हॉट स्कूल टीचर सेक्स सम्बन्ध की कहानी में मैंने अपने दोस्त की अध्यापिका पत्नी के साथ सेक्स किया। उसने खुद से ही पहल करके सेक्स संबंधों को बढ़ावा दिया था.
दोस्तो, मैं एक बार फिर हाजिर हूँ अपनी एक नई सच्ची कहानी लेकर। ज्यादातर मेरे पाठक मुझे जानते ही होंगे। मैं समीर, उम्र 35 साल उत्तराखंड के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ। कद काठी में बहुत ज़्यादा लम्बा नहीं हूँ। मगर अभी भी क्रिकेट, जॉगिंग करने के कारण मोटा नहीं हुआ हूँ। यूँ कहें नीचे से ऊपर बराबर हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानी
मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स
पढ़ी होगी।
यह हॉट स्कूल टीचर सेक्स कहानी उसके बाद की है।
मैंने अपना बिज़नेस स्टार्ट किया था और उसे बढ़ाने में लगा हुआ था। उसी साल घर वालों ने मेरी शादी करवा दी।
मेरी बीवी एक पढ़ी लिखी औरत थी लेकिन एक घरेलू लड़की थी।
हम दोनों में सही से पटरी बैठ रही थी। हम दोनों अपनी सेक्स लाइफ से खुश थे।
मुझे बस एक परेशानी थी कि उसे सेक्स बहुत अधिक पसंद नहीं था।
हफ्ते में एक या दो बार मुश्किल से ही हो पाता था।
मैंने भी ये सोच लिया था कि जब मैं पहले ही इतना सेक्स कर चुका हूँ तो शायद अब मेरी किस्मत में इतना ही सेक्स लिखा है।
मेरी बीवी से मुझे दो बच्चे हुए एक बेटा और एक बेटी।
कुल मिलकर ठीक ठाक लाइफ चल रही थी।
एक दिन मैं अपने ऑफिस में अकेला बैठा था कि मेरा एक बचपन का दोस्त एक लड़की के साथ आ गया।
मैंने जब उस लड़की को देखा तो देखता ही रह गया।
ठीक वैसी जैसे आजकल कि पोर्न मूवीज में दुबली पतली लड़कियां होती हैं।
मतलब एकदम झकास माल।
दोस्त ने बताया कि यह उसकी बीवी है।
मुझे पहले तो बहुत गुस्सा आया कि साले ने बिना बताए शादी कर ली।
लेकिन जब उसने मजबूरी बताई तो मैं शांत हो गया।
मैंने पूछा- फिर आज मेरी कैसे याद आ गई?
तो बोला- मीरा (दोस्त की बीवी का नाम) कह रही थी कि मेरा कोई दोस्त नहीं है। मीरा उसे ताना मार रही थी कि तुमसे कोई रखता नहीं है। ना ही कोई तुम्हारा दोस्त है। इसलिए मैं तुमसे मिलवाने ले आया।
मेरा दोस्त लोगों से कम ही रखता था।
उसने अपनी पत्नी को किसी से मिलवाया नहीं था।
पहले तो मैं मज़ाक में हँस कर बोला- तुझ जैसे बेवकूफ आदमी को इतनी अच्छी और पढ़ी लिखी लड़की कैसे मिल गई?
वे दोनों हँसने लगे।
मेरी इस बात पर मीरा की मुस्कुराहट कुछ अलग ही थी।
मैंने दोस्त की बहुत तारीफ की।
उसके परिवार की तो इतनी तारीफ की कि मीरा भी हैरान थी।
मेरा दोस्त भी बहुत खुश हुआ मेरे मुंह से ऐसा सुनकर!
मैंने अपनी बेटे का एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करा दिया।
मैं उसे खुद छोड़ने जाया करता था।
एक दिन मुझे स्कूल में मीरा दिख गई।
मगर बहुत दिन होने के कारण मैंने पहचाना नहीं।
हाँ मुझे लगा ऐसा कि मैंने इसे कहीं देखा है।
फिर एक दिन वह मुझे फिर स्कूल में मिली।
उसने मुझे पहचान लिया था।
वह बोली- आप धवन के दोस्त हो?
