राजस्थान सेक्स कहानी में मैंने ट्रेन के प्रथम श्रेणी के कूपे में एक सेक्सी युवा भाभी की चूत चुदाई को विस्तार से बताया है. उस कूपे में हम दोनों थे, उसके साथ उसका गोद का बच्चा था.
दोस्तो, मैं अजय फिर से लेकर आया हूं एक नई राजस्थान सेक्स कहानी।
अजमेर में रेलवे में नौकरी की लिखित परीक्षा थी मेरी … तो मैंने कोटा से गाड़ी में अपनी सीट बुक करा ली।
नियत समय शाम 5 बजे मैं स्टेशन पहुंचा क्योंकि गाड़ी 5:50 की थी।
ट्रेन आई, मैं गाड़ी में सवार हो गया।
मेरी सीट पर एक बेहद खूबसूरत महिला, उसकी उम्र लगभग 30 साल की रही होगी, अपनी एक छोटे बच्चे के साथ सफर कर रही थी।
मेरे ए सी के कूपे में कुल दो ही सीट थी.
वह महिला कुछ परेशान सी दिख रही थी।
इसका कारण उसको ऊपर की सीट मिली थी और वह बच्चे को लेकर ऊपर जाने मे असुविधा महसूस कर रही थी।
गाड़ी का 20 मिनट का स्टॉप था।
मैं सीट के एक कोने में बैठ गया।
कुछ समय बाद वह बोली- मेरे लिए एक पानी की बोतल ला दीजिए।
बच्चा गोद में होने के कारण बैग से पैसे निकालने में थोड़ी परेशानी हो रही थी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
मैं पानी की बोतल लेकर आ गया।
इसके अतिरिक्त हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई।
ट्रेन चल दी।
तब वह बोली- यदि आप मुझे नीचे की सीट दे दें तो मेहरबानी होगी। मेरे पास 1 साल का बेटा है। आप चाहें तो आप सोने से पहले तक यहीं बैठे रहें।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं ऊपर वाली सीट पर चला जाऊंगा।
फिर बातों से पता चला कि वह अपने पति के पास जा रही थी जो अजमेर में रेलवे में ही नौकरी करते थे.
छुट्टी नहीं मिलने कारण वे उसको लेने नहीं आ सके।
तभी उसका बच्चा रोने लगा।
उसने उसे चूचे से लगा लिया, उस पर दुपट्टा डाल लिया।
बच्चा दूध पीकर सो गया।
तब उसने अपना चूचे बलाऊज के अंदर सरकाए।
मैंने अपनी नजरें झुका ली।
पर वह मुस्करा दी।
गाड़ी अपनी रफ्तार से चल रही थी।
टी टी आया, उसने दोनों के टिकट चेक किया और यह कह कर चला गया कि अंदर से बंद कर लीजिए सुरक्षा की दृष्टि से!
8 बज रहे थे, खाने का समय हो गया था।
मैं अपने साथ खाना लाया था, साथ ही हाफ शराब की बोतल भी लेकर आया था।
उसने भी अपने बैग से खाना निकाला।
उसमें से एक प्लेट में रखकर मेरे आगे कर दिया।
मैंने कहा- नहीं नहीं, मैं खाना लाया हूं।
तो वह बोली- अपना भी निकाल लो।
मैं थोड़ा संकोच कर रहा था.
वह बोली- क्या बात है, निकालो न खाना!
मैं बोला- मैं आपके सामने खाना नहीं खा सकता।
उसने कहा- क्यों?
मैंने कहा- मुझे थोड़ी ड्रिंक करनी है, आपके सामने कैसे कर सकता हूं।
उसने कहा- कोई बात नहीं, आप पी लीजिए, इससे मुझे कोई ऐतराज नहीं है।
तब मैंने पानी की बोतल के साथ अपना अद्धा निकाला और साथ ही अपने गिलास में डाल कर एक पेग बनाया।
अचानक मेरे मुंह से गलती से निकल गया- आप भी लेंगी क्या?
कुछ पल बाद मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ।
पर मैं क्या देखता हूं, उसने बैग से गिलास निकाल कर आगे बढ़ा दिया।
मैं हैरान परेशान हो कर अचंभित हो गया; मुझे विश्वास नहीं हुआ।
मैंने डरते डरते पूछा- क्या सच में … आप ड्रिंक करेंगी?
