ट्रेन में मदद से चुदाई तक का सफर- 2

ट्रेन Xxx चुदाई कहानी में मैंने स्लीपर में ऊपर वाली बर्थ पर एक जवान आंटी को चोदा. उनके पास सही टिकेट नहीं थी, मैंने उन्हें अपने साथ सुला लिया था.

मैं विराट एक बार फिर से हाजिर हूँ. मैं आपको ट्रेन में मिली एक आंटी के साथ हुई चुदाई की कहानी के बारे में लिख रहा था.
कहानी के पहले भाग
जवान आंटी की मदद की ट्रेन में
में अब तक आपने पढ़ा था कि आंटी ने मुझे अपने साथ चिपका लिया था.

अब आगे ट्रेन Xxx चुदाई कहानी:

थोड़ी देर बाद आंटी के उस हाथ में दर्द होने लगा जो मेरे सर के नीचे रखा हुआ था.
उन्होंने मुझे देखा कि मैं सोया हूँ या नहीं.

मैं जगा हुआ था तो आंटी ने पूछा- क्या हुआ, सोये नहीं. कुछ दिक्कत हो रही है क्या?
उस वक्त शायद आंटी को याद आया तो उन्होंने मेरी छाती पर रखा हुआ अपना हाथ हटाया और जो एक टांग मेरे ऊपर रखी हुई थी, उसको हटा लिया.

उन्होंने मुझसे सॉरी कहा और बोलीं- मुझे ऐसे सोने की आदत है … दरअसल मैं अपने टेडी बियर के साथ चिपक कर ऐसे ही सोती हूँ.
मैंने उनकी बात को अनसुना करते हुए कहा- मैं बाथरूम से आता हूं.

वे बोलीं- बाथरूम तो मुझे भी जाना है. बड़ी देर से जाने की सोच रही थी लेकिन चढ़ने उतरने के चलते बार बार रह जा रही थी.
मैंने कहा- तो चलो, आ जाओ. चढ़ने उतरने में मैं आपको मदद दे दूंगा.

मैं पहले नीचे उतरा और आंटी पीछे से उतर आईं.
मैंने उनको हाथ से सहारा दिया था तो उतरते समय मेरे हाथ से उनका एक दूध दब गया था.

वे कुछ नहीं बोलीं बल्कि उन्होंने मुझे और जोर से पकड़ लिया था.

नीचे उतरते ही आंटी ने मेरा खड़ा हुआ लंड देख लिया.
बल्कि यूं कहूँ कि आंटी की नजर मेरे लौड़े के ऊपर ही लगी थी.

फिर मैं आगे आगे बढ़ा और बाथरूम के पास आ गया.
आंटी बोलीं- पहले मैं चली जाती हूँ. तुम बाहर ही खड़े रहना प्लीज.

यह औरतों की आदत होती है कि जब वे बाथरूम में जाती हैं, तो किसी एक को साथ ले जाती हैं और उसे बाहर ही खड़ा रहने के लिए कहती हैं.
इसलिए मैंने आंटी से हां कह दी.

मैं आंटी के बाहर आने का इंतजार करने लगा.
दस मिनट के बाद वे बाहर आईं.

उनका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था.
मुझे भी समझ में नहीं आया कि उन्हें पसीना क्यों आ रहा था.

उनके आने के बाद मैं अन्दर गया और जल्दी से लंड हिलाकर सूसू की और बाहर आ गया.

हम दोनों वापस अपनी बर्थ के पास आए और आंटी ऊपर चढ़ने लगीं.

उनकी गांड को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
आंटी की गांड इतनी मस्त थी कि मन हो रहा था कि ऊपर जाकर उनकी साड़ी उठाऊं और लंड पेल कर चुदाई चालू कर दूँ.

लेकिन मैंने कंट्रोल किया और उन्हें ऊपर चढ़ाने के बाद मैं भी ऊपर आ गया.
हम दोनों फिर से वैसे ही लेट गए.

कुछ देर बाद आंटी ने पूछा- मेरी वजह से नींद नहीं आ रही है न?
मैंने कहा- नहीं, ऐसा नहीं है आंटी.

उन्होंने कहा- चलो कुछ बात करते हैं.
फिर हम दोनों सीधे लेट गए.

