बच्चे की चाह में- 1 (Pati Patni Sex Ki Kahani)

पति पत्नी सेक्स की कहानी में पढ़ें कि शादी के बाद जॉब के साथ साथ मिया बीवी सेक्स की मौज मस्ती में लगे रहे. कई साल बाद उन्हें होश आयी कि जीवन में बच्चा करना भी जरूरी है.

दोस्तो, आज की कहानी कुछ लीक से हटकर है और एक कड़वे सच का पर्दाफ़ाश करती कहानी है.

यह कोरी पति पत्नी सेक्स की कहानी नहीं, बल्कि एक घटना है जो मेरे एक नियमित पाठक मुकेश और उनकी पत्नी भावना के साथ घटित हुई.

मुकेश और भावना दोनों नोएडा में अलग अलग एम एन सी में जॉब करते हैं.
अपने-अपने केरियर में इतने लगे रहे कि जिंदगी की भागमभाग में वैसे तो हर मज़े लिए पर बच्चों की प्लानिंग से अपने को कोसों दूर रखा.

दोनों गजब के स्मार्ट और मिलनसार हैं. दोनों ही सेक्स के पूरे भस्सी हैं, मस्ती का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते, पीने खाने में कोई परहेज नहीं.

पति पत्नी दोनों नियमित जिम जाते हैं तो वीकेंड में पब या बार में मस्ती पूरी करते हैं.
वेतन अच्छा मिलता है तो शौक भी नवाबों के रखते हैं.

शादी के इन 7-8 सालों में काफी दुनिया घूम चुके हैं और हर तरह की मस्ती कर चुके हैं.
दोनों आपस में बहुत खुले हुए हैं, एक दूसरे को खुल कर मस्ती करने का पूरा मौक़ा देते हैं और विश्वास रखते हैं एक दूसरे पर.

मुकेश और भावना अब जीवन के 35 वसंत पार कर चुके हैं.
अब तो घर वालों ने बच्चे के लिए कहना भी बंद कर दिया.

पर अब खुद मुकेश-भावना को ये लगने लगा है कि अब और ज्यादा बच्चे को टालना उनके लिए बुढ़ापे में जंजाल बन जाएगा.
पिछले 6-7 महीनों से वो बिना प्रोटेक्शन के पति पत्नी सेक्स कर रहे हैं.
भावना हर महीने यह उम्मीद करती कि इस बार उसे पीरियड न हों पर हर बार पीरियड नियमित होते रहे.

तो उन्होंने मेडिकल राय ली.
जिससे उन्हें यह अंदाजा हुआ कि कमी तो कोई ख़ास नहीं है दोनों में ही!
मुकेश के वीर्य में शुक्राणु कम और कमज़ोर हैं, उसकी दवाई डॉक्टर ने उसे दी और भावना ने भी इतने सालों कभी दवाई, कभी कॉपरटी के माध्यम से गर्भ टाला; एक बार तो गर्भ गिराया भी; तो इन सबसे शायद अब गर्भ धारण में कोई रुकावट है.

डॉक्टर्स के अनुसार भावना में कोई कमी नहीं है तो इलाज़ कैसा.
बस भगवान् की इच्छा जब होगी या फिर वो कोई बच्चा गोद ले लें.
गोद लेने का उनका मन नहीं था, बस एक के बाद दूसरे डॉक्टर के चक्कर ही लगाते रहे वे दोनों.

आईवीऍफ़ क्लीनिक भी हो आये.
आश्वासन सब देते थे पर गारंटी कोई नहीं लेता था.

वहां किसी क्लीनिक ने बच्चे की गारंटी इस शर्त पर दी कि वे भावना के गर्भ में स्पर्म किसी डोनर का डालेंगे.
इसके लिए मुकेश तो तैयार हो गया था पर भावना तैयार नहीं थी.
उसे लगता था कि बाद में मुकेश का लगाव उस बच्चे से कम हो जाएगा क्योंकि उसे पता होगा कि वो बच्चा उसके शुक्राणु से पैदा नहीं है.

अब भावना भी उदास रहने लगी थी. अब दोनों किसी भी कीमत पर बच्चा चाहते थे.

घर वाले उन्हें ही कोसते कि क्यों इतने दिनों तक कुदरत का मजाक बनाया तुम लोगों ने!

गर्भ गिराने की बात तो अब बतायी इन्होंने अपने परिवार को.
जम कर डांट पड़ी दोनों को.

पर अब भगवान पर भरोसे के अतिरिक्त और क्या हो सकता था.

एक दिन मुकेश को एक आश्रम से फोन आया और फोन करने वाली महिला ने बहुत अच्छे ढंग से उससे बात करी और कहा कि उनके आश्रम में इसे बहुत केस आते हैं, जिनके बच्चा नहीं हो रहा है.
वे गारंटी तो नहीं देते पर नब्बे परसेंट केस में उनके पास आने वाले दम्पत्तियों के बच्चे हो जाते हैं.

मुकेश ने जब उनसे किसी दंपत्ति का रिफरेन्स चाहा तो उसने कहा कि गोपनीयता की दृष्टि से वह ऐसा नहीं कर सकती; न ही उनका नाम भी किसी को बताया जाएगा.

पता नहीं क्यों मुकेश और भावना को उस महिला की बातों पर यकीन हुआ और वो फ्लाइट पकड़कर आश्रम पहुंचे.

आश्रम एक समुद्र किनारे आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण एक रिसोर्ट था जहां हर उम्र के युगल मौज मस्ती के लिए आये हुए थे.
उनकी कोटेज बुक थी.

उनका संपर्क फोन पर उस महिला से निरंतर हो रहा था.
उस महिला का नाम रोज़ी था और वह उनसे मिलने रिसेप्शन पर आई.

रोज़ी बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की और पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप महिला थी.
उम्र उसकी लगभग 40 के आस पास रही होगी पर शारीरिक बनाव और मांसल गठाव उसे हर किसी के आकर्षण का केंद्र बनाता था.

रोज़ी ने मुकेश और भावना का हाथ मिलाकर मुस्कुराते हुए स्वागत किया.

उनका सामान कोटेज में भिजवाकर वह उन्हें अपने ऑफिस में ले गयी.
रोज़ी ने उनकी सारी रिपोर्ट्स पहले ही मेल से मंगवा ली थीं.

उसका ऑफिस छोटा सा पर बहुत सुंदर और शांत था.

मुकेश और भावना को बहुत अच्छा लगा उससे मिलकर!

रोज़ी ने उन्हें बिठकर जूस सर्व करते हुए कहा- मुकेश और भावना, आप मुझे अपना दोस्त मान कर खुलकर बात करें. आपकी समस्या का समाधान आप ही तय करेंगे. मैं तो आपको कुछ आप्शन दूँगी.

तभी रोज़ी ने कंप्यूटर पर उनका फोल्डर खोला और बड़े स्क्रीन पर उन्हें अपनी मेडिकल टीम की फाइंडिंग दिखायीं.
उनकी मेडिकल टीम की भी वही राय थी जो अब तक उनके डॉक्टर्स ने उन्हें दी थीं.

रोज़ी बोली- परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप ध्यान से मेरी बात सुनना, आराम से आपस में राय करके सोचना, फिर मुझे बताना. यह जगह इतनी खूबसूरत है कि आपको यहाँ आने का अफ़सोस नहीं होगा. जिंदगी खुल कर जीना यहाँ.

वह आगे बोली- हम यहाँ कोई चिकित्सा नहीं कर रहे, कोई चमत्कार नहीं दिखा रहे जिससे आपके बच्चा हो जाए. बच्चा होगा तो केवल भगवान् के आशीर्वाद से और हमारी प्लानिंग से, आप दोनों के सहयोग से.

रोज़ी ने आगे बताते हुए कहा- मेरी आगे की बात से आप एकदम इत्तिफाक नहीं करेंगे, पर भगवान के लिए मेरी पूरी बात सुनियेगा और सोचियेगा. यहाँ आप जैसे अनेकों जोड़े आये हुए हैं. उनमें से कुछ हमारी बात मान कर हमारे हिसाब से जीते हैं; उनमें से अधिकाँश मां बाप बन ही जाते हैं. जो हमारी बात से सहमत नहीं होते, वे एक दो दिन मौज मस्ती करके यहाँ से वापिस चले जाते हैं. और उनमें से काफी तो साल छह महीने बाद वापिस आते हैं और हमारी बात से सहमत हो जाते हैं.

मुकेश बोला- आप गोल मोल बात छोड़ हमें सीधी बात बताइए.

रोज़ी बोली- सीधी बात यह है कि आपको यहाँ अपने जैसे और जोड़ों के साथ रहने को मिलेगा. सभी सभ्य और अच्छे खासे पढ़े लिखे पैसे वाले दंपत्ति हैं, जिन्होंने पैसे के पीछे भागमभाग में वक़्त निकाल दिया मां बाप बनने का और अब वे ज्यादा वक़्त नहीं लगाना चाहते अपना परिवार बढ़ने में. तो यहाँ आप सब मिल जुल कर रहेंगे और मिल जुलकर सेक्स का आनन्द लेंगे. किसी पर कोई जबरदस्ती नहीं होगी. कोई किसी को नहीं जानता. आप कौन हैं किसी को नहीं मालूम. मेरे पास भी सिर्फ आपका फोन नंबर है, आप कहाँ से आये हैं मुझे नहीं मालूम. यहाँ जो भी आता है, उसका पहले मेडिकल टेस्ट होता है, फिर उसे आपस में मिलने दिया जाता है. यहाँ से वापिस जाने के बाद आधे केसेस में तो हमें खुशखबरी आती है, बाकी के लोग दोबारा चांस लेने फिर आते हैं, भगवान् की उन पर भी कृपा हो ही जाती है.

भावना और मुकेश दम साधे उसकी बात सुन रहे थे.

रोज़ी बोली- आपके केस में हमारी मेडिकल टीम का कहना तो यह है कि यहाँ के उन्मुक्त वातावरण में रह कर हो सकता है कि आप दोनों बिना किसी अन्य का साथ लिए वो पा जाएं जिसके लिए आप इतनी दूर आये हैं.

अभी मुकेश और भावना दोनों इस स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं लग रहे थे.

तो रोज़ी ने उनसे पूछा- अगर यह नहीं तो फिर इसका उपाय क्या है आपके पास? अगर आप बच्चा गोद लेते हैं, हो सकता है कि आप दिल से उसे स्वीकार न कर पायें. स्पर्म डोनर से गर्भ धारण में आपको मालूम है कि बच्चा आपके स्पर्म से निश्चित रूप से नहीं है बल्कि किसी और का है. और यहाँ अगर आप ग्रुप में एन्जॉय करते हैं, तो आपको नहीं मालूम कि आपकी पत्नी अगर गर्भ धारण कर लेती है तो वो स्पर्म किसका है, आपका है या किसी और का. और यदि किसी और का भी है तो वो कौन है, कोई नहीं जानता. आप तो यह मानें कि वह आपका ही है क्योंकि आप भी तो अपनी पत्नी के साथ रोज़ ही सेक्स करेंगे. यहाँ जो भी जोड़े आये हैं वो सभी महिलायें अपने उन्हीं दिनों के हिसाब से आई हैं जब उनके गर्भ धारण के लिए सबसे उपयुक्त समय है.

अब भावना को समझ आया कि क्यों रोज़ी ने उसके मासिक धर्म की डेट पूछी थी और उसे बताया था कि उन्हें किस तारीख को यहाँ आना है.

मुकेश और भावना यह कह कर अपने कोटेज में चले गए- आपको कल बताएँगे.
रोज़ी ने उन्हें बता दिया कि अगर वे उनसे सहमत नहीं हैं तो वो बिना कुछ दिए कल ही वापिस जा सकते हैं. और अगर वो उनसे सहमत हैं तो उन्हें चार-पांच दिन यहाँ रहना होगा और उन्हें बतौर फीस पचास हजार रूपये उन्हें अभी देने होंगे और पचास हज़ार रूपये बाद में जब भावना की प्रिगनेंसी रिपोर्ट पोजिटिव आ जाए तब!

रिसोर्ट वाकयी बहुत खूबसूरत था.
वहां जो भी दिखता, अपने में मस्त हंसता खिलखिलाता दिखता.

मुकेश और भावना चुपचाप टहलते हुए अपने कॉटेज में आ गए.
उन्होंने महसूस किया कि उनके जैसे बीस पच्चीस कोटेज कुछ अलग हटकर बने हैं और उनके बीच में एक क्लब हाउस जैसी बिल्डिंग बनी है.

जो भी जोड़े उन्हें वहां दिखाई दिए वो बहुत उन्मुक्त और मस्त लगे.
सभी लगभग उन्ही की उम्र के थे.

ऐसा लगता था कि बहुत छोटे कपड़े पहनने का तो वहां फेशन है.
जब कोई किसी को जानता नहीं तो शर्म कैसी!

कोटेज में आकर भावना ने चाय बनाई और दोनों चाय पीते हुए भी चुप रहे.
तो भावना बोली- क्या सोच रहे हो?
मुकेश बोला- समझ नहीं आ रहा. ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था. मैं तो सोच कर आया था कि ये कोई इलाज़ बताएँगे.

भावना बोली- सुन कर मुझे भी खराब लग रहा है. चलो कल वापिस चलते हैं.
मुकेश बोला- रोज़ी की एक बात सोचो कि अगर हम उनके प्रपोजल से सहमत नहीं है तो कम से कम हम इस रिसोर्ट को एक वेकेशन की तरह एन्जॉय तो करें.

भावना उठी और उसने मुकेश की गोदी में बैठते हुए उसे लबों पर चुम्बन किया और बोली- हाँ यह ठीक है.
मुकेश बोला- मैं बिल्कुल रोज़ी की बात से असहमत नहीं हूँ. हम यहाँ मस्ती करेंगे और कल तक तय करेंगे कि हमें करना क्या है.

भावना बोली- फटाफट शावर लेकर एक झपकी ले लेते हैं, फिर फ्रेश होकर बाहर चलेंगे.

यह कह कर भावना ने अपने कपड़े उतारे और शावर लेने वाशरूम में चल दी.
पीछे पीछे मुकेश भी कपड़े उतार कर चला.

वाशरूम छोटा सा पर सुंदर था.

भावना मुकेश से चिपट गयी और उसके लंड से खेलती हुई नीचे बैठ गयी और उसका लंड चूसने लगी.
मुकेश का लंड औसत से मोटा और लंबा था.
भावना दीवानी थी उसके लंड की.

इसी तरह भावना के मम्मे तो पहले से ही भारी थे, बाकी मुकेश ने चूस चूसकर उन्हें खरबूजे जैसा कर दिया था.

दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए.
मुकेश तो मम्मों पर चूमने में पिला था.

भावना बोली- अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा, फटाफट नहाओ और चलो बेड पर! चुदाई का एक फ़टाफ़ट वाला सेशन करके दोनों चिपक कर नंगे ही सो गए.

प्रिय पाठको, यह पति पत्नी सेक्स की कहानी 5 भागों में है. आगे के भाग पढ़कर आपको और मजा आयेगा.
अभी तक की कहानी पर अपने विचार मुझे भेजें.
[email protected]

पति पत्नी सेक्स की कहानी का अगला भाग: बच्चे की चाह में- 2

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