दूसरी अम्मी ने अब्बू की गांड मारी- 1 (Kinnar Sex Kahani)

किन्नर सेक्स कहानी में एक जवान लड़की का बाप दूसरी शादी करके लाया तो उसके कमरे से सेक्स की आवाजें सुन कर लड़की भी गर्म होने लगी. एक दिन उसने कमरे में झांका तो …

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम नफीसा अंसारी है और आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक सत्य सेक्स कहानी बताने जा रही हूँ.
यह किन्नर सेक्स कहानी मेरी है पर इसके शब्द मेरे प्यारे मित्र मानस जी के होंगे.

नफीसा अंसारी एक बिना माँ की पाली और पोसी हुई लड़की है.
अभी हाल ही में वह अठारह साल की हो चुकी थी और उसे बड़ा करने में उसकी दादी का बहुत बड़ा योगदान था.

नफीसा का अब्बा तो वैसे उसका ध्यान रखता था पर अपने काम-काज के चलते वह बहुत कम घर पर आता.
और नफीसा को भी अब इसकी आदत हो चुकी थी और वह अपनी दादी के साथ खुश थी.

पर अचानक पिछले साल ही उम्रदराज होने के कारण नफीसा की दादी परलोक सिधार गयी और अब सही मायने में नफीसा खुद को लावारिस महसूस करने लगी थी.

दादी के गुजरने के बाद कुछ दिन तो सब ठीक चल रहा था.
पर एक दिन अचानक उसका अब्बा नफीसा के लिए एक नयी अम्मी लेकर आ गया और बेचारी नफीसा अपने अब्बा से जरा सा भी विरोध न कर सकी.

अपनी किस्मत को कोसते हुए नफीसा ने ये बात भी स्वीकार कर ली.

अगले ही दिन उसका अब्बा नफीसा की नयी अम्मी शीला को घर ले आ गया.

नफीसा ने जैसे ही अपनी नयी अम्मी का नाम सुना तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि कैसे उसके अब्बा ने एक गैर मजहब की औरत से निकाह कर लिया.
पर घर में शांति बनी रहे इस उद्देश्य से उसने चुप्पी बना ली.

धीरे धीरे अब नफीसा अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गयी.
अगर कोई खास काम हो या फिर बात करने की नौबत आ गयी हो, तभी वह शीला अम्मी से बात करती वरना शीला और उसका सम्भाषण बिल्कुल ना के बराबर था.

सच बात तो यह थी कि जब से शीला अम्मी घर आयी थी, उसी रात से ही नफीसा कुछ बैचेन और उदास सी रहने लगी थी.
हर रात उसको अपने अब्बा के कमरे से सिसकारियां और चुदाई की आवाजें आती रहती थीं.

नफीसा अभी अभी जवान हुई थी.
उसकी बिना चुदी चूत के कान, उन सिसकारियों की आवाज से खड़े होने लगे थे और चुदाई के एक अलग अनुभव के लिए नफीसा का बदन तपने लगा था.

कुछ दिन तो नफीसा ने बस उनकी आवाजें सुनी; पर अब तो हर रात को वह अपनी चूत को सहलाने लगी थी.

चुदाई की आवाजें सुनकर वह भी अपनी उंगलियों के सहारे अपनी चूत की हवस को बाहर निकाल देती.

कुछ दिनों तक तो उसने बस चुदाई की आवाजें सुनकर ही अपनी हवस को काबू करने की कोशिश की.
पर अब नफीसा ये जानने के लिए उत्सुक थी कि ये चुदाई आखिर कैसे होती है.

आज तक नफीसा ने चुदाई का बस नाम ही सुना था, पर दादी के डर के कारण ना तो उसके कभी किसी लड़के से दोस्ती की … और ना ही कभी गन्दी लड़कियों की तरह कोई चुदाई की फिल्म देखी थी.

नफीसा ने अपना खाना खत्म किया था और बर्तन साफ़ करके वह अपने कमरे की तरफ जा ही रही थी कि उसके कानों में आज फिर से वही सिसकारियां पड़ीं.
तो नफीसा के पैर वहीं के वहीं जम गए.

