मेरा पति तेरा पति … तू मेरे पति से चुदवा ले … मैंने तेरे पति के लंड का मजा लूंगी. पति के दोस्त की बीवी को सेक्स का मजा देने के लिए मैंने यह खेल खेला.
कहानी के दूसरे भाग
पराये लंड का प्रथम अनुभव
में अब तक आपने पढ़ा कि नीलम नए लंड की तलब मिटाने अपने पति के साथ उसके मित्र निखिल के यहां मुंबई जाती है।
जहां उसकी पत्नी संध्या को, उत्तेजना के विशेष क्षणों में, लेस्बियन सैक्स द्वारा झड़ाती है।
उसके बाद नीलम उसे ‘हसबैंड स्वैपिंग’ के लिए मनाती है, इसके साथ ही उसको योजना बना कर अपने पति सुनील के नये लंड से चुदाई का आनन्द दिलवाती है।
अब आगे मेरा पति तेरा पति:
जब निखिल और मैं मॉर्निंग वॉक से लौटे तब हम दोनों ने देखा कि सुनील अपने कमरे में और संध्या अपने कमरे में सो रहे थे।
मैंने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं कि संध्या की फिर से आंख लग गई हो या डर के मारे संध्या कहीं सुनील के पास ना जा सकी हो और मेरी योजना असफल हो गई हो।
निखिल को तो मेरी इस सुनील-संध्या की चुदाई योजना के बारे में कुछ पता नहीं था।
वह तो दोपहर में मुझे चोदने की कल्पना में मगन, किचन में जाकर सबके लिए चाय बनाने लगा।
मैं शंकित मन से संध्या के कमरे में पहुंची।
संध्या आंखें मींचे पहले गैर मर्द के लंड से प्राप्त आनन्द में डूबी हुई थी।
मैंने उसके पैर के अंगूठे को पकड़ के हिलाया.
संध्या चौंक कर उठी और भावविभोर हो कर मुझ को कसके गले लगा लिया।
मैं समझ गई कि संध्या सुनील के नये लंड से चुदने का अपने जीवन का पहला अनुभव ले चुकी है।
मैंने खुश होते हुए संध्या की पीठ थपथपाई और कहा- शाबाश संध्या, अब देख तेरे जीवन में कितना आनन्द, कितना रस भरने वाला है।
उसके बाद मैंने फिर पूछा- अच्छा संध्या, यह तो बता कि सुनील को पता चला क्या कि वह मुझे नहीं, तुझे चोद रहा है?
संध्या ने मुस्कुराते हुए कहा- नहीं, मैंने पता नहीं चलने दिया। शुरू में ही उसने पूछा कि आज सुबह-सुबह नई जगह चुदने का मन हो गया क्या? तो मैं जवाब देने के बजाय उसका लंड चूसने लगी। उसके बाद तो उसने मेरी जबरदस्त चुदाई की और मुझे तृप्त करने के बाद ही स्वयं झड़ा और मेरी चूत को वीर्यामृत से भर दिया।
इस बार मैंने संध्या को अपनी बाहों में कसते हुए सुनील के लंड से महकते हुए उसके होठों पर एक प्रगाढ़ चुंबन अंकित कर दिया।
इतने में निखिल की आवाज आई।
वह बोला- चाय टेबल पर लग चुकी है, दोनों देवियां कृपा कर पधारें।
मैं समझ गई कि निखिल अब मस्ती के मूड में आ गया है।
संध्या ने पूछा भी- तुमने आगे की योजना बना ली क्या?
मैंने कहा- हां, तू निश्चिंत रह! अब निखिल को यदि पता भी चल गया कि तू सुनील से चुद चुकी है, तब भी वह नाराज नहीं होगा। चल चाय पीते हैं।
हम दोनों कामातुर औरतें कमरे से बाहर आईं।
टेबल पर मीठे नमकीन बिस्कुट और चाय सजी हुई थी।
हल्की-फुल्की बातों के बीच चारों चाय पीने लगे।
इतने में सुनील ने मुझ को इशारा किया कि आगे की प्लानिंग के बारे में बात छेड़ो।
मैंने सहमति में सिर हिलाया और बात की शुरुआत की।
मैंने पूछा- ‘दि वैक्सीन वार’ फिल्म किस किस को देखनी है?