उन्होंने अपना नाम सुधा बताते हुए कहा कि उनके पति सरकारी नौकरी में हैं.
उनका ट्रांसफर मेरे ही शहर में हुआ था.
उनके दो बच्चे हैं.
आंटी अपने पति से मिलने गई थीं.

उन्होंने मुझे अपने बारे में और भी बहुत कुछ बताया.

उनकी बातों से ये जानकारी मिली कि उनके पति उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. उन्हें बस अपने काम से मतलब रहता था और कुछ नहीं.

ये सब बताती हुई आंटी एकदम भावुक हो गई थीं.
अपने जीवन की बातें सोच सोच कर वे उदास हो गई थीं और रोने लगी थीं.

मैंने कहा- आप रोओ नहीं.
वे बोलीं- रोओ नहीं तो क्या करूं. मैंने अपनी पूरी जिंदगी पति और बच्चों के नाम कर दी … और मिला? क्या कुछ नहीं.

मैं उठ कर बैठ गया.
वे भी उठ गईं. वे बोलीं- क्या हुआ … सॉरी मैंने अपनी बोरिंग कहानी सुना दी तुमको. चलो सो जाओ.

कुछ देर बाद हम दोनों वापस लेट गए.

लेट कर अब आंटी मुझसे मेरे बारे में पूछने लगीं.
मैंने भी सब बताते हुए कहा- मुझे अपना रूम चेंज करना है, तो वही करने जा रहा हूं. उधर अभी रूम भी ढूंढना है.

आंटी बोलीं- तुम्हें रूम कहां चाहिए?
मैंने बताया.

वे बोलीं- ओके मैं देखती हूं, मैं भी देख कर बताऊंगी.

फिर उन्होंने मेरा नंबर लिया और सेव कर लिया.
मैंने भी उनका नंबर सेव कर लिया. मैंने सुधा आंटी के नाम से उनका नंबर सेव कर लिया.

यह उन्होंने देख लिया था तो वे बोलीं- मैं आंटी दिखती हूँ ना!
मैंने कहा- आप मेरे लिए तो आंटी ही हैं न … मैं और कैसे नाम सेव करूं?

वे बोलीं- क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
मैंने हां बोला.

वे बोलीं- ओके तो लिखो सुधा सिंह.
मैंने नाम एडिट कर लिया.

आंटी बोलीं- गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं.

उन्होंने पूछा- क्यों नहीं है?
मैंने कहा- पहले थी, ब्रेकअप हो गया कुछ समय पहले.
उन्होंने ‘सो सैड’ बोला.

अब रात का एक बज गया था.
मैंने कहा- फिल्म देखोगी आप?

उन्होंने पूछा- कौन सी?
मैंने कहा- हॉलीवुड की है.
वे बोलीं- ओके लगाओ.

उस समय मैं एक बहुत ही हॉट फिल्म देख रहा था.
हम दोनों मस्ती से उसे देखने लगे थे.

थोड़ी देर बाद ही चुंबन, रोमांटिक और सेक्स सीन आने लगे.
अब मैं असहज होने लगा.

उस समय आंटी मेरी तरफ करवट लेकर लेटी हुई थीं.

उन्होंने अपनी एक टांग मेरी जांघ पर रख ली और टांग से टांग को सहलाने लगीं.
उधर सेक्स सीन कुछ ज्यादा आए तो मैंने फिल्म आगे बढ़ा दी.

वे बोलीं- आगे क्यों बढ़ा रहे हो … तुम्हें ये सब पसंद नहीं है क्या?
मैंने कहा- आपके कारण बढ़ा रहा था.

मैंने इतना ही बोला था कि वे मुस्कुराने लगीं.
तो मैंने भी हंस कर दिखा दिया.

अब वे मेरा एक हाथ अपने बूब्स के बीच में रख कर दबा रही थीं और अपने होंठों को काट रही थीं.

उनकी सांसें तेज हो रही थीं और सीधे मेरे चेहरे पर आ रही थीं.

मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था और मन कर रहा था कि उनको पकड़ लूं; उनके होंठों को चूमने का दिल करने लगा था.

