दो से बेहतर चार- 1 (College Friend Xxx Kahani)

कॉलेज फ्रेंड Xxx कहानी दो सहेलियों की है. कॉलेज हॉस्टल में दोनों खूब गर्मागर्म मस्ती करती रही पर किसी लड़के का लंड नहीं लिया. फिर वे शादी के बाद मिली तो …

दोस्तो, कैसे हैं आप सब? लॉकडाउन के बाद ज़िंदगी वापिस रफ्तार पर आने की तैयारी में है।
आप लोगों को मेरी कहानियाँ पसंद आती हैं, ये आपसे मिलते मेल्स से मालूम पड़ता है।

मेरी पिछली कहानी थी:
योग के बहाने भोग तक का सफर

आज की कॉलेज फ्रेंड Xxx कहानी कई मोड़ों से गुजरती कामरस से डूबी कविता जैसी है।

ये कहानी है शिखा और दीपा की जो बचपन की सहेलियाँ थीं और ग्रेजुएशन में दोनों एक हॉस्टल में रहीं।
बस वहीं से इनका बिगड़ना शुरू हुआ।

पैसे की कोई कमी थी नहीं, तो फिर दिल्ली की हॉस्टल में बिगड़ने में क्या देर लगती है।
वो तो गनीमत थी की दोनों गर्ल्स हॉस्टल में थीं जहां की मेट्रन बहुत सख्त थी, पर कमरे के अंदर की खुराफ़ातों में मेट्रन क्या करती।

शिखा ज्यादा बिगड़ी थी, उसी ने दीपा को भी अपने रंग में कर लिया।
दोनों सिगरेट और बीयर दबा कर लेतीं।

शिखा ने किसी सहेली से जुगाड़ करके दोनों साइड वाला डिल्डो भी ले रखा था। रोज रात को पॉर्न देखना और उंगली या डिल्डो से अपनी अपनी चूतों का पानी निकाल कर ही सोतीं।
हाँ … दोनों ने अपने आप को लड़कों से दूर रखा था।
वो शिखा की मम्मी ने उसे अपने सिर की कसम देकर ही हॉस्टल भेजा था की वो लड़कों से दूर रहेगी।

और इस बात को शिखा और दीपा ने निभाया भी।
दोनों चाहती थीं की शादी के बाद उनके पतियों को अनछुई चूत मिले।

दीपा और शिखा ने एक चीज़ जो पॉर्न मूवी से सीखी, वो था फ्रेंच किस!
दोनों एक दूसरे को बहुत गहराई से चूमतीं, एक दूसरे के होंठों को जीभ से चुभला कर खुद गर्म हो जातीं।

दीपा के मम्मे शिखा के मुक़ाबले ज्यादा बड़े थे, वो भी शायद इसलिए की हॉस्टल की शायद ही कोई रात ऐसी गुजरी हो जिसमें शिखा ने दीपा के मम्मे मसले न हों।

उधर शिखा की चूत में खुजली दीपा से ज्यादा होती थी तो वाइब्रेटर के अलावा दीपा अपनी जीभ से शिखा की चूत का पानी निकालती।
इस तरह से दीपा चुसाई में परफेक्ट हो गयी थी।

शिखा हंस कर कहती थी- तेरा पति तो तेरी चुसाई का मुरीद हो जाएगा।
दीपा भी हंस कर कहती- हम तो बस 69 ही किया करेंगे क्योंकि बिना मम्मे चुसवाए मुझे नींद नहीं आएगी और बिना लंड चुसवाए उसे नींद नहीं आएगी।

शिखा बोलती- मेरी शादी के बाद कभी कभी तू आ जाया करना मेरे मियां का लंड चूसने, बदले में मैं तेरे मम्मे चुसवा दिया करूंगी उससे!
दीपा हंस कर कहती- तू सिर्फ मम्मे चुसवाएगी तो चूत की खुजली मिटाने क्या मैं अपने पति को बुलाऊंगी, वो भी तेरे मियां से ही चुदवा कर ही मिटवाउंगी।

दोनों ने आपस में ये तय किया था कि दोनों ही अपने-अपने पतियों से मौका मिलने पर दूसरी को भी चुदवाएंगी।
चाहे चारों एक साथ न करें, पर हाँ दोनों लड़कियां थ्रीसम जरूर करेंगी।

ऐसे ही समय पंख लगाकर उड़ चला और दोनों की शादी भी हो गयी।
दीपा की शादी जयपुर और शिखा की लखनऊ में हो गयी।