वह बोली- हां … आप मेरा व्हिस्की का पेग बना दीजिए। मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं पी। पर आप पी रहे हैं, कूपे में मेरे और आपके अलावा कोई नहीं है। मैं क्यों टेंशन में सारी रात रहूं, क्यों न आप साथ दूं।
फिर उसने अपने सोते बच्चे को ऊपर वाली बर्थ पर सुला दिया और मेरे साथ बैठ गई।
मैंने दोनों के लिए पेग बनाया।
फिर पानी डाल कर एक गिलास उसके हाथ में पकड़ा दिया।
उसने मेरी ओर देखा मुस्कराई और गिलास से गिलास टकरा कर चियर्स किया और एक सांस में ही गटक गई।
मैं सिप सिप कर पीने लगा।
जब तक मेरा पेग खत्म होता, वह सुरूर में आने लगी।
मैंने अपना दूसरा पेग बनाया तो उसने भी गिलास आगे कर दिया।
तब मैंने उसका भी पेग बना दिया।
वह अब धीरे धीरे पीने लगी।
दारू पीने के बाद हमने खाना खाया।
अब मेरे मन में उसकी कड़क चूचियां देख कर कुछ कुछ होने लगा, मेरा मन विचलित होने लगा।
पर मुझे डर यह था कि उसने इसका अर्थ गलत निकाल लिया तो मुसीबत खड़ी हो जायेगी।
उधर उसको भी नशा चढ़ रहा था।
उसने मेरी ओर देख कर मुस्करा कर कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
वह बोली- नहीं … बोलो?
मेरी तो फट गई।
मैंने हकलाते हुए कहा- जी कुछ नहीं, कुछ नहीं!
वह बोली- डरो मत … देखना है? तो देख लो!
इतने कहते ही उसने अपनी साड़ी का पल्लू हटा कर अपने बलाऊज के बटन खोल दिए।
अंदर उसकी काली ब्रा नजर आ रही थी, उसमें से उसके बोबे बाहर आने को तैयार थे।
उसके स्तनों का साईज लगभग 36″ का होगा।
मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था, मुझे नशा चढ़ चुका था।
मैं अपने हाथों से उसके चूचों को दबाने लगा।
वह भी मदमस्त हो गई।
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए।
ओह … उसके दोनों कबूतर कैद से बाहर आकर आजाद हो गए।
गोरे गोरे बोबे … उनके आगे भूरे रंग की घुंडियां गजब ढा रही थी।
मैंने लपक कर एक निप्पल अपने मुंह में भर लिया और बेतहाश होकर चूसने लगा।
उसमें से दूध निकल रहा था, मैंने चूस कर दूध पीना शुरू कर दिया।
अब तक वह सिसकारी भरने लगी।
उसे मजा आ रहा था.
इधर मेरा लंड पैंट में उफान मार रहा था।
उसने अपना हाथ मेरे पैंट के ऊपर रखा, हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को दबाने लगी।
इधर मेरा हाथ उसकी जांघों पर से होकर उसकी पैंटी तक पहुंच गया।
मैंने उसकी साड़ी, पेटीकोट को ऊपर सरका दिया।
उसकी पेंटी के ऊपर से हाथ फेरते फेरते एक अंगुली उसकी चूत के अंदर डाल दी।
वह चिहुंक उठी।
वैसे भी वह नशे में थी।
उसने अपनी साड़ी उतार कर सीट पर फेंक दी।
फिर क्या था … मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, वह झट से नीचे सरक गया।
अब वह सिर्फ पैंटी में थी, उसके गोर बोबे झूल रहे थे।
मैं बारी बारी से उन्हें चूस रहा था।
मेरा एक हाथ उसकी चूत को नाप रहा था।
उसने मेरे पैंट की चेन खोल दी और खींच कर चड्डी सहित उतार दी।
मेरा 7″ लंबा 3″ मोटा लण्ङ हाथ में ले कर वह धीरे धीरे दबाने लगी।
उसको मजा आने लगा और वह मेरे लंड को जोर जोर से दबाने लगी।
मेरी हालत खराब हो रही थी।
अब हम दोनों एकदम नंगे थे।
मैंने उसे उठा कर बर्थ पर लेटा दिया और 69 की पोजिशन में आ गए।
वह मेरा लंड लोलीपॉप की तरह चूस रही थी और मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर उसके अंदर के दाने को रगड़ रहा था।
सिसकारी भरते हुए वह उम् उम् की आवाज कर रही थी पर उसके मुंह से और कोई आवाज नहीं आ रही थी क्योंकि मेरा लंड उसके मुंह में गले तक पहुंच गया था।
इधर मैं उसकी चिकनी चूत रस का पान कर रहा था।
उसने जोर से अंगड़ाई ली और एकदम से झड़ गई।
उसकी चूत से नमकीन पानी निकलने लगा।
मैंने चाट लिया।
मेरा लंड उसके मुंह में अंदर बाहर हो रहा था।
गप गप … फच फच की आवाज आ रही थी।
झटके मारते मारते मैं उसके मुंह में झड़ गया और ठंडा पड़ गया।
तब वह उठी और नंगी ही साड़ी लपेट कर बाथरूम में चली गई।
चूंकि तब रात्रि का समय था तो कोई नहीं था जो देख रहा था।
वापस आकर वह सीट पर टांगें फैला कर पसर गई।
उसकी चूत के दर्शन करते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसे किस करने लगा.
