ब्रदर सिस्टर चेंज सेक्स कहानी में पढ़ें कि निर्जन रेलवे प्लेटफार्म पर भाई बहन ने अपने चचेरी भी बहन के साथ अदल बदल कर सेक्स करने का निश्चय किया. शुरुआत ओरल सेक्स से हुई.
कहानी के पिछले भाग
ठंडी रात में रेलवे स्टेशन पर नंगे भाई-बहन
में आपने पढ़ा कि रेलवे स्टेशन पर भी बहन के दो जोड़े आपस में सेक्स करने के लिए तैयार थे.
सोनू ने मुस्कुराते हुए अमित से कहा- क्यों अमित, किसकी चूची ज्यादा अच्छी है? मेरी बहन की या तुम्हारी बहन की?
अमित ने हंसकर सोनू को आंख मारते हुए कहा- देखने में तो दोनों की चूची अच्छी है। बाकी तो स्वाद लेने पर पता चलेगा।
इस पर हम चारों हंस दिये।
अब आगे ब्रदर सिस्टर चेंज सेक्स कहानी:
सोनू- चलो फिर स्वाद भी लेते हैं।
अमित- ठीक है। तुम मेरी बहन का स्वाद करो, मैं तुम्हारी बहन का स्वाद लेता हूँ।
यह कह कर अमित मेरे सामने आ गया।
मैं पेड़ के किनारे बने चबूतरे पर बैठी थी।
पहले तो उसने अपने हाथ से मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से दबाया।
फिर झुक कर एक चूची को मुंह में रख कर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
उधर सोनू ने भी स्वीटी की चूची को मुँह में लेकर चूस रहा था।
मैंने अपने हाथ अमित के सिर पर रख दिया था और अमित बारी-बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूस रहा था।
थोड़ी देर तक मेरी चूचियों को चूसने के बाद खड़ा हुआ और फिर हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसकी स्किन को पीछे खींच दिया और फिर लंड के सुपारे को मेरी चूची की चूची पर रगड़ने लगा।
अमित का लंड अभी पूरा तरह खड़ा नहीं हुआ था मगर उसमें तनाव आने लगा था।
थोड़ी देर तक लंड के सुपारे को चूची से रगड़ने के बाद अमित ने लंड को मेरे मुँह के लाकर धीरे से बोला- इसे चूसो!
मैं तो कब से इसी दोस्त का इंतज़ार कर रही थी।
मैंने तुरंत अमित के लंड को हाथ पकड़ा और उसकी स्किन पूरी पीछे खींच कर लंड के सुपारे को मुँह में भर लिया और जीभ फेरती हुई चूसने लगी।
सच कहूं तो मुझे चूत चुदवाने में जितना मजा आता है उतना ही मजा लंड चूसने में भी आता है।
उधर सोनू भी स्वीटी की चूचियों को चूसने के बाद खड़ा हो गया था और स्वीटी उसके लंड को चूस रही थी।
इधर अमित अपने हाथ को मेरे सर पकड़ कर अपने कमर को हल्का-हल्का हिला कर लंड को मेरे मुँह में आगे-पीछे कर रहा था।
थोड़ी देर की चुसाई में ही उसका लंड एकदम टाइट हो गया था।
मैं भी मुंह को आगे पीछे कर अमित के लंड को लॉलीपॉप की तरह चुन रही थी।
थोड़ी देर बाद अचानक अमित ने मेरे सिर को कस कर पकड़ लिया और अपने कमर को थोड़ी तेजी से हिलाते हुए लंड को मेरे मुँह में डालने लगा।
मैं समझ गई कि अमित अब झड़ने वाला है।
पहले तो मैंने सोचा कि लंड को मुँह से निकाल दूँ।
फिर मैंने सोचा कि आज लंड के पानी का स्वाद भी चख लेती हूँ।
यह सोच कर मैं भी अमित के लंड को तेज-तेज चूसने लगी।
तभी अमित धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगा- आआ आआआ बस … आआहाहा!
