डर्टी वाइल्ड सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे भाभी ने मेरे साथ अपनी फंतासी पूरी की और फिर मुझे अपनी चूत में मेरा सूज कर मोटा हुआ लंड डालने को कहा.
नमस्कार मित्रो, जैसा कि डर्टी वाइल्ड सेक्स कहानी के पिछले पिछले भाग
भाभी ने दर्द देकर अपनी फैंटेसी पूरी की
में मैंने बताया था कि उस जंगली भाभी ने मेरे साथ क्या किया. कैसे उसने अपनी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मुझे असहनीय दर्द दिया था. किसी प्रयोग से मेरे लंड को सुजा दिया था.
अब आगे डर्टी वाइल्ड सेक्स कहानी:
भाभी जी- आरुष लेट जाओ.
मैं- हथकड़ी तो खोलो.
भाभी जी- खोल दूंगी आरुष, नाराज तो नहीं हो ना मुझसे … प्लीज मुझे माफ़ कर दो. अब तुम जैसा बोलोगे, मैं वैसा करूंगी.
इतना कह कर भाभी रोने लगीं.
मैं- नहीं भाभी जी, अब मुझे इंजेक्शन की वजह से दर्द कम है. बस गोली की वजह से लंड तना हुआ है … इसलिए दर्द हो रहा है.
भाभी जी- ठीक है, मैं तुम्हारे हाथ पीछे से खोल कर आगे से बांध देती हूं, जिससे तुम्हें लेटने में दिक्कत ना हो.
मैं- भाभी जी अब मुझे लेटना नहीं है. आपने जिस काम के लिए बुलाया है, अब हम दोनों वो करेंगे.
क्योंकि अब तो में भी सूजे ओर फुले हुए लंड से भाभी की चूत फाड़ना चाहता था और बताना चाहता था कि एक मर्द जितना सहन कर सकता है, क्या एक औरत भी सहन कर सकती है.
भाभी जी- नहीं आरुष, सेक्स मैं अपने तरीके से करूंगी. तुम बस एन्जॉय करो.
यह कहते हुए भाभी ने मेरे हाथ पीछे से खोल कर दोनों तरफ किनारों से बांध कर लेटा दिया और व्हिस्की की बोतल को उठा लिया.
बोतल आधी से थोड़ी कम भरी हुई थी … भाभी ने उसे होंठों से लगाया और नीट ही पी गईं.
पूरी बोतल खाली करके भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं. वो मुझे जंगलियों की तरह किस करने लगीं.
हम दोनों एक दूसरे को पूरी ताकत के साथ किस कर रहे थे.
उसके बाद भाभी ने मेरे पूरे शरीर को जंगलियों की तरह चूमा चाटा और काटा भी … पूरे शरीर में उनके काटने से फिर से जलन होने लगी.
फिर उन्होंने मेरे लंड को चाट चाट कर गीला कर दिया और मेरे गोटों को मुँह में भर के चूसने लगीं.
मेरे पूरे गोटों को उन्होंने अपने मुँह में भर लिया और चाटने चूसने लगीं.
मुझे तो असीम आनन्द आ रहा था. मैं शब्दों में उस स्थिति को बयान नहीं कर सकता.
भाभी ने लंड के सुपारे को मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
वो बहुत तेजी से लंड को चूसने लगी थीं क्योंकि लंड देवता सूज कर फूल गए थे.
तो भाभी सिर्फ सुपारे को ही मुँह में ले पा रही थीं.
वो भी तब जा मैं नीचे से धक्के लगाते हुए उसके मुँह में लंड पेल दे रहा था.
भाभी जी- आरुष, जोर से धक्के मत लगाओ … इससे ज्यादा और अन्दर मुँह में नहीं जाएगा.
फिर भी मैंने नीचे से धक्के देते हुए करीब 3 इंच तक अपना लंड भाभी के मुँह में फिट कर दिया.
वो भी अब नशे में बेहतर तरीके से लंड चूसे जा रही थीं.
कुछ मिनट के बाद भाभी ने लंड मुँह से निकाल दिया और मेरे मुँह पर अपनी चुत को रख कर बैठ गईं.
भाभी मेरी जीभ को अपनी चुत के अन्दर डाल कर गांड हिलाने लगीं.
भाभी जी- आरुष मेरी चुत को स्लोली स्लोली चाटो. आह आरुष … मेरी चुत को चाटो … अन्दर तक जीभ डालकर इसे रगड़ो.
मैं भाभी की चुत को जीभ से चोदने लगा.
पांच मिनट तक चुत चाटने के बाद फिर से वो मुझे अपना चुतामृत पिलाने लगीं.
अब तो उनकी चुत से निकले हुए मूत से भी मुझे भी टेस्ट आने लगा था और वो सब में पीता चला गया.
आखिर थी तो वो भी कामदेवी … कब तक रस नहीं पिघलता.
करीब पन्द्रह मिनट तक चुत का रसपान किया और फिर वो एकदम से उठ कर एक और व्हिस्की की बोतल उठा लाईं.
उसे होंठों से लगा कर पांच घूंट नीट पी गईं.
फिर मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर उस पर अपनी चुत घिसने लगीं.
मैं- नहीं भाभी जी, लंड अन्दर मत लेना … आप दर्द सहन नहीं कर पाओगी.
लंड में सूजन आने से और गोली के असर से लंड महाराज काफी भारी और साढ़े चार इंच मोटे हो गए थे. इतना मोटा लंड किसी की चुत में जाएगा, तो चुत को फाड़ कर रख देगा.
भाभी जी- आरुष, मैं दारू और नशा इस दर्द को बर्दाश्त करने के लिए ही तो कर रही थी. अब सेक्स में जो मजा आएगा, उसकी बात ही अलग होगी. आज मैं चार सालों के बाद सेक्स कर रही हूँ क्योंकि आज मुझे लगा कि कोई अच्छा मर्द मिला है, जो मेरी चार सालों की प्यास को बुझा सकता है.
मुझे डर भी लग रहा था कि ये औरत आखिर चाहती क्या है … इस तरह का सेक्स जानलेवा हो सकता है. हम नशे मैं थे … इसलिए दर्द की संभावना कम थी.
फिर जैसे ही उन्होंने लंड के सुपारे को चुत के छेद पर रखा और धीरे धीरे उस पर चुत का दबाव बढ़ाने लगीं.
जैसे ही सुपारा या लंड का टोपा अन्दर गया, वैसे ही उनकी चीख निकली.
भाभी बहुत तेज चीखी थीं, जिसकी आवाज शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ गई होगी.
मैं- भाभी जी स्टॉप इट … नहीं होगा छोड़िये ये सब!
भाभी जी- नहीं आरुष, आज मैं कितनी भी चिल्लाऊं … तुम ध्यान मत देना. तुम बस अब अपना लंड पेलना. जितना अन्दर तक हो सके, घुसेड़ देना.
फिर भाभी जी ने चुत में टोपे को अन्दर ही रखा और नीचे झुक कर मुझे किस करने लगीं.
वह भी अब अपनी चुत पर दबाव बनाने लगीं ताकि लंड और अन्दर तक जा सके.
उत्तेजना के विवश मैंने भी नीचे से धक्का लगाकर लंड अन्दर करने की कोशिश की. लेकिन चार साल से बिना चुदी हुई चुत, साढ़े चार इन्च मोटा लंड अन्दर कैसे लेती.
फिर भाभी जी ने थोड़ा ऊपर हुईं और लंड के टोपे के किनारे तक ले जाकर ऊपर होकर पूरी ताकत के साथ ऊपर नीचे की तरफ हुईं, जिससे चार इंच तक लंड वो निगल गईं.
जैसे ही दर्द के मारे भाभी ने चीखना या चिल्लाना चाहा, मैंने ऊपर की तरफ उठ कर उनके होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया.
इससे भाभी जी की चीख दब गई.
यदि इस बार वो चीखतीं, तो शायद घर के बाहर पड़ोसी इकट्ठा हो जाते.
हालांकि दर्द अब मेरे लंड में भी पहले से ज्यादा हो रहा था और वो उस संकरी चुत में इस तरह फंसा हुआ था कि हिल भी नहीं पा रहा था.
मेरे लंड की भी चमड़ी भी छिल गई थी.
पांच मिनट तक इसी अवस्था में रहने के बाद भाभी जी ने इतने लंड से ही आगे पीछे होना शुरू कर दिया.
मैं फिर से लेट गया.
पांच मिनट बाद जब उतना लंड जब चुत में एडजस्ट हो गया तो भाभी जी ने एक बार और हिम्मत की, लंड को वापस टोपे तक बाहर निकाला.
भाभी जी- आरुष इस बार तुम भी पूरी ताकत के साथ नीचे से धक्का लगाना ताकि पूरा लंड एक ही बार में अन्दर हो जाए और मेरे दर्द की चिन्ता बिल्कुल भी मत करना.
मैं- भाभी जी इस बार आप मुँह अपना पैक कर लो क्योंकि इस बार अगर आप चिल्लाईं … तो बाहर लोग इकट्ठा हो जाएंगे और हम बदनाम हो जाएंगे.
भाभी जी- हां तुम सही कह रहे हो.
उन्होंने अपने हाथों से अपने मुँह को बंद कर लिया ताकि वो चीखें तो आवाज बाहर ना जाए.
फिर ऊपर से होती हुईं भाभी जैसे ही नीचे होने को हुईं. मैंने नीचे से जोर लगाकर एक तगड़ा झटका मार दिया और लगभग पूरा लंड अन्दर तक पेल दिया.
शायद बच्चेदानी से जाकर मेरा लंड पूरी तरह से फिट हो गया.
मैं नीचे से धक्का देने लगा, तो मेरा लंड ना तो एक इंच भी बाहर ना आया और ना ही अन्दर गया.
भाभी जी की आंखों से दर्द के आंसू टपकने लगे और उनकी आंखों में एकदम से अंधेरा छा गया.
वो आंख बंद करके मेरे सीने पर रोते हुए लेट गईं या शायद बेहोश सी हो गईं.
लगभग पांच मिनट बाद जब चुत में थोड़ा सा रिसाव आया, तो लंड थोड़ा आगे पीछे सरकने लगा.
मैं उसी अवस्था में लंड को आगे पीछे करने की कोशिश करने लगा.
लेकिन लंड महाराज आगे हो रहे थे, पीछे निकालने में अभी भी चुत बहुत टाइट महसूस हो रही थी.
लगभग दस मिनट के बाद धक्के के बाद भाभी जी होश में आईं और अपना मुँह खोल कर मुझे किस करने लगीं.
अभी भी लंड चुत में बहुत टाइट जा रहा था. फिर भी भाभी पूरी ताकत से ऊपर नीचे होने लगीं और तेजी से चिल्लाने लगीं- ओह्ह यस्स आरुष मेरीई चुत फट गईई … आह!
वो पूरी ताकत से चिल्लाते हुई गांड उछाल उछाल कर लंड पर कूदने लगीं.
दस मिनट कूदने के बाद भाभी झड़ने लगीं- यस्स … ऑय एम कमिंग्ग … हह हहह … उह हहह ओह ओह्ह आह हह!
उनकी चुदाई की स्पीड इतनी तेज थी कि मैं भी ख़ुद को रोक ना पाया और मैं भी झड़ गया.
उनके झड़ने पर इतना पानी निकला कि वो मेरी जांघों से होता हुआ बिस्तर तक आ गया.
झड़ने के बाद वो वैसे ही लंड चुत के अन्दर डाल कर मेरे सीने के ऊपर लेट गईं.
मेरे झड़ने पर भी मेरे लंड के तनाव में कोई कमी नहीं आई. मैं नीचे से धक्के लगाता रहा.
पांच मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मेरे हाथ खोल दिए.
फिर मैंने वैसे ही लंड को अन्दर रखे ही उन्हें पलट दिया और पूरी ताकत के साथ पेलने लगा.
हम दोनों का कामरस था जिसकी वजह से अब लंड पिस्टन की तरह अन्दर बाहर जा रहा था.
काफी देर तक की चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ गया. अब इस चुदाई में भाभी भी दो बार झड़ गई थीं.
उस पूरी रात में कामशास्त्र की ऐसी कोई पोजीशन बाकी नहीं रही होगी जो हम दोनों ने नहीं की हो.
रात भर हम दोनों ने एक दूसरे को बुरी तरह से चोदा.
रात भर ना लंड शांत हुआ, ना उस प्यासी भाभी की प्यास कम हुई.
मैं अगले तीन दिन तक वहां रुका.
भाभी जी, जो कि पेशे से डॉक्टर थीं, उन्होंने मेरा इलाज किया और जाते समय उन्होंने मुझे कुछ दवाई भी दी.
उस दिन के बाद उन्होंने ऐसे सेक्स के लिए मुझे नहीं कहा, लेकिन ऐसे और भी रोमांचक पल हैं मेरे जीवन के, जो मैं आपसे शेयर जरूर करूंगा.
माफ कीजिएगा दोस्तो, समय के अभाव के कारण मैंने अन्तर्वासना के नियमों के चलते कहानी का अंत जल्द कर दिया.
आप इस डर्टी वाइल्ड सेक्स कहानी पर अपने सुझाव जरूर मेल कीजिएगा.