जैसे ही उसने धवन का नाम लिया, मैंने उसे पहचान लिया।
मैंने हाय हेलो किया और पूछा- इधर कैसे?
तो उसने बोला कि वह इधर पढ़ाती है।
अब मेरी उससे रोजाना मुलाकात होने लगी।
मैं भी थोड़ी बहुत देर उससे बातें कर लेता।
पता नहीं क्यूँ मुझे लगता था कि ये मुझे लिफ्ट दे रही है।
मैंने अपने बेटे की ट्यूशन एक टीचर से लगा रखी थी।
एक दिन मीरा मुझसे बोली- मैंने भी ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है। अगर बेटे की ट्यूशन लगानी हो तो मुझे बता देना।
तो मैंने भी सोचा स्कूल टीचर है, तो यही सही रहेगी।
मैंने उसकी ट्यूशन लगवा दी।
अब मुझे उसके घर बेटे को छोड़ने जाना पड़ता।
वह भी जब मैं बेटे को लेने जाता तो वह बाहर गेट तक आती, मुझसे बेटे के सम्बन्ध में बातें करती।
एक दिन उसने मुझसे बोला- क्या आप मुझे ट्यूशन के एडवांस पैसे दे देंगे?
उसने मुझसे दो महीने के एडवांस पैसे मांगे तो मैंने ये सोचकर दे दिए कि ज़रूरत होगी।
तब से उसे ज़रूरत पड़ती तो वह मुझसे एडवांस पैसे मांग लेती।
ऐसे ही चलता रहा कोई बात नहीं बनी।
एक दिन मीरा ने मुझे फोन किया- क्या आप मुझे मेरे मायके तक अपनी कार से छोड़ सकते हैं?
मैंने हाँ बोल दिया।
सोचा कि उसके साथ घर से कोई जा रहा होगा उसके बच्चों के साथ।
जब मैं उसे लेने उसके घर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया कि वह अकेली जा रही है।
ऊपर से उसने कपड़े भी कयामत ढहाने वाले पहन रखे हैं।
मेरा लण्ड तो उछाल मारने लगा।
उसके मायके के रास्ते में मायके से पहले एक और शहर पड़ता था।
उसने बोला- आप मुझे छोड़ने जा रहे हैं तो कम से कम मैं आपको एक कॉफी तो पिला ही सकती हूँ।
वह बोली- चलो कॉफी पीते हैं।
मैं कुछ नहीं बोला।
वह मुझे एक बड़े प्लाज़ा में एक कॉफी शॉप में ले गई।
वहां हमने कॉफी पी।
बिल मैंने दिया।
उसने मना भी किया- मैं दे रही हूँ ना!
मगर मैंने मना कर दिया।
वह बोली- इसका थैंक्यू गिफ्ट तो आपको देना पड़ेगा।
मैं बोला- कैसे?
वह बोली- कार में चल कर बताती हूँ।
वहां कार पार्किंग बेसमेंट में थी।
जब हम कार में बैठे तो उसने मेरे गाल पर किस किया और थैंक यू बोला।
मेरी तो हालत खराब थी।
मैं बोला- यह गिफ्ट तो आपका हुआ, मुझे क्या मिला?
वह बोली- आपको क्या चाहिए?
मैंने बोला- यही किस मैं करूँगा।
वह बोली- ठीक है।
मैंने उसके गाल पर किस किया और बोला- एक किस और मेरे गाल पर!
वह मेरे गाल पर बिना बताए किस करने ही वाली थी कि लाइट चली गई।
मैंने एकदम देखने के लिए मुंह घुमाया तो उसके होंठ मेरे होंठों से टकरा गए, हमारे लब एक दूसरे से मिल गए।
उसने झट से अपना मुंह हटाया, बोली- गलत जगह हो गया।
मैं बोला- लगा कैसा?
मीरा बोली- अच्छा था।
मैंने इतना सुनते ही उसे पकड़ लिया और किसिंग करने लगा।
मेरा हाथ उसके बूब्स पर थे। मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था और किस कर रहा था।
इतने में लाइट आ गई और हम एक दूसरे से अलग हो कर सामान्य हो गए।
मैंने कार स्टार्ट की और हम उसके मायके चल दिए।
रास्ते में जहाँ भी सड़क खाली मिलती, हम किसिंग करते।
मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया।
उसने हल्के से मेरे पैंट की चेन खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी।
मैं बोला- मुंह में लो ना!
