फाग में पड़ोसी लड़के से चुद गयी मैं (Holi Sex Kahani)

होली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं फाग वाले दिन दोपहर को मैं पड़ोस के एक जवान लड़के से चुद गई। कैसे? मेरे पति मुझे किसी और से चुदवाने की बात करते थे।

यह कहानी सुनें.

हाय दोस्तो! कैसे हो आप? अंतर्वासना पर मैं आपका स्वागत करती हूं।

मेरा नाम मनीषा है और मैं एक हाउसवाइफ हूं। मेरी उम्र 28 साल है। मेरे घर में मैं, मेरे हस्बैंड और और हमारा एक बेबी है।
हम एक साधारण परिवार से ही हैं।

रोज सुबह 9:00 बजे के आसपास मेरे हस्बैंड ड्यूटी पर चले जाते हैं और फिर पूरे दिन मैं घर में अकेली रहती हूं।
फिर मैं अपना सारा काम खत्म करके अपना अधिकतर समय फोन में टाइम पास करके ही बिताती हूं।

मैंने अपने और अपनी जिंदगी के बारे आप को थोड़ा आईडिया दे दिया है। इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं बता सकती।

तो चलिए मैं सीधे होली सेक्स कहानी पर आती हूं।
यह बात होली के समय की है।

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहा करता था; उसकी उम्र 22-23 साल के आसपास होगी; वह अभी पढ़ाई कर रहा था।

उसको देखकर मुझे अक्सर ये लगता था कि वह मुझे मन ही मन में पसंद करता है लेकिन कह नहीं पा रहा है।
मैं उसकी आंखों में सब देख चुकी थी।
मैंने उसके दिल में अपने लिए मोहब्बत देखी थी।

खैर … हुआ यूं कि यह देखा-दाखी हमारी बहुत लंबे समय तक चलती रही। मैं भी उसे देखकर मुस्करा दिया करती थी।

उसके और मेरे बीच में इससे ज्यादा अभी और कुछ नहीं चल रहा था।
जब भी मेरी और उसकी नज़र मिलती तो वह मुझे बहुत प्यार से देखता और मैं भी उसे देखकर मुस्करा दिया करती थी।

अब हम कहानी के दूसरे पहलू पर आते हैं।

रात को जब मैं और मेरे हस्बैंड बिस्तर पर साथ होते थे तो मेरे हस्बैंड कई बार ये इच्छा जाहिर करते थे कि मैं किसी और के साथ एक बार सेक्स करूं।

वो मुझे किसी और के साथ चुदते हुए देखना चाहते थे।
वे मुझे हमेशा इस बात के लिए कहते थे परन्तु मैं मना कर देती थी।

फिर उन्होंने मुझसे कहा- कम से कम सेक्स को अच्छा बनाने के लिए तो हां में हां मिला दिया करो?

मैं उनके दिल के भाव समझ गई और मैं उनकी खुशी के लिए तैयार हो गई।
तो जब वो सेक्स के टाइम मुझसे बातें करते वक्त किसी और से चुदवाने के लिए कहते थे तो मैं भी हां में हां मिलाकर चुदवाती थी।

फिर जैसे-जैसे समय बीतता गया मेरी यह कल्पना सच में लालसा में बदलने लगी।
मेरा सच में किसी के पास जाने का मन करने लगा।

मगर मैं एक भारतीय नारी थी … अगर ऐसी कोई इच्छा मैं किसी के सामने रखती तो सब मुझ पर ही दोष लगाते।

ऐसे ही समय बीतता गया।

मेरी जिंदगी में सब कुछ सामान्य चल रहा था।

फिर होली आई।
मैंने मेरे पति के साथ होली खेली।

उस दिन हमने साथ में बैठकर शराब भी पी। मुझे थोड़ा नशा सा हो रहा था। उन्होंने मेरे सारे बदन पर रंग लगा दिया।

इससे ज्यादा आप मुझसे किसी चीज की उम्मीद मत करना क्योंकि मैं एक अच्छे घर से हूं तो मेरी इज्जत मेरे हाथ में है।

तो जो पाठक मुझ पर भरोसा करें उसका दिल से स्वागत है वर्ना आपकी मर्जी है।

खैर … में कहानी को आगे बढ़ाती हूं।

मेरे बदन में मस्ती सी छा रही थी। आप मेरी फोटो को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे मेरे बदन से मदहोशी साफ झलक रही है।

एक औरत के सुडौल जिस्म को इस तरह होली के रंग लगाकर जब सहलाया जाए तो वो कितनी गर्म हो जाती है ये आप में से कुछ लोग जानते भी होंगे और अनुभव भी कइयों को हुआ होगा।

