प्यासी औरत की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मुझे पता लगा कि मेरे दोस्त की बुआ लंड के लिए तरस रही है तो मैंने उनकी मदद की. मैंने बुआ की चुदाई कैसे की?
पाठको, कहानी के पिछले भाग
दोस्त की बुआ को चुदाई का सुख नहीं मिला
में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त की बुआ पूनम के जिस्म के साथ मस्ती कर रहा था. मैंने बुआ के ब्लाउज को खोल कर उनकी दोनों चूचियां चूस चुका था.
अब आगे प्यासी औरत की चुदाई कहानी:
आज तो मैं अलग ही मूड में था. आज रात भर मुझे पूनम बुआ के साथ जीभर कर कामक्रीड़ा जो करनी थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि आज हमें रोकने वाला भी कोई नहीं था.
मैंने बुआ के चुचों से खेलते खेलते अपनी जींस को नीचे को सरका दिया और खड़े होकर अपना लंड बुआ के हाथ में दे दिया.
अभी बुआ मेरे लंड को देख नहीं सकती थीं, पर उसको अंडरवियर के ऊपर से हाथ में पकड़ने से ही उनकी आंखों में एक चमक नज़र आने लगी थी.
शायद आज उनका कई सालों का इंतज़ार पूरा होने वाला था. उन्होंने और उनकी चुत ने कई सालों से खड़ा लंड जो नहीं खाया था.
मैंने बुआ से मेरा लंड आज़ाद करने का इशारा किया और उन्होंने इशारा मिलते ही मेरा लंड धीरे धीरे अंडरवियर से बाहर निकालना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरा लंड बुआ के सामने था और वो उसको अपने हाथ में लेकर बहुत खुश नज़र आ रही थीं.
मैंने बुआ से कहा- इसकी मुँह दिखाई भी तो बनती है मेरी जान. जरा इसको अपने मुँह में लेकर थोड़ा गीला तो करो.
बुआ को जैसे मेरे इशारे का ही इंतज़ार था. उन्होंने एक पल भी नहीं गंवाया और मेरा लंड सहलाकर उसको हल्के से चूमा.
पूनम ने अपनी जीभ बाहर निकाली और लंड का टोपा चाटने लगीं.
जब भी बुआ मेरे लंड के छेद को चाटतीं, तो जैसे मेरे बदन में एक बिजली सी कौंध जाती.
पूनम ने कुछ ही पलों बाद मेरा पूरा लंड जीभ से चाटना शुरू कर दिया और देखते ही देखते मेरा पूरा लंड, टोपे से जड़ तक, बुआ के थूक से गीला होकर चमक रहा था.
साथ ही बुआ मेरे टट्टों को अपने हाथ से हल्के हल्के सहला और दबा भी रही थीं, जिससे हल्के मीठे दर्द के साथ एक उत्तेजना मेरे अन्दर भरती जा रही थी.
इतना देख कर मैं समझ गया था कि बुआ लंड चूसने में माहिर हैं.
अब मुझे इंतज़ार था कि कब पूनम मेरे लंड रस को अपने मुँह में निगलेंगी. इस काम में भी बुआ ने कोई देर नहीं की और अपना मुँह खोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर तक भरना शुरू कर दिया.
मेरा लंड ढाई इंच मोटा होने की वजह से इसको निगलने के लिए अनुष्का शर्मा जितना बड़ा मुँह होना जरूरी है, वरना चूसने वाली के मुँह में जल्दी ही दर्द होने लगता है.
यही पूनम बुआ के साथ भी हुआ.
पूनम चाह कर भी मेरा पूरा लंड अपने मुँह में नहीं ले पा रही थीं और मैं उनकी उत्तेजना को समझ भी रहा था, पर मुझे भी तो पूर्ण आनन्द का हक़ है.
मैंने पूनम बुआ के सिर पर हाथ रख कर उनके मुँह में हल्के दबाव के साथ मर्दन करना शुरू किया. मैंने लंड को उनके मुँह में धीरे धीरे ठूंसना शुरू कर दिया था. इससे उनको हल्का ठसका भी लगने लगा था.
बुआ ने अपने मुँह से लंड बाहर निकालते हुए मुझे घूर कर देखा और कहा- जब ये नहीं जा रहा तो इसको अन्दर ठूंसने की क्या जरूरत है? जितना चूस सकती थी, तुम्हारे बिना कहे चूसा है ना मैंने!
मैं- कोशिश करने में तो कोई दिक्कत नहीं. आप थोड़ी कोशिश करोगी तो पूरा अन्दर चला जाएगा.
पूनम बुआ- यही चीज़ मुझे बृज की पसंद नहीं. उससे होता कुछ नहीं और लंड जाने कहां कहां डालना चाहता है.
