प्रेम की रसधार में चूत चुदाई का मजा- 2 (Jawan Ladki Kiss Hug Kahani)

जवान लड़की किस हग कहानी में मैं पहली बार अपनी नई गर्लफ्रेंड के घर गया. उसका पति घर पर नहीं था. मैंने पहली बार उसे अपने आगोश में लिया और अपने लब उसके लबों पर टिका दिए.

फ्रेंड्स, मैं आपका साथी आपको अपनी प्रेमिका अश्लेषा की चुदाई की कहानी के अगले भाग में ले चलने के लिए हाजिर हूँ.

कहानी के पहले भाग
फेसबुक से मिली एक जवान भाभी की दोस्ती
में अब तक आपने पढ़ा था कि अश्लेषा ने मुझे रोकर ये बताया था कि उसका पति उसे प्यार नहीं करता है.

अब आगे जवान लड़की किस हग कहानी:

मैंने सब समझते हुए भी उससे पूछा- मतलब क्या है तुम्हारा?
उसकी चुप्पी अच्छी नहीं लग रही थी.

मैंने वापस हक़ जताते हुए पूछा- कुछ बोलोगी भी कि क्या हुआ?
वह बस रोये जा रही थी.

मैंने उसको थोड़ा हँसाने के लिए कहा- रोती हुई लड़की जब पास हो, तब ही अच्छी लगती है. दूर नहीं. क्या फायदा … मैं इमोशनल होने का फायदा उठा कर गले भी नहीं लगा सकता!

वह रोते रोते ही हंसने लगी और बोली- सच्ची न … मैं रो रही हूँ, तब भी तुम्हें मौका चाहिए होता है न!
मैंने कहा- यार, रोना अच्छा नहीं लगता.

वह चुप हो गयी.

मैंने कहा- अगर यकीन हो कि शेयर करने के लिए मैं सही दोस्त हूँ, तो बता सकती हो कि क्या हुआ?

वह बोली- कुछ नहीं, बस रेहांश के होने के बाद से दूर ही रहते हैं. जैसे इन्हें मुझसे बस बच्चा ही चाहिए था. रेहांश के होने के बाद इन्होंने मुझे एक बार भी गले से नहीं लगाया. पहले भी कभी हम लोगों ने प्यार किया हो, ऐसा लगा ही नहीं. सुहागरात को भी बस किया और सो गए. हनीमून पर भी 15 दिन की ट्रिप में हमने बस 3 बार सेक्स किया था. अब तो लगने लगा है कि शायद मैं इन्हें पसंद ही नहीं हूँ.

इतना कह कर वह वापस रोने लगी.

मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने कहा- मैं मिलने आ सकता हूँ? बस 5 मिनट के लिए?

उसने मना किया और कहा- कोई देखेगा तो … और वहां से यहां तक कैसे आओगे? तब तक प्रवीण भी आ जाएंगे.
मैंने कहा- बस तुम ये कहो कि मिलोगी?
उसने कहा- रुको, मैं प्रवीण से पूछती हूँ कि वे कहां हैं.

मैंने फ़ोन कट किया और वाइफ से कहा- मुझे कहीं जाना है.
बीवी से ऑफिस की कुछ प्रॉब्लम बता कर मैं घर से पजामे कुर्ते में ही निकल गया.

उसका फ़ोन बजता, उसके पहले तो मैं उसके घर के पास पहुंच चुका था.
वह मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं, पास ही अथवा गेट पर ही रहती थी.

उसका कॉल आया.
उसने कहा- सुनो प्रवीण को आने में अभी देर है. वे अपने दोस्तों के साथ बैठे हैं, पर तुम इतनी दूर मत आना. तुम अपनी वाइफ को क्या कहोगे?

मैंने इन सब में एक बात जो नोटिस की, वह ये थी कि उसको नहीं मिलना … ऐसा एक बार भी नहीं कहा.