शिखा के पति का नाम मनीष, दीपा के पति का नाम अनिल था।
मनीष और अनिल दोनों ही हाई प्रोफ़ाइल नौकरी में थे और अकेले रहते थे।

शिखा और दीपा की फोन पर बातें रोज ही होतीं और घूम फिर कर सेक्स का जिक्र जरूर आ जाता।

और क्यों न आता … शिखा को मनीष तो वैसा ही मिला था जैसी वो खुद थी; खूब स्मार्ट और रंगीन।
दोनों ही जम कर मस्ती करते और सपनों की दुनिया में उड़ते। शिखा और मनीष दो सालों में ही दो तीन ट्रिप विदेश के मार आए।

शिखा और मनीष ने जितनी मस्ती थाईलेंड में की उतनी ही दीपा और अनिल ने सिंगापुर और बाद में क्रूज़ पर की।

जैसा शिखा ने कहा था, अनिल दीपा के मम्मों का दीवाना था और दीपा ने उसका लंड चूस चूस कर उसको ऐसा कर दिया था कि जब भी उनको मौका मिलता अनिल दीपा के मम्मे दबा देता।

शिखा और दीपा दोनों को ही फ्रेंच किस में महारत हासिल था तो एक बारगी तो मनीष भी भौंचक्का रह गया कि शिखा इतना बढ़िया किस सीखी कैसे?
तो शिखा ने उसे समझा दिया कि तुम्हारे होंठ हैं ही इतने रसीले कि मुझे प्यार आ ही जाता है।

ऐसे ही दीपा ने अनिल को चूत चूसने में माहिर बना दिया था। वो हर समय अपनी चूत को चिकनी और महकती हुई रखती।
वो तो बस बिस्तर में आते ही पहले अनिल का लंड चूसती फिर पेर फैला कर लेट जाती और अनिल का सिर खींच कर अपनी चूत में कर लेती।

दीपा अक्सर अपनी चूत में कभी चॉकलेट, कभी शहद, कभी कुछ मीठा लगा कर बेड पर आती तो अनिल का चूसने का मजा दोगुना हो जाता।

अनिल की चुदाई कम समय की … पर दमदार होती।
वो झड़ने में ज्यादा समय तो नहीं लगाता पर उतनी ही देर में दीपा का अंग अंग चुदाई के रस में डूब जाता और वो तृप्त होकर बेल की तरह चिपट जाती अनिल से!

उसकी फेंटसी थी कि दीपा मुंह से उसका लंड खाली कर दे।
दीपा को अच्छा तो नहीं लगा पहली बार … पर पति की खातिर उसने चूसकर अनिल के लंड की पिचकारी अपने मुंह में ले ली।

धीरे धीरे उसे अच्छा लगने लगा। अब तो पीरिअड्स के दिनों में या तो अनिल मूठ मारकर उसके मम्मों पर निकालता या फिर दीपा उसे जीभ से झाड़ देती।

दीपा पॉर्न देख देख कर मूठ मारना भी सीख गयी। वो हाथ में क्रीम लगा कर अनिल का लंड ऐसे झाड़ती कि अनिल की सीत्कारें निकल जातीं।

उधर मनीष के सपने बहुत रंगीन होते।
वो और शिखा खूब पॉर्न देखते और रोमांच करते।

मनीष कितनी बार शिखा को गाड़ी में ही नंगी कर देता और शिखा भी उसका लंड चूस लेती।
वो दोनों सेक्स के समय खूब पॉर्न मूवी की खूब बातें भी कर लेते।

उन्हें थ्रीसम सेक्स का भी बहुत रोमांच था, पर न तो कभी मौका मिला न ही हिम्मत पड़ी।

हाँ शिखा ने दीपा को फोन पर ये जरूर कह दिया था कि मेरा वाला तो थ्रीसम के लिए तरस रहा है, आ जा तो तेरी चूत की गर्मी ठंडी करवा देती हूँ।
बात हंसी तक ही सीमित रही।

शिखा मनीष की चुदाई लंबी होती, जिसमें फोरप्ले को भरपूर समय मिलता। शिखा हर मुद्रा में चुदाई करती।
होते होते शिखा ने उसको ये इशारा भी दे दिया था कि उसके हॉस्टल में लगभग सभी लड़कियां लेसबियन थीं।

कभी कभी मनीष ने दीपा के बारे में कुरेदना चाहा तो शिखा टाल गयी।

मनीष और अनिल दोनों ही सिगरेट पीते थे तो लड़कियों को भी उनके साथ सुट्टा मारने को या उनकी व्हिस्की में से सिप मारने को मिल जाता।
बीयर और सिगरेट तो आज मॉडर्न कल्चर में आम बात हो गयी है।

