दोस्ती से आगे मर्द मर्द का रिश्ता- 2

मैं सुहास कुमार आपका अपनी गे सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ.
कहानी के पहले भाग
एक लड़के का दूसरे लड़के से प्यार
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं, दो बेहद करीबी दोस्तों रूप और अवि के फ्लैट में था और अवि के साथ सेक्स कर चुका था. वे दोनों आपस में कुछ बहस कर रहे थे. मैं रूप को देख रहा था.

अब आगे :

रूप सच में रूप का धनी था. निहायत ही सेक्सी, एकदम कड़क माल.
गोल गोल बबल गांड.

जिस तरह से अवि, रूप के बारे में मुझे बताता था. उसके आधार पर मुझे पता था कि रूप और मेरे बीच कुछ नहीं होना है.
पर इस दिल और लंड को कौन समझाए.

रूप डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रहा था और अवि उसकी मदद कर रहा था.

‘हाय.’
‘अरे उठ गए … हाथ-मुँह धोकर आ जाओ, रूप ने खाना लगा दिया है.’

मैंने रूप को देखते हुए उसे हाय कहा.
तो उसने भी जबाव में हाय कहा और मैं बाथरूम में हाथ मुँह धोने चला गया.

तीन नंगे मर्द, चुपचाप बैठ कर खाना खा रहे थे.
ये कुछ अजीब था.

मतलब तीनों जैसी सोच वाले मर्द पूरी तरह से नंगे और बैठकर खाना खा रहे थे और आपस में कोई बात नहीं कर रहे थे.

मेरे तो रग-रग में हवस है, तो मुझे तो एक ही चीज़ सूझती है.
फिर जिसके सामने, कामदेव समान दो नंगे मर्द बैठे हों, उसकी हालत सोचो.

मेरा तो लंड ऐसे फड़फड़ा रहा था कि ये फट पड़ेगा.
बहुत मुश्किल से कंट्रोल करके चुपचाप खाना खाने लगा.

खाना खाने के बाद मैं कभी बाल्कनी में तो कभी लिविंग रूम में समय व्यतीत कर रहा था.
अवि और रूप, बर्तन-किचन आदि का काम निपटा रहे थे.

मैं बाल्कनी में खड़ा था, तब दोनों काम निपटा कर आए और तीनों के लिए कॉफी भी लाये थे.
शायद दोनों को डिनर के बाद कॉफी पीने की आदत थी.

हमने आपस में थोड़ी बहुत बातें की, कुछ टाइम पास किया और 11 बजे के लगभग हम तीनों सोने आ गए.

हम उसी कामवासना की राजधानी में आ गए थे.
बेडरूम एक था, बेड भी एक था.

मैंने दोनों से कहा भी कि मैं लिविंग रूम के सोफे पर सो जाता हूँ, पर वे लोग नहीं माने.
विशेषकर अवि.

उस बड़े से बेड पर बिछी सुर्ख लाल कलर की चादर पर तीन मर्द नंगे सोये थे.

बेड के एक ओर रूप सोया था, मैं मध्य में लेटा था और मेरे बाद अवि था.

कितनी अजीब बात थी. तीन नंगे मर्द, वह भी पूरे नंगे चुपचाप सो रहे थे.
ये तो वही बात हो गई कि तीन औरतें चुपचाप बैठी हों.

मेरी दोनों तरफ, दो हसीन मर्द नंगे सोये थे और बीच में मैं, अपने फड़फड़ाते लंड के साथ तड़प रहा था.

कैसी विवशता थी, अवि और रूप मेरे सामने कुछ नहीं करेंगे.

मेरे और रूप का तो सवाल ही नहीं था.

अवि और मैं भी, रूप के सामने कुछ नहीं कर सकते क्योंकि अवि ने इस बारे में रूप को कुछ नहीं बताया था.

रात के बारह बज रहे थे और इन दो हसीन मर्दों को, इस तरह नंगा देख कर मेरे भी बारह बजे हुए थे.

मैं दो नंगे मर्दों के बीच इस तरह नहीं सो सकता.
बुरी तरह लंड तननाया हुआ था.

मुझे नींद कैसे आती … तो उठकर बाल्कनी में आ गया.

बाल्कनी की ठंडी हवा जब गर्म जिस्म पर पड़ी तो नंगे तन में सनसनी सी फैल गई.