आंटी समझ गई थीं.
उन्होंने पहले तो अपनी एक जांघ मेरे लंड के पास रख कर लंड को टच किया.

फिर उन्होंने मेरी कमर को पकड़ कर कहा- विराट, मुझे नींद आ रही है और ठंड भी लग रही है. अब फिल्म नहीं देखना है, चलो सो जाते हैं.

मैंने भी झट से फोन जेब में रख लिया.

अब जैसे ही मैं हिला, आंटी ने मुझे कमर से पकड़ कर अपनी तरफ कर लिया.
मैं भी आंटी के मुँह की तरफ अपना मुँह करके लेट गया.

मेरा लंड उनकी साड़ी के ऊपर लगने लगा था. मेरा सीना आंटी की चूचियों से एकदम चिपक गया था.

मेरे होंठ आंटी के होंठों के पास थे.
हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं.

उन्होंने मेरा हाथ अपनी पीठ पर ले लिया और बोलीं- विराट मुझे ठंड लग रही है … प्लीज अपने हाथ से थोड़ा रगड़ करो ना मुझे!

इसी के साथ आंटी ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.
वे अपनी टांगें कुछ इस तरह से मेरे ऊपर रखी हुई थीं कि उनकी चूत मेरे लंड से रगड़ने लगी थी.

अब मुझसे भी नहीं रहा गया.
पहले तो मैंने उनकी पीठ को रगड़ा, फिर मैं होंठों को चूमने लगा.

आंटी भी मेरे होंठों को चूसने लगी थीं.

मैंने उनकी गांड पर अपना हाथ रख दिया और उन्हें अपने जिस्म से चिपका कर चुंबन करने लगा.

आंटी बेकाबू होने लगी थीं.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे कान में बोलीं कि अपना हाथ साड़ी के अन्दर डालो.

मैंने उनकी साड़ी को उनकी जांघों तक उठा दिया और जांघों को सहलाने लगा.
इससे आंटी पागल होने लगीं.

वे थोड़ी ऊपर को हुईं और मेरा चेहरा अपने मम्मों में घुसाती हुई बोलीं- मेरा ब्लाउज खोल दो.
मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया.

वे बोली- अब दूध पियो.
मैं उनकी कॉटन वाली पिंक ब्रा के ऊपर से दूध पीने लगा.

वे बोलीं- ब्रा को ऊपर कर लो ना!
मैंने कहा- रुको जरा.

मैंने उनकी ब्रा को ऊपर किया और जैसे ही उनके एक निप्पल पर मेरी जीभ लगी.
आंटी के मुँह से बहुत मस्त ‘आआह मर गई …’ की आवाज निकली.

उन्होंने मेरा मुँह अपने दूध में दबा दिया और कहने लगीं- आह चूस लो विराट … आह बड़ा अच्छा लग रहा है.
मैं उनके दूध को दबा दबा कर निप्पल पी रहा था. साथ ही मैं उनके दूध को काट भी ले रहा था जिससे उनको भरपूर मजा आ रहा था.

आंटी मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपनी चूत के पास ले गईं.
मैंने भी उनकी चूत को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.
साथ ही मैंने दूसरे दूध के निप्पल को अपने होंठों की जद में लिया और चूसने लगा.

उसी समय आंटी ने अपने पैरों को पूरा खुला कर दिया और मैंने पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर चूत पर झपट्टा मारा.

उनकी चूत गीली हो चुकी थी, एक उंगली तो ऐसे घुस गई जैसे कुछ हुआ ही न हो.
मैं उनकी चूत में फिंगरिंग करने लगा.
आंटी की आंह अंह निकलने लगी.

मैं जितनी जोर से आंटी के दूध के निप्पल को खींचता, आंटी उतनी ही ज्यादा पागल हो जातीं.
चूचे चूसने के साथ साथ चूत में उंगली का आतंक भी कायम था.
तो स्थिति आंटी की सब्र से बाहर हो गई थी.

उन्होंने सीधा मेरे लोअर को दोनों तरफ से पकड़ा और उसे नीचे सरका कर मेरा लंड निकाल लिया.
लंड भी एकदम तना हुआ था तो आंटी ने उसे अपनी चूत के पास लगाया और लौड़े के सुपारे से चूत की फांक को रगड़ने लगीं.

