ट्रेन में मदद से चुदाई तक का सफर- 1

हॉट आंटी फक स्टोरी में मैंने ट्रेन में एक महिला की मदद की, उन्हें परेशानी से बचाया. वे मेरी बड़ी कृतज्ञ थी और उन्होंने बदले में मेरी भी मदद की. वह सब क्या था और कैसे हुआ था, आइए जानते हैं.

हाय, मेरा नाम विराट है.
मेरी पिछली कहानी थी: पड़ोसन आंटी की मालिश के बाद मस्त चुदाई

यह नई हॉट आंटी फक स्टोरी 4 महीने पहले की है.

मैंने ट्रेन में एक महिला की मदद की और फिर उन्हें समस्या से बचाया. वे मेरी बड़ी कृतज्ञ हुईं और उन्होंने मेरी भी मदद की.
वह सब क्या था और कैसे हुआ था, आइए जानते हैं.

मैं ट्रेन से कॉलेज के लिए जा रहा था.
मैंने राजधानी एक्सप्रेस में टिकट बुक किया था जो शाम में थी.

मैं अपने टाइम से घर से निकल गया और स्टेशन आया.
रास्ते में खाने के लिए कुछ स्नैक्स ले लिए मैंने!

फिर ट्रेन का टाइम हुआ तो ट्रेन में अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.

मेरी सीट ऊपर वाली थी तो मैंने अपना सामान सीट के नीचे रखा और बैठ गया.
ट्रेन के चलने में 5 मिनट बाकी थे.

तभी एक आंटी जैसी महिला और उनके पति जल्दी जल्दी अन्दर आए और अपनी सीट ढूँढते हुए नीचे वाली बर्थ पर वह लेडी बैठ गई.

आंटी के पति ने जल्दी से सब सामान जमाया और नीचे उतर गए.
ट्रेन भी चल दी.

मैं अपने फोन में लगा था.
आस पास के सीटों पर सवारियां थीं.
उन सीटों पर दो जोड़े थे और दोनों के पास एक एक बेबी था.

ऐसे ही बैठे बैठे 8 बज गए.
फिर मैंने सोचा कि अब ऊपर जाकर अपने सोने का देखता हूं; वहीं बैठ कर कोई फिल्म देखता हूं.

उसी समय टीटीई आया और टिकट चेक करने लगा.
सबने अपने अपने टिकट दिखा दिए.

फिर टीटीई ने उस आंटी से टिकट मांगा तो उन्होंने भी अपना टिकट दिखाया.

उस टिकट को देखने के बाद उस टीटीई ने जो बोला, उससे वे आंटी बड़ी समस्या में आ गईं.
वे गलत ट्रेन में चढ़ गई थीं, उनकी ट्रेन कोई दूसरी ट्रेन थी.

उनको दूसरी वाली राजधानी एक्सप्रेस में जाना था और वह गलती से हमारी वाली ट्रेन में बैठ गई थीं.

टीटीई ने कहा- आप अगले स्टेशन पर उतर जाएं या आपको टिकट बनवानी पड़ेगी.

उस लेडी ने टीटीई से रिक्वेस्ट की और वे बोलीं- गलती से जल्दी जल्दी में ट्रेन चेंज हो गई. प्लीज आप मेरी मदद करें.

मैंने मामले को समझा तो जाना कि हमारी ट्रेन भी वहीं जा रही थी, जहां उन आंटी को जाना था.
लेकिन दो स्टेशन पीछे उनका स्टॉप था.
उनको स्टेशन से कोई टैक्सी बुक करके अपने गंतव्य पर जाना होगा.

सारी बातें हो जाने के बाद टीटीई ने कहा- ठीक है, जिस सीट पर आप बैठी हैं, वहां का यात्री अगले स्टॉप से चढ़ेगा. अगर उसने आपके साथ सीट शेयर की, तो ठीक … वर्ना आप अगले स्टॉप पर उतर जाना.