अनिल की कंपनी का हेड ऑफिस दुबई में था। साल में एक दो दिन के लिए अनिल को वहाँ जाना होता था। एक बार तो वो दीपा को भी घूमा लाया था।

इस बार कुछ ट्रेनिंग का शैड्यूल आ गया हेड ऑफिस से तो अनिल को 4-5 दिन के लिए जाना था।
दीपा ने दो-तीन दिन अपने मायके और एक दिन शिखा के पास जाने का प्रोग्राम बना लिया।

अनिल के जाने के बाद दीपा अपने मायके रही और फिर लखनऊ की शताब्दी में बैठ लखनऊ पहुँच गयी।

शिखा और दीपा बहुत रोमांचित थीं; दोनों दो साल बाद मिल रही थीं।

दीपा ने मनीष को केवल शादी पर देखा था या व्हात्सप्प कॉल में।

जब दीपा ने स्टेशन पर ही पूछा कि मनीष कहाँ है।
तो शिखा बोली- तेरे से डर कर दिल्ली भाग गया है, रात तक आ जाएगा।

शिखा खुद ही गाड़ी लेकर आई थी तो दोनों लखनऊ घूमती हुई लंच लेकर दोपहर बाद तक शिखा के फ्लेट पर पहुंची।

फ्लेट के अंदर आते ही दीपा ने शिखा को भींच लिया और दोनों के होंठ मिल गए।
दोनों ऐसे एक दूसरे को भींचे हुई थीं जैसे कोई प्रेमी प्रेमिका।

दीपा की तो आँखें भर आयीं थीं; वो बोली- कमीनी दो साल में तुझे याद भी नहीं आई।
शिखा मस्त मौला थी, बोली- जब भी तेरी याद आती … मैं मनीष के निप्पल चूस लेती और उससे अपनी चूत चुसवा लेती. पर जो मजा तेरे मम्मे चूसने का है और तुझसे चूत चुसवाने का है वो कहाँ!
दोनों हंस पड़ीं।

लखनऊ की गर्मी विकट थी, दीपा बोली कि पहले तो नहाऊँगी।
शिखा ने उसे वाशरूम बताया।

दीपा ने उससे कहा कि तू भी आ जा, आज पुरानी याद ताजा कर लेते हैं, देखते हैं छेद कितना चौड़ा किया हमारे चोदुओं ने!
कहकर दीपा तो घुस गयी और शावर खोल दिया।

इतने में ही शिखा भी कपड़े उतार कर आ गयी।

अब तो उसके मम्मे भी मनीष ने फुला दिये थे और दीपा के तो पहले से भी फूल गए थे।
दोनों शावर के नीचे खड़े होकर एक दूसरे के मम्मे मसलने लगीं।

दीपा ने तो शिखा को नीचे बिठाया- पहले मेरी चूत चूस, आग लगी है इसमें!
शिखा ने नीचे बैठकर दीपा की चूत में जीभ कर दी.

दोनों को ऐसी मस्ती दो साल बाद करने को मिली थी।
शिखा मेजबानी का फर्ज़ निभा कर दीपा को पूरे मजे दे रही थी।

उसने दीपा के मम्मों से अपने मम्मे खूब दबा कर रगड़े और दीपा के मम्मे चूस-चूस कर लाल कर दिये।
ऊपर से पानी की बूंदें और नीचे चूत से निकलती आग … वो जितना बुझातीं, आग और भड़क जाती।
शिखा बोली- चल बेड पर मस्ती करेंगे।

दोनों फटाफट बाहर निकलीं और बदन पौंछ कर बेड पर जा पहुँचीं।

शिखा फ्रिज से दो बीयर निकाल लायी।

ऐसी से रूम ठंडा हो रहा था। शिखा ने बीयर खोल कर दीपा को दी। दोनों ने एक दो सिप मारे और फिर बेड पर बैठ गईं।

दीपा ने अपने होंठ फिर शिखा के होंठों से भिड़ा दिये।
नंगे जिस्म और चूत की भड़कती चुदास ने उन्हें बेकाबू कर दिया था।

शिखा ने दीपा की चूत में उंगली कर दी और मसलने लगी।
दीपा लेट गयी।

शिखा ने अपने मम्मे उसके मुंह में दे दिये और अपनी उँगलियों से दीपा की चूत मसलने लगी।
अब शिखा की चूत भी जल रही थी तो वो 69 हो गयी और दीपा के ऊपर लेट गयी।

