निरंकुश वासना की दौड़- 9 (Xxx Sexual Pleasure Story)

Xxx सेक्सुअल प्लेज़र एक भाभी ने अपनी चूत में दो लंड … वो भी नीग्रो के मोटे लम्बे लंड एक साथ डलवा कर लिया. या एक लंड चूत में और दूसरा गांड में!

कहानी के आठवें भाग
चूत के चीथड़े, गांड का गोदाम
में अब तक आपने पढ़ा कि नीलम और सुनील मुंबई स्थित अपने मित्र निखिल और उसकी उपेक्षित पत्नी संध्या के साथ स्वैपिंग करने के बाद और अधिक आनन्द के अनुभव हेतु संध्या को साथ ले कर गोवा जाते हैं। यात्रा में उत्साह से भरी संध्या रास्ते में, अपनी वासना और जवानी का उन्मुक्त प्रदर्शन करती है। वहां सुनील, संध्या और नीलम दोनों को, अचंभित करते हुए दो नौजवान नीग्रो के लंबे और मोटे लंड से उन्हें चुदवाता है। जब संध्या, नीलम की आंखों के सामने, दोनों नीग्रो के साथ थ्रीसम का आनन्द उठाती है तो उसे देख कर नीलम भी गर्म हो जाती है और दोनों नीग्रो के साथ स्वयं भी थ्रीसम करने की ठानती है।

अब आगे Xxx सेक्सुअल प्लेज़र:

संध्या द्वारा दोनों नीग्रो के साथ थ्रीसम के बाद आनन्द के शिखर को छू लेने की बात पर सुनील संध्या को समझाते हुए कहता है- तुम तो चूत की नाव को, समय के चप्पू के साथ, वासना की नदी में बहने के लिए छोड़ दो, फिर देखो कि जिंदगी में कितने आनन्द के किनारे मिलते हैं।

मैं संध्या के द्वारा एक नीग्रो का लंड चूत में और दूसरे नीग्रो का लंड, गांड में लेने का दृश्य देखने के बाद, वासना की आग में जल रही थी।
अब मुझको भी दो लंड एक साथ लेने थे लेकिन दोनों अपनी चूत में क्योंकि संध्या की गांड का गोदाम बनते हुए मैं देख चुकी थी।

गांड मारने वाले नीग्रो का लंड तो डिस्चार्ज होने के बाद लटक गया था लेकिन दूसरा नीग्रो जो चित लेटा हुआ था, उसका लंड संध्या की चूत में निष्क्रिय पड़ा रहने के कारण, मेरी चूत में घुसने के लिए, अभी भी पूरी तरह से कड़क और तैयार था।

इसलिए अपनी कामवासना के वशीभूत मैंने उसके कड़क लंड को पकड़ा और दूसरे नीग्रो, जो संध्या की गांड में डिस्चार्ज कर चुका था, का वीर्य में सना हुआ, भुने हुए मीट जैसा लंड अपने मुंह में लेकर, भूखी शेरनी की तरह उस पर टूट पड़ी, उसके लंड को पागलों की तरह चूसने लगी।
एक हाथ से उसके आंड सहलाती दूसरे हाथ से उसके लंड को फेंटती.

मेरी कड़ी मेहनत के कारण, 20-22 साल के नीग्रो लौंडे को आखिर कितनी देर लगती?

मेरी दीवानगी को देखकर उस नीग्रो लड़के के लंड में फिर से जान आने लगी.
वह मेरी चूत की सेवा के लिए पुनः तैयार होने लगा और अगले कुछ ही मिनटों में फिर से अपने विशालकाय रूप में आ गया।

जिसको देखकर मेरे ऊपर नीचे दोनों मुंह में पानी आ गया।
इस बार मैंने इस वाले नीग्रो को पलंग पर चित लिटाया और मैंने उसके खड़े लंड पर बैठ के लंड को अपनी भूखी चूत के हवाले कर दिया।

मेरी चूत देखते ही देखते उसको पूरा लील गई।

उसके बाद मैं लेटे हुए नीग्रो के, मोटे-मोटे सिंके पनीर जैसे स्पंजी होठों को चूसने लगी।
उसकी निप्पलों को मसल के, चूस के, काट के उसके शरीर को कामतरंगों से आनन्दित करने लगी।

मैं स्वयं भी उत्तेजना के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी।
अब मेरी चूत दूसरे नीग्रो के लंड के लिए चिल्लाने लगी।