और फिर तेजी से कमर को झटके देते हुए मेरे मुंह में झड़ गया।
उसके गर्म-गर्म और गाढ़े वीर्य से मेरा मुंह भर गया।
अमित ने मेरे सर को इतनी कस कर पकड़ लिया था कि मेरा लंड मुँह से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
मैं भी एक झटके से उसके वीर्य को पूरा गटक गई।
मुझे वीर्य का नमकीन का स्वाद बड़ा अच्छा लग रहा था।
झड़ने के बाद भी मैंने अमित के लंड को मुँह से नहीं निकाला और चूसती रही।
और सोनू और स्वीटी की ओर देखा तो सोनू भी शायद स्वीटी के मुंह में झड़ गया था.
क्योंकि वह आँख बंद किये खड़ा था और हाँफ रहा था.
उसका लंड अभी भी स्वीटी के मुंह में ही था और स्वीटी भी मेरी तरह शायद सोनू के झड़े लंड को चूस रही थी।
थोड़ी देर तक चूसने के बाद मैंने अमित का लंड मुँह से निकला और देखा तो उसका लंड गुलाबी सुपारा मेरे थूक और चूसने से चमक रहा था।
मुझे देख कर स्वीटी ने भी सोनू के लंड को चूसना बंद कर दिया।
स्वीटी मुझसे मुस्कुराते हुए पूछने लगी- क्यों दीदी, कैसा लगा मेरे भाई के लण्ड का स्वाद?
मैं हल्के से मुस्कुरा कर बोली- अच्छा था.
फिर मैंने स्वीटी को आँख मारते हुए कहा- अब तो इनकी बारी है. क्यों स्वीटी?
स्वीटी- हां … हमने तो चूसा भी और पिया भी अब इनकी बारी है चाटने की और पीने की!
सोनू- अरे हम तो कब से तैयार हैं। पहले एक बार दिखाओ तो सही!
मैं सोनू से बोली- तुम्हें बड़ी जल्दी है देखने की?
तब स्वीटी ने कहा- अरे दीदी, पहले यह तो पूछो कि देखना क्या चाहता है, आपकी या मेरी?
मैं- तुम्हारी ही देखना चाहता होगा। मेरी तो देख भी चुका है और चाट भी चुका है।
अब अमित ने कहा- अरे कोई मुझसे भी तो पूछ लो कि मैं किसको देखना चाहता हूं।
इस पर हम सब हंस दिये।
तभी सोनू ने मुझसे कहा- वैसे दीदी, मेरे और अमित के अलावा भी कोई है जो तुम्हारी देखना भी चाहता है और चाटना भी चाहता है।
फिर उसने स्वीटी की तरफ देख कर आंख मार दी।
अमित बोला- हां स्वीटी, पहले तुम अपनी इच्छा पूरी कर लो।
मैं और स्वीटी एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे।
स्वीटी बोली- ठीक है मैं तैयार हूं।
फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा- दीदी, मेरी एक बात मानोगी।
मैं- क्या बोलो?
स्वीटी- तुम्हें भी मेरी चाटनी होगी।
स्वीटी की यह फरमाइश सुनकर मैं चौंक गई।
मैं सोचने लगी कि क्या बोलूं.
तभी स्वीटी ने फिर कहा- दीदी प्लीज़।
तब मैंने भी सोचा कि लंड का स्वाद तो ले ही चुकी हूँ आज चूत का भी स्वाद ले लिया जाए और स्वीटी जैसी प्यारी लड़की फिर कहाँ मिलेगी.
यह सोच कर मैंने कहा- ठीक है।
स्वीटी खुश हो गई.
अमित हंसते हुए स्वीटी से बोला- चलो फिर देर मत करो, हम लोग भी लाइन में हैं।
स्वीटी बोली- चिंता मत करो, हम दोनों ज्यादा देर नहीं लगाएंगे। तुम लोगों को पूरा टाइम मिलेगा चाटने का!
हम सब हंस पड़े.
फिर स्वीटी मेरे सामने आकर खड़ी हो गई.
