रेल गाड़ी सेक्स कहानी में प्रथम श्रेणी के केबिन में मेरे साथ एक जोड़ा थ लड़की ने अबाया पहना हुआ था. सोने से पहले उसने अबया उतारकर चादर ओढ़ी तो मुझे उसके सेक्सी जिस्म का पता चला.
कोई तीन महीने पहले की बात है, मैं ट्रेन में ऑफिस के किसी काम से कहीं जा रहा था।
जिस केबिन में बैठा था, उसमें मेरे सामने वाली सीट पर एक आदमी और उसकी बीवी बैठी थी।
उसकी बीवी ने अबाया पहना हुआ था।
उसको देखकर कहीं से भी दिमाग में यह ख्याल नहीं आया कि मैं इस औरत को चोद पाऊंगा।
खैर सफर करते-करते कुछ देर गुजर गई।
उस आदमी के साथ मेरी थोड़ी-बहुत बात हुई जिससे पता चला कि मैं जहां जा रहा था, वे दोनों भी वहीं जा रहे थे।
खैर कुछ देर बाद उन दोनों को भूख लगी तो वे खाना निकालकर खाने लगे।
भूख तो मुझे भी लगी थी मगर मेरे पास सिर्फ बिस्किट थे, जो मैं खाने लगा।
यह देखकर उस औरत ने आदमी से कुछ खुसर-पुसर की तो उस आदमी ने मुझे भी अपने साथ खाने को आमन्त्रित किया।
मैं थोड़ा सा शर्माया, हिचका … लेकिन उनके जोर देने पर मैंने उनके साथ थोड़ा-बहुत खा लिया।
खैर सफर जारी रहा।
करीब एक घंटे बाद उस औरत को शायद गर्मी लगी तो उसने अबाया उतार दिया और एक चादर ओढ़ ली।
मुझे पहली बार उसको देखने का मौका मिला।
वह बेहद हसीन थी।
पतले-पतले गुलाबी होंठ थे; लिपस्टिक के बिना भी बला की खूबसूरती थी।
अबाया में उसके जिस्म का भी अंदाजा नहीं हुआ था मगर चादर में उसके जिस्म का अंदाजा लगा लिया।
उसका फिगर छत्तीस-तीस-छत्तीस था और उसकी उठी हुई नोकदार चूचियां बिल्कुल कड़ी थीं जो चादर से बाहर निकलतीं हुई सी महसूस हो रहीं थीं।
उसकी उम्र करीब चौबीस-पच्चीस होगी।
मैं उसको बस देखता ही रह गया।
वह खिड़की की तरफ बैठी थी और मैं उसके बिल्कुल सामने!
जब धूप उसके जिस्म पर पड़ती थी तो उसका सीना चमक उठता।
हमें सफर करते हुए काफी देर हो चुकी थी तो मैं ऊपर बर्थ पर जाकर लेट गया।
वे दोनों भी थक चुके थे.
कुछ देर बाद मैंने देखा कि वे भी ऊंघ रहे थे।
मगर खास बात यह थी कि उसकी बीवी की चादर थोड़ी सी खिसक गई थी और उसकी दाईं चूची सामने नजर आ रही थी।
यह देखते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया।
मैं जितना देख रहा था, उतना ही गर्म हो रहा था।
मेरा बस नहीं चल रहा था तो लंड को पकड़कर सहलाने लगा।
शाम को करीब छह बजे ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी.
तो वे दोनों उठ गए और उस आदमी ने अपनी बीवी से कहा कि वो स्टेशन से कुछ खाने-पीने की चीजें लेने जा रहा है।
मैं भी स्टेशन पर उतर गया।
मुझे कुछ खास चीजें नहीं लेनी थीं तो मैं पांच मिनट में ही वापस आ गया।
मैंने देखा कि वो अकेली बैठी अपने बाल बना रही थी।
उसके दोनों हाथ सिर पर थे तो उसकी चादर ऊपर तक उठी होने की वजह से उसका सीना साफ नजर आ रहा था।
उसने ज्यादा चुस्त कपड़े नहीं पहने थे मगर उसकी सख़्त चूचियों की वजह से कपड़े बहुत कसे हुए से लग रहे थे।
मैं खामोश बैठा रहा।
अचानक उसने मुझे आवाज दी- सुनिए, आपके पास पानी होगा?
