का मर्दन शुरू कर दिया।
मेरी दोनों उंगलियाँ उसके चूत रस से भीग कर चिकनी हो गईं थीं.

मैंने रेनू को बिना बताए एक उंगली को उसकी गांड के कसे हुए छेद में और दूसरी उंगली को चूत घुसा दिया.
दोनों छेद में हो रहे हमले ने उसको मदहोश सा कर दिया.
इस समय रेनू अप्राकृतिक यौनाचार का भरपूर लुत्फ उठा रही थी.

बीच-बीच में मैं दो उंगलियां उसकी गांड के छेद में घुसा देता.
रेनू की गांड अंदर से बहुत मुलायम थी, मेरा मन एक बार फिर रेनू की मांसल गांड को चोदने को होने लगा.

कुछ देर बाद रेनू निढाल सी होकर सोफे पर हांफती हुई लेट गई.
उसकी चूत से सफ़ेद जल की अविरल धारा बह निकली थी।

मैंने उसकी चूत को चाट कर साफ किया.

रेनू 10 मिनट तक अवचेतन अवस्था में लेटी रही, फिर उसने उठ कर मुझे दबोच लिया.

उसने मेरी टी-शर्ट और पैंट को उतार दिया.

अब मैं उसके सामने सिर्फ फेंची में खड़ा था.
रेनू ने फेंची के ऊपर से ही मेरे लन्ड को सहलाना, हल्के दांतों से लन्ड को काटना शुरू कर दिया.
उसके इस अंदाज से लन्ड महाराज विकराल रूप में आकर फड़फड़ाने लगे.

जैसे रेनू लन्ड को काटती, ऐसा लगता कि मानो लन्ड फेंची को फाड़ कर बाहर निकल आयेगा।

रेनू बड़े ही कामुक अंदाज़ से पेश आ रही थी.

उसने धीरे से लन्ड को मेरी फेंची की कैद से मुक्त कर दिया.
वह बड़े गौर से मेरे तने हुए लन्ड को देख रही थी.

उसने मेरे पूरे लन्ड को अपने मुंह में भर लिया.
लन्ड का सुपारा उसके गले में जा फंसा.

उसने मेरे लन्ड को एक झटके से बाहर निकाला और लन्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया.
वह कभी लन्ड के मूत्रद्वार को अपनी जीभ से कुदेरती, कभी सुपारे को हल्के दांतों से काटती।

मेरे लिए अब बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था.

रेनू कभी लन्ड को चूसती कभी अंडकोषों को मुंह में भर लेती.
वह बहुत ही प्यार से मेरे तने हुए लन्ड को दुलार रही थी.

रेनू जब भी लन्ड को मुंह में भरती, मेरे दोनों हिप्स को दोनों हाथों से ऐसे भींच लेती मानो वह लन्ड के आखिरी छोर को मुंह में समा लेना चाहती हो।

उसने मेरे लन्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और लन्ड को अपनी नाजुक सी हथेली में भर कर मुट्ठ मारनी शुरू कर दी.
मुझे लगा कि मैं अब कुछ ही मिनटों का मेहमान हूं, मैंने रेनू को हटाया और सोफे के ऊपर लेट गया और रेनू को ऊपर आने का इशारा दिया.

रेनू भी यही चाहती थी, उसने अपनी नाइटी को उतार कर सोफे की साइड में रख दिया।

बाप रे! हुस्न की मल्लिका जन्मजात अवस्था में अजन्ता ऐलोरा गुफाओं में तराशी हुई प्रतिमा जैसी लग रही थी.
34-30-36 का जानलेवा फिगर, 36 साल की उम्र में भी उसके बड़े-बड़े स्तन किसी 18 – 19 साल की नवयौवना जैसे कठोर और तने हुए थे.

स्तनों के मध्य में सिक्के के आकर के कत्थई निप्पल अत्यंत मनमोहक लग रहे हैं।
रेनू का हर अंग साँचे में तराशा हुआ था.
उसके अंगों का भराव, कटाव, गठीलापन और मांसलता सच में लाजवाब थी.

वैसे तो रेनू की सुन्दरता विशुद्ध भारतीय थी लेकिन उसके चूतड़ अफ्रीकन औरतों की तरह चौड़े और हल्के बाहर निकले हुए थे.
रेनू ने अपने फिगर को बहुत अच्छे मेनटेन कर रखा था.

मुझे इस समय वैभव से ईर्ष्या हो रही थी क्योंकि वह इस मेनका के गदराये रूप सौन्दर्य को रोज भोगता होगा।

रेनू मेरी जांघों के ऊपर चढ़ गई, उसने लन्ड के सुपारे को अपनी हेयरी पुसी के छेद पर सेट किया और लन्ड को धीरे-धीरे चूत के अन्दर जाने दिया.

चूत पूरी तरह गीली होने के बावजूद बहुत टाईट थी, ऐसा लग रहा था कि रेनू की कई दिनों से चुदाई नहीं हुई है.
मेरा लन्ड उसकी चूत के अंतिम किनारे से जाकर टकराया.
उसके मुंह से एक मीठी-सी मादक आह निकल गई, लन्ड उसकी चूत में बिल्कुल कसा हुआ था।

रेनू ने धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.

वह इस तरह से लन्ड को अन्दर ले रही थी जिससे लन्ड उसकी चूत की छल्लेदार दीवारों से रगड़ता हुआ अन्दर जाए.
उसके स्तन नीचे गांड की गति के हिसाब से उछल रहे थे.

मैंने उसके दोनों स्तनों को मसलना शुरू कर दिया।

“रेनू आज मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम एक महीने से चुदी नहीं हो. तुम्हारी चूत बहुत टाईट है, क्या वैभव तुम्हें चोदता नहीं है?”

रेनू ने जो जवाब दिया उसे सुनकर मुझे सुकून भी मिला और रेनू पर बहुत दया आ रही थी।

“पहले वैभव मुझे हर रात को 2-3 बार चोदते थे. लेकिन जबसे वैभव का शुगर लेवल बढ़ गया है, तब से उनका लन्ड पूरी तरह से खड़ा ही नहीं होता, कभी-कभी तो चूत पर रखते ही माल़ छोड़ देते हैं. वैसे तुम्हारा लन्ड उनके लन्ड से थोड़ा सा मोटा और कड़क है!”

अपने लन्ड की तारीफ सुन मैंने नीचे से और तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसकी चूत की पंखुड़ियों को सहलाना शुरू कर दिया.

रेनू पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी- जब हमारी नई-नई शादी हुई थी, उस समय वैभव मुझे रात को कपड़े ही नहीं पहनने देते थे, उनको मैं बिस्तर पर नंगी बहुत पसन्द हूं!

रेनू ने अपनी गांड को तेजी से लन्ड के ऊपर उछालना तेज कर दिया.
कुछ देर तेजी से उछलने के बाद वह मेरे सीने से लिपट कर हांफने लगी- आह … आह … ओह … मैं तो गई. आह … आह … आह्ह्ह … मेरा तो हो गया, तुम्हारा अभी भी नहीं हुआ क्या?

रेनू की चूत से ढेर सारा सफेद गाढ़ा रस बह रहा था जिसमें मेरा लन्ड पूरा सन गया.
मैंने उसको बहुत प्यार से दुलारा और थोड़ी देर बाद रेनू को फिर से घोड़ी बनने को बोला.

रेनू समझ गई थी कि अब उसकी गांड फटने वाली है.
लेकिन रेनू को भी अब गांड मरवाने का चस्का लग चुका था, थोड़ी-सी नानुकर के बाद वह घोड़ी बन गई.

मैंने उसकी चूत से निकले रस से उसकी गांड के छेद को अन्दर तक चिकना करना शुरू कर दिया.

पहले गांड में एक उंगली, फिर दो उंगलियों से छेद को खोदना शुरू कर दिया.
चूत का रस रेनू की गांड के अन्दर तक भर चुका था.

मैंने अपना लन्ड रेनू की गांड के छेद से सटाया कर हल्का सा धक्का लगाया.
रेनू थोड़ा आगे की ओर खिसक गई जिसके लन्ड छेद में घुसते-घुसते रह गया.

मैंने रेनू की गांड पर थप्पड़ लगाने शुरू कर दिए.
उसके हिप्स को पीछे खींच कर मैंने दुबारा लन्ड को गांड के छेद पर रख कर एक तेज धक्का मारा.

आधा लन्ड उसकी मुलायम और कसी हुई गांड में घुस गया।

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हेयरी पुसी फक कहानी का अगला भाग: चचेरे भाई की सेक्सी बीवी- 3

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