हम दोनों एक दूसरी की तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
स्वीटी ने मेरे गालों पर चिकोटी काट ली और फिर घुटनों के बल बैठ गई और मेरे कुर्ते को ऊपर करते हुए मुझसे बोली- इसे पकड़ो दीदी!
मैंने कुर्ते को पकड़ कर पूरा ऊपर उठा दिया और पेट के पास घुमा कर गांठ लगा दी ताकि बार-बार खुले ना!
अब स्वीटी का मुँह ठीक मेरी चूत के सामने था।
वह गौर से मेरी चूत को देख रही थी।
फिर उसने हाथ बढ़ाया कर मेरी झांटों का सहलाया और मेरी चूत को भी सहलाने लगी।
मैंने अपनी जांघों को हल्का सा फैला कर कमर को आगे कर दिया जिससे मेरी चूट उसके मुंह के एकदम पास आ गई।
स्वीटी ने अपने दोनों हाथों से मेरी जांघें पकड़ कर थोड़ा सा फैलाया और आगे बढ़कर मेरी चूत को चूमा, फिर जीभ निकाल कर चाटने लगी।
जैसे ही स्वीटी ने मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरी, मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई।
मैंने भी उसके सिर पर अपना हाथ रख दिया और अपने कमर को हल्का-हल्का हिलाकर चूत चटाने लगी।
उधर अमित और सोनू खड़े होकर हमें देख रहे थे।
तभी अमित आगे बढ़कर मेरी बगल आ गया और झुककर मेरी एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा।
यह देख कर सोनू भी मेरे दूसरे साइड आ गया और मेरी दूसरी चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा।
अब एक तरफ स्वीटी मेरी चूत चाट रही थी, दूसरी तरफ अमित और सोनू मेरी चूचियों को चूस रहे थे और अपने हाथों से मेरी गांड को भी सहलाते जा रहे थे।
करीब 5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा.
उसके बाद स्वीटी ने चूत से मुंह हटाया और खड़ी हो गई।
अमित और सोनू भी चूची चूसना छोड़ कर खड़े हो गए।
तभी सोनू मेरी एक चूची को हाथ से पकड़ कर दबाते हुए स्वीटी से बोला- एक बार इसे भी चूस कर देखो।
स्वीटी ने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा, फिर मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगी।
थोड़ी देर तक चूचियों को चूसने के बाद खड़ी हो गई और मुझसे बोली- दीदी, अब तुम्हारी बारी है।
अब मैं उसके सामने घुटने के बल बैठ गई।
स्वीटी ने अपने कुर्ते को ऊपर उठा कर मेरी ही तरह पेट के पास घुमा कर गांठ लगा दी।
अब उसकी चूत ठीक मेरी आंख के सामने थी।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के रेशमी झांटें उग चुकी थी और चूत की खुशबू मेरी नाक में घुस रही थी।
मैंने अपने हाथों से उसकी जांघों को पकड़ कर हल्का सा फैलाया.
स्वीटी ने भी जांघों को खोल कर कमर को आगे कर मुझे चूत चाटने की पूरी जगह दे दी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख कर उसे चूम लिया और फिर जीभ निकल कर चाटने लगी।
मैं पहली बार किसी चूत को चाट रही थी इसलिये शुरुआत में थोड़ा अजीब लगा मगर थोड़ी ही देर में मुझे चूत का स्वाद भी अच्छा लगने लगा।
इधर मैं स्वीटी की चूत को चाट रही थी, वहीं अमित और सोनू अगल-बगल खड़े होकर स्वीटी की चूची पीने लगे।
अमित तो स्वीटी का चूची पीने के साथ ही अपने लंड को उसकी चिकनी जांघ पर रगड़ रहा है।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा.
फिर सोनू ने स्वीटी की चूची से मुंह हटाया और मुझसे बोला- अरे दीदी, स्वीटी की चूत का सारा रस तुम्हीं चाट लोगी क्या? थोड़ा मुझे भी मौका दो।
मैंने स्वीटी की चूत से मुंह हटाते हुए कहा- लो भाई तुम भी स्वाद ले लो।
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