मैंने बदहवास होकर दूसरे नीग्रो को, जो अभी तक अपने वीर्य को निकाल नहीं पाया था, इशारा कर के, आवेश में कहा “Fuck me hard bastard, fuck me hard.”
नीग्रो उठा और पहले से एक मोटा लंड दबाए बैठी मेरी चूत में अपना मोटा लंड दम लगाकर प्रवेश कराने लगा।

जब दूसरा नीग्रो मेरी चूत में दम लगा के लंड घुसेड़ रहा था, मेरे मुंह से चीख निकलने वाली थी, तभी चित लेटे नीग्रो ने मेरे होठों को अपने मोटे मोटे होठों में जकड़ लिया और उनका रस लेने लगा। इसलिए मेरे मुंह से निकलने वाली चीख मेरे मुंह में ही घुट के रह गई।

जैसे ही वह अपना लंड मेरी चूत में पहुंचाने में सफल हो गया वैसे ही अब वह मुझे चोदते हुए मेरी गाली का जवाब गाली से देने लगा। Now see you mother fucker, you sexy bitch, now see my fucking power”.

दो दो मोटे लंड से अपनी चूत फड़वाने के बाद, मेरी आंखें भी फटी हुई थी … और भले ही मेरी चूत का भोसड़ा बन रहा था पर चूत में उल्लास छाया हुआ था।
मैंने भी अपनी जिंदगी में पहली बार दो लंबे और मोटे लंड, अपनी लंड खोर चूत में एक साथ ले लिए थे।

इसके बाद नीचे लेटे नीग्रो ने मेरे दोनों बोबों को मथना शुरू किया, जिससे मेरी उत्तेजना कई गुना बढ़ गई।
एक नीग्रो ने मेरी चूत में अपने लंड की पटरी बिछा दी थी, जिस पर दूसरे नीग्रो के लंड की ट्रेन तेज स्पीड से आ जा रही थी।

मेरी चूत में लंड के रगड़ों से ऊंची ऊंची आनन्द की लहरें उठ रही थीं , चूत की खुजली और उस में धधक रही आग दोनों मिटना शुरू हुई।

मैंने सुनील की ओर देखा तो मन में प्यार उमड़ा.
मेरी आंखों में प्रसन्नता को देख उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई।

मैंने सुनील जैसा पति पाकर आज आपने आप को वास्तव में कृतज्ञ महसूस किया।

कुछ देर लगातार धक्कों के बाद नीग्रो के मुंह से अजीबोगरीब आवाजें निकलने लगीं।
नीचे लेटे नीग्रो का लंड भी लगातार दूसरे लंड की मालिश से उफनने लगा था, जैसे हस्तमैथुन से भी मर्द स्खलित हो जाता है, वैसे ही वह ‘लंड मैथुन’ के जरिए स्खलन की कगार पर था।

मेरी भी चूत झड़ने ही वाली थी।

खड़े होकर चोदने वाले नीग्रो का क्लाइमैक्स भी अब नजदीक था; वह लंबे लंबे रगड़े लगाने लगा।

मेरी चूत में जैसे एक ज्वालामुखी फूटा, एक जबरदस्त ऑर्गेज्म के साथ मेरी चूत ने फड़क फड़क के दोनों नीग्रो के लौड़ों को निचोड़ना शुरू कर दिया।

मेरी चूत वीर्य के डबल डोज से निहाल हो गई थी।
दो दो नीग्रो के लौड़ों से चुदवा के और झड़ के मैं एकदम हल्की होकर निद्रा देवी की गोद में जा रही थी।

जिस नीग्रो के ऊपर मैं लेटी हुई थी उस पर से मैं सरक गई थी और जिसने मेरी चूत में रगड़े लगाए थे, उस नीग्रो ने भी अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया था और बिस्तर पर मेरे पास आकर गिर पड़ा था।

हम सब पूरी तरीके से तृप्त हो चुके थे और थक भी रहे थे इसलिए सब एक-एक करके नींदों में खोते चले गए।

सुबह जब नींद खुली तो तीनों मर्दों के लंड प्राकृतिक नियमों का सम्मान करते हुए चूतों की सेवा में फिर खड़े थे।

अब सबसे पहले बारी थी संध्या की … क्योंकि उसी को तो हम यह बताना चाहते थे कि सैक्स के द्वारा आनन्द प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं है।

सुनील के कहने पर एक नीग्रो चित लेट गया.
फिर सुनील ने संध्या को कहा- इसका लंड अपनी चूत में लेते हुए उस पर बैठकर फिर पीछे की ओर झुक जा!

संध्या ने ऐसा ही किया और रिवर्स कॉउ की पोजीशन में उसके लंड पर बैठी और सुनील के बताए अनुसार पीछे की ओर झुक गई.