मैं- जब मेरे लंड का जलवा देखोगी बुआ … तो सारी प्यास ठंडी हो जाएगी मेरी जान … थोड़ा सब्र तो कर लो.
बुआ- पर तुम इसको जबरदस्ती अन्दर नहीं ठोकोगे. और अब या तो जान कहो या बुआ … एक साथ दोनों रिश्तेदारी नहीं चलेगी.
मैं हंस पड़ा.
अब मैंने बुआ को जान कहना शुरू कर दिया था.
मैं- मेरी जान, आज आपको इसको चूसना तो इसकी जड़ तक चूसना पड़ेगा … वरना आपकी चुत की प्यास भी नहीं बुझेगी.
बुआ- ठीक है … मैं कोशिश करती हूँ.
मैं- और अभी इसका पानी भी तो पीना है मेरी जान.
पूनम- वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, पर तुमसे मैं मना कैसे करूं राहुल?
उनके इतना कहने पर मैंने पूनम बुआ को फिर अपने लंड पर झुका दिया. बुआ ने भी फिर से मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया.
मुझे पता था कि अगर बुआ ने लंड को पूरा निगला, तो ये उनके गले में जाकर टक्कर मारेगा और उनको ठसका भी लगेगा. पर अगर चुदाई के समय थोड़ी जबरदस्ती ना हो … तो कुछ कमी सी रह जाती है.
मैंने अब पूनम के सिर पर हाथ रख कर उनके सिर को नीचे धकेलना शुरू किया. बुआ हल्की हल्की खांसती हुई मेरे लंड को निगलने की कोशिश में लगी थीं.
उन्होंने लगभग पूरा लंड अपने हलक तक ले लिया. आखरी डेढ़-दो इंच ही बचा होगा कि मैंने उनके सिर को झटके से ऊपर से दबाया और नीचे से लंड का धक्का लगा दिया.
लंड गले के अंतिम छोर में जाकर अटक गया था.
उसी समय मैंने बुआ के सिर को कस कर पकड़ लिया. जिससे वो मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर ना निकाल सकें.
पूनम को ठसका लगने लगा और वो खांसने लगीं पर उनकी खांसी उनके ही गले में घुट कर रह गयी.
थोड़ी ही देर में बुआ की आंखों से आंसू बहने लगे और आंखें लाल हो गईं; उनके मुँह से गाढ़ी राल बाहर को बहने लगी थी और पूरा बदन जैसे कांपने सा लगा था.
कुछ ही सेकंड में मेरा खून गर्म हो गया था.
हालांकि मैं जानता था कि पूनम बुआ बहुत देर तक मेरी इस बेदर्दी को नहीं सह सकेंगी, तो मैंने उनके सिर को छोड़ दिया.
उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकालने में एक पल की भी देरी नहीं की.
वो उस पल कहना तो बहुत कुछ चाहती थीं पर शायद उनको अभी अपनी सांसें काबू में करनी थी.
तो वो उठ कर साइड में पड़े दीवान पर जाकर लेट गईं.
मैं भी पीछे पीछे दीवान पर गया और उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया.
अन्दर पूनम बुआ ने पैंटी नहीं पहनी थी. इसलिए उनकी चुत मेरी आंखों के सामने थी.
पूनम बुआ की चुत पर झांटें उगी थीं … शायद कुछ महीनों से काटी ही नहीं गई थीं.
उनकी चुत पर झांटें थोड़ी बड़ी थीं, पर फिर भी मैं पूनम बुआ की चुत का चीरा देख सकता था.
बुआ अभी भी गहरी और लम्बी सांसें ले रही थीं और अपनी पूरी सुध में नहीं थीं इसलिए शायद चाह कर भी कोई विरोध नहीं कर पा रही थीं.
उनके मुँह से थूक ऐसे बह रहा था जैसे वो अधमरी सी हो गयी हों.
उनका पूरा चेहरा लाल हो चुका था और आंखों से आंसू बह रहे थे.
बाल इधर उधर बिखरे पड़े थे और वो कुछ असहाय सी दिख रही थीं.
देखा जाए तो इस वक्त पूनम बुआ मेरे सामने अब करीब नंगी सी ही थीं. ऊपर से उनके चुचे नंगे थे और नीचे से चुत भी साफ़ खुली पड़ी थी.
मैंने उनकी तरफ देखा तो बुआ का चेहरा साफ़ कह रहा था कि वो मुझसे नाराज़ हैं.
मैं इस मौके को किसी भी वजह से गंवाना नहीं चाहता था, तो मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े उतारे और पूनम बुआ के ऊपर चढ़ गया.