मैं कुछ देर बाल्कनी में खड़ा, झिलमिल रोशन हैदराबाद का सुंदर नज़ारा देखता रहा.

अच्छा लग रहा था, खुला-खुला.
ठंडा-ठंडा, मस्त मस्त.

तभी पीछे से किसी के आने की आहट सुनाई दी.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो रूप था.

साला पहले ही लंड खड़ा, अब इसे इस तरह देख कर और फड़फड़ा उठा.

मैंने उससे पूछा- सोये नहीं?
‘ह्म्म्म, नींद नहीं आ रही.’
‘ओके.’

काफी देर तक खामोशी छाई रही और हम दोनों मूक खड़े हैदराबाद का नजारा देखते रहे.

फिर मेरी तरफ मुड़कर, आंखों से लंड की तरफ इशारा करके उसने पूछा- ये ऐसा ही खड़ा रहता है क्या, हर समय? शाम से देख रहा हूँ, खड़ा ही है.
‘जब दो निहायत ही हसीन, नंगे मर्द मेरे सामने रहेंगे तो मेरा क्या, किसी का भी खड़ा ही रहेगा.’ मैंने सामने देखते हुए कहा.

हम दोनों पास-पास ही खड़े थे और खूबसूरत हैदराबाद को देख रहे थे.
फिर खामोशी छा गई.

मुझे पता था, इसके साथ कुछ होना तो है नहीं, फिर इसे देखकर बेवजह तड़पने से अच्छा है कि अन्दर जाकर सोने की कोशिश करूं.

ऐसा सोचकर मैं अन्दर जाने के लिए मेरे एक बाजू से मुड़ा और उसी समय रूप भी अन्दर जाने को मुड़ा.

हम पास ही खड़े थे, तो एकदम से आमने-सामने आ गए और टकरा न जाएं इसलिए एकदम से वहीं रुक गए.

मुझे अहसास हुआ कि उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे को छू रही थीं, पर मेरी तो सांस ही थम गई थी.

हम थोड़े भी हिलते तो उसके और मेरे होंठों का मिलन हो चुका होता.

उसके नंगे तन से बहुत ही मादक महक आ रही थी.

हर इंसान के जिस्म में महक होती है और ये तब पता चलता है जब आप पहली बार उसके जिस्म के करीब जाते हैं.

रूप के जिस्म की महक अवि के जितनी ही मादक थी, जो मुझे मदहोश कर चुकी थी.

दोनों के होंठ और नंगे जिस्म इतने करीब थे कि ऐसा अहसास हो रहा था जैसे एक दूसरे को टच कर रहे हों.

खुद पर काबू करना बहुत मुश्किल हो रहा था, तो मैं एकदम से पीछे हटा.
रूप भी सॉरी बोलकर अन्दर चला गया.

अब उस कामवासना की राजधानी में तो मुझे नींद आने से रही, जहां दो निहायत ही सुंदर मर्द नंगे सो रहे हों.

मैं लिविंग रूम के सोफे पर लेट गया और मुझे कब नींद लगी पता ही नहीं चला.

‘सुहास, उठो … सुहास.’

मैं काफी नींद में था और मेरा तड़पता हुआ जिस्म, सपने में अपनी हसरत पूरी कर रहा था.

मुझे उठाने आए रूप को मैंने आंखें खोले बगैर हाथ पकड़ कर सोफे पर लेटा लिया और करवट से उसे सोफे के बैक की तरफ करके उसे अपनी बांहों में लेकर सो गया.

‘सुहास, मैं रूप हूँ … उठो सुहास.’

मैं काफी नींद में था, मेरे नंगे जिस्म का स्पर्श पहली बार रूप से हुआ था तो वह भी उत्तेजित होने लगा और मेरा तो खड़ा ही था.
क्योंकि मेरे लंड को सपनों में कोई संदेश दे रहा था.

मेरे फड़फड़ाते लंड के स्पर्श से रूप का लंड भी खड़ा हो गया था और रूप पर भी मदहोशी छाने लगी थी.

वह भी मेरी बांहों की गर्म आगोश में समा रहा था.

तभी, अवि आया और मुझे उठाने लगा- यार, सुहास को उठाओ देखो न … मुझे भी सुला लिया.
‘सुहास उठो, 9 बज गए.’

‘अरे नौ बज गए!’
यह सुनते ही मैं तुरंत उठा और बाथरूम की तरफ भागा.