उन्होंने हामी भर दी और टीटीई चला गया.

अब उन आंटी ने अगला स्टेशन आने की प्रतीक्षा की.
तब तक वह हम सबसे बात कर रही थीं.

सबने कहा- आप बैठिए, कुछ नहीं होगा. हम सब तो हैं.

अगला पड़ाव आया तो उस सीट का यात्री आया.

उस सीट पर एक लेडी और उसके दो बच्चे थे.
उनकी सीटों में एक तो उसी आंटी की सीट थी और दो अन्य सीटें भी थीं. उनकी एक साइड लोअर और साइड अपर वाली सीट थी.

उस आगंतुक महिला ने उन आंटी से कहा- ये सीट मेरी है.

इस पर आंटी ने नई पैसेंजर लेडी को अपनी राम कहानी बताई कि गलती से ट्रेन चेंज हो गई है.

लेकिन उसने अपनी सीट साझा करने से मना करते हुए कह दिया कि उन्हें दिक्कत होगी. वह अपनी सीट साझा नहीं कर सकती है.

अब वे आंटी उदास हो गईं और उन्हें टेंशन होने लगी.
फिर वे आंटी मेरे बाजू में आकर बैठ गईं.
मैंने कोई आपत्ति नहीं जताई; समस्या किसी के साथ भी हो सकती है.

उस वक्त रात के 10 बज गए थे; सब सोने लगे थे.

किसी ने भी उन आंटी को सीट नहीं दी थी.

इस ट्रेन का आखिरी पड़ाव जहां उन आंटी को उतरना था, वह सुबह 7 बजे का था.

मैं अपनी सीट से उठ कर बाथरूम चला गया और जब बाथरूम से बाहर आया.
तो मैंने देखा कि वे आंटी गेट के पास खड़ी अपने पति से कॉल पर बात कर रही थीं.

उन्होंने अपने पति को सब बताया, फिर कॉल कट हो गया.
मुझे भी उनको देख कर बुरा लग रहा था.

मैंने कहा- आपको समस्या ना हो, तो आप मेरी सीट ले लें, मैं बैठ कर भी चला जाऊंगा.
मेरी बात पर वे भावुक हो गईं और रोने लगीं.

फिर वे अपने आँसू पौंछ कर बोलीं- नहीं, आप अपनी सीट क्यों दे रहे हैं. आपके भी तो पैसे लगे हैं. आप बैठ कर क्यों जाएंगे!
मैंने कहा- हां, आपकी बात ठीक है … पर ये समस्या किसी के साथ भी हो सकती है और इसमें कोई दिक्कत वाली कोई बात नहीं है. सुबह तक की ही तो बात है, आप आराम कर लें. मैं बैठ कर चला जाऊंगा. आप परेशान ना हों.

हम दोनों ये सब बात गेट के पास कर रहे थे.
वे आंटी मान नहीं रही थीं और लगातार रोए जा रही थीं.

उन्होंने मुझसे पूछा- आपकी कौन सी सीट है?
मैंने बताया कि मेरी ऊपर वाली बर्थ है.

वे कुछ सोचने लगीं.
शायद वे सोच रही थीं कि ऊपर वाली बर्थ पर किस तरह से लेटना हो पाएगा.

मैंने उनकी बात को समझते हुए कहा- चलिए ठीक है, मैं एक काम करता है आप भी बैठ जाना और मैं भी बैठ जाऊंगा.
अब वे मान गईं.

हम दोनों सीट के पास आ गए.

मैंने आंटी से पहले ऊपर चढ़ने को कहा.
उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी तो थोड़ी समस्या हुई.
लेकिन मैंने हाथ का सहारा दिया तो वे ऊपर चढ़ गईं.

फिर उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम भी ऊपर आ जाओ.
मैं भी चढ़ गया और बैठ गया.