पहले तो उसने मना किया मगर मेरी रिक्वेस्ट पर उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
बड़ी अलग ही फीलिंग थी।
इधर कार चल रही थी दूसरी तरफ वह मेरा लौड़ा चूस रही थी।
वह अपने मुंह को आगे पीछे करती, कभी मेरी गोलियां चूसती।
मेरा मज़ा चरम पर था।
जब मैं झड़ने को हुआ तो मैं बोला- कपड़ा ले लो, मैं झड़ने वाला हूँ।
उसने कुछ नहीं बोला और चूसती रही।
मैं आह … आह … उफ … हम्म करते करते उसके मुंह में ही झड़ गया।
जिसे उसने खिड़की से थूक दिया।
मैं बोला- तुम बहुत हॉट और सेक्सी हो। मैं तुम्हें बिस्तर पर देखना चाहता हूँ कि तुम कितनी हॉट हो।
वह बोली- मैं भी आपको देखना चाहती हूँ कि आपमें कितना दम है।
मैं बोला- दम कभी देखा नहीं?
तो मीरा बोली- नहीं, अभी तक तो नहीं देखा।
मैंने चौंक कर पूछा- धवन में क्या दम नहीं है?
धवन के नाम पर वह रोने लगी- उससे तो मुझे आज तक संतुष्टि ही नहीं मिला। आपका दोस्त महा ढीला आदमी है। अंदर करते ही ढेर हो जाता है। मुझे प्यासा छोड़ देता है। सेक्स भी महीने में एक आध बार करता है। मेरा भी दिल है मेरी भी इच्छाएं हैं।
मैंने उसे चुप कराया और बोला- मौका निकालो। मैं तुम्हें प्यार दूँगा। मेरा लण्ड तुम्हें संतुष्टि देगा।
तब मैंने उसे उसके घर गेट पर छोड़ दिया।
उसने मुझे अंदर आने को भी बोला मगर मेरा दिल नहीं किया। मैं उसे किस करके लौट आया।
एक दिन धवन का फोन आया कि उसकी मम्मी की तबियत खराब है तो उन्हें डॉक्टर के पास लेकर चलना है।
मैं अपनी कार लेकर पहुँच गया।
आंटी को डॉक्टर को दिखाया।
डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर लिया।
मीरा उनके पास रुकी, धवन घर आ गया।
बच्चों को उसने एक रिश्तेदार के घर पहुंचा दिया।
धवन की मौसी धवन की मम्मी को देखने आयी तो मीरा अपने घर आ गई।
उसे रात में रुकने के लिए फिर हॉस्पिटल जाना था।
शाम को धवन मीरा को लेकर मेरे पास आया- तू मीरा को लेकर हॉस्पिटल चला जा। मैं घर पर ही रुकूंगा। घर पर कोई है नहीं इसलिए अकेला नहीं छोड़ सकता।
मैंने अंदर आने को बोला मगर वह मीरा को छोड़ कर वापिस चला गया।
उसे पता नहीं था कि मेरे घर पर मेरी बीवी नहीं है।
मीरा अंदर आयी.
उसने पूछा- भाभी कहाँ हैं।
मैं बोला- मायके गई हैं।
उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
मैंने गैलरी में ही उसे बांहों में उठा लिया और बैडरूम में ले आया।
उसने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था।
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर आ गया।
कब हम दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक गए पता ही नहीं चला।
हम दोनों काफी समय तक किसिंग करते रहे।
मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू किया तो उसकी सिसकारियां निकलने लगीं।
तब मैंने उसकी साड़ी खोल दी और ब्लाउज के बटन खोल दिए।
पेटीकोट का नाड़ा खोलकर मैंने मीरा का पेटीकोट भी उतार दिया।
अब वह सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी।
मेरे सामने अडल्ट फिल्म की हीरोइन थी जो चुदने को तैयार थी।
हाथ बढ़ा कर मैंने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए।
मैंने अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए।
मेरा लण्ड तन कर सलामी दे रहा था।
लण्ड खड़ा देख वह घुटनों के बल बैठ गई और मैं बेड पर ही खड़ा हो गया।
उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
मैं तो सातवें आसमान पर था।
मैंने उसे लिटाया और हम 69 की पोजीशन में आ गए।
उसकी चूत को मैंने अपने मुंह में ले लिया और उसकी चूत चाटने लगा।
अब उसकी आवाजें निकल रही थी- इस्स … उम्म … आह … हम्म … समीर … आह … मु आह!