मैंने चौंककर उसे देखा और पानी की बोतल दे दी।
फिर वह मुझसे बातें करने लगी कि कहां से आए हैं? कहां जा रहे हैं? क्या करते हैं? वगैरा-वगैरा।
खैर, थोड़ी देर में इसका शौहर आ गया तो वह खामोश हो गई.
फिर मैंने भी कोई बात नहीं की।
मगर अब मैं उसको देखे जा रहा था और वह भी नजर बचाकर मुझे देख रही थी।
रात होने लगी थी।
खाने के टाइम हमने फिर एकसाथ खाना खाया।
मैंने कुछ फ्रूट्स ले लिए थे जो उन दोनों को भी दिए।
जब रात ज्यादा हो गई तो उसके शौहर को नींद आने लगी.,
वह ऊपर बर्थ पर जाकर लेट गया और वो औरत अकेली नीचे बैठी रही।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि उसने भी आंख बंद कर लीं.
तो मैंने सोचा कि मौका अच्छा है और सोने का नाटक करते हुए अपनी एक टांग सामने की सीट पर रख दी।
उसका शौहर मोटी सी चादर में मुंह ढांपकर सोया पड़ा था।
हालांकि गर्मी बहुत थी मगर शायद ऐसे सोना उसकी आदत थी.
और बस मैंने उसकी इस आदत का ही फायदा उठाया।
जब मैंने सामने टांग रखी तो हल्की सी आंखें खोलकर उसे देखता रहा.
लेकिन वह बेखबर सोती रही.
तो मैंने उसकी रान से अपने पांव का अंगूठा छुआ दिया।
कुछ देर मैंने सिर्फ अंगूठा टच रखा।
जब मैंने देखा कि उसने कोई हरकत नहीं की तो मैंने टांग थोड़ी और बढ़ाकर उसकी गर्म गांड से लगा दी।
उफ! उसकी गांड बहुत सख्त थी।
फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैं इसी पोजीशन में अपने अंगूठे से उसकी गांड मसलता रहा।
थोड़ी सी देर में वह जाग गई और तुरंत मेरे पांव को धक्का दिया मगर मुख से कुछ नहीं बोली।
बस मुझे खामोशी से देखने लगी।
मैं बहुत डर गया कि कहीं वह शोर ना मचा दे और मैं सबसे पिटूं।
लेकिन उसने कुछ नहीं बोला तो अब मैं सीधा होकर बैठ गया।
कुछ देर बाद वह उठकर वाशरूम चली गई और जब वापस आई तो मुझे देखकर पूछने लगी- तुम उस वक्त क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- सॉरी गलती हो गई।
उसने कहा- अगर मेरा शौहर देख लेता तो हम दोनों को जान से मार देता।
मैंने कहा- लेकिन वो तो बेहोश सोया पड़ा है।
फिर वह कुछ नहीं बोली और सीट पर बैठ गई।
रात के तीन बज रहे थे और मुझे नींद आने लगी तो मैं सीट पर ही आंखें बंद करके लेट गया।
कुछ देर के बाद मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि वह भी सीट पर लेटी है।
पहले उसके शोर ना मचाने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई थी तो मैंने फिर से टांगें उसकी सीट पर रख दीं और इस बार मेरा टार्गेट उसकी चूचियां थीं।
वे इतनी सख्त थी कि मेरे पांव के अंगूठे से दबाई नहीं जा रहीं थीं।
मैंने काफी जोर लगाया और उसकी चूचियां मसलने लगा।
अचानक उसने आंखें खोलीं मगर इस बार उसने मेरे पांव को हटाया नहीं बल्कि अपने हाथ से मेरा पैर पकड़कर अपनी चूचियों पर मसलने लगी।
‘आहह हह हहह’ उसके निप्पल मेरे पांव के तालूओं को छू रहे थे जिससे मुझे गुदगुदी भी हो रही थी।
अब मैं बहुत ज्यादा गर्म हो चुका था, रेल गाड़ी सेक्स का यह मेरा प्रथम अनुभव होने वाला था.
