निरंकुश वासना की दौड़- 1 (Free Xxx Desire Story)

फ्री Xxx डिजायर स्टोरी में पति ने अपनी पत्नी को अपनी यौनेच्छायें पूरी करने की अनुमति दी तो बदले में पत्नी ने भी अपने पति के लिए एक नयी चूत का इंतजाम किया.

अन्तर्वासना के सभी कामुक पाठकों को माधुरी सिंह ‘मदहोश’ का कामुकता भरा नमस्कार।
अधिकांश पाठकों के आग्रह पर मैं अपनी एक नई कहानी ले कर प्रस्तुत हुई हूं.

मुझे उम्मीद है आपको मेरी यह फ्री Xxx डिजायर स्टोरी भी, मेरी पिछली कहानियों की तरह पसंद आयेगी और मैं आप की आशाओं पर खरी उतरूंगी।

आप सबको मेरी एक कहानी
यह आग कब बुझेगी
याद होगी जिसमें मेरी सहेली नीलम एक विवाह समारोह में पुष्कर जाती है और वहां एक कम उम्र गैर मर्द से चुदवा कर पहली बार नए लंड का मजा लेती है।

उसके बाद परिस्थितिवश लेकिन स्वेच्छा से वह अपने जीजा और अपने ननदोई से भी चुदवा के उन दोनों को खुश करती है।

मेरी वही सहेली नीलम कुछ ही दिन हुए मुझे फिर से मिली.
तो मैंने सहज जिज्ञासा वश उससे पूछा- कई महीने हो गए तुझसे मिले हुए, इतने महीनों में फिर तेरे साथ कोई बताने लायक घटना घटी क्या?
वह पहले तो झेंप गई पर उसके बाद बोली- क्या बताऊं यार, पुष्कर में मेरी चूत की बोहनी इतनी अच्छी हुई थी कि उसके बाद एक बार फिर से मुझे तीन तीन नए लंड मिले।

मुझे लगा कि अन्तर्वासना के पाठकों के लिए फिर से एक सैक्सी कहानी का मसाला मिलने वाला है.
इसलिए मैंने पूछा- अच्छा जरा बता तो सही कि इस बार मेरी बन्नो क्या नए गुल खिला के आई है?

तो रसिक पाठको, प्रस्तुत है नीलम की कहानी उसी के शब्दों में!

वह कहने लगी- यार मधु, तुझे पता ही है कि ननदोई से चुदने के बाद जब मेरे पति ने मुझे चोदना चाहा तो मैंने उन्हें चोदने से रोक दिया था. और तब मैंने उनको पिछले दो दिनों में में तीन गैर मर्दों से हुई, मेरी चुदाई की दास्तान सुनाई थी।
मैंने कहा- हां, तो?

वह कहने लगी- तब उनको बहुत आश्चर्य हुआ कि शादी के 15 साल बाद मेरी चूत नए लंड के लिए ऐसी मचली और संयोगवश मुझे अचानक तीन नए लंड का मजा भी मिल गया। फिर तुझे पता ही है कि जब मैंने उन्हें चूत नहीं दी तो उन्होंने किस तरह जोश में आकर जबरन मेरी गांड मारी थी।
मैंने कहा- हां, आगे बोल!

वह बताने लगी:

तीन दिनों तक पति और तीन गैर मर्दों के लंड के मजे लेकर मेरी सारी वासना एकदम शांत हो चुकी थी।
कुछ दिन के लिए तो मैं बिल्कुल सामान्य, शरीफ महिला बन गई थी.
यहां तक कि 10 दिनों तक पति से चुदवाने की इच्छा भी नहीं हुई.

लेकिन फिर मेरे शरीर में पुनः वासना सुलगने, भड़कने लगी और उसके बाद मुझे नए लंड की याद आने लगी; मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरी चूत को फिर किसी नए मर्द का लंड चाहिए।

सुनील अपना पति धर्म निभाता रहा, मुझे चोदता रहा, मैं भी पति सेवा करती रही, चुदवाती रही लेकिन मुझे बिल्कुल संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी.

