सेक्स स्टार्ट Xxx कहानी तब कि है जब मुझे सेक्स के बारे में ज्ञान मिलना शुरू हुआ था. मेरी बुआ का लड़का, उसकी बुआ और उनका एक नौकर आपस में सेक्स करते थे.
यह सेक्स स्टार्ट Xxx कहानी काफी पुरानी है. उस वक़्त मैं जवान हुआ ही था. सेक्स क्या होता है … मुझे उसका कोई खास अंदाजा भी नहीं था.
लेकिन मेरी बुआ का लड़का इस मामले में बड़ा माहिर था.
उसका नाम परेश था.
उसके घर में एक नौकर था जो घर का सब काम करता था.
साथ में वह परेश के साथ अजीबो गरीब हरकतें भी करता रहता था.
उसने मेरी बुआ के लड़के परेश को बहुत कुछ उल्टा-पुल्टा सिखा दिया था.
अपने घर के इस हरामी किस्म के नौकर के जरिए परेश पति पत्नी के बीच होने वाली सेक्स की सारी गतिविधियों को समझ चुका था.
उसे चुदाई का काफी ज्ञान हो गया था.
उसके घर का वह नौकर मेरे भाई परेश को रूम में ले जाकर बाहर से दरवाजा बंद करके उसके कपड़े उतरवाकर उसके साथ पति पत्नी जैसी हरकतें करता था.
परेश भी उसका लौड़ा अपने मुँह में लेता था, उसकी गांड और सारे बदन पर अपने मुँह को रगड़ता था.
साथ ही वह नौकर भी परेश के मुँह में अपना लौड़ा ठूंसकर मजे मारता था.
परेश की एक बुआ भी थीं, जो अविवाहित थीं.
वे परेश के घर में ही रहती थीं और उस मादरचोद नौकर ने उन्हें भी सैट कर रखा था.
एक बार मैं उसके घर गया तो परेश से मिला.
परेश अपने कमरे में था और उसके साथ शायद वही नौकर भी था.
मैंने कमरे के दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया.
अन्दर का दृश्य मुझे हैरान कर देने वाला दिखा. परेश का मुँह दूसरी तरफ था, जिससे उसने मुझे नहीं देखा था.
जबकि उसके नौकर ने मुझे देख लिया था.
मुझे देख कर भी मेरी हाजिरी को नजरअंदाज करके नौकर ने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लौड़ा मुँह में लेकर बड़े मजे से चूसने लगा.
परेश भी उससे दो कदम आगे था. वह पीछे से उसकी गांड में उंगलियों को घुसेड़ने में व्यस्त हो गया.
मैं इन सारी हरकतों का जीता जागता गवाह बन गया था.
उन दोनों का इस तरह का व्यवहार देखकर मेरे लौड़े में भी कुछ होने लगा.
मैंने अनायास ही अपने लौड़े को हाथ में लिया, तो वह भीग सा गया था.
इस बात से मुझे अचरज हुआ था कि मेरा लंड कैसे गीला हो गया, जबकि मैंने तो उसके साथ कुछ भी नहीं किया था.
इसी के साथ में मेरे मन में सवाल भी उठा था कि उन दोनों की Xxx हरकतों से मेरे लौड़े को क्या लेना था?
तब तक मेरे जीवन में सेक्स स्टार्ट नहीं हुआ था.
दस पंद्रह मिनट के बाद नौकर ने मुझसे बेधड़क सवाल किया था ‘क्यों कैसा लगा?’
उसके इस सवाल से परेश ने पलट कर मुझे देखा तो वह हंस दिया.
उसको भी मेरी मौजूदगी से कोई खास फर्क नहीं पड़ा था.
बल्कि उसने मुझे देख कर कहा- अपने बाबूराव को संभालो … देखो उसे क्या हो गया है?
उसकी इस बात से मेरा ध्यान तुरंत ही अपने लौड़े पर चला गया.
वह पैंट में ही फूल गया था.
मेरे लंड के पास मेरी पतलून गीली हो गई थी.
मैं परेश को कुछ जवाब देने की स्थिति में नहीं था.
उसने मेरी गीली पतलून को देखकर ही मुझसे इस तरह का विचित्र सा सवाल किया था ‘क्या तुमको पतलून में पेशाब करने की बीमारी है?’
मैं चुप रहा और सोचने लगा कि आज तक मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ था.
यह जरूर उन दोनों की हरकतों से ही हुआ है या उनकी हरकतों का ही मेरी पतलून को गीला करने से कोई सीधा वास्ता था.
परेश के नौकर के लौड़े से सफेद रंग का कोई प्रवाही झड़ रहा था और परेश उसे स्वाद लेकर पी भी रहा था.