मैं उठकर उसके पास गया और उसकी चूचियां अपने दोनों हाथ से पकड़ लीं और मसलने लगा।
वह मेरे हाथों को और ज्यादा अपनी चूचियों पर दबाने लगी।
फिर मैंने उसकी चादर उतार दी और कपड़े उतारे बिना ही उसकी चूचियां चूसने लगा।
आह हहह क्या जायका था।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसको सीट पर लिटाकर खुद उसके ऊपर आकर उसकी चूचियां चूसने लगा।
मेरा एक हाथ उसकी रान पर था।
उसकी रान भी बहुत चिकनी थी जिससे हाथ फिसल रहा था।
मैंने फिर उसकी कमीज के अंदर हाथ डाल दिया।
अब मेरा इरादा उसकी ब्रा उतारने का था।
अचानक मुझे खतरा महसूस हुआ तो मैं फौरन ही अपनी सीट पर आ गया.
और उसने भी फौरन अपनी चादर ओढ़ ली और आंख बंद करके लेटी रही.
क्योंकि उसका शौहर उठा था.
और फिर वो वाशरूम चला गया।
फिर हम दोनों ने आंखें खोलीं और वो कहने लगी- अब और मत करना।
इस पर मैंने मुस्कुराते हुए कहा- अभी तो बहुत कुछ बाकी है।
अब उसने कहा ‘वो सब यहां नहीं हो सकता।’
मैंने कहा- सब्र करो, जब ये फिर सो जाएगा, तब शुरू करेंगे।
अब वो चुप हो गई।
कुछ देर बाद उसका शौहर आया और फिर से ऊपर चढ़कर सो गया.
मगर मैंने फिर भी आधे घंटे तक इंतजार किया।
उसके बाद मैंने उसको पांव से टच किया तो उसने आंखें खोल दीं.
तो मैं फिर से उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियों जिनसे मेरा दिल नहीं भर रहा था, को चूसने लगा।
वह सिसकारियां भर रही थी मगर बहुत आहिस्ता।
मैंने अंदर हाथ डालकर उसकी काले रंग की ब्रा उतार दी और इसके बाद तो मैंने जी भरके उसकी चूचियों को चूसा और हल्का सा निप्पल्स पर काटा भी!
फिर मैंने उसकी कमीज काफी ऊपर कर दी जिससे उसकी चूचियां बाहर निकल आईं।
उसकी चूचियां कच्चे अमरूद की तरह सख्त थीं।
फिर मैंने उसकी चूत की तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो उसने मना करना शुरू कर दिया जो मैं किसी सूरत नहीं मानने वाला था।
खैर, फिर मैंने सोचा कि उसको और गर्म कैसे करूं?
मैंने उसको कहा- तुम बस चुपचाप लेट जाओ।
वह लेटी तो मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
उसने पैंटी नहीं पहनी थी तो वह अब बेकाबू होने लगी।
मैंने सोचा कि यही अच्छा मौका है और उसकी सलवार उतार दी।
वह इतनी तो गर्म हो चुकी थी कि उसने मुझे रोका नहीं।
मैंने उसकी चूत पर जीभ फिराते हुए चाटना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चूत के अंदर तक जीभ डाल रहा था जिससे वह गर्म, और गर्म होती जा रही थी।
आखिर मैंने अपनी पैंट की जिप खोलकर अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मेरा दिल कर रहा था कि उसके सेक्सी होंठ मेरे लंड को छूएं … मगर मुझे यह मुश्किल लग रहा था क्योंकि अक्सर लड़कियां और औरतें ये पसंद नहीं करतीं।
मैंने अपना लंड जिप से बाहर निकालकर उसके सीने से छुआना शुरू किया तो उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया।
मेरा लंड पूरा तन चुका था।
उसने पकड़ा और फिर फौरन मुंह में ले लिया।
ऐसी गर्म औरत को देखकर मैं और मेरा लंड हैरान रह गए।
वो मजे से मेरा लंड चूसने लगी।
जैसे हम नीली फिल्मों में देखते हैं, वह उसी तरह मेरा लंड चूस रही थी।
मेरा क्या हाल हो रहा था, यह सिर्फ मैं जानता हूं।
मैं उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबा रहा था।
कुछ देर बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया।
मैं अभी नहीं झड़ना चाहता था क्योंकि उसको चोदना बाकी था.
और इतना टाइम नहीं था कि फिर से मौका मिलता।
आखिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया।
वह मेरे सीने पर बहुत सेक्सी अंदाज में हाथ फिरा रही थी और मेरा लंड एक इंच उसके अंदर जा पहुंच गया था कि उसने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया।
अब मैं जोर लगाने वाला था और मुझे पता था अब उसकी आवाज निकल सकती है तो मैंने तेजी से उसके सेक्सी होठों को अपने होठों में दबा लिया और एक जोरदार झटका लगाया।
मेरा लंड लगभग आधे तक अन्दर चला गया।
उसकी चूत काफी टाईट थी तो मुझे अंदर-बाहर करने में बहुत मुश्किल हो रही थी।
यह उसने मुझे बाद में फोन पर बताया था कि उसको चोदने वाला मैं केवल दूसरा था क्योंकि उसके शौहर की पोस्टिंग शहर से बाहर होती रहती थी तो वह सुहागरात के अलावा उसे बहुत कम चोद पाया था और उनकी शादी को पांच ही महीने हुए थे।
खैर, मैंने अब उसे चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।
इस रेल गाड़ी सेक्स के दौरान मैं उसके होठों के साथ भी इंसाफ करता रहा और उन्हें चूस-चूस कर लाल कर दिया।
करीब दस मिनट बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया क्योंकि मैं अब झड़ने वाला था।
वह भी एक बार झड़ चुकी थी तो मैंने उसकी चूचियों के बीच अपना लंड डाल दिया और दोनों हाथों से चूचियां दबाने लगा.
तो वह भी ऐसा ही करने लगी और कुछ ही देर बाद मैं उसकी कड़क चूचियों के बीच झड़ गया।
इसके बाद हम उठकर बैठ गए।
ऊपर उसका शौहर मजे से सो रहा था और मुझे हैरत हो रही थी कि ये नामुमकिन सी लगने वाली बात मुमकिन कैसे हो गई?
खैर उसके बाद हम सो गए।
अगले दिन कुछ घंटों में हम पहुंचने वाले थे।
सुबह जब उसका शौहर नाश्ता लेने गया तो हमने थोड़ी देर किसिंग की और मैंने उसका नंबर ले लिया।
अब मेरी उससे सिर्फ फोन पर बात होती है।
मुझे उम्मीद है कि मुझे उसे फिर से चोदने का मौका मिलेगा।
यह घटना लिखने से पहले मैंने उससे पूछा.
तो उसने कहा कि लिखने में कोई हर्ज़ नहीं बस कोई नाम मत लिखना।
इसलिए कोई नाम नहीं लिखा।
आपको ये रेल गाड़ी सेक्स कहानी कैसी लगी?
मुझे जरूर बतायें!
मेरी मेल आई-डी है- [email protected]
लेखक की पिछली कहानी थी: घर के दरवाजे पर खड़ी लड़की की प्यास