ऐसा नहीं था कि पति ठीक से नहीं चोद रहा था या मुझे नहीं झड़ा पा रहा था लेकिन मुझे नए लंड का खून मुंह लग गया था।

नए लंड का मजा बिल्कुल अलग ही होता है. इस कारण पति से चुदाई में कहीं ना कहीं कमी महसूस होने लगी थी।
पति के साथ अब पहले जैसा मजा नहीं आ रहा था।

मेरी निगाह हमेशा ऐसे मर्द को ढूंढती रहती थी जो मेरी चूत को रगड़ के, मेरे को फिर वही मज़ा दे सके, जो मेरे पहले पराए मर्द जीतू ने या मेरे जीजा ने या फिर मेरे ननदोई ने दिया था।

तीन गैर मर्दों से चुदवाने के बाद मुझे यह एहसास भी हुआ कि मेरे जैसी कितनी औरतें होंगी जो कई कई वर्षों तक केवल पति से चुदवाने के बाद, किसी पराए मर्द से चुदवा पाती होंगी?

और कई तो ऐसी भी होंगी, जिन्होंने पूरी जिंदगी केवल एक ही लंड से चूत चुदवाई होगी।
उन्हें गैर मर्द के साथ चुदाई में जो सनसनी मिलती है, नए लंड का जो स्वाद, पूरे शरीर में रोमांचित करता है, उस सुख से वे वंचित रह जाती होंगी।

मुझे तो कई बार यह भी लगता है कि हर औरत को कम से कम एक बार उस विलक्षण आनन्द को जरूर प्राप्त करना चाहिए, जो पराए मर्द की बाहों में, उसके नीचे दब कर, अपनी चूत में उसके नए लंड को ले कर मिलता है।

इसी सिलसिले में एक बात और; एक बार जब नए लंड का मजा ले लिया जाए तो उसके बाद बहुत कम औरतें ऐसी होगी कि जो बाद में और नए नए मर्द के साथ चुदवाने की लालसा को नियंत्रित कर पाती होंगी बल्कि उनका जिस्म, उनका दिल, उनका दिमाग, बार-बार उन्हें विवश करता होगा कि वे और किसी गैर मर्द के साथ चुदाई करें … नहीं तो उनकी तबियत में हमेशा एक बेचैनी सी बनी रहती होगी।

मैंने अपने पतिदेव को मेरी कामुक हसरत से अवगत कराया- बहुत दिन हो गए यार, अब मुझे फिर से नये लंड की तलब लगने लगी है।
तुझे तो पता ही है, मेरा सुनील कितना खुले दिमाग और बड़े मन का है, वह मेरी बात सुनकर उत्तेजित हो गया।

उसने अपने लंड को सहलाते और मेरी कामुकता को स्वीकार करते हुए मुझसे पूछा- बता, क्या इच्छा है तेरी?
तो मैंने उसे बताया- कहीं बाहर चलते हैं और पहले की तरह दो-तीन नए लंड लेकर वापस आते हैं।

मेरे पति ने पूछा- कहां चलेंगे?
इस पर मैंने सुझाव दिया- हम गोवा चलते हैं, कामुकता के लिए सबसे बेहतरीन जगह है गोवा, जहां पहुंच कर कोई भी शरीफ मर्द या औरत एक नए संसार से परिचित होते हैं। गोवा के वातावरण में नशा भरा हुआ है। वहां जाकर आपके शरीर के रोम रोम में वासना जाग जाती है और आपका पोर पोर उस मस्ती को पाना चाहता है, जिस को पाने के लिए कुदरत ने हमें मानव जीवन दिया है।

भारत में बहुत से संत महात्मा इंद्रिय नियंत्रण के बारे में प्रवचन देते हैं।
कोई उनसे पूछे कि भगवान ने जब यह रचना बनाई, आंख, नाक, कान, जुबान के साथ स्तन, चूत और लंड किस लिए दिये हैं?