तभी उसने पूछा- विस्की बची हुई है क्या?
मैंने बची हुई विस्की एक ग्लास में डालकर पानी भर दिया.
हम दोनों एक ही गिलास से घूँट घूँट करके सुरापान करने लगे.
हमें बहुत मजा आ रहा था.
अब मैंने उसे चुदाई के लिए तैयार होने को कहा.
सीट पर उसकी टांगें फैला कर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर धीरे से दबा दिया.
मेरा लंड एक इंच भी उसकी चूत के अंदर नहीं गया होगा कि उसकी सिसकी निकल गई।
तभी मैंने एक जोर से झटका दिया, मेरा पूरा लंड फच से उसकी चूत की दरार को फाड़ता हुआ अंदर तक घुस गया।
वह जोर सी चीखी- उई मां … मर गई।
उसका सारा नशा उतर गया, वह चीखी- इसे बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी। बहुत दर्द हो रहा है.
तब मैं थोड़ी देर रुका और उसके होठों को चूसने लगा।
मैं अपने दोनों हाथों की अंगुलियों से उसके चूचों को मसलने लगा।
इससे उसे थोड़ा आराम मिला।
मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला फिर धीरे से हल्का झटका दिया।
फच से लंड पुनः चूत के अंदर चला गया।
अब मैं उसकी चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था।
वह भी आह ओह हय … उई ओ ओ ई इ करते हुए अपनी कमर उठा उठा कर साथ देने लगी।
मेरा लंड उसकी चूत में पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
मेरे लंड के जोर के झटके से उसकी बच्चे दानी के मुंह तक ठोकर मार रहा था।
वह भी पूरे मजे ले रही थी चुदाई के … और कह रही थी- और जोर से चोदो मेरे राजा … आज मेरी प्यास बुझा दो।
कहते कहते वह दो बार झड़ गई.
पर मेरा अभी नहीं निकला।
वह थक गई।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
जल्दी जल्दी झटके मारते हुए मैं भी झड़ कर उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया।
राजस्थान सेक्स का मजा लेते लेते रात के 11 बज चुके थे.
मैंने उसे उसका बच्चा पकड़ाया और उसे सोने को कहा.
साथ ही मैं भी ऊपर जाकर लेट गया.
ट्रेन पहुँचने से आधे घण्टे पहले का अलार्म लगा रखा था मैंने फोन में!
सुबह के 4 बज रहे थे।
अलार्म बजा तो मेरी नींद खुली.
अजमेर आने वाला था। मैंने उसे जगाया और हमने अपने कपड़े ठीक किए।
स्टेशन पर ट्रेन रुकी.
उसके पति उसे लेने आए थे।
उन्होंने मुझे थैंक्स कहा और बहुत रिक्वेस्ट करके अपने घर ले गए।
मैंने उनके घर नहा धोकर नाश्ता किया।
मेरी परीक्षा 12 बजे से थी।
उसके पति 9 बजे अपने आफिस के लिए निकल गए।
वह बोली- क्या इरादा है?
मैं बोला- चलो!
बस तो हम दोनों बेडरूम में चले गए।
फिर हमारी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गई।
दो घंटे में दो बार तबीयत से चुदाई की।
उसके बाद मैं परीक्षा देने निकल गया।
परीक्षा देकर लोटा।
उसके पति मुझे स्टेशन छोड़ने आए।
तो बताओ कैसी लगी मेरी राजस्थान सेक्स कहानी।
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लेखक की पिछली कहानी थी: पड़ोस की कुंवारी लड़की की चूत फाड़ चुदाई