उसका शरीर अकड़ने लगा और वह झड़ गई।
अब उसने अपने मुंह की स्पीड बड़ा कर लण्ड अंदर बाहर लेना शुरू किया।
मैंने भी सारा गाढ़ा माल उसके मुंह में निकाल दिया।
हम दोनों सीधे होकर लेट गए।
मेरा हाथ उसकी चूत पर था और होंठ उसके होंठों पर।
उसका भी एक हाथ मेरे लण्ड पर था।
वह धीरे धीरे मेरा लण्ड सहला रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था।
थोड़ी देर में ही मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया।
वह भी मुझे अभी ऊपर खींचने लगी।
मैं ऊपर आ गया और बारी बारी से उसके दूध चूसने लगा।
उसे चुदने कि बहुत जल्दी थी।
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और चूत के छेद पर लगा दिया।
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लण्ड एक ही झटके में उसकी चूत में उतार दिया।
वह एकदम चीख पड़ी।
काफी दिन में चुदने के कारण उसकी चूत टाइट थी।
मुझे भी ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं कोई कुंवारी चूत चोद रहा हूँ।
थोड़ी देर मैं रुका और उसे सेट होने दिया।
तब तक मैंने उसके दूध को चूसना शुरू कर दिया।
जब वह कुछ रिलैक्स हुई तो मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिए।
वह भी मेरा साथ दे रही थी और चिल्ला रही थी- समीर आह … मेरी जान … चोदो मुझे! कब से नज़र थी तुम पर … आह … आज मिले हो! हाँ … हाय मेरी जान … जान निकाल दो मेरी! समीर मेरे बाबू … तुम्हारा लण्ड बहुत सॉलिड है मेरी जान! आह … आह … आह … हम्म … उई माँ … ये क्या कर दिया तुमने! हिस्स … चोदो … और ज़ोर से चोदो!
उसकी चीखें सुनकर मैंने धकाधक धक्के लगाना शुरू कर दिए।
मैं लण्ड पूरा बाहर निकलता और एक झटके में पूरा चूत में घुसा देता।
एक एक धक्के ने उसे हिला कर रख दिया।
पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ गूँज रही थी।
मैंने अपने धक्कों में कोई कमी नहीं आने दी।
उसका शरीर अकड़ने लगा।
वह बोली- समीर मैं आ रही हूँ! आह … आह … आह … उफ!
कहती कहती वह झड़ गई।
मगर मेरा नहीं हुआ था और मैं धक्के मारे जा रहा था।
अब उससे सहन करना मुश्किल हो रहा था। वह अब मना करने लगी और कहने लगी- थोड़ा रुक जाओ।
मगर मैं नहीं रुका।
उसकी आँखों से आंसू आने लगे तो मुझे तरस आ गया।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अपना सारा वीर्य उसकी चूत में ही निकाल दिया।
अब उसे आराम मिला।
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे.
मैंने लण्ड उसकी चूत में ही रहने दिया।
हम तब तक उसी तरह लेटे रहे जब तक लण्ड खुद चूत से बाहर नहीं आ गया।
थोड़ी देर किसिंग करने के बाद मैं उसे हॉस्पिटल छोड़ आया।
बाद में जब भी हमें मौका मिला, हॉट स्कूल टीचर सेक्स का मजा हमने जम कर मज़ा किया।
एक बार मैंने उसे उसके स्कूल में भी चोदा।
मैंने उसकी हर एंगल से चुदाई की उसे भी मेरी चुदाई का चस्का लग गया।
वह मुझसे चुदने को बेताब रहती है।
दोस्तो, आपको मेरी हॉट स्कूल टीचर सेक्स कहानी अच्छी लगी होगी. कमेंट करना ना भूलें।
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धन्यवाद
आपका समीर
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