वो जब मेरे बदन पर हाथ फिर रहे थे तो मेरी चूचियों में तनाव बढ़ने लगा था।
होते होते उनके हाथ मेरे बूब्स पर आ गए थे। वो उनको मेरी लाल ब्रा के ऊपर ही दबाने लगे।

मुझे उनके हाथों को नशा चढ़ता जा रहा था। फिर मेरे पति ने मेरी लाल की ब्रा को नीचे उतारा और मेरे बूब्स को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे।

मुझे भी बहुत आनंद आने लगा।
मैं भी उनका सिर दबाकर अपने बूब्स चुसवाने लगी।

मगर फिर अचानक घर की दरवाजे की बजी।
उन्होंने जाकर दरवाजा खोला तो उनके बहुत सारे दोस्त गेट पर खड़े थे।

मेरे पति उनके साथ होली खेलने के लिए बाहर चले गए।
अब मैं घर पर अकेली रह गई थी।

मेरे पति मुझे गर्म कर चुके थे; उनके होंठों की लार से मेरी चूचियों की निप्पल गीली थीं।

मुझे अब किसी के होंठ चाहिए थे जो कि मेरी चूचियों को फिर से चूस सकें।
मगर मैं ये समझ नहीं पा रही थी कि अपनी इस प्यास को कैसे शांत किया जाए।

पति के जाने के करीब 10 मिनट बाद वह लड़का घर पर आया जिसका मैंने कहानी के शुरू में जिक्र किया था।

उसने कहा- भाभी नमस्ते!
मैंने भी कहा- हां, आ जाओ, बताओ क्या बात है?

उसने मुझसे कहा- भाभी, मुझे आपके साथ होली खेलनी है।
मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।

फिर मैंने हंसकर कहा- क्यों? और भाभी नहीं हैं क्या पड़ोस में?

तो वह मेरा हाथ पकड़ कर नीचे बैठ गया, जैसे किसी को प्रपोज करते हैं, और मुझसे बोला- नहीं, आपके जैसी इस पड़ोस में कोई नहीं है। सच में आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं आपके लिए जान भी दे दूंगा।

वह मेरे लिए एक चोकलेट लेकर आया था और उसे मुझे देते हुए बोला- आपको मेरी तरफ से कभी कोई प्रॉब्लम नहीं होगी, मैं वादा करता हूं।

दोस्तो, मुझे इस तरह उसके द्वारा प्यार जताए जाने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।
उसकी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म के मारे लाल पड़ गया।
मैं समझ नहीं पा रही थी कि उससे क्या कहूं क्योंकि मिन्नतें करते हुए उसका चेहरा रोने जैसा हो गया था।

मैंने खुद को संभालने और माहौल को नॉर्मल करने के लिए उससे कहा- तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आती हूं। मैंने उसका गिफ्ट स्वीकार कर लिया।

मैं रसोई में उसके लिए पानी लेने के लिए चली गई।
वहां मैं सोचने लगी कि अगर आज मैं इसके साथ आगे बढ़ जाती हूं तो शायद मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

मेरे हस्बैंड की इच्छा की वजह से मुझे शायद थोड़ी परमिशन भी थी और कुछ हिम्मत भी थी।
मगर मैं यह सब हस्बैंड से अलग ही करना चाहती थी।

मैं उसके लिए पानी लेकर चली आई, मैंने उसको पानी ले जाकर दिया।

फिर हम वहीं बेड के किनारे पर बैठकर कुछ देर तक बातें करते रहे।

बातें करते हुए वह धीरे से मेरे पास आया।
उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा तो मैं समझ गई कि ये शुरूआत कर रहा है।

मैं भी मन से उसको इजाजत दे चुकी थी।
मुझे उसके हाथ का स्पर्श बहुत अच्छा लगा।

वो धीरे धीरे मेरे कंधे को सहलाने लगा।
पहली बार मैं किसी गैर मर्द के स्पर्श को महसूस कर रही थी।

उसने मेरे कंधों से और मेरे कानों से मेरे बालों को हटाकर मेरे कान की लटकन को अपने मुंह में दे लिया और चूसने लगा।
फिर वो मेरी गर्दन पर किस करने लगा।

ये मेरे शरीर के वह हिस्से थे जिनसे मेरा कंट्रोल एकदम छूट जाता है।
मेरी आंखें एकाएक बंद हो गईं और मैं बेड पर पीछे की तरफ लेट गई।
मेरे सारे बदन पर रंग लगा हुआ था।