आधा घंटा में तैयार होकर मैंने उन दोनों को बाय किया और ऑफिस के लिए निकल पड़ा.

अवि ने मुझे फ्लैट की एक चाभी दे दी थी.
अवि और रूप 7 बजे तक ऑफिस से आते थे.

मैं 5 बजे ही आ गया था.
आते हुए मैं चिकन ले आया था.

अभी 2 घंटे थे, तो मैंने सोचा कि रात का खाना मैं ही बना देता हूँ.

शाम 6 बजे तक मेरा खाना बन गया था तो नहा धोकर, बदन सुखाकर, नंगे बदन ही थोड़ी देर आराम करने के लिए बेडरूम में चला गया.
मुझे नींद लग गई थी.

फिर किसी के नंगे जिस्म का अहसास मुझे अपने जिस्म पर हुआ.

किसी के होंठों का अहसास मुझे मेरे होंठों पर हुआ.
कोई मेरे लंड को उसके लंड से रगड़ रहा था.

मैंने आंखें खोलीं तो अवि मेरे नंगे बदन से खेल रहा था.
वह मेरे होंठों को चूम रहा था.

मैंने अवि की आंखों में देखते हुए अपनी जीभ मुँह से बाहर निकाली.
अवि ने मेरी जीभ को दांतों से पकड़ कर उसके मुँह में खींच लिया और वह मेरी जीभ को चूसने लगा.

हम दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को बांहों में भरकर उस बड़े से बेड पर लोट लगाने लगे.

तभी बेडरूम के दरवाजा की तरफ देख कर मैं जोर से बोला ‘रूप!’
अवि तुरंत मुझ पर से उठा और उसने बेडरूम के दरवाजे की तरफ देखा.

अवि बुरी तरह घबरा गया था.
उसके रंग उड़ चुके थे.

मुझे अहसास हुआ कि ये मजाक तो कुछ ज्यादा ही हो गया.

मैंने उससे कहा- रिलेक्स यार और सॉरी … पर तुम इतना क्यों डर गए? रुको मैं तुम्हारे लिए पानी लाता हूँ.
‘नहीं, मैं ठीक हूँ.’

‘यार इतना डरते हो तो फिर ऐसा क्यों करते हो?’
‘सुहास, मुझे मैच्योर बहुत पसंद हैं. उनके साथ मुझे पूरी संतुष्टि मिलती है. इसलिए ही तो मुझे आपके साथ करने में मजा आता है, पर वह मेरी जान है. उसके साथ इतने साल से हूँ कि वह मेरी जरूरत बन चुका है. उसके बिना मैं जी भी न पाऊंगा और उसको खोने के ख्याल से ही मेरी जान निकल जाती है.’

‘ओके, चलो उठो और प्लीज मुझे माफ करना यार.’
‘ओके कोई बात नहीं है जानेमन.’

वह मुस्कुराते हुए बोला और फिर से मेरे जिस्म पर चढ़कर मेरे होंठों को चूमने लगा.

फिर 5 मिनट बाद मैंने उससे कहा- रूप के आने का समय हो गया है. चलो बाहर चलते हैं. मैंने फ्राइड चिकन बनाया है तुम्हारी पसंद का!
वह खुश हो गया और बोला- ये तो रूप को भी बहुत पसंद है.

कोई काम नहीं था मेरे पास.
लिविंग रूम या बाल्कनी में नंगे घूमते हुए समय बिताने की कोशिश कर रहा था.

रूम में नंगे रहना क्या मस्त लगता है, एकदम खुला-खुला.
लंड यदि फड़फड़ाता भी है तो कोई परेशानी नहीं.
कपड़ों में तो लंड कसमसाता है और बहुत मुश्किल भी होती है.

घर पर तो ऐसे रह ही नहीं सकते.
बच्चे, पेरेंट्स सभी तो होते हैं.

बेडरूम में बीवी के साथ करने के बाद तो सुबह तक नंगे ही रहता हूँ.
तब कितना अच्छा लगता है.

पर यहां तो हर समय, पूरे नंगे रहना बहुत सुखद लगता है.

परन्तु फूल के साथ जिस तरह कांटे होते हैं, उसी तरह दो-दो कामदेव जैसे मर्द होने के बाद भी मेरी रातें काली हो रही थीं.