उसका मन तो कर रहा था कि वह चुपके से जाए और अपनी आंखों से पहली बार किसी का संभोग देखे.
पर उसका दिमाग उसे ऐसे करने से रोक रहा था.

धीरे धीरे बढ़ती उन सिसकारियों ने नफीसा के जवान बदन को फिर से गर्म करना चालू किया … और बिना कुछ सोचे समझे वह अपने अब्बा के कमरे की ओर चलने लगी.

डरती हुई वह अब अपने अब्बा के कमरे के बाहर आकर खड़ी हुई.
उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था.
बदन तपने लगा था.

चुदाई की आवाजें अब साफ़ साफ़ उसके कानों पर नगाड़े की आवाज के जैसे पड़ रही थीं.

पर अचानक से उसे समझ में आया कि ये सिसकने की आवाजें किसी औरत की नहीं, बल्कि किसी मर्द की हैं.

और इस ख्याल से नफ़ीसा और आश्चर्य से कमरे के दरवाजे तक जा पहुंची.

जैसे ही उसने अपने कान दरवाज़े पर लगाए तो उसका शक अब यकीन में बदल गया कि अन्दर जरूर कुछ ऐसा हो रहा है … जो नहीं होना चाहिए.

पर इस यकीन के साथ साथ वह और उत्सुक हो गयी.
अन्दर का नजारा देखने के लिए उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और हल्के से दरवाजा धकेला.

लाल रंग की बत्ती में उसे कुछ ठीक से दिखाई तो नहीं दिया, पर उसकी नजरें इधर उधर घूमने लगीं.

अचानक उसे दो नंगे बदन एक दूसरे से चिपके हुए दिखाए दिए और उस नज़ारे को देख कर नफ़ीसा के पैरों के नीचे की ज़मीन ही ख़िसक गयी.
कुछ पल में ही नफ़ीसा का बदन पसीना पसीना हो गया.

थरथर कांपती वह वहीं की वहीं जम गयी और देखने लगी कि कैसे उसकी आंखों के सामने उसके घर की इज्जत नीलाम हो रही थी.

अपने अब्बा की इस हरकत से उसे अपने अब्बा के प्रति एक नफ़रत सी होने लगी.

कुछ देर तक वह ऐसे ही आंखें फाड़ फाड़ कर अपने अब्बा की काली करतूतें देखती रही.
पर वही काली करतूतें अब उसे एक अजीब सा नशा दिलाने लगी थीं.

नफ़ीसा देख रही थी कि कैसे उसका अब्बा मंसूर अपने ही घर में गांड झुकाकर लेटा हुआ है … और जिसे नफ़ीसा अब तक एक औरत समझ रही थी, वही औरत उसके अब्बा की गांड चोद रही थी.
धीरे धीरे नफ़ीसा को अन्दर की सारी हरकतें साफ़ साफ़ नज़र आने लगीं.

चुदाई की आवाजें और गालियां उसके कानों से होती हुई नफ़ीसा की चूत की तरफ बढ़ने लगी थीं.

नफ़ीसा को आज पता चला कि उसकी अम्मी शीला कोई आम औरत नहीं बल्कि एक लिंगधारी महिला है जिन्हें आम जुबान में किन्नर Shemale कहा जाता है और वही किन्नर आज उसके अब्बा को किसी सड़कछाप लावारिस रंडी की तरह चोद रही थी.

तभी अचानक से शीला ने अपना लंड मंसूर की गांड से बाहर निकाला और वह चिल्लाकर बोली- साले हरामी की औलाद, मुँह खोल मादरचोद और चूस मेरा लौड़ा रंडी!

शीला ने मंसूर के बाल खींच कर अपना लंड उसके मुँह के सामने कर दिया.
मंसूर ने भी फुर्ती से शीला का लंड अपने मुँह में भर लिया.

इसे देख कर तो नफ़ीसा को लगभग चक्कर ही आ गया कि कैसे उसका अब्बा ख़ुद की गांड से निकला हुआ लौड़ा मजे से चूस रहा था.
धीरे धीरे नफ़ीसा को अपने अब्बा से नफ़रत होने लगी.

एक मर्द होकर ऐसी शर्मनाक हरकत करने वाले अपने बाप के प्रति अब उसको गुस्सा आने लगा था.

इधर शीला ने भी अपना पूरा लौड़ा मंसूर के गले तक घुसा दिया और जोर जोर से उसका मुँह चोदने लगी.
मंसूर सच में किसी रंडी की तरह दिखाई दे रहा था.

नफ़ीसा को अब धीरे धीरे उस खेल का मज़ा आने लगा था.
उसे लगने लगा कि ऐसे घिनौने इंसान के साथ ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए.

अपने अब्बू को रंडी की तरह लौड़ा चूसते देख कर नफीसा की हवस भी उफ़ान पर आ चुकी थी और उसका हाथ सलवार के अन्दर घुस कर चूत को मसलने लगा था.

कमरे में कम रोशनी की वजह से नफ़ीसा को अभी तक शीला का पूरा लंड दिखाई नहीं दे रहा था पर उसे एक चीज दिखाई दी और वह थी उसके अब्बा की मुरझाई हुई लुल्ली.

उसने अपनी सहेलियों से सुना था कि चुदाई के समय मर्द के लंड बड़े हो जाते हैं.
पर अपने अब्बा की लुल्ली देख कर वह समझ चुकी थी कि उसका बाप एक गांडू है और नामर्द भी.

पर अब उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मंसूर के लिए अब उसके दिल में ना कोई प्यार बचा था और ना ही कोई रहम की आशा.
वह तो बस अब यही चाह रही थी कि मंसूर की और चुदाई देखने को मिल जाए.

तभी अचानक से उसके कानों पर आवाज आयी- आअहह ह्हह … भोसड़ी के हरामी … झड़ गयी मैं मादरचोद!

नफ़ीसा ने आंखें बड़ी करके देखा तो उसकी चूत अपने आप बहने लगी.

उधर शीला ने उसका माल सीधा मंसूर के मुँह के अन्दर खाली कर दिया था.

आज पहली बार किन्नर सेक्स में नफ़ीसा लंड से निकली मलाई देख रही थी और देख रही थी कि कैसे उसका अब्बा शीला के लंड की मलाई बड़े मज़े से चाट कर खा रहा था.

नफ़ीसा को तो इस बात की बड़ी घिन आयी.
पर ये देख कर उसे मजा भी आ रहा था कि लंड की मलाई कैसी होती है.

उसका जवान बदन अब और तपने लगा था.
बुर के पानी से भीगी उसकी चड्डी में उसकी चूत अब और ज़्यादा गर्म हो रही थी.

उधर शीला ने अपनी सारी मलाई मंसूर के मुँह में खाली करने के बाद अपना लंड बाहर निकाला और वहीं सोफे पर बैठ गयी.

मंसूर भी किसी गुलाम की तरह शीला के पास बैठ गया और बची कुछ मलाई जीभ से चाटने लगा.

उसकी इस हरकत से खुश होकर शीला बोली- वाह रे मेरे पालतू कुत्ते, बहनचोद बहुत बड़ी रंडी है तू माँ के लौड़े, चल जा अब वह कटोरी लेकर आ जा, आज तुझे मेरा मूत भी पिलाती हूँ सुअर!

शीला के आदेश पर मंसूर घुटनों पर रेंगते हुए किसी पालतू कुत्ते की तरह कमरे में रखी कटोरी के पास पहुंचा और अपने मुँह से ही कटोरी उठाकर वह शीला के पास आ गया.

और शीला ने भी अपना लंड उस कटोरी के आगे कर दिया तो मंसूर शीला के लंड का सुपारा फिर से अपने जीभ से चाटने लगा.
शीला उसकी इस हरकत से खुश हुई और उसने अपना मूत उस कटोरी में भरना चालू कर दिया.

कमरे के अन्दर का दृश्य देख कर नफ़ीसा तो ऐसे पागल हो रही थी कि उसकी चूत अब किसी भी लौड़े के सामने चुदने तैयार थी.

अपनी दो उंगलियां चूत में घुसाती हुई वह धीरे धीरे से मज़े ले रही थी.
एक हाथ से अपनी चूत व दूसरे हाथ से अपने चूचे दबाती हुई वह अन्दर चल रहे हवस के खेल का मजा ले रही थी.

अपने नामर्द अब्बा को किसी लौड़े से चुदते देख उसे भी चुदाई करवाने का ज्वर चढ़ चुका था.