दोनों की चूतों में एक दूसरे की जीभें थीं।

एक दूसरे को जम कर भोगने के बाद शिखा अलग हुई और दोनों बीयर पीनें लगीं।
दोनों बहुत खुश थीं। बहुत दिनों बाद आज मस्ती का मौका मिला था।

शिखा ने दीपा को आँख मारकर कहा- आज रात मनीष से चुदवाएगी?
दीपा बोली- नहीं यार, ये सब बेकार की बात है, क्या फायदा … मनीष गलत राय बना लेगा और कहीं हमारी दोस्ती पर आंच न आ जाये।
शिखा बोली- नहीं यार, मनीष पूरा कमीना है, वो बुरा वुरा नहीं मानेगा और मजे भी पूरे देगा। पूरी रात चोदेगा, फिर भी नहीं थकेगा।

दीपा नहीं मानी, वो बोली- अभी नहीं … बाद में देखा जाएगा। कभी अनिल भी आएगा तो चारों करेंगे।
शिखा पक्की कमीनी थी, बोली- एक काम कर … जब मैं कभी तेरे पास आऊँ तो अनिल के साथ मैं बलात्कार करूंगी। मुझे उसकी या तेरी परमीशन नहीं चाहिए।

अब दोनों को भूख भी लग आई थी, शिखा ने पकोड़े बनाए और दोनों तैयार होकर हजरतगंज घूमने निकल लीं।

रात को मनीष को भी आना था तो यह तय हुआ कि मनीष को स्टेशन से लेकर डिनर करते हुए ही घर आएंगे।

शिखा ने जींस और बहुत टाइट शॉर्ट टॉप पहना और दीपा ने लॉन्ग फ्रॉक।
दोनों बिल्कुल कॉलेज गर्ल्स लग रही थीं।

गाड़ी में बैठ सिगरेट के छल्ले उड़ाते दोनों हजरतगंज पहुंची।
शिखा और दीपा दोनों ने ही कॉपर टी लगवा रखी थी, फिर भी शिखा ने दीपा से पूछ ही लिया- कोंडोम तो नहीं लेने?
दीपा हंस कर बोली- कमीनी, कंडोम लगाकर क्या मनीष अनिल की गांड मारेगा?

दीपा बोली- जिस हिसाब से उसकी चुदाई होती है अगर वो कंडोम पर खर्चा करे तो लाखों रुपए तो अब तक कंडोम में ही खर्च हो जाते।

विंडो शॉपिंग करते करते ट्रेन का टाइम हो गया।
शिखा ने गाड़ी सीधे चारबाग स्टेशन पर लगाई और दीपा से कहा- तू गाड़ी में बैठ मैं मनीष को लेकर आती हूँ।

थोड़ी देर में ही मनीष को लेकर शिखा आ गयी।

दीपा मनीष के गले लग गयी और अच्छे से अपने मम्मे उसकी छाती में गड़ा दिये।
मनीष भी पक्का कमीना था। उसने दीपा के गालों पर किस कर लिया।

सभी हँसते हुए गाड़ी में बैठ गए।

मनीष गाड़ी चला रहा था, दीपा आगे बैठी और शिखा को पीछे बैठा दिया।

शिखा हँसते हुए बोली- मनीष, भूल मत जाना कि तुम्हारी बीवी पीछे बैठी है और तुम कभी भूल से उसकी फ्रॉक उठा दो।
मनीष हँसते हुए बोला- कोई बात नहीं, साली भी तो घरवाली होती है।

दीपा ने उसे सुधारा- पूरी नहीं … आधी घरवाली।
मनीष बोला- चलो आधी ही सही! ऊपर नीचे से बाँट लो या आगे पीछे से, जैसा तुमको अच्छा लगे।

दीपा शर्मा कर लाल हो गयी।
मनीष ने उसके गालों पर चिकोटी काट ली।

तभी मनीष ने गाड़ी रेस्तरां पर लगायी।
डिनर पर भी मनीष और दोनों लड़कियों की छेड़खानी चलती रही और दीपा से मनीष के बीच की लिहाज़ भी खत्म हो गयी।

वापस घर लौटते समय गाड़ी में अब नॉन वेज जोक्स भी आ गए थे।

घर आते आते 10 बज गए।

तो मित्रो, आपको इस कॉलेज फ्रेंड Xxx कहानी में रस मिल रहा है ना?
[email protected]

कॉलेज फ्रेंड Xxx कहानी का अगला भाग: दो से बेहतर चार- 2

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