मैंने उनसे पूछा- आंटी आपने खाना खाया?
वे बोलीं कि नहीं.

मैंने खाना निकाला और उनसे खाना खाने के लिए कहा.
वे अपना खाना तो लाई थीं पर उनका खाने का मन नहीं था.

मेरे काफी कहने पर उन्होंने मेरे खाने में से ही थोड़ा सा खा लिया.
अब हम दोनों बैठे थे.

मुझे नींद आ रही थी.
उनको भी आ रही थी.
मगर अब उन्हें राहत मिल गई थी और आंख बंद करके कुछ सोच रही थीं.

रात का समय था तो नींद अपने आप आने लगती है.

मैंने उनसे कहा- आंटी, आप एक काम करो. हम दोनों विपरीत दिशा में मुँह करके सो जाते हैं. इस ट्रेन की सीट भी बड़ी है, तो हम दोनों आराम से सैट हो जाएंगे.
आंटी ने कहा- हां ठीक है.

हम दोनों सो गए.
मेरे पैरों की तरफ उनका सर था और उनके पैरों की तरफ मेरा सर.

मेरे पास चादर थी, मैंने वह ले ली.
आंटी ऐसे ही सो गई थीं.

ट्रेन का एसी ऑन था जिससे आंटी को ठंड लग रही थी.
पर उनके पास ओढ़ने के लिए कुछ नहीं था.

उनके बैग में तो चादर थी मगर ऊपर चढ़ते वक्त वे निकालना भूल गई थीं.
अब उनकी नीचे उतरने की हिम्मत नहीं हो रही थी कि नीचे उतर कर चादर निकाल लें.

फिर थोड़ी ही देर हुई थी कि आंटी ठंड से कंपकंपाने लगीं.
मैं जगा हुआ था तो बैठ गया.

मैंने उनकी हालत देख कर कहा- आप मेरी चादर में आ जाओ आंटी, एसी काफी ठंडक कर रहा है.
वे बोलीं- कोई बात नहीं है.

मैंने कहा- कोई बात कैसे नहीं है. आप आ जाओ चादर में!

हम दोनों एक ही चादर में चिपक कर सो गए.
मेरी गांड उनकी गांड से चिपकी हुई थी और वह गर्म थी.

मतलब मुझे उनकी गर्मी महसूस हो रही थी.

कुछ मिनट के बाद मैंने करवट ले ली.
अब उनकी टांगें मेरे मुँह के पास थीं.

मैंने उनकी गांड से थोड़ी गैप बना कर रखा था तक उन्हें ये न लगे कि मैं उनका फायदा उठा रहा हूँ.

पर थोड़ी देर बाद आंटी खुद ही पीछे को हुईं जिससे उनकी गांड मेरे लंड से चिपक गई.

अब मर्द के लौड़े में दिमाग तो होता नहीं है.
वह तो छेद की गर्मी पाकर अपनी हरकत करने लगता है.

वही हुआ … मेरा लंड खड़ा होने लगा.

मैंने पीछे होने की कोशिश की पर जगह न होने के कारण मैं और पीछे को नहीं हो सकता था.
तो मैंने भी ऐसे ही रहने दिया.

मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और उनकी गांड में पूरी तरह से घुसा हुआ था.
उनकी गांड बड़ी सॉफ्ट सॉफ्ट सी थी.

मैंने आपको उनका फिगर नहीं बताया था.
आंटी का फिगर 36-34-38 का था और उनकी उम्र 37 साल की थी.

यह मुझे उनकी बर्थडे पर मालूम हुआ था, वह सब आने वाली सेक्स कहानी में है.

मुझे अब सर रखने में दिक्कत हो रही थी. मैंने उनके पैरों पर अपना सर रख दिया और सो गया.
लेकिन आंटी कुछ देर बाद जाग गईं और मुझे देखने लगीं.

मुझे भी समझ में आ गया कि उन्हें क्या हो गया है.
मैं कुछ डर भी गया था.