मैंने पूछा- घर का नंबर बोलोगी?
वह बोली- पांच मिनिट के लिए इतना दूर क्यों आना?
मैंने बताया- मैं आ गया हूँ. बस घर बताओ.

मेरी इस बात से वह थोड़ा डर गयी थी- अरे … कैसे आ गए और कोई देखेगा, तो क्या कहोगे? रेहांश भी उठ सकता है.
मैंने कहा- अभी इस सब की जगह नंबर बताओ.

उसको लगा कि मैं झूठ कह रहा हूँ, वह बोली- पहले बताओ कि कहां हो?
मैंने बताया कि मैं आइसक्रीम पार्लर के आगे खड़ा हूँ.

वह बोली- सच बोलो न!
मैंने कहा- बंगला नंबर बताओ, कहां है?
वह शॉक्ड थी. उसने नंबर बताया.

मैंने देखा तो मैं उसके घर से दो घर आगे खड़ा था.
उसने कहा- हम मिलेंगे नहीं, तुम बस बाहर आओ. मैं बालकनी में आती हूँ. प्लीज मुझे न … बहुत डर लग रहा है.

मैंने कहा- ठीक है, तुम बाहर बालकनी में आओ.
वह आई तो मैंने देखा कि उसने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी.
एकदम हसीन अप्सरा लग रही थी.

मैंने उससे इशारे से थैंक्स कहा और फोन पर बाय कहता हुआ अपनी बाइक को मोड़ लिया.
वह वहीं खड़ी खड़ी मुझे देखती रही.

उसने फोन पर कहा- तुम बस इतनी दूर मुझे देखने आए. वह भी रात को 12.30 इतना दूर?
मैंने कहा- दूर तो ऐसे कह रही हो, जैसे मुझे वीजा लगवाना पड़ा हो. पागल … तुम मेरी दोस्त हो, प्यार करता हूँ तुम्हें … मुझे तुम्हारा रोना अच्छा नहीं लगा तो मिलने आया.

उसने कहा- तो क्या बिना मिले चले जाओगे?
मैंने कहा- तुम इतना डर रही हो … असहज भी हो तो तुम्हारी ख़ुशी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है. बस तुम अगली बार के लिए कुछ सहज रहो, यही दुआ है.

मैं यह कह कर उसको बाय करने लगा.
उसने कहा- नाटक नहीं करो, बाइक वहीं खड़ी करो और आ जाओ. मैं गेट खोलती हूँ. बस आवाज़ नहीं करना प्लीज.

उसने जैसा कहा, मैं चुपचाप मेरी बाइक खड़ी करके उसके घर में चला गया.

तब उसने दरवाजा बंद किया और मैंने उसको कस के गले से लगा लिया.

हम दोनों चुप थे.
बस सांसों की सांसों से बातें हो रही थीं.

हम दोनों इतना कस के गले लगे थे कि उसके दिल की तेज़ धड़कनों को महसूस कर पा रहा था.

अभी तक हम दोनों के शरीर एक हो गए थे.
मैंने उसको छूने वाला कोई भी अहसास नहीं किया था.

अभी तक हम दोनों प्यार में एक दूसरे से एक दूसरे की भावनाओं को मिला रहे थे.
कुछ देर बाद उसने कहा- तुम तो देखने आए थे न?

उसकी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और महसूस हुआ कि हम दो जिस्म एक जान की तरह चिपके हुए थे.
उसने शायद नीचे ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.

अब महसूस हुआ कि उसके कड़क निप्पल्स मेरी छाती पर महसूस हो रहे थे.
उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर मुझे मदहोश हो जाने को बेताब कर रही थीं. उसकी हर सांस मेरे लंड को और विकराल व और बेताब कर रही थी.

शायद उसको भी मेरा लंड का बढ़ता आकार समझ आ रहा था जो पजामे के अन्दर से ही उसकी चूत की सोनोग्राफी करने के लिए इधर उधर भटक रहा था.

कब मेरे होंठों ने उसकी गर्दन पर प्यार के रंगों से चित्रकारी शुरू की, इसका पता न उसे लगा और न मुझे.

शायद उसने ये पल एक अरसे बाद महसूस किया था इसलिए वह भी आंखें बंद किए बस उस पल में खोयी हुई थी.

मेरी जीभ अपनी कला का प्रदर्शन करती हुई कब उसकी गर्दन से उसके कान पर और कान से उसके कंधे पर … और कब अचानक उसके होंठों तक आ पहुंची.
ये शायद न वह महसूस कर पायी और न मैं.

उसको तो तब करंट लगा जब मैंने उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला और उसके कड़क चूचुक को अपने अंगूठे से छुआ.
वह ऐसे सिहर गयी, जैसे उसको कोई बड़ा झटका लगा हो.

एकदम से वह मुझसे अलग हुई- तुम दूर रहो प्लीज मेरे से … कुछ अनर्थ हो जाएगा और प्रवीण भी आते होंगे. मुझे कोई रिस्क नहीं लेना और तुम केवल देखने आए थे न … तो ये सब क्यों किया?
मैंने उसको खींच कर वापस गले से लगा लिया.
इस बार ज्यादा हक़ और जोर से कि वह चाहे तो भी नहीं छुड़ा सके.

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से मिला दिया.
चुंबन की उत्तेजना में मेरा लंड ऐसी छलाँगें मार रहा था कि मैं बता नहीं सकता.

वह भी उस पल में खो जाना चाहती थी.
खुद को रोकना या रुकना चाहती ही नहीं थी.
उसके होंठ मेरे नीचे के होंठों को चूस रहे थे; मेरे होंठ उसके ऊपर के.

हम दोनों बीच बीच में बस होंठों को होंठों से रगड़ते, तो कभी वह मेरे होंठों पर जीभ फिरा देती, तो कभी मैं उसके होंठों पर.

उस पल जब भी होंठों को सहलाते हुए दिमाग काम करना बंद कर देता था, तो मन करने लगता था कि अभी उसके शॉर्ट्स को उतार कर लंड चूत में डाल दूँ.

तभी उसका फ़ोन बजा.
प्रवीण का फ़ोन था.

वह डर गयी कि क्या करूं, क्या कहूँ?
मैंने कहा- दिमाग से काम लो, अभी वह नहीं आया, उसका फ़ोन आया है. फोन उठाओ.

उसने खुद को संभालते हुए अपनी तेज़ सांसों को थामते हुए पूछा- हां पुरु!
वह अपने पति प्रवीण को प्यार से पुरु बुलाती थी.

प्रवीण ने बताया कि वह वहां से निकल रहा है. बच्चा सो गया या जाग रहा है … और आइसक्रीम खाओगी क्या?

वह उसकी पसंद की शॉप के पास खड़ा था. फिर कुछ ऐसी ही सामान्य पति पत्नी की बातों के साथ उसने फ़ोन रख दिया.

फोन कट जाने पर उसकी जान में जान आयी.
मैंने कहा- प्यार तो करता है तुम्हें.
वह बोली- प्यार का तो पता नहीं, हां केयर पूरा करते हैं. मेरी पसंद ना पसंद का उन्हें सब पता है. मुझे कोकोनट क्रीम बहुत पसंद है … तो उसका ही पूछा.
मैं कुछ नहीं बोला.

वह बोली- अब जाओ भी, वे आते ही होंगे. देखने आए थे न … देख लिया!
मैं थोड़ा दूर खड़ा बस उसके चेहरे को देख रहा था.
उसके चेहरे पर मेरी आंखें ऐसे गड़ी थीं, जैसे मुझे उधर कुछ मिल गया हो.

वह बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- तुम्हें.

वह बोली- शाम को देख कर मन नहीं भरा?
मैंने कहा- अभी देखा ही कहां है. आज तो बस छुआ है … और तुमने अलग कर दिया.

उसने प्यार से मारते हुए कहा- देखो वापस चालू हो गए न … कोई मौका नहीं छोड़ते तुम!

मैंने उसको पास बुलाया, उसे थैंक्स कह कर उसके माथे को चूमा और कहा- प्लीज रोया मत करो.

हमने एक दूसरे को सीने से लगाया.
मैंने टी-शर्ट के अन्दर से उसकी कमर को पकड़ा और कस कर हग और किस कर लिया.

मैं निकलने लगा तो उसने कहा- कॉल करो.
मैंने कहा- नहीं, अब नहीं … तुम्हारा पुरु कॉल कर सकता है. बिजी आया तो पूछेगा न कि किस से बात कर रही हो.
हमने बाय किया और मैं मेरी बाइक पर आकर बैठ गया.

मैं अभी चला भी नहीं था कि उसका व्हाट्सएप कॉल आया.
वह बोली- इस पर तो बात कर सकते हैं न! यहां उसका फ़ोन नहीं आएगा और कॉल बिजी भी नहीं दिखेगी.

मैं हंस पड़ा.
मैंने कहा- तुम बहुत सुंदर हो.

उसने कहा- और तुम बहुत शरारती!
मैंने कहा- मैं और शरारती … मैंने क्या शरारत की?

वह बोली- क्यों तुम्हें नहीं पता कि तुम्हारे हाथ कहां जा रहे थे?

‘इतनी खूबसूरत लड़की इतना करीब हो और हाथ शरारत भी न करे, ये तो उस खूबसूरत लड़की की खूबसूरती के खिलाफ हो जाएगी न! पर सच मैं अश्लेषा तुम बहुत खूबसूरत हो. मेरा मन किया कि सब भूल जाऊं और आज तुम्हें जी भर के जी लूँ.’

उसने कहा- तुम सच मैं किस अच्छा करते हो, कितनी प्रैक्टिस की है … बताओ कितनी लड़कियों को किया है? बताओ बताओ!
यह कह कर वह खिलखिला कर हंसने लगी.

मैंने उससे कहा- हमेशा ऐसे ही हँसते रहा करो.
‘सच!’

मैंने कहा- सच में तुम हँसती हो तो और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो. इतना कि मैं सच मैं खुद को रोक ही नहीं पाया. मैंने कभी किसी लड़की को ऐसा पहली बार में गले ही नहीं लगाया. तुम में न जाने क्या था कि मैं खिंचा चला आया. शाम को तुम्हारा वह चेहरा आंखों के आगे से नहीं जा रहा. आई लव यू अश्लेषा.

वह बस मुझे सुन रही थी.

कुछ देर बाद उसने कहा- हां, मैं तो हर आते जाते लड़के के गले लग जाती हूँ न … और किसी को भी घर बुला लेती हूँ न!
उसकी इस बात पर हम दोनों ही हंस पड़े.

वह बोली- थैंक्यू … एक बहुत अच्छा सा दोस्त देने के लिए एक अच्छा सा अहसास, जिसे मैं आज साथ लेकर सोऊंगी. सच्ची न अभी भी आंख बंद कर रही हूँ … तो तुम्हारा छूना, तुम्हारा अहसास मुझे मेरी गर्दन पर महसूस हो रहा है. क्या है … जाओ न अपना काम करो … और मुझे भी करने दो.

तभी शायद उसके पति आ गए और उसने कहा- बाय बाय … प्रवीण आ गए हैं. कल मिलते हैं.
उसने फ़ोन रख दिया.

मैं भी घर आ गया.
बाथरूम में जाकर अश्लेषा को याद करके जोरदार मुठ मारी और सो गया.

रात भर सपनों में मैंने अश्लेषा को चोदा.

दोस्तो, इसके आगे की कहानी अगले भाग में!
आप मेरे साथ बने रहें और मुझे इस जवान लड़की किस हग कहानी पर अपने विचारों से अवगत कराएं.
धन्यवाद.
[email protected]

जवान लड़की किस हग कहानी का अगला भाग:

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