अगर इन पर नियंत्रण ही रखना था तो भगवान ही कुछ ऐसी व्यवस्था करता कि औरत और मर्द की किसी और के साथ चुदाई की इच्छा ही नहीं होती। एक ही के साथ उसको हर बार पहली बार की तरह ही आनन्द मिलता, वही सनसनी, वही सुख हर बार मिलता।
कितना भी समय बीत जाए, एक ही लंड और एक ही चूत से ऊब कभी नहीं होती।
प्रश्न यह है कि इच्छाओं का दमन और इंद्रिय नियंत्रण भगवान के काम और उसकी व्यवस्था का प्रतिरोध नहीं है?

भगवान ने हर जानवर का एक सीजन बनाया है, जब वह संसर्ग करके बच्चों को जन्म देता है. केवल इंसान को ही यह वरदान क्यों मिला कि वह जब चाहे इस नैसर्गिक मगर स्वर्गिक सुख का आनन्द ले सके और इस सुख को बनाए रखने तथा बढ़ाते रहने के लिए उसे, हर तरह के उपाय ढूंढने की बुद्धि भी दी।

मेरे द्वारा गोवा का सुझाव देने पर मेरे पति ने कहा- पिछली बार तो स्साली तू केवल मजे करके आई थी, तेरी गर्म चूत ने तीन तीन नए लंड निगल लिए थे पर इस बार मुझे भी नई चूत चाहिए चोदने को!
मैंने प्रत्युत्तर में कहा- जरूर मिलेगी, तुम्हारे लिए भी इस बार नई चूत का इंतजाम करेंगे!

सुनील को आश्वासन देने के बाद मेरा कामुक दिमाग इस ओर दौड़ने लगा।

मुझे ध्यान आया कि सुनील का एक मित्र निखिल मुंबई में रहता है.
पहले उस मित्र के बारे में मैं यह बता दूं कि एक बार मेरे पति और वह मित्र ट्रेन में सफर कर रहे थे. मैं अपने पति के दाहिनी ओर बैठी थी, वह बायीं ओर था. लेकिन उसने पति के कंधों के ऊपर से हाथ ले जाकर बहुत कोशिश की थी कि मेरे बायें स्तन को छू सके।

मैं उस समय बहुत भोली थी, मुझे कुछ अजीब सा तो लगा था पर मैंने उसे अपनी गलतफहमी मानकर ध्यान नहीं दिया था और न ही पति से कभी इस घटना का जिक्र किया था.
लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी थीं, मैं हर मर्द की हरकत के साथ साथ उसकी नजर को भी पहचानने लगी थी कि किसकी आंखों से वासना टपक रही है, कौन सम्मान की नजर से देख रहा है और कौन इस नजर से देख रहा है कि मौका मिलते ही चोद डालो साली को।

मैंने निश्चय किया कि वह मित्र सबसे आसान शिकार हो सकता है।
पहले उसी का लंड लेकर उस पर उपकार करती हूं और फिर संभव हुआ तो सुनील को उसकी पत्नी संध्या की चूत दिलवा के हिसाब बराबर करती हूं।

यह विचार आते ही मैंने सुनील को मुंबई में निखिल के यहां रुकते हुए, गोवा जाने के लिए तैयार किया।

हम निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मुंबई पहुंचे.
वहां उसकी खूबसूरत पत्नी संध्या ने दिल खोलकर हमारा स्वागत किया।

इस बार मैं बारीकी से निखिल की आंखों को पढ़ रही थी और उस की एक-एक हरकत को गौर से देख रही थी।

इतिहास अपने को दोहरा रहा था.
निखिल मौका मिलते ही किसी न किसी बहाने मुझे छूने की कोशिश कर रहा था। सट के खड़े होने की, समीप बैठने की, कोई चीज देते हुए हाथों को छूने की, हर तरह से वह स्पर्श सुख की तलाश में था।