यह देखकर एक और बात हुई थी, मेरा लौड़ा बिल्कुल कड़क हो गया था.
नौकर की नियत खराब हो गई थी. उसने मुझे इशारा किया कि पास आओ.
पर मैं उसकी तरफ नहीं गया और अपना मुँह मोड़ कर बाहर चला गया.
उसके बाद परेश मुझसे मिलने आया और मुझे वापस अपने कमरे में ले गया.
उस वक्त उसका वह हरामी नौकर नहीं था. परेश चूंकि मेरी हमउम्र था और हम दोनों बचपन से ही एक दूसरे से काफी खुले हुए थे.
तो मैंने उसके साथ नौकर के लंड चूसने वाली बात का जिक्र छेड़ दिया.
उसने कहा- हां, मुझे अपने उस नौकर के साथ यह सब करने में काफी मजा आता है. यदि तुम चाहो तो तुम भी हम सबको जॉइन कर सकते हो.
जब उसने ‘हम सबको’ कहा तो मैं चौंका और मैंने पूछा- तुम सबको से तुम्हारा क्या मतलब है? और कौन कौन तुम्हारे साथ है?
उसने हँसते हुए बताया- मेरी बुआ भी हम सबके साथ मजा लेती हैं और वे भी नौकर से चुदवाती हैं.
मैंने कहा- तूने भी कभी अपनी बुआ को चोदा है?
वह हंस कर बोला- नहीं, अभी नहीं चोदा है. पर मैंने उनकी चूत चाटी है, दूध भी चूसे और दबाए हैं.
उसकी बात सुनकर मुझे भी परेश की बुआ को चोदने की लालसा जागने लगी.
मैंने परेश से हां कह दी कि मैं भी तुम लोगों के साथ मजा लेना चाहता हूँ.
अगले दिन नौकर और परेश अपने कमरे में लंड चूसने का खेल खेल रहे थे.
मैं उन दोनों के सामने बैठ कर उनके खेल को देख रहा था.
उस दिन परेश को अपने गुप्त अंगों में कुछ जलन सी होने लगी थी.
उसने अपनी बात नौकर से कही.
तो नौकर ने परेश से बुआ को बुलाने का कह दिया था.
आज वह नौकर परेश की बुआ को पूरी तरह चोदने के मूड में था.
उस दिन परेश ने भी बिना कुछ सोचे समझे अपनी बुआ को फोन करके उन्हें रूम के भीतर बुला लिया था.
बुआ बड़ी उम्र की थीं लेकिन उनकी शादी नहीं हो पा रही थी.
शादी न हो पाने के कारण घर के बाहर बुआ के कई लड़कों से चक्कर थे.
नौकर यह बात जानता था.
वह मेरे भाई से कह कर उसकी बुआ को जब चाहे तब कमरे में बुला लेता था और उन्हें नंगी करके उनकी धकापेल चुदाई करता था.
बुआ को भी घर में ही चूत चुदवाने में मजा आता था क्योंकि बाहर किसी से चुदवाने में खतरा ज्यादा होता था और उधर जल्दी जल्दी चुदाई होने के कारण पूरा मजा नहीं आता था.
बुआ इस बात को समझती थीं कि पूरी नंगी होकर चुदवाने में जो मजा आता है, वह जरा सा छेद खोल कर लंड लेने में मजा नहीं आता है.
परेश के बुलाने पर बुआ झट से रूम में आ गई थीं.
उन्हें देखकर नौकर ने उनसे सीधा ही कह दिया था- आपके भतीजे के लौड़े में जलन हो रही है. अब आप ही उसे अपना दूध पिलाकर उसकी जलन दूर कर सकती हो!
उसके पहले वे कुछ सोचें या करें, नौकर ने उन्हें अपने बाहुपाश में जकड़ लिया और उनको टॉप लैस कर दिया.
वह बुआ के दोनों स्तनों को पकड़कर बारी बारी से उनका दूध पीने में लगा.
उसके ऐसे व्यवहार से बुआ भी गर्म हो गई थीं.
उन्होंने नौकर की पैंट की जिप खोल दी और उसका लौड़ा निकाल कर चूसना शुरू कर दिया.
यह देखकर परेश अपने आपको संभाल ही नहीं पाया.
वह अपनी बुआ की गांड पर मुँह रखकर चूसने लगा.
मुझे सब कुछ अच्छा लग रहा था.
मैं भी उनकी हरकतों का हिस्सा बनना चाहता था.
वे तीनों मेरे सामने बिल्कुल नंगे थे.
यह देखकर मैंने भी सारे कपड़े उतार दिए और नौकर से गुजारिश की- मेरा लौड़ा भी चूसो और सभी कुछ करो.