जैसे ही शीला ने मूत कर वह कटोरी भरी, वैसे झट से मंसूर ने वह कटोरी नीचे ज़मीन पर रख दी और झुक कर कुत्ते की तरह वह शीला का मूत चाटने लगा.

शीला ने सोफ़े पर बैठे बैठे उसके सामने झुके मंसूर के सर पर अपना पैर रखा और उसे उस कटोरी में दबा दिया.
वह थोड़े गुस्से में बोली- माँ की चूत तेरी रंडी साली … अच्छी तरह से पी ना मेरा मूत … वरना फिर से तेरी गांड की माँ चोद दूंगी भड़वे!

मंसूर ने शीला का गुस्सा देख कर अपना मुँह उस कटोरी में घुसाया और धीरे धीरे सारा मूत पीने लगा.
बिल्कुल किसी गुलाम की तरह नफ़ीसा का अब्बा उसकी नई अम्मी की सारी बात मान रहा था.

अपने नामर्द अब्बा को शीला का मूत पीता देख नफ़ीसा की बुर एक बार फिर से पानी बहाने लगी.

दो बार पानी निकलने की वजह से नफ़ीसा थक चुकी थी.
शरीर की थकान के बावजूद उसका मन अभी थका नहीं था. उसे आज सब देखना था कि चुदाई में ऐसा क्या मजा है, जो आज तक वह महसूस ना कर सकी.

कुछ देर में ही मंसूर ने शीला का मूत पी लिया और ख़ुद बाथरूम की तरफ जाने लगा.
उसे खड़ा होते देख शीला को पता चला कि मंसूर भी मूतने बाथरूम में जा रहा है.

मंसूर को रोकते हुए शीला ने कहा- कहां जा रही है रंडी, मूतने ना? तो भोसड़ी के मूत ना तू भी इसी कटोरी में? आज तो तू खुद का मूत भी पियेगा मादरचोद!

शीला का आदेश सुनकर नफ़ीसा का सर घूमने लगा.
वह सोचने लगी कि क्या सच में उसका अब्बा अब खुद का मूत पीने वाला है? क्या इतना घिनौना काम करता है कोई?

पर अगले ही पल उसको इस सवाल का जवाब भी मिलता हुआ दिखाई दिया.

उसका अब्बा अब बिल्कुल लड़कियों की तरह बैठकर कटोरी में मूतने लगा.
सामने शीला सोफे पर बैठ कर आराम से सिगरेट फूँक रही थी और मंसूर को देख कर मुस्कुरा रही थी.

जैसे ही मंसूर का मूतना खत्म हुआ, वैसे ही उसने शीला की तरफ देखा और उसके अगले आदेश का इन्तजार करने लगा.

मंसूर को देख शीला गरजी- अब देख क्या रहा है रंडी की औलाद … पी जा जल्दी से बहनचोद … इसके बाद तुझे मेरी गांड भी चाटनी है हिजड़े!

नफ़ीसा अब आंखें बड़ी बड़ी करके देखने लगी कि कैसे उसका अब्बा खुद का मूत पीने वाला है.
जिस बात से उसे शर्म आनी चाहिए, उसी बात से अब वह खुश हो रही थी.
मन ही मन में वह चाह रही थी कि उसका नामर्द बाप किसी दो कौड़ी की रंडी की तरह चुदे और ख़ुद का मूत भी पी ले.

हुआ भी बिल्कुल वैसे ही.

फिर से कुत्ते की तरह मंसूर कटोरी के आगे झुक गया और अपने मुँह घुसेड़ कर ख़ुद का पीला पेशाब पीने लगा.

मंसूर को देख कर अन्दर बैठी शीला … और बाहर से देख रही नफीसा खुश हो गयी.
नफीसा ने तो अब ठान ली कि वह भी किसी न किसी दिन एक बड़े लंड से चुदवा ही लेगी.

दोस्तो, अगले भाग में इस किन्नर सेक्स कहानी का भाग लिखना जारी रखूंगा.
आप अपने कमेंट्स जरूर दें.
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किन्नर सेक्स कहानी का अगला भाग: दूसरी अम्मी ने अब्बू की गांड मारी- 2

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