मैं स्पष्ट अनुभव कर रही थी कि नए चेहरे और नई देह ने निखिल की सुप्त पड़ी वासना को जागृत कर दिया था।

इस बार मैंने उसकी हरकतों को अनदेखा नहीं किया बल्कि उसकी ओर आमंत्रित करती हुई अपनी मादक मुस्कान फेंकी।
मेरा हिंट पाते ही उसका भी दिमाग दौड़ने लगा और वह ऐसी स्थितियां पैदा करने लगा कि जब वह मुझसे अकेले में बात कर सके या वासना के पथ पर कुछ आगे बढ़ सके।

मैंने संध्या के साथ भी अंतरंगता स्थापित करने की ठानी और आते जाते उस के साथ, कुछ ना कुछ छेड़छाड़ करने लगी।
संध्या से रहा नहीं गया।
वह पूछ बैठी- यार नीलम, बड़ी मस्ती के मूड में रहती हो, क्या बात है?

तो मैंने कहा- मेरी जान, वह इसलिए क्योंकि मेरी जवानी अभी उफान पर है।
वह चौंक गई, कहने लगी- 40 ऊपर की उम्र में और शादी के 15 साल के बाद, जवानी और उमंग बचती है क्या? हमारी जिंदगी तो जैसे नीरस हो गई है यार, कोई एक्साइटमेंट नहीं, कोई सनसनी नहीं बस एकरसता से भरी मेरी ज़िंदगी जैसे घिसट रही है।

फिर उसने पूछा- तुम बताओ, ऐसा क्या करते हो तुम दोनों, जो दोनों एक दूसरे के साथ इतने खुश हो, मेरी गुरु बन के मुझे भी कोई ज्ञान दे दो यार, मैं भी चाहती हूं कि जीवन में फिर से रस भर जाए, मस्ती छा जाए!

मुझे लगा कि मेरी योजना सफल हो सकती है क्योंकि संध्या अपनी एकनिष्ठ होने की जकड़न से मुक्त होना चाहती है, वह तथाकथित पतिव्रत धर्म पर कमजोर पड़ चुकी है और नए आनन्द की तलाश में है।

यह सोचकर मैंने हिम्मत बटोरी और धड़कते दिल से उसे मेरी पुष्कर वाली कामुक गाथा, पूरे विस्तार के साथ और गर्म मसाला लगा के सुना दी।
मैं देख रही थी कि सुनते-सुनते उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थीं और बार-बार उसका हाथ अपनी चूत पर जा रहा था, जिसको दबा दबा कर वह अपनी सुलगी हुई वासना को दबाने का असफल प्रयास कर रही थी।

मैंने समझ लिया कि वह झड़ने को बेताब है.
अतः उपयुक्त अवसर जानते हुए मैंने एक दुस्साहस किया और उसको अपनी और खींचते हुए बाहों में ले लिया और उसके नर्म, नाजुक, रसीले होठों पर, अपने गर्म, शहद भरे होंठ रख दिए।
हम दोनों एक दूसरी के होठों का रस चूसने लगी।

फिर मैं अपने दाहिने हाथ से उसके बाएं स्तन को सहलाने, दबाने लगी।
उसकी वासना और भड़की, उसने अपने टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए जिससे मेरा हाथ अंदर जा सके।

मैंने भी उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके दोनों बूब्स को एक-एक करके मसलने लगी।

उसने अपने आप को वासना के दरिया में बहने के लिए खुला छोड़ दिया और भावावेश में स्कर्ट के नीचे से, अपनी पैंटी उतार दी और मेरा हाथ जबरन अपनी पानी छोड़ती हुई चूत पर ले गई।

मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत के रस में भिगोई और उसे, उसकी झांटें साफ करी हुई चिकनी चूत तथा भगांकुर पर फिराने लगी।
उसका शरीर उत्तेजना के मारे थिरक रहा था।

फिर मैं अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाल के अंदर बाहर करने लगी।

उसने बड़बड़ाते हुए कहा- नीलम, दो उंगली डालो, दो उंगली डालो!
मैंने अपनी दोनों बीच वाली उंगलियां उसकी चूत में डाली और रगड़ने लगी।

वह इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि 2 मिनट में उसका पूरा शरीर अकड़ने के बाद में ढीला पड़ गया।

मेरे पति के दोस्त की गर्म बीवी संध्या पहली बार एक कामुक औरत के साथ लेस्बियन सैक्स करती हुई झड़ी थी।
झड़ने के बाद वह मेरी बाहों में, निस्तेज होकर पड़ी हुई अपनी सांसों को सामान्य करने लगी।

कुछ देर बाद वह होश में आई, अपने कपड़े ठीक किए, मेरी ओर देख के मुस्कुराई फिर उसने बातों का सिलसिला पुनः शुरू करते हुए पूछा- तुम यह बताओ …
इससे पहले वह कुछ कहती, मैंने उसके होठों पर उंगली रख दी और कहा- अब तो कम से कम हमारे बीच कोई दूरी नहीं होनी चाहिए इसलिए ‘नीलम तुम’ नहीं ‘नीलू तू’ करके बोल!

मेरी बात से सहमत होते हुए उसने पूछा- अच्छा यार नीलू, शादी के 15 वर्ष बाद आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके कारण तूने न केवल तीन-तीन गैर मर्दों से चुदवाया बल्कि सुनील को भी मना लिया?

इस पर मैंने संध्या को कहा- तू जानना ही चाहती है तो सुन … होता यह है कि शादी के बाद 5 साल का पीरियड तो हनीमून पीरियड होता है, जब पति-पत्नी दोनों एक दूसरे की देह का जम कर दोहन करते हैं. दिन हो या रात, मौका मिलते ही चुदाई का आनन्द उठाते हैं।
पलक झपकते ये 5 साल बीत जाते हैं.

उसके बाद अगले 5 साल फिर सेक्स रूटीन की तरह हो जाता है, जैसे दोनों समय भूख लगने पर व्यक्ति खाना खाता है, वैसे शरीर की मांग के अनुसार चुदाई चलती है. लेकिन उसमें रोमांस, जोश और एक दूसरे को संतुष्ट करने की भावना शनैः शनैः कम होने लगती है।

10 साल के बाद तो एक स्थिति ऐसी आती है कि जब मर्द का लंड खड़ा भी होता है तो उसको अपनी बीवी को चोदने की इच्छा नहीं होती, कई बार तो वह मुठ मार के डिस्चार्ज करना अधिक पसंद करता है और यही हाल स्त्री का होता है कि जब वह हस्तमैथुन या नकली पेनिस यानी डिल्डो के जरिए अपनी काम इच्छा को शांत करती है।

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यही वह समय होता है जब पर पुरुष या पर स्त्री की जरूर बहुत अधिक महसूस होती है।
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ 10 साल बाद मुझे नए लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी. पर मैंने जैसे-तैसे 5 साल और निकाले. उसके बाद तो मुझ से रहा नहीं गया और मौका हाथ लगने पर मैंने उस लड़के को पटाया और पति की सहमति से उसके पास चुदने चली गई. बाकी तो कहानी मैंने तुझे सुना ही दी है।

वह बोली- नीलू, रियली यू आर ग्रेट!

प्रिय पाठको, मुझे विश्वास है कि आपको लेस्बियन सैक्स युक्त कहानी का यह भाग पसंद आया होगा।

कहानी के अगले भाग में देखिए कि अनुभवी नीलम कैसे संध्या की नए लंड की हसरत पूरी करती है।
फ्री Xxx डिजायर स्टोरी पर अपने विचार एवं सुझाव मुझे भेज सकते हैं.
केवल हाय हेलो, चैट या मिलने की इच्छा वाली मेल का मैं जवाब नहीं दूंगी।
[email protected]

फ्री Xxx डिजायर स्टोरी का अगला भाग: निरंकुश वासना की दौड़- 2

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