नौकर ने बुआ को जमीन पर लिटा कर अपना लौड़ा उनके मुँह में घुसेड़ दिया और अपना मुँह बुआ की चूत पर रखकर उसे चूसने लगा.
उस वक़्त बुआ भी नौकर का लौड़ा चूस रही थीं.
तीन लोग एक साथ बड़ी उम्र की महिला के साथ सेक्स कर रहे थे.
हम तीनों अलग अलग तौर से बुआ के शरीर से चिपक गए थे.
मैं बुआ को होंठों का रस पी रहा था, परेश उनकी चूचियों का मजा ले रहा था और नौकर अपने लंड के पानी से बुआ की चूत गर्म कर रहा था.
वह बुआ की गांड को चूम रहा था, चूस रहा था, गांड के भीतर उंगलियां घुसेड़ रहा था.
बुआ भी एकदम से गर्मा गई थीं और वे जल्द से जल्द अपनी चूत में नौकर का लंड ले लेना चाह रही थीं.
उन्होंने नौकर को अपनी चूत पर आने का इशारा करते हुए कहा- अब इधर आगे आ और मेरी चूत की आग ठंडी कर!
नौकर आगे आ गया और बुआ की टांगें फैला कर अपने लंड को बुआ की चूत के मुहाने पर रख कर लंड पेलने लगा.
जैसे ही नौकर का लंड बुआ की चूत में घुसा, उसी पल बुआ की आह की आवाज निकल गई और वे नौकर के साथ सेक्स करने लगीं.
उन दोनों को चुदाई करता देख कर मुझको समझ में आ गया कि लंड चूत को मूतने के अलावा इस काम में भी लगाया जाता है.
चुदाई की सारी प्रक्रिया मुझे समझ में आने लगी थी कि चूत का क्या काम होता है और चूचियों को किस तरह से चूसा जाता है.
नौकर धकापेल चुदाई में लगा था और बुआ अपनी दोनों टांगें हवा में उठाए हुई नौकर के लंड से चूत की खुजली को शांत करवा रही थीं.
उनके मुँह से आह आह की आवाज बता रही थी कि उन्हें कितना मजा आ रहा है.
फिर नौकर अपना लंड निकाल कर बुआ से अलग हो गया और उन दोनों ने अपनी चुदाई की पोजीशन को बदल लिया.
इस बार बुआ घोड़ी बन गई थीं और उनके नीचे नौकर ने लेट कर बुआ को लौड़े की सवारी करने के लिए कहा था.
मैं उन दोनों की गतिविधियों को बड़ी ध्यान से देख रहा था.
बुआ पलंग के किनारे से जमीन पर पैर टिका कर खड़ी हो गई थीं.
उन्होंने नौकर के लंड पर अपने आपको सैट किया और धक्का देती हुई चूत को लंड से लड़वा दिया.
उसी समय परेश आ गया और उसने बुआ की फैली हुई टांगों के बीच से दिख रहा उनकी गांड का चाटना शुरू कर दिया.
परेश की बुआ भारी चुदक्कड़ थीं.
उन्होंने कुछ ही देर में परेश को कहा- अब पेल भी दे न!
परेश ने अपना लंड अपनी बुआ की गांड में पिरो दिया.
बुआ गांड मरवाने की अभ्यस्त थीं तो वे उसका लंड बड़ी आसानी से झेल गईं.
अब नौकर और परेश के बीच दबी बुआ बड़ी मनभावन लग रही थीं.
वे जैसे किसी दो ब्रेड के बीच फंसी मक्खन सी लग रही थीं.
उनकी चटनी बन रही थी और नौकर व परेश अपनी अपनी तरफ से ठोकर लगाते हुए बुआ की चूत व गांड को एक साथ पेल रहे थे.
कुछ ही देर में उन तीनों की चुदाई चरम पर पहुँच गई और परेश ने अपना लंड झाड़ कर बुआ की गांड से लंड निकाल लिया.
बुआ की गांड में से परेश कर लंड निकला तो बुआ की गांड खाली हो गई.
उन्होंने मुझे इशारा करते हुए कहा- अब तू आ जा और पेल दे अपना लंड मेरी गांड में!
मैं उनकी गांड की तरफ बढ़ा ही था कि नौकर ने अपने लंड का पानी फेंक दिया और उसी पल उसने बुआ को अपने लौड़े से हटा दिया.
इस वजह से बुआ की गांड मेरे लंड को न मिल सकी.
हां पर बुआ ने मेरे लंड को चूस कर मुझे झड़ा दिया था.
आज इतने सालों के बाद सारी घटनाओं का चक्र मेरी आंखों में जीवंत है जो अब भी मेरा लौड़ा गीला कर रहा है.
बुआ के दूध का कल्पित मीठा स्वाद अब भी मेरे मुँह में मिठास भर रहा है.
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