जगह तो कम थी ही … इसलिए लंड ने चूत में डुबकी लगाना शुरू कर दी थी.
ऊपर से आंटी मेरे लौड़े को अपनी चूत में घुसड़वाने के लिए मेरे ऊपर चढ़ी जा रही थीं.

वे बोलीं- अब अन्दर डालो ना!
मैंने कहा- मेरे पास कंडोम नहीं है.

आंटी बोलीं- बिना कंडोम नहीं करोगे क्या … प्लीज़ मान जाओ ना!
मैंने कुछ नहीं कहा.

आंटी- तुम टेंशन नहीं लो. मैंने अपने पति के अलावा अभी तक किसी का भी लंड नहीं लिया है. पति ने भी पिछले एक साल से नहीं पेला है. इस बार भी मैं चुदने ही गई थी कि कुछ तो करेगा, पर साले ने कुछ नहीं किया. अब प्लीज तुम पेल दो ना.

मैंने जरा सा जोर लगाया तो लंड अन्दर सरक गया.
लंड पेलने के साथ ही मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया और मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.

अब ट्रेन की स्पीड के साथ मैच करते हुए ट्रेन Xxx चुदाई का सफर भी शुरू हो गया था.
सीट पर ज्यादा जगह तो नहीं थी पर आंटी ने अपनी दोनों टांगों को भरपूर फैला रखा था और मैं उनकी टांगों के बीच में लंड पेले हुए सटासट करने लगा.

दस मिनट में ही मेरा काम लगने वाला हो गया था, मैं निकलने वाला हो गया था.

इसका एक कारण ये भी था कि आंटी ने पहले ही मेरे लंड को इतना रगड़ा और मसला था कि लौड़े की हालत एकदम पानी पानी हो गई थी.

मैंने कहा- रस टपकने वाला है.
आंटी बोलीं- गिरा दो … बहुत दिनों से सूखा है मेरा खेत!

बस मैंने भी बिंदास झटके मारे और रस गिरा दिया.

ट्रेन में मैंने पहली बार सेक्स किया था.
एक अजीब सी स्थिति भी थी लेकिन मजा बहुत आया.
मन ही नहीं कर रहा था कि लंड को निकालूँ.

पर लंड खुद ही सिकुड़ कर बाहर आ गया और मैं आंटी के ऊपर से हट कर उनके बाजू में लेट गया.

मैंने अपना लोअर ऊपर किया.
आंटी ने साड़ी ठीक की.

वे मुझे किस करती हुई बोलीं- थैंक्यू तुमने मेरी बहुत मदद की. तुमने आज का दिन भी बड़ा विशेष बना दिया है … धन्यवाद.
मैंने कहा- कोई बात नहीं आप खुश हो, मेरे लिए यही बड़ी बात है.

वे बोलीं- हां तुमने मेरी बहुत मदद की. अब ये उधार मैं दिल्ली आकर चुकाऊंगी.
मैंने कहा- इसकी कोई जरूरत नहीं है.
वे बोलीं- नहीं, जरूरत है.

फिर एक पल बाद आंटी मुझे अपने गले से लगा कर बोलीं- अब सो जाओ.

यह कह कर उन्होंने अपने एक दूध का निप्पल मेरे मुँह में दे दिया और बोलीं- सो जाओ.
मैं भी आंटी का दूध चूसते हुए सो गया.

सुबह हो गई थी, सब लोग उतरने के लिए तैयार हो रहे थे, तब मेरी नींद खुली.
मैंने आंटी को उठाया.

आंटी ने ब्रा ब्लाउज सब सही किया और नीचे आ गईं.
कुछ ही देर बाद स्टेशन आ गया और हम दोनों उतर गए.

अगली सेक्स कहानी में आंटी ने दिल्ली में अपना कर्ज उतारने के लिए मुझे किस तरह से धन्यवाद दिया, वह सब लिखूँगा.
इस ट्रेन Xxx चुदाई कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
मेरी मेल आईडी है
[email protected] अपने मेल जरूर करें.

About Abhilasha Bakshi

Check Also

Sali aur uski saheli

Sali aur uski saheli

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *