कजिन सेक्स पोर्न कहानी में मैंने पहली चूत का मजा लिया कुंवारी लड़की के साथ. वह मेरे पापा के दोस्त की बेटी थी. हम दोनों भी दोस्त बन गए थे. दोनों की जवानी उछल रही थी.
मेरा नाम कृष है. मैं 26 साल का हूं, पर लगता नहीं हूँ. अपनी उम्र से कुछ 2-4 साल छोटा ही लगता हूँ.
मैं दिल्ली में रहता हूँ, मेरी बॉडी भी ठीक है. मैं जिम जाता हूँ, तो एकदम फिट बॉडी है. हाइट भी ठीक है और लंड का साइज भी बहुत प्यारा है. ये करीब 7 इंच का है. चुत और दूध देख कर कुछ कम ज्यादा या थोड़ा ऊपर नीचे हो जाता है.
मैंने खुद कभी ठीक से अपने लौड़े नापा नहीं है. वह तो एक दो बार हाथ से नापा था, फिर अंदाज किया था कि ये कुछ ज्यादा ही बड़ा है.
ये कजिन सेक्स पोर्न कहानी तब की है, जब मैं कॉलेज में था और मैंने पहली बार चूत मारी थी.
हुआ ये था कि मैं अपने पापा के दोस्त के यहां गया था तो वहां पर उनके दोस्त की बेटी हाशिमा भी थी.
मेरी उससे बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी, तो मैं उससे बगलगीर होकर मिला.
हमारी काफी बात हुई.
वह उस टाइम ज्यादा माल जैसी लड़की नहीं थी लेकिन अच्छी थी.
उसके कसे हुए चूचे, कसी हुई गांड … ज्यादा बड़ी नहीं, ज्यादा छोटी नहीं.
कुल मिलाकर मेरी उसमें कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं बनी थी.
हाशिमा को उन दिनों नौकरी की तलाश थी, तो उसने मुझसे अपनी जरूरत बताई.
मैंने कहा कि तुम मुझे अपना नंबर दे दो, मैं बता दूंगा.
उसने कुछ सोचा और नंबर दे दिया और मैं हाशिमा से बातचीत खत्म करके घर आ गया.
कुछ दिनों बाद मैं कॉलेज जा रहा था, तो मैंने उसको फोन किया और बताया- एक जॉब है, तू इंटरव्यू दे दे.
उस पर उसने बताया कि उसकी जॉब लग गई है.
यह सुनकर मैंने कहा- ठीक है.
मैंने उसके हाल-चाल पूछ कर फोन रख दिया.
अगले दिन उसका फोन आया तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- ऐसे ही मन हुआ बात करने का … तो तुझे कॉल कर दिया.
मैंने कहा- ओके ठीक है.
कुछ देर तक हमारी बात चली, फिर मैंने फोन रख दिया.
अब ऐसे ही हर दिन उसका फोन आने लगा और हमारी बात बढ़ने लगी.
मुझे भी उससे बात करने में अच्छा लगने लगा और हमारी घंटों बात होने लगी.
एक दिन मैं घर बैठा पोर्न देख रहा था तो उसका फोन आ गया.
उसने पूछा- क्या कर रहा है?
मैंने बता दिया- पोर्न देख रहा हूँ.
उसने कहा- बस देखता ही रहियो, कभी कुछ करियो मत!
मैंने कहा- कह तो ऐसे रही है, जैसे तूने तो बहुत बार किया है!
उसने कहा- किया तो मैंने भी कभी नहीं है, पर क्या कर सकती हूँ?
मैंने पूछा- मन नहीं करता क्या?
वह बोलने लगी- करता तो है, पर क्या कर सकती हूँ. क्या किसी के साथ भी लग जाऊं!
मैंने बोला- किसी को तो पटा ले और उसी के साथ मजा ले ले.
वह कहने लगी- नहीं यार, ऐसे किसी के भी साथ थोड़ी कर लूंगी! बंदा पसंद भी तो आना चाहिए.
मैंने कहा- ये भी ठीक है. अब जल्दी से फोन काट और मुझे पोर्न देखने दे, बड़ी हॉट लड़की वाली फिल्म है.
यह कह कर मैंने फोन काट दिया.
अगले दिन फिर जब उसका फोन आया तो मैं फिर से वही पोर्न देख रहा था.
वह छुट्टी का दिन था और मैं कॉलेज का लड़का … खाली था तो क्या करूं?
उसने फिर से पूछा- क्या कर रहा है?
मैंने कहा- फिर से वही कर रहा हूँ.
वह बोली- फिर से वही … इसका क्या मतलब है?
मैंने कहा- कल जो कर रहा था, वही आज कर रहा हूँ. हॉट लड़की वाली पॉर्न देख रहा हूँ.
वह कहने लगी- हद है यार, कितना ठरकी है तू?
मैंने कहा- हां हूँ, तो तुझे क्या?
इस पर कहने लगी- कभी लड़की को हाथ भी लगाया है … या ऐसे ही!
मैंने कहा- नहीं यार, उस तरीके से तो आज तक नहीं लगाया है.
उसने बोला कि तो क्या खाली हाथ से ही काम चलाएगा?
इस पर मैंने गुस्से में बोल दिया- तेरे को इतनी टेंशन हो रही है, तो तू ही बन जा मेरी गर्लफ्रेंड!
उसने कुछ नहीं बोला और फोन काट दिया.
फिर शाम को फोन आया तो पूछने लगी- अभी तो नहीं देख रहा ना?
मैंने बोला- नहीं, अभी नहीं देख रहा हूँ.
वह हंसने लगी.
फिर मैंने कहा- तूने कभी किसी को किस की है?
उसने कहा- हां की है.
तो मैंने बोला- मुझे सिखाएगी?
उसने कहा- हां सिखा दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, तुझसे मिलता हूँ.
कुछ दिनों बाद मेरे मम्मी पापा घूमने दिल्ली से बाहर गए.
वे लोग करीब 7 या 8 दिनों के लिए गए थे.
मैंने हाशिमा को फोन लगाया और उसे अपने घर आने को बोला.
उसने कहा- कुछ आवभगत करेगा या ऐसे ही बुला रहा है?
मैं बोला- आ तो जा पहले … साथ में बीयर पियेंगे.
उसने कहा- ठीक है. कल आती हूँ. तू मुझे मेट्रो से ले लेना.
मैंने ओके कहा.
और उसे अगले दिन अपने घर ले आया.
आते समय 3 बोतलें बीयर भी लेता आया.
घर आकर हम दोनों ने बीयर पीना शुरू किया.
एक बोतल पीने के बाद वह इधर उधर होने लगी और यहां वहां को हिलने लगी.
मैं उसे रोकने लगा.
उस टाइम मैंने पहली बार उसे कमर से पकड़ा था, मुझे थोड़ा अजीब सी फीलिंग आई लेकिन अच्छा लगा.
मैंने उसे पकड़ कर बेड पर बिठा दिया.
वह बैठते ही बेड पर लेट गई और मुझे उल्टा सीधा बोलने लगी- तू चूतिया है, कुछ नहीं होगा तेरे से … ये सब तेरे बस का नहीं है … बस तू हिलाता ही रहियो!
उसकी बात से मुझे भी धीरे धीरे गुस्सा आने लगा.
जब वह अंड बंड बोलती ही रही, तो मैं एकदम से उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों पर एक लंबा किस जड़ दिया.
उसने भी मेरा पूरा साथ दिया.
मैं एक हाथ से उसके चूचे दबाने लगा.
चूंकि सेक्स के इस खेल में हम दोनों ही नए थे इसलिए कुछ भी सही से नहीं हो पा रहा था.
कुछ ही देर में मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसको नंगी करके उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं हाशिमा के चूचे चूसने लगा, उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वह जोर जोर से आवाजें निकालने लगी.
मैंने उसके चूचे बहुत तेज तेज से दबाए थे तो वह दर्द से कराहने लगी थी.
कुछ पल बाद मैंने जल्दी से अपने कपड़े भी निकाल दिए और खड़ा लंड लेकर उसके हाथ में पकड़ा दिया.
लंड देख कर उसकी गांड फट गई.
वह कहने लगी- ये बहुत बड़ा है … अन्दर जा भी पाएगा?
मैंने कहा- सब चला जाएगा. तू बस देखती जा.
मैं उसको सीधा लिटा कर उसके ऊपर आ गया और लंड अन्दर घुसाने लगा.
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन लंड अन्दर नहीं गया.
फिर उसने अपने हाथ से लंड को पकड़ा और अपनी चुत के मुँह पर सैट कर दिया.
वह अभी लौड़े को चुत पर घिस ही रही थी कि मैंने अचानक से एक जोर का धक्का मार दिया.
मेरा मोटा लंड थोड़ा सा अन्दर चला गया.
इससे वह तड़पने लगी.
पर मैंने उसे पकड़ रखा था तो वह लंड निकाल नहीं पाई.
थोड़ी देर में जब उसको आराम हुआ तो मैंने एक और धक्का मार दिया.
लेकिन मेरा लंड कहीं अटक गया था.
वह और अन्दर जा ही नहीं रहा था.
मैं लंड बाहर निकाल कर उसे चूमने लगा.
वह राहत भरी सांस लेने लगी.
हालांकि उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या हुआ … झड़ गया क्या? निकाल क्यों लिया?
मैं कुछ नहीं बोला और किचन से एक कटोरी में मूंगफली का तेल ले आया.
मैंने तेल में उंगलियां डुबोईं और उसकी चूत में उंगलियां डाल कर खूब अन्दर तक उंगलियां चलाईं.
वह भी मस्ती में अपनी गांड उठा रही थी.
फिर मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया और वापस चुदाई के पोज में आकर लौड़े को चुत के मुँह पर सैट कर दिया.
इस बार मेरे लौड़े ने खुद से अपनी रास्ता खोज लिया था.
वह चुत की फांकों में जैसे ही सैट हुआ, मैंने एक बहुत जोर का धक्का दे मारा.
मेरा समूचा लंड चूत को फ़ाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया.
वह उछल कर बेड के ऊपर आ गई.
मैंने उसका कंधा पकड़ रखा था और मुँह पर मुँह लगा रखा था तो वह बस ‘हम्मम …’ करके रह गई.
उसे मैंने कसके कंधे से पकड़ा और लंड निकाल कर वापिस पूरा अन्दर घुसा दिया.
वह दर्द से छटपटाने लगी और रोने लगी.
मैं लंड अन्दर पेल कर रुक गया.
फिर जब उसका रोना कम हो गया और विरोध कम हो गया तो मैं धक्के लगाने लगा.
धीरे धीरे उसको भी चुदाई में मजा आने लगा और वह आराम से चुदने लगी.
मैंने अचानक से अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी.
पांच दस बहुत तेज तेज झटके दिए, तो वह ‘आआआह … आआह … उह्ह …’ करती हुई चीखने लगी.
मैंने उसका मुँह पकड़ा और उसको थोड़ी देर तक बहुत बुरी तरह से चोदा.
वह फिर से रोने लगी लेकिन उसने इस बार रुकने को नहीं बोला.
कुछ देर बाद मैंने उसे कुतिया बनाया.
मैं पीछे से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड डाल कर चोदने लगा.
इसमें मुझे बहुत मजा आया.
मैंने उसकी कमर पकड़ी और तेज तेज शॉट मारने लगा.
उसको भी हर झटके के साथ ज्यादा मजा आने लगा.
मैंने एक हाथ से उसके चूचे पकड़े और एक हाथ से उसके बाल और खींच खींच कर चोदने लगा.
मैंने चुदाई करते हुए उसके कंधों पर दांत गड़ा दिए.
वह कराह कर गाली देने लगी ‘आह काट मत साले … बस चोद ले.’
फिर मैंने उसको वापिस सीधा लिटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रख कर एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर जड़ तक डाल दिया.
उसकी ‘अहम्म म्म …’ करके सांस ही रुक गई.
मैंने बहुत तेज तेज झटके मारने शुरू कर दिए.
थोड़ी देर तक तो उसकी सांस रुकी रही और आंसू निकलते रहे.
ना तो वह रो पाई और ना चिल्ला पाई.
फिर जब उसकी सांसें काबू में आईं तो वह चीखने लगी- आह … आह … मम्मी … मम्मी … थोड़ा धीरे धीरे चोद साले!
मैंने उसकी टांगें नीचे कर दी और चोदने लगा.
अब वह बहुत मजे से ‘आह … ओह … ओह … और चोद और चोद …’ कहती हुई चुदने लगी.
मैंने उसकी गर्दन दबाई और उसको कस कसके चोदा.
मेरे हर झटके में उसकी मस्त चीख निकल रही थी.
मैंने उसकी गर्दन पर काटते हुए चोदा, चूचों पर काटते हुए चोदा.
उसको मैंने बहुत देर तक पटक पटक कर बहुत बुरी तरह से चोदा.
वह भी बहुत मस्त होकर चुदी.
आखिर में चोदते चोदते मैं और वह एक साथ ही झड़ गए.
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया था.
चुदाई के बाद घड़ी की तरफ देखा, तो चोदते चोदते शाम हो गई थी.
फिर मैं उसको दर्द की गोली खिला कर घर छोड़ आया.
बाद में मैंने उसकी गांड भी मारी, उसको लौड़ा भी चुसवाया.
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