संध्या ने हाथ उठाते हुए कहा- मुझे!
सुनील ने मेरी ओर जिज्ञासा भरी नजरों से देखा।
मैंने सुनील को आंख मार दी, सुनील समझ गया कि मैंने अपने लिए निखिल के लंड का जुगाड़ कर लिया है।
सुनील ने कहा- मुझे भी!
अब मैंने निखिल से पूछा- निखिल तुम्हारा क्या विचार है?
निखिल का जवाब तो पहले से ही निश्चित था, उसने कहा- नहीं यार, मैं नहीं जाऊंगा। मुझे फिल्म देखने का शौक नहीं है, तुम लोग जाओ, मैं यहीं रेस्ट करूंगा।
मैंने कहा- मैं भी नहीं जाऊंगी क्योंकि यह फिल्म मेरी देखी हुई है। मैं यहीं निखिल को कंपनी दूंगी।
संध्या मेरा पति तेरा पति योजना से प्रफुल्लित होकर मुग्ध भाव से मेरे को निहार रही थी।
मौका मिलते ही संध्या ने मुझ से कहा- यार नीलू, तेरा व्यक्तित्व कितना जीवंत है, काम ऊर्जा और मस्ती से भरा हुआ। तेरे अंग प्रत्यंग में वासना लहलहा रही है।
मैंने कहा- अब तू भी ‘ज्योति से ज्वाला’ बनने वाली है।
संध्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
दोपहर में संध्या को सुनील के साथ फिल्म देखने के लिए रवाना करने के बाद मैं और निखिल, कामुकता के प्रभाव में बिस्तर पर पहुंच गए।
निखिल कहने लगा- यार नीलम, एक बात तो बताओ कि क्या तुमने ठान रखा था कि मुंबई में आकर मुझ से चुदवाओगी?
मैंने कहा- हां, क्योंकि मुझे पता था कि तुम कई सालों से मुझे चोदना चाहते हो।
वह झेंप गया और बोला- हां यार, वाकयी में मैं बरसों पहले से तुम्हें चोदना चाहता था. पर अब तो मेरी और संध्या, दोनों की ही इच्छाएं जैसे मर सी गई हैं। वह तो तुमने आकर फिर से ठंडे खून में उबाल ला दिया।
मैंने कहा- श्रीमान, सैक्स की इच्छा कभी खत्म नहीं होती है, केवल दिमाग को नए सिग्नल भेजने की जरूरत है, फिर से तुम्हारे शरीर में करंट दौड़ना शुरू हो सकता है।
उसने कहा- हां यार, सही कह रही हो। अब आज ही देख लो तुमको चोदने के लिए मेरा लंड अपने आप तैयार हो रहा है वरना संध्या और मेरे को चुदाई करे, कई बार एक-एक महीना निकल जाता है। मुझे पता नहीं था कि तुम्हारे शरीर में इतनी कामुकता भरी हुई है।
इस पर मैंने फिर उसके दिमाग के जाले साफ करते हुए कहा:
यह भी मर्दों को बहुत बड़ी गलतफहमी है, हर मर्द यही सोचता है कि प्रकृति ने उसको विशेष कामुकता से नवाजा है।
जबकि उसे पता होना चाहिए कि हर मर्द और हर औरत को प्रकृति ने जीवन के अद्भुत आनन्द के लिए पूर्णतः एक जैसा तैयार करके भेजा है।
अब यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह कैसे इस आनन्द को बनाए रखने के लिए दिमाग को नए नए संकेत भेज कर दिमाग को सक्रिय रखता है जिससे वह पूरे शरीर को काम ऊर्जा से भर सके।
मर्दों को एक और गलतफहमी होती है कि प्रकृति ने औरत को केवल उनके कामसुख के लिए बनाया है।
कई मर्दों को तो पता भी नहीं होता कि जैसे मर्द स्खलन का आनन्द लेते हैं, वैसे ही औरतें भी ऑर्गेज्म का लुत्फ लेती हैं।
जो मजा मर्द को चुदाई से उनके लंड के फड़कने पर मिलता है, वही मजा औरत को भी चुद के अपनी चूत के फड़कने पर मिलता है।
अब यह बात और है कि कई बार मर्द अपनी मर्दानगी के अहंकार में औरत की इस प्राकृतिक जरूरत पर ध्यान नहीं देता और फटाफट अपना काम निपटा कर उतर जाते हैं।
इसीलिए एक अनुमान के मुताबिक 50% से अधिक महिलाओं को अपनी पूरी जिंदगी में पति से चुद के कभी ऑर्गेज्म नहीं मिल पाता और वे यह मान लेती हैं कि चुदाई ऐसी ही होती है या फिर वे यह मान लेती हैं कि यही उनकी नीयति है।
लेकिन प्रकृति अपना काम करती है, वह ऐसी औरतों में बेचैनी भर देती है, उन्हें चिड़चिड़ा कर देती है। ऑर्गेज्म के लिए फिर वे हस्तमैथुन या फिर किसी अन्य मर्द का सहारा लेती हैं।
जिन कुछ खुश किस्मत औरतों को ऑर्गेज्म का सुख मिलता है, उनको भी हर चुदाई में यह सुख नसीब नहीं होता; सौ बार चुदवाने पर मुश्किल से 5 -10 बार ही चरमसुख मिल पाता है जबकि मर्द को कुदरत ने आसानी से चरमसुख पाने का अधिकार दिया है।
संध्या मुझको बता चुकी थी कि निखिल के लंड में अब ज्यादा दम नहीं बचा है इसलिए मैंने निखिल से पूछा- क्यों क्या इरादा है? अपने पास तीन घंटे हैं, कितनी बार चोद सकते हो?
इस पर निखिल ने कहा- कितनी बार का क्या मतलब है? दूसरी बार खड़ा होना भी बहुत मुश्किल है. तुम तो यह मान कर चलो कि मेरे से एक बार ही चुदाई हो पाएगी।
मैंने कहा- यार, कैसी बातें कर रहे हो? आज तुमको वह नई चूत चोदने को मिल रही है, जिसे चोदने की ख्वाहिश तुम्हें बरसों से थी, उसके बाद भी केवल एक बार चोदोगे?
तो उसने कहा- यार, मुझे लगता नहीं है कि दूसरी बार खड़ा होगा।
मैंने कहा- वह तुम मुझ पर छोड़ दो!
फिर मैंने निखिल से पूछा- तुम्हारा स्टैमिना कैसा है?
उसने कहा- 5 से लेकर 10 मिनट तक ही चोद पाता हूं।
मैं समझ गई कि केवल इसके लंड से चुद के झड़ना संभव नहीं है इसलिए मैंने उसे नीचे धकेल कर अपनी चूत उसके सामने कर दी।
यह गनीमत थी कि उसे ओरल से परहेज नहीं था।
अतः उसने मेरी चूत के रस का स्वाद लेना शुरू किया और अपनी जुबान से मेरी चूत को तरंगित करने लगा.
मुश्किल से 10 मिनट लगे होंगे और मेरा शरीर अकड़ने लग गया।
मेरी सारी काम ऊर्जा चूत पर केंद्रित हो गई और मेरी चूत, पराए मर्द की जुबान से प्राप्त सनसनी से फड़कने लगी।
जैसे ही मेरी चूत को ऑर्गेज्म मिलना प्रारंभ हुआ, मैंने उसे तुरंत ऊपर खींच लिया और उसको कहा- जल्दी मेरी चूत में लंड डाल के चोदना शुरू करो और रुकना मत! जितने धक्के लगा सकते हो लगाओ!
उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला और लगातार धक्के लगाना शुरू कर दिए।
वह तो पहले से ही उफना हुआ तो था ही, इसलिए खुद चाह रहा था कि ऐसा कुछ हो जाए कि उसे जल्दी ही मेरी चूत में स्खलित होने का आनन्द मिल सके।
कुछ ही धक्कों के बाद में उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा.
पर मैंने उसको फिर चेताया- देखो, रुकना मत!
और वह लंड के नर्म पड़ने तक धक्के लगाता रहा।
उसने 15 – 20 धक्के और लगाए होंगे उसके बाद वह निढाल होकर मुझ पर गिर गया।
मैंने अपने इस उपाय से अपनी पहली हसबैंड स्वैपिंग वाली चुदाई में, मल्टीपल ऑर्गेज्म का आनन्द ले लिया था और वह भी तब, जब चोदने वाले मर्द से ठहरा नहीं जा रहा हो, ऐसे में मेरे लिए यह एक उपलब्धि थी।
तब मैंने घड़ी देखी.
अभी तो केवल 30 मिनट ही हुए थे.
यानि हमारे पास अभी काम से कम 2.30 घंटे का समय बाकी था।
हम दोनों चुदाई के बाद शरीर और दिमाग को मिली राहत का आनन्द लेते रहे और पता नहीं कब हमारी आंख लग गई।
करीब डेढ़ घंटे बाद हम दोनों की नींद खुली।
मैं उठी, मैंने हम दोनों के लिए चाय बनाई, थोड़ा सा नाश्ता लगाया.
उसके बाद चाय पीते हुए बातचीत होने लगी।
मैंने पूछा- कैसा लगा बरसों पुरानी हसरत पूरी करके?
निखिल ने कहा- कई सालों बाद यह आनन्द मिला है,. वरना 5 मिनट के अंदर अपना काम करके मैं तो सो जाता हूं. और वह भी महीने में एक या दो बार!
तो मैंने उसे लताड़ा- तुमने कभी सोचा है कि संध्या को कैसा लगता होगा?
उसने कहा- अरे यार औरतों का क्या है? एक उम्र के बाद में उनकी रुचि खत्म हो जाती है।
मैंने कहा- तुम स्वार्थी हो, औरतों की रुचि खत्म नहीं होती है, मर्द की तरह औरत को भी एक ही एक चेहरे से ऊब हो जाती है। जिस तरह से मर्द हमेशा नई चूत की तलाश में रहता है, उसी प्रकार औरत को भी नयापन चाहिए होता है लेकिन औरत सामाजिक बंधनों में बंधी होती है, बदनामी का डर उसको अधिक सताता है।
इसी कारण ‘उसकी वासना की आग पर इच्छाओं के दमन की रख जम जाती है।’
इस पर निखिल कहने लगा- अरे यार. मैंने तो इस तरह कभी सोचा ही नहीं था।
अभी सुनील और संध्या के आने में एक घंटा बाकी था।
मैंने उसे कहा- चलो तैयार हो जाओ अगले युद्ध के लिए!
निखिल उठकर मेरे साथ बेडरूम में आ गया.
हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे.
उसका लंड तो एकदम नर्म पड़ा हुआ, लटक रहा था।
मैंने उसके लंड को चूसना शुरू किया और 10 मिनट की विशेष मेहनत के बाद उसके लंड में जान आना शुरू हुई और उसका लंड धीरे-धीरे मूंगफली से केला बनने लगा।
जब लंड पूरी तरह कड़क हो गया तो इस बार उसने मुझे घोड़ी बनाया, लंड पर तेल लगाया और खड़े-खड़े चोदना शुरू किया।
उसने कहा- नीलम, आज कितने सालों बाद इस तरीके से और एक ही दिन में दूसरी बार चुदाई कर रहा हूं। तुमने इतनी अच्छे तरीके से मेरा लंड चूसा कि मूड बन गया और लंड तन गया।
निखिल एक बार झड़ चुका था इसलिए इस बार उसकी उत्तेजना नियंत्रण में थी।
वह कहने लगा- आज एक बात सिद्ध हो गई कि मर्द को एक और गलतफहमी होती है कि औरत की गांड मारने में सबसे अधिक मजा आता है क्योंकि कसी हुई गांड की रिंग लंड के चारों ओर से जकड़ के, रगड़ों के अद्भुत आनन्द देती है लेकिन यदि औरत के पास रसीले होंठ हों और लंड चूसने में निपुण जुबान हो तो ओरल से अधिक आनन्द किसी भी कामक्रीड़ा में नहीं मिल सकता।
थोड़ी देर कुतिया की तरह चुदवाने के बाद मैं चित लेट गई और मैंने निखिल को अपने ऊपर आने के लिए कहा।
मर्द के पूरे जिस्म का मजा मिशनरी पोजीशन में ही आता है।
निखिल चूंकि एक बार झड़ चुका था इसलिए अब उसमें ठहराव आ चुका था और वह रुक रुक के रगड़े लगाने लगा।
मेरे को पता था कि इस बार शायद मेरी चूत को चरम सुख नहीं मिल पाए लेकिन नए लंड से चुदने की सुखानुभुति तो मिल ही रही थी। निखिल बारी बारी मेरे दोनों स्तनों को चूसता हुआ, रुक रुक कर धक्के लगा रहा था।
मर्द को भी अधिकांशतः मिशनरी पोजीशन इसलिए पसंद आती है क्योंकि उसके सामने औरत का चेहरा, उसके होंठ और उसके स्तन उसे अतिरिक्त सुख प्रदान करते हैं।
मेरे को इस पोजीशन में चुदवाते हुए करीब 15 मिनट हो गए थे।
मेरी चूत बार-बार चरमसुख के किनारे पहुंच कर रुक जाती थी क्योंकि निखिल अभी स्खलित होना नहीं चाहता था।
मर्द को अधिक देर तक चुदाई करने पर ही मर्दानगी का सच्चा अनुभव होता है।
किंतु मैं बार-बार ऑर्गेज्म के नजदीक पहुंचने के कारण बेचैन हो रही थी.
और अब मैंने ठान लिया था कि इस बार भी मुझे झड़ना ही है।
इसलिए मैंने उसे कहा- यार, अब कस के रगड़ दे, शायद मैं फिर से झड़ जाऊं।
वह मेरी बात से उत्साह से भर गया क्योंकि कहां तो उसे यह लग रहा था कि वह दूसरी बार चोद ही नहीं पाएगा और कहां वह मेरे को ऑर्गेज्म के नजदीक ले आया था।
उसने दम लगा के लगातार रगड़ना शुरू किया.
अभी मेरी चूत को 4-6 झटके ही और चाहिए थे कि उसका लंड बेकाबू होकर मेरी चूत के अंदर- बाहर वीर्य छिड़कने लगा।
मैंने आवेश में उससे कहा- थोड़ा सा और निखिल … थोड़ा सा और … रुकना मत!
उसका वीर्य और चूत रस में सना हुआ लंड मेरी चूत की संवेदनशील सतह पर रगड़े लगाता रहा.
कुछ ही पलों में मेरी चूत को फिर से जन्नत नसीब हो गई।
‘निखिल मस्त हो गया था, पस्त हो गया था।’
हम दोनों बहुत देर तक अपनी सांसों को संयत करते हुए चरमसुख के इन क्षणों का आनन्द उठाते रहे।
उसके बाद निखिल ने कहा- थैंक यू यार नीलम, आज तो मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है. जब दोपहर में मैंने किसी औरत को न सिर्फ दो बार चोदा है बल्कि दोनों बार झड़ाया भी है। ऐसा तो मैंने शादी के बाद से अभी तक कभी संध्या के साथ भी नहीं किया था।
वासना के विभिन्न आयामों को छूती हुई ये मेरा पति तेरा पति कहानी आप को कैसी लगी?
कहानी पर अपने विचार एवं सुझाव मुझे मेल कर सकते हैं, मैं जवाब अवश्य दूंगी.
अनावश्यक मेल का मैं जवाब नहीं दूंगी।
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