डिनर वगैरह होने के बाद बहुत सारा समय निकल गया था.
कोई रस ही नहीं मिल रहा था.

फिर वही … रात के 12 बज रहे थे.

कल के जैसे आज भी रात के बारह बजे थे और मेरे भी.
मैं उठ कर बाल्कनी में चला गया.

थोड़ी देर ठंडी हवा में खड़ा था तो अच्छा लगा.
फिर अन्दर आकर सोफे पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा. पर नींद नहीं आ रही थी.

काफी कोशिश की सोने की, पर नींद आंखों से कोसों दूर थी.

सोफे से उठकर वापस बाल्कनी में चला गया.

गर्म नंगे जिस्म पर ठंडी हवा लगी, तो कुछ अच्छा महसूस होने लगा था.
लंड तनतनाया हुआ था तो ठंडी हवा से थोड़ा सुकून मिला.

अपने ख्यालों में खोया शहर को देख रहा था.

तभी किसी के खराशने की आवाज़ आई.
वही था जो मेरे मन में बेचैनी और उत्तेजना दोनों बढ़ा देता है और जिसे देखकर मेरा लंड फड़फड़ा उठता है.

अवि के साथ तो मैं कई बार कर चुका था तो यदि वह हसीन मर्द मेरे सामने नंगा भी रहता तो भी चल जाता, इतनी तकलीफ नहीं होती.

पर रूप के साथ तो कभी कुछ नहीं किया और यदि वह मेरे सामने इस तरह नंगे जिस्म के साथ आएगा तो मेरा लंड तो फड़फड़ाएगा ही.

ऊपर से इतना हसीन मर्द … चिकना बेदाग कठोर जिस्म, गोल-गोल गांड … देखकर ही इतना पागल हो जाता हूँ कि मन करता है उसे इतना चोदूँ, इतना चोदूँ कि मेरा लंड ही खड़ा न हो.

‘तुम सोते नहीं हो क्या?’
‘तुम भी तो जाग रहे हो!’

‘हम्मम …’ उसने कुछ जवाब नहीं दिया.

रूप लिविंग रूम के दरवाजे के वहां खड़ा था.
बाल्कनी का फर्श, लिविंग रूम के फर्श से एक इंच ऊपर था.

तो जब रूप बाल्कनी में आने लगा, तो रूप को बाल्कनी के उठे हुए फर्श से ठोकर लगी और वह लड़खड़ा गया.
रूप गिरता, उससे पहले ही मैंने रूप को अपनी बांहों में संभाल लिया.

मेरी नंगी छाती, उसकी नंगी छाती से चिपक गई.

फिल्मी सीन की तरह की मस्त और गर्म कर देने वाला सीन था.
उफ़् …
दोनों नंगे मर्दों के ऊपर के बदन, एक-दूसरे से चिपके हुये थे.

ठंडी हवा से गर्म जिस्म की तपिश आग जैसी लग रही थी.

अन्दर की आग तो फड़फड़ाते लंड की हुंकार से साफ झलक रही थी.
इस बार तो रूप का लंड भी फड़फड़ा गया.

रात के अन्धेरे में इतनी मदहोशी होती है कि आदमी आसानी से मदहोश हो जाता है.

मैंने उसे सीधा खड़ा किया और अपने अरमानों पर पत्थर रख कर उसे खड़ा करके छोड़ दिया.

उसने संभलकर खड़े होने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया पर पैर के अंगूठे में ज्यादा दर्द होने से वह फिर लड़खड़ाया.

इस बार तो मैं उसके सामने सीधा ही खड़ा था तो वह सीधा मेरे ऊपर आ गया.

मैंने उसे अपनी बांहों में थाम लिया और वह कहीं गिर न जाए इसलिए उसने भी मुझे उसकी बांहों में पकड़ लिया.

इस बार हमारे गर्म जिस्म एकदम से पूरे चिपक चुके थे, छाती से लेकर लंड तक.

अब तो नामर्द का भी खुद पर कंट्रोल नहीं रहता. हमारे लंड और अरमान तो पहले से ही मचले हुए थे.
मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया.

हम दोनों की ये कसावट बढ़ती ही जा रही थी.

दोस्तो, रूप के साथ गे सेक्स कहानी में आगे क्या हुआ, वह अगली कड़ी में लिखूँगा.
आप बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
[email protected]

कहानी का अगला भाग:

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