आंटी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने पूछा- क्या?

वे बोलीं- मेरे पैर पर सर क्यों रख लिया है.
मैंने उन्हें बताया- मुझे सर के नीचे कुछ रख कर सोने की आदत है और इधर कोई चीज नहीं थी. इसलिए मैंने अपना सर आपके पैरों पर रख लिया. इसके लिए सॉरी.

वे मेरी बात सुनकर थोड़ी भावुक हो गईं और बोलीं- सॉरी, मेरी वजह से तुम्हें दिक्कत हो रही है.
मैंने कहा- आप ऐसा नहीं बोलें आंटी. ठीक है … मैं सर नहीं रखूंगा. आप सो जाएं.

वे बोलीं- नहीं, तुम एक काम करो. तुम नीचे आराम से जा सकते हो, तो ये चाभी ले जाओ और मेरे सूटकेस में ऊपर से ही मेरी चादर रखी है, उसे ले आओ. उस पर सर रख कर आराम से सो जाना.
ये कहते हुए उन्होंने अपने पर्स से एक चाबी निकाली और मुझे पकड़ा दी.

मैंने कहा- अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है आंटी.
पर वे नहीं मानी.

तो मैं नीचे गया और बैग को खोलकर देखा तो आंटी का बैग बहुत बड़ा था और दूसरे यात्रियों न के सामान रखे होने के कारण आसानी बाहर निकाल पाना मुश्किल था.

मैंने आंटी को बताया तो वे बोलीं- ठीक है. आ जाओ ऊपर.

मैं ऊपर गया तो आंटी बोलीं- मेरे साइड मुँह करके लेट जाओ.
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- तुमने मेरी मदद की. मुझे भी करने दो. आओ इधर.

मैं चला गया.
हम दोनों एक ही तकिये पर सर रख कर लेट गए.

मगर व तकिया नाकाफ़ी था.
वे सो गई और अपने एक हाथ को मेरे सिरहाने रख कर बोलीं- सो जाओ मेरे हाथ पर आराम से सर रख लो.

मैंने कहा- अरे कोई बात नहीं आंटी, मैं ऐसे ही सो जाऊंगा.
वे बोलीं- कोई बात नहीं, सो जाओ.

मैं भी सो गया.
मैंने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया.
आंटी भी सो गईं.

थोड़ी देर के बाद उनके स्तन मुझे अपनी पीठ पर महसूस होने लगे और उन्होंने अपने पैरों को मेरी गांड से चिपका दिया था और एक पैर उठा कर मेरे ऊपर रख दिया था.
आंटी की चूचियां मेरी पीठ से रगड़ खाने लगी थीं और उनका एक हाथ मेरे सीने पर आ गया था.

इस सबसे कुछ ही देर में चादर के अन्दर गर्मी हो गई थी.
अब मुझे नींद बिल्कुल ही नहीं आ रही थी.

आंटी मेरे लौड़े की मां चोद रही थीं और लंड एकदम खड़ा हो गया था.
आंटी ने अपने हाथ से मेरे सीने को और जोर से चिपकाया और अपने दोनों स्तनों को मेरी पीठ से पूरी तरह से चिपका कर सो गईं.

मेरा हालत एकदम से पतली हुई पड़ी थी. आंटी की गर्म सांसें मेरी गर्दन पर आ रही थीं. मेरी दिल की धड़कन तेज हो गई थीं कि क्या करूं और क्या न करूं कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी ये सच्ची सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा.
अगले भाग में पूरी हॉट आंटी फक स्टोरी का मजा लीजिये.
आप मुझे अपने कमेंट्स भेज सकते हैं.
[email protected]

हॉट आंटी फक स्टोरी का अगला भाग: ट्रेन में मदद से चुदाई तक का सफर- 2

About Abhilasha Bakshi

Check Also

Sali aur uski saheli

Sali aur uski saheli

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *