चूत चाट कर मजा दिया मैंने अपनी नयी बनी गर्म गर्लफ्रेंड को! उसके घर वाले बाहर गए तो उसने मुझे अपने घर बुला लिया और मैं उसके साथ उसके बेडरूम में था.
मित्रो, कहानी के पिछले भाग
पति के प्यार से वंचित मेरी प्रेमिका
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अश्लेषा के घर में था और हम दोनों उसी के किचन में एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. तभी चाय बन गई और हम दोनों अलग हो गए.
अब आगे चूत चाट कर मजा दिया:
हमने चाय और कुछ नाश्ता लिया और उसके बेडरूम में आ गए.
मैंने जल्दी से उसको अपने पास खींच लिया और बेड पर ही आधा लेटा लिया.
वह पीठ के बल मेरे सामने थी और मैं उसकी एक साइड करवट लिए हाथ की कोहनी के बल लेटा था.
उसके बालों से खेलता, चेहरे को सहलाता हुआ मैं उससे बातें कर रहा था.
उन पलों में हमें कोई रोकने या देखने वाला नहीं था.
उसने उठ कर कमरे की लाइट बंद की और वापस उसी जगह वापस आकर लेट गयी.
वह मुझे आंख मारती हुई बोली- कथा शुरू करें?
हम दोनों हँसते हुए एक दूसरे के होंठों में खो गए.
अब हमें अपने सपने को जीना था.
मैं उसके होंठों को चूमता चूमता, उसकी गर्दन तक आ पहुंचा.
मैंने एक हाथ उसके नीचे से घुसा कर उसके टॉप में डाला और उसके एक चूचे को अपनी हथेली की गिरफ्त में ले लिया.
साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसके लोअर व शॉर्ट्स के अन्दर डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा.
मैं अपने हाथ की चारों उंगलियों को उसके चूचुक पर रगड़ रहा था.
उसके चूचुक एकदम कड़क और गुलाबी थे.
फिर मैंने उसके टॉप को खींच कर ऊपर कर दिया और होंठों से कान से गर्दन और गर्दन से कंधे से होता हुआ उसके चूचों तक आ गया.
मेरा एक हाथ लगातार उसकी चूत को रगड़ रहा था.
वह आंख बंद कर इस सबको जी रही थी.
कभी छाती ऊपर करके अपने पूरे दूध को मेरे मुँह में भरने का आमंत्रण देती, तो कभी कमर उचका कर चूत में हो रही बेताबी को बयां करती.
मैं उसकी चूत को लगातार मसल रहा था.
अब वह भी अपनी चूत उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
मैं बीच बीच में अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल देता.
शायद इस वजह से ही उसका मन बेहाल हो रहा था.
वह लगातार अपनी चूत उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
शर्म और हवस का मिला-जुला रंग उसके चेहरे पर देखते ही बन रहा था.
मैं उसको इस आनन्द को देखना चाहता था इसलिए अब मैं उसको देखते हुए मेरी उंगली से उसकी चूत चोद रहा था.
उसकी चूत इतनी ज्यादा गीली हो गयी थी कि उंगली से भी फच फच की आवाज़ों ने उस पल को हवस भरा बना दिया था.
वह अपनी आंखें बंद किए पीछे की तरफ छाती उठाती हुई मदहोश होती जा रही थी.
मैं अब भी उसके चूचुक को रगड़ रहा था.
उसके दोनों हाथों ने मेरे हाथ को दबाया और चूत पर और तेजी से करो का इशारा देते हुए मेरी और अपनी स्पीड बढ़ा दी थी.
फिर उसके मुँह से एक लम्बी आह निकली.
मानो एक पल के लिए सब थम सा गया हो और उसकी चूत से गर्म लार की झड़ी लग गयी.
वह बहुत ज्यादा झड़ी.
उसका शरीर अकड़ गया था पर आज मुझे रुकना ही नहीं था.
मैंने उसके टॉप को निकाल फेंका और खुद की टी-शर्ट भी उतार दी.
अब वह केवल शॉर्ट्स और मैं जींस में था.
मैं उसके ऊपर आ गया था और उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चूस रहा था.
कभी चूसता तो कभी रगड़ता.
इस सहलाने के खेल में कब उसने मेरी जींस को खोल कर मेरा लंड बाहर निकाला, कुछ पता ही नहीं चला.
पर जैसे ही उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा, वह एक पल को ठहर सी गयी.
उसकी आंखें थोड़ी बड़ी हो गईं.
मुझे आंखों से देखते जैसे कह रही हो कि ये तो बड़ा और बहुत मोटा है.
पर मैंने उसकी बात को अनदेखा करते उसके चूचुकों को चाटना शुरू कर दिया.
मैं कभी उसके चूचुक को दांतों से दबाता, तो कभी अपनी जीभ को उसकी तालू के बीच इतनी ज़ोर से दबा देता कि वह छटपटा जाती.
पर दर्द का ये खेल उसको और नशे में बोझिल कर रहा था.
जितना वह तड़पती, उतना मैं उसके चूचुकों से खेलता.
मैंने उसके दोनों चूचों को इतना चूसा कि वे लाल हो गए थे और चूचुक इतने कड़क हो गए थे कि मैं जीभ भी लगाता, तो उसे मीठा मीठा दर्द होता.
इस सब से वह बहुत मजा ले रही थी.
मेरे दोनों हाथ उसके शरीर से ऐसे खेल रहे थे मानो मैं जानता हूँ कि किस हिस्से को कैसे छूने से वह चुदाई के लिए और आतुर हो जाएगी.
मैं उसके दोनों चूचों को अपने हाथों के हवाले कर उसकी धीरे धीरे उसको चूमता हुआ उसकी चूत तक पहुंच गया.
मैंने मुँह से ही उसके शॉर्ट्स को नीचे खींचा और जितना हिस्सा उसका शॉर्ट्स से बाहर होता, उसे कभी चाट लेता … तो कभी चूमता.
वह छटपटा रही थी.
उसकी ‘अहह अहहह सीई ईई आह हह अम्म्म’ की आवाज़ों ने मुझे और प्यासा व और जोश में ला दिया था.
मेरा लंड जोर जोर से कुलाचें भर रहा था पर मुझे अभी अपनी नहीं, उसकी प्यास को मिटाना था.
मेरा एक रिकॉर्ड रहा है कि जिसके साथ भी चुदाई की, उसको तृप्त किया है.
हर बार सामने वाले के मुँह से सुना है ‘प्लीज बस करो, मैं थक गयी हूँ.’
आज भी मुझे अपना यह पुरस्कार तो पाना ही था.
मैं जितना उसकी शॉर्ट्स नीच करता, वह अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देती और अंत में मैंने दांतों की पकड़ से ही उसकी शॉर्ट्स को भी उतार दिया.
अब वह पूरी नंगी मेरे सामने थी.
उसने अपने दोनों हाथ से अपना चेहरा छुपा लिया था.
मेरे दोनों हाथ अभी भी उसके चूचुक को बेरहमी से दबा और रगड़ रहे थे.
मेरे हाथ कभी उसके बदन को सहलाते, तो कभी चूचों को कस कर दबा देते.
मेरे हाथ उसके अन्दर के जानवर को जगाने में लगे थे.
अब मेरी जीभ और होंठ उसकी नमकीन चूत से खेल रहे थे. मैं उसकी चूत चाट रहा था.
कभी मैं अपनी जीभ को फोल्ड करके उसकी चूत पर रगड़ता तो वह अपनी गांड उठा कर जीभ से मुकाबला करती.
जीभ के घर्षण का अहसास होते ही उसे जबरदस्त एक मदहोशी महसूस हो रही थी जिस वजह से उसकी आह आह निकल रही थी.
जब मैंने पहली बार अपनी पूरी जीभ उसकी चूत के एक सिरे पर रख कर ऊपर तक एक भरी दबाव से साथ चाटी तो वह बेहद तिलमिला उठी.
उसने अपनी चूत ऊपर की ओर कर दी और उसकी कमर वापस नीचे नहीं हुई.
उसकी इस मुद्रा से ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना चाहती हो कि एक बार और ऐसे ही करो न!
मैंने पुन: बिना रुके लम्बी घर्षण से साथ उसकी चूत को दाने तक चाटा.
और इस बार ये सब इतना धीमी गति से किया था कि वह मेरी जीभ के हर स्पर्श को अपने अन्दर तक महसूस कर सके.
उससे रहा न गया और उसने अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख दिए.
मैं अपने इरादे में सफल हो रहा था.
वह मेरे मुँह से अपनी चूत को चुदवाना चाहती थी.
जितनी धीमे से मैं अपनी जीभ को उसकी चूत पर फेरता, उतनी ही धीमी रफ्तार से लेकिन दबाव देते हुए वह अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ उठा देती.
हम दोनों किसी संगीतकार की जुगलबंदी की तरह जीभ और चूत का संयोग बैठा रहे थे.
वह निरंतर अपना आपा खो रही थी.
कमरे में उसकी सिसकारियां हमारे प्यार का जैसे गाना गा रही हों.
मेरा लंड अब तक तप कर लोहे की रॉड बन गया था.
मैंने अपनी जगह को मैनेज किया और उसके एक हाथ में लंड थमा दिया.
उसने कुछ पल तो उसे सहलाया, आगे पीछे किया … पर अभी वह शायद अपने आप में खोयी हुई थी और वापस मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी थी.
कभी वह मेरा सर अपनी जांघों में दबाती, तो कभी हाथों से इतना जोर से पकड़ कर तेज आवाज में आह्ह अहह करती हुई अपनी चूत को मेरे होंठों से रगड़ देती.
जब जब मैं जीभ उसकी चूत में डालता, तो उसकी वासना से भरी हुई आहह की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज जाती थी.
अब मेरी खुरदरी जीभ और दबाव के साथ लग गई थी. वह भी अपनी चूत को जीभ से दबाती हुई रगड़वा रही थी.
उसकी कशिश यूं जाहिर हो रही थी कि उसका वश नहीं चल रहा है, अन्यथा वह चूत के रास्ते मुझे अपने अन्दर समा लेगी.
यह खेल कुछ पल चलता रहा.
फिर अचानक से उसने मुझे ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह इतना कसके बौखला उठी थी कि मेरे होंठों पर उसके दांत चुभ रहे थे.
उसने मुझे इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मैं उससे खुद को छुड़वा ही न सकूं.
उसके पेट के नीचे का हिस्सा काँप रहा था.
वह अभी भी अपनी चूत उठा कर मेरी जांघ से झगड़ रही थी और उससे कस कर लिपट गयी थी.
उसकी चूत से निकल रहा गर्म पानी मेरे लंड और जांघों पर मैं अच्छे से महसूस कर रहा था.
मेरा घुटना गद्दे पर गिरे उसके चूतरस के गीलेपन को महसूस कर रहा था.
उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ा हुआ था. अब तक वह दो बार झड़ चुकी थी.
उसका दिल इतना तेज़ धड़क रहा था मानो राजधानी रेलगाड़ी अपनी फुल स्पीड से दौड़ी जा रही हो.
हम दोनों एक पल के लिए थम कर वापस शुरू हो गए थे.
उसने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी.
उसकी वासना से भरी आंखें जैसे मुझे ललकार रही थीं कि अब नहीं छोड़ूँगी … बहुत परेशान कर लिया.
उसने मेरी जींस उतार फेंकी और अब हम दोनों नंगे हो गए थे.
दोनों के बीच अब शर्म या छुपाने जैसा कुछ नहीं बचा था.
उसने मुझे गर्दन से चूमना शुरू किया.
उसको मैंने पहले बातों बातों में कई बार बताया था कि मुझे गर्दन पर किस करना अच्छा लगता है, ये मेरी कमजोरी है.
उसने मेरी कमजोरी पर ही हमले से अपना खेल शुरू किया.
मेरे ऊपर कमर के दोनों तरफ अपने पैर किए और मेरे दोनों हाथों को कसके पकड़ कर बैठी थी.
मैं उसके कड़क चूचुकों को और चूचों को अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था.
मुझे इस तरह चूचों को शरीर से रगड़वाना और गर्दन पर उसके तप्त होंठों का चलना बेहद उत्तेजित कर रहा था.
मेरा लंड तो पहले ही फटने को हो रहा था, उसके इस प्रहार से मेरी भूख और बढ़ गयी थी.
उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे आगे पीछे करने लगी.
हम दोनों ने इस बीच शब्दों से कोई बात नहीं की थी. हम बस आंखों से कह और सुन रहे थे कि आज हमारे प्यार और एक दूसरे को कितना समझते हैं, उसका परिचय देना था.
किसी हद तक हम दोनों उस परीक्षा में पूरे नम्बरों से पास भी हुए थे.
अब उसने मेरे लंड को पेट की तरफ कर अपनी चूत को उसके ऊपर रख लिया और कमर को आगे पीछे करने लगी.
उसके चूचे मेरी छाती पर रगड़ रहे थे. वह कभी मेरी गर्दन को चूमती, तो कभी होंठों को.
मुझे ये सब आनन्द के सागर में गोते लगाने का अनुभव करा रहा था.
मैं अपनी कमर से जोर लगा कर उसकी चूत को धन्यवाद दे रहा था. वहीं उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से कैद कर लिया था और लगातार रगड़ रही थी.
मेरे मुँह से अहहह निकली.
मैं अभी तक उसकी तरफ से होने वाले किसी भी बल प्रयोग को रोक नहीं रहा था.
अब मुझे उसको रोकना था.
ये सब मुझे देर तक महसूस करना था.
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसके पीछे किए और उठ कर बैठ गया.
अब वह मेरी गोद में बैठी थी.
हम दोनों बेतहाशा एक दूसरे को चूम रहे थे. उसके होंठों से लग रहा था मानो वह आज अपना नाम मेरी गर्दन और होंठों पर लिख ही देगी.
किस करते हुए उसने मुझे धक्का दे दिया और वापस नीचे लिटा दिया. अपने चूचों के चूचुकों को मेरे चूचुकों से रगड़ने लगी और मेरी आंखों में वासना से देखती हुई मेरे लंड को अपनी चूत से सहलाने लगी.
मैंने उसको थोड़ा सा नीचे की ओर जाने का दबाव दिया.
उसने मुझे देखा और मेरी कामना को समझा कि शायद मैं उससे लंड चुसवाना चाहता हूँ.
शायद उसने पहले कभी लंड नहीं चूसा था, तो उसके मन में भी कुछ था … जो उसकी आंखों में साफ दिखने लगा था.
दोस्तो, प्रेमिका की चूत चाट कर चुदाई की कहानी के अगले भाग में मैं आपको आगे बताऊंगा कि किस तरह से उसने मेरे लौड़े को चूसा और मस्त चुदाई हुई.
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चूत चाट कहानी का अगला भाग: प्रेम की रसधार में चूत चुदाई का मजा- 5