फिर धीरे-धीरे करके वह मेरी साड़ी खिसकाने लगा। मैंने उसको रोकना चाहा लेकिन उसने मेरे दोनों हाथों को बहुत तेजी से पकड़ लिया और मेरे पेट पर बैठ गया और मुझे किस करने लगा।

मुझे थोड़ा नशा भी हो रहा था। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से उसने मुझसे अपने प्यार का इजहार किया तो मैं खुद को रोक नहीं पाई।
मैंने उसे किस करने दिया।

औरत को हमेशा एक सच्चा और अच्छा इंसान ही चाहिए होता है जो उसके लिए कुछ भी कर जाए। औरत भी फिर उस इंसान के लिए कुछ भी कर जाती है, यह जिंदगी की सच बात है।

मेरे होंठों को चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे मेरी गर्दन को चूमते हुए मेरे चूचों पर होंठों से रगड़ते हुए मेरी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा।
मुझे अजीब सी सिरहन हो रही थी।

मैं गर्म होने लगी थी और चाह रही थी कि उसके साथ एक हो जाऊं।

धीरे-धीरे करके उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में ही थी।

उसने मुझे पलट दिया और पीछे से मेरे मखमली बदन पर किस करने लगा।
उसके हर चुम्बन के साथ मेरी चूत में एक कुलबुलाहट सी उठ रही थी। मर्द के होंठों का चुम्बन औरत की चूत की गहराई तक असर करता है।

मुझे पलट कर वो मेरी कमर और मेरे कूल्हों पर किस करता जा रहा था।
मुझे बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था।

फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूचियों की घाटी में चाटने लगा।
मैं उसके सिर के बालों को सहलाने लगी।

अब यही पल वापस आ गए थे जिनमें मेरे हस्बैंड मुझे अधूरा छोड़कर चले गए थे।

मुझसे भी रुका न गया और मैंने अपनी ब्रा निकाल कर अपने नंगे चूचे उसके सामने परोस दिए।

वो मेरी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगा.
मैं मदहोश होने लगी, उसके सिर को कसकर अपनी चूचियों में दबाने लगी।

वो भी जोश में आ चुका था और चूचों को दोनों हाथों से भींचते हुए पी रहा था।

फिर उसका एक हाथ मेरी पैंटी पर पहुंच गया जो कि मेरी चूत पर कसी हुई थी।
पैंटी के ऊपर से चूत के होंठों को वो सहला रहा था और मेरी चूत में पानी आना शुरू हो चुका था।

उसने फिर नीचे ही नीचे मेरी पैंटी में हाथ दे दिया और मेरी फूली सी चूत को हथेली से रगड़ने लगा।

उसके सख्त हाथों से रगड़वाते हुए मेरी सिसकारियां निकलने लगीं।
मेरी टांगें खुद ही चौड़ी होने लगीं।

मैं चाह रही थी को वो मेरी चूत का और अच्छे से मर्दन करे।

जैसे जैसे उसके हाथ की रगड़ मेरी चूत पर गहरी होती जा रही थी मैं उसके होंठों को जोर से चूसने लगी थी।

फिर उससे रुका न गया और उसने जल्दी से मेरी पैंटी खींचकर मेरी चूत को अपने मुंह में भर लिया।

वह धीरे-धीरे करके मेरी चूत को चूसने लगा.
मैं भी उसके बालों में अपना हाथ फिराने लगी।

वह कभी-कभी मेरी चूत में अपनी पूरी जीभ डाल देता और कभी बाहर के हिस्से पर धीरे-धीरे करके जीभ फिराता।

बहुत देर तक ऐसे ही चूत को चूसने के बाद वह किस करता हुआ मेरे बूब्स तक आ गया और दोनों हाथों से मेरे बूब्स को दबाकर चूसने लगा।

उसके थूक से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। उसके बाद उसने अपने कपड़े बिजली की तेजी से उतार फेंके और पूरा नंगा हो गया।

उसका लंड काफी मोटा था, लम्बाई भी अच्छी थी।

उसने अपना लंड हाथ में लिया और मेरी चूत पर रख दिया।

लंड को चूत पर सटाकर वो मेरे ऊपर लेट गया और मैंने उसको अपनी बांहों में कस लिया।

वो फिर धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा और कुछ पल के बाद ही उसका लंड मेरी चूत में प्रवेश कर गया।
एक कामुक आह्ह … के साथ मैंने उसके लंड को अपनी चूत में जगह दे दी और उसको अपनी बांहों में कस लिया।

थोड़ी देर में पूरा लंड चूत के अंदर चला गया और वह मेरे जिस्म से ऐसे लिपट गया जैसे चंदन के पेड़ पर सांप लिपटने लगता है।

उसका लंड मेरी चूत में पूरा फंस चुका था।

वह मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

उसने मुझसे कहा- आपके जैसी भाभी मेरी जिंदगी में आ गई … आप पर तो मैं सारी जिंदगी कुर्बान कर सकता हूं।

वह धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और मैं भी चुदने का मजा लेने लगी।

वो बहुत ही प्यार से मेरी चूत को चोद रहा था। मैं उसके इस अंदाज पर फिदा हो गई थी। लग रहा था जैसे वो मेरा आशिक हो और मैं उसकी प्रेमिका!

कुछ देर तक ऐसे चोदने के बाद उसने फिर उसने मुझे पेट के बल उल्टा पलट लिया और मेरे चूतड़ों में से होकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया।
उसने मेरे सारे बदन पीछे से जी भरकर चूमा और मुझे अपने जिस्म से चिपका कर चोदने लगा।

पीछे से मेरे कूल्हे उसे पूरा मजा दे रहे थे।
वह मेरी कमर और मेरे कंधों को अपने दांतों से काट रहा था।

मैं एकदम से मदहोश हो चुकी थी। ऐसा नशा तो मुझे दारू से भी नहीं हुआ था जितना उसके लंड से चुदकर हो रहा था।

बहुत देर तक वह मुझे ऐसे ही चोदता रहा।

फिर मैंने उसको अपने ऊपर से हटाया और उसको नीचे लेटा दिया।

अब मैं खुद उसके ऊपर आ गयी और उसके लंड पर बैठते हुए चूत में लंड को अंदर समा लिया।

फिर मैं उसके लंड की सवारी करने लगी; मैं उसके लौड़े के ऊपर उछलने लगी।
सच बताऊं तो बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और यह बात सच भी है कि औरत ऊपर आने पर बहुत जल्दी झड़ जाती है।

मेरी भी वही हालत होने लगी थी।
एक तो किसी पराये मर्द के साथ मेरा पहला अनुभव था; दूसरे उसका लंड ऐसा था कि जैसे मेरी ही चूत के लिए बना हो।

पूरे बेडरूम में मेरी आह्ह … आह्ह … ओह्ह … करो … आह्ह … करो … बहुत मजा आ रहा है … आह्ह … ऐसे ही … हां ऐसे ही … जैसे शब्दों के साथ जोर जोर की सिसकारियां निकल रही थीं।

मैं उसके लंड को चूत में महसूस करके इतना आनंद ले रही थी कि मेरा चरम जल्द ही नजदीक आ गया।
मेरा शरीर एकदम अकड़ने लगा था।
अब मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी।

कुछ और दो चार धक्कों के बाद मेरी चूत ने अपना सारा पानी छोड़ दिया।
मेरी बहुत तेज तेज सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उससे एकदम चिपक गई।

फिर मैं निढाल होकर एक तरफ लेट गई।

वह वापस से मेरे ऊपर आया और उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मेरे से उसके धक्के नहीं सहे जा रहे थे क्योंकि मुझे अब दर्द हो रहा था।

अब मैं उसके नीचे छटपटा रही थी तो मैं उससे हटने को कहने लगी।

मुझे ऐसे करते देख शायद वो और जल्दी झड़ गया और उसने भी अपना सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया।

फिर कुछ देर मेरे ऊपर लेटे रहने के बाद वो ऊपर से उतरकर मेरे बराबर में ही लेट गया।
फिर मैंने उससे कहा- तुमने तो कंडोम भी नहीं लगाया था।
तो उसने मुझसे कहा- कोई बात नहीं भाभी, मैं आपको गोली लाकर दे दूंगा।

मैंने उससे कहा- ठीक है, अब तुम जाओ यहां से … मेरे हस्बैंड कभी भी आ सकते हैं।
तो वह वहां से चला गया।

मैंने भी जल्दी से खुद को संभाला और सब कुछ ठीक कर दिया।

दोस्तो, इससे ज्यादा और उस दिन कुछ भी नहीं हुआ था। जो हुआ था वह मैंने अपने शब्दों में आपको बयां कर दिया।

यह मेरी एक सच्ची होली सेक्स कहानी है।

फिर उसने मुझे गोली भी लाकर दी जिससे बच्चा ना ठहरे।
मैं उसको चाहने लगी थी। यह सब मैंने अपने हस्बैंड से छुपाकर ही रखा।

आप लोगों को मेरी होली सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल करके जरूर बताएं।

पाठकों की शिकायत पर इमेल आईडी हटाया जा रहा है.

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