उसके बाद संध्या का मुंह खुला का खुला रह गया, जब दूसरे नीग्रो ने भी आकर उसकी लपलपाती चूत में अपना मूसल लंड घुसेड़ दिया।

संध्या को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत मर्दों के नहीं, घोड़ों के लौड़ों से पूरी तरह से भर गई हो।
तब संध्या ने सुनील की ओर बड़े मनमोहक अंदाज से देखा कि जैसे कह रही हो ‘सुनील तुम मुझे कहां से कहां ले आए … मेरी चूत को आनन्द के सूखे से, आनन्द के समंदर तक पहुंचा दिया।’

अब दोनों नीग्रो ने अपनी अपनी कमर हिलाना शुरू की और संध्या भी अपनी बॉडी को एडजस्ट करते हुए, उन दोनों के धक्कों का जवाब देने लगी।

संध्या को कल से आश्चर्य पर आश्चर्य हुआ जा रहा था।
जब जब वह यह सोचती कि बस यही आनन्द की अंतिम सीमा है, तभी उसे पता चलता था कि जिनके दिमाग में वासना और कल्पनाशीलता भरी हुई होती है, उनके लिए आनन्द की कोई सीमा नहीं होती।

पहली बार दोनों नीग्रो के दमदार कड़क लंड, उसकी चूत में भूचाल ला रहे थे.
इतने में सुनील पलंग के ऊपर चढ़ के संध्या के मुंह के सामने खड़ा हुआ और उसके मुंह में अपना लंड दे दिया और मुंह में धक्के लगाने लगा।

संध्या अपने लचीले बदन के माध्यम से तीनों मर्दों को प्रत्युत्तर देने लगी।

फिर उसके मन में विचार आया कि कहीं नीलू को बुरा तो नहीं लगेगा कि तीन तीन मर्द उसी को खुश करने में लगे हुए हैं?

इतने में उसको चकित करते हुए, मैं भी आगे बढ़ी और उसके स्तनों को बारी-बारी चूसने और मसलने लगी।

संध्या के दिमाग में जैसे आतिशबाजी होने लगी थी।
उसको ऐसा लगा ‘जैसे दो बूंद मय के लिए तरस रहे किसी मयकश को अचानक पूरा मयखाना मिल जाए’
ऐसी हालत संध्या की हो रही थी।

कहां वह अपने पति के लंड के लिए भी तरसती थी और कहां न सिर्फ उसको पहली बार किसी पराए मर्द यानि सुनील का लंड मिला बल्कि उसके बाद दो दो नीग्रो के लंबे और मोटे लंड उसके शरीर के हर छेद में घुस के उसको मस्ती के नए-नए पाठ पढ़ा रहे थे।

चुदाई का ये खेल बहुत देर तक चलता रहा.
इस बीच में दोनों नीग्रो ने अपनी अपनी पोजीशन भी बदली.

लेकिन सुनील उसके मुंह में लंड देकर मुखचोदन का आनन्द उठा रहा था, बीच बीच में वह मेरे मुंह में भी अपना लंड दे देता।

नीग्रो के लौड़ों के सामने सुनील के लंड की चुदाई के लिए तो कोई वैल्यू रह नहीं गई थी.
इसलिए अभी जो कुछ संभव था, वह मुख चोदन ही था, उसी से वह संतुष्टि हासिल कर रहा था।

संध्या अब चाहती थी कि उसको एक जबरदस्त अविस्मरणीय ऑर्गेज्म मिल जाए।
उसने कहा- अब जोर से रगड़ दो यार मेरी चूत को, मैं थकने लगी हूं।

दोनों नीग्रो जोश में आकर जोर-जोर से गालियां बकते हुए संध्या को चोदने लगे और सुनील भी उसके मुंह में लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा।

जब तीनों मर्द संध्या के शरीर में वीर्य विस्फोट करने लगे तो संध्या को ऐसा लगा जैसे उसका पूरा शरीर, वीर्य की गंध से भर गया हो। और वह महाभारत कालीन स्त्री मत्स्यगंधा की तरह वीर्यगंधा बन गई हो।
उसकी पूरे शरीर की एक एक नस में रक्त के स्थान पर जैसे मस्ती संचरण कर रही थी; वह अविस्मर्णीय Xxx सेक्सुअल प्लेज़र अनुभव कर रही थी।

दोनों नीग्रो राक्षसों से विदा लेने के पूर्व एक बार फिर हम पांचों बाथरूम में थे।
सबने एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाया, अंग प्रत्यंग को सहलाया, एक दूसरे का आलिंगन किया।

दोनों नीग्रो ने हमारे गदराये और मांसल अंगों को दबा दबा के खूब मजे लिए।
सुनील खिलाड़ी कम दर्शक ज्यादा था, यह उसकी महानता थी कि वह हमारे सुख के लिए जो कुछ संभव था, वह सब स्व-स्फूर्त कर रहा था।

हम तीनों ने, दोनों नीग्रो को अपने साथ सम्मिलित करके, चुदाई के खेल में हर संभव प्रयोग करके, अपनी कामुक देह में उफनती वासना के जरिए, जी भर के एवं प्रचुर मात्रा में कामसुख प्राप्त किया था।

संध्या को विभिन्न कामक्रीड़ाओं का आनद दिलवाने के बाद सुनील और मेरी सब बातें समझ आ गई थीं कि यह सारा खेल भी, चुदाई की अनंत यात्रा का लक्ष्य नहीं, केवल एक पड़ाव है।

आज संध्या ने मान लिया था कि मर्द हो या औरत, यदि वे चाहें तो नए स्थानों, नए साथियों, नए प्रयोगों द्वारा आनन्द के भंडार को अक्षय रख सकते हैं।

संध्या, सुनील और मेरे साथ वापस मुंबई इस संकल्प के साथ लौटी कि अब वह अपनी हसरतों पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं करेगी बल्कि हर नए अवसर का उपयोग, मस्ती के नए फलक छूने के लिए करेगी।
यह जिंदगी मन मार के, जैसे तैसे काटने के लिए नहीं मिली है बल्कि इसके एक-एक पल को जीने के लिए, उन का आनन्द लेने के लिए मिली है और वह भरपूर आनन्द लेकर ही इस दुनिया को अलविदा कहेगी।

सभी औरतें जानती हैं कि सिर्फ पति के लंड से नियमित चुदाई का भी अपना आनन्द होता है लेकिन नए-नए लंड से चुदने का आनन्द, हर बार अलग मिलता है, हर बार एक नया रोमांच, एक नया शिखर छूने को मिलता है।
हर बार एक नई तृप्ति मिलती है और यही बात मर्दों के लिए भी लागू होती है कि जितनी भी नई-नई चूत चोदने को मिले, उन का आनन्द लेने का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहिए।

अंत में लेखिका की ओर से एक विशेष बात :

मैं यह मानती हूं कि चोरी छुपे किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का, अपना एक रोमांच होता है लेकिन वैवाहिक जीवन में संदेह और उसके कारण उत्पन्न तनाव, पारिवारिक जीवन को तबाह कर सकता है।
जबकि एकाधिकार की प्रवृत्ति को त्याग के और अपने जीवन साथी की सहमति से या उसे सम्मिलित करके जो आनन्द उठाया जा सकता है, उसका कोई तोड़ नहीं है।

जब एक ही कमरे में स्वैपिंग का खेल खेला जाता है, उस समय दोनों एक दूसरे को आनन्द में मगन देख सकते हैं कि कैसे पति पत्नी, दोनों के चेहरे पर सुकून बरसता है, एक-एक सिसकारी से कितनी मस्ती टपकती है।

इसलिए हमेशा की तरह फिर से मेरा यही सुझाव है कि दांपत्य जीवन को रसमय बनाने के लिए पति-पत्नी दोनों को जो भी प्रयोग करना है एक दूसरे को विश्वास में लेकर, एक दूसरे की जानकारी में लाकर करें।

मेरा सभी कामुक पाठक पाठिकाओं से पुनः निवेदन है कि वे वासना भरे दिमाग और काम ऊर्जा से भरे जिस्म के जरिए प्राप्त होने वाले अद्भुत आनन्द, इस प्रकृति प्रदत्त वरदान का जरूर जरूर और भरपूर उपभोग करें.
लेकिन स्वार्थी ना बनें, कम से कम एक जोड़े को (जो नए स्वाद के इस आनन्द से वंचित हैं), अपने विश्वास में लेकर उन्हें प्रेरित करें कि वे भी अपने जीवन को प्रणय रस का संचार करके शुष्क होने से बचाएं और कामसुख का जितना मज़ा ले सकते हैं उतना मज़ा लें।

अंत में पुनः वही निवेदन कि मेरी इस Xxx सेक्सुअल प्लेज़र कहानी ने आपको कितनी सनसनी प्रदान की? कितना आनन्दित किया? कृपया मुझे सूचित करें।
आपके सारगर्भित विचारों और सुझावों का इंतजार रहेगा।
कृपया निरर्थक मेल करने वाले जवाब की प्रतीक्षा न करें।
मेरी आईडी है
[email protected]

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