बुआ के पैरों को चौड़ा करते हुए मैं उनकी टांगों में बीच में बैठ गया और अपना लंड उनकी चुत पर सैट कर दिया.
मैं धक्का लगाने ही वाला था कि पूनम बुआ की चेतना शायद लौट आई, उन्होंने एक बार फिर अपनी बड़ी सी आंखों से मुझे घूर कर देखा और अपनी टांगों को बंद करने का असफल प्रयास किया.
होने को तो ये काम आज होना ही था, पर शायद पूनम थोड़े नखरे करतीं और फिर मुझे अपनी चुत चुदाई की इजाज़त दे देतीं.
पर थोड़ी जबरदस्ती से इस इंकार और इकरार के खेल में मज़ा दोगुना हो जाता है.
इसलिए मैंने पूनम बुआ को समय देना सही नहीं समझा; मैंने देर ना करते हुए लंड पर थोड़ा जोर लगाया और देखते ही देखते मेरा लंड पूनम बुआ की चुत में घुस गया था.
पूनम बुआ ने एक चैन की आह भरी और अपनी आंखें बंद कर लीं.
बुआ के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान मैं साफ़ देख सकता था.
अब उनका पूरा बदन रोमांचित हो उठा था और मेरा साथ दे रहा था.
मेरा अगला धक्का उनकी चुत में यूँ गया था, जैसे उनकी चुत को चीरते हुए किसी भाले की तरह घुसा हो. इस बार मेरा लंड बुआ की बच्चेदानी से जा टकराया.
पूनम बुआ की जोरदार चीख ‘उम्म्ह … अहह … हय … याह … मर गई …’ कमरे में गूंज गई.
मैंने हल्के धक्कों से खेल शुरू कर दिया और पूनम बुआ के ऊपर लेट गया.
नीचे चुत में मेरे लंड के धक्के जारी थे और ऊपर मैंने बुआ के होंठों को चूसना शुरू कर दिया था.
बुआ के चुचों में मर्दन के लिए कुछ नहीं था, पर खाली हाथों का चुदाई के समय और क्या काम था तो मैंने एक हाथ उनके बालों में और दूसरा उनके चुचों पर फेरना शुरू कर दिया.
मैं पूनम के चेहरे पर थोड़ी परेशानी के भाव स्पष्ट देख सकता था, तो मैंने उनसे बात करनी शुरू कर दी- अब परेशान क्यों हो?
पूनम- कई सालों के बाद लंड ले रही हूँ राहुल … कुछ मत बोलो.
मैं- थोड़ी बात करोगी तो और मज़ा आएगा.
पूनम- अभी नहीं. अभी मुझे सिर्फ और सिर्फ इस अहसास का मज़ा लेने दो.
मैंने फिरकी लेते हुए कहा- अगर दर्द हो रहा है, तो रुक जाऊं क्या?
पूनम बुआ फिर से मुझे घूर कर देखती हुई बोलीं- साले रुकने का नाम मत लेना. थोड़ी देर में ये खुल जाएगी. वैसे भी बृज का तुम्हारे से छोटा और पतला था … और कुछ सालों से तो उसका सही से खड़ा ही नहीं हुआ है. शायद इसी लिए मेरी चुत थोड़ी टाइट हो गयी है.
मैं- सिर्फ खुद ही इस अहसास का मज़ा लोगी … या मुझे भी थोड़ा मज़ा दोगी जानेमन!
मेरा इतना कहना था कि पूनम ने अपने पैर मेरी कमर के ऊपर आपस में बांध लिए और अपने पैरों पर ज़ोर देते हुए मुझे ऊपर से अपनी चुत के अन्दर को धकेलने लगीं. बुआ ने साथ ही मेरी पीठ को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया और मेरे कंधों को चूमने चाटने लगीं.
मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी और अब मैं बुआ के हर अंग को भलीभांति महसूस कर सकता था.
पूनम ने मेरे कंधों पर अपने दांतों से हल्के से काटना शुरू कर दिया और इसके साथ ही वो अपने नाखूनों से मेरी पीठ को नौंचने भी लगी थीं.
मैं समझ गया था कि पूनम इस खेल की भी माहिर खिलाड़ी हैं. उनकी इस हरकत से मेरे बदन में खून और ज्यादा तेज़ी से दौड़ने लगा था.
जब मैं बुआ की चुत से बाहर आता … तो बुआ अपने पैरों को ढीला छोड़ देतीं … पर जब मैं अन्दर जाता, तो वो अपने पैरों से मेरे लंड पर दबाव बढ़ा देतीं, जिससे मेरा लंड और अन्दर तक वार कर रहा था.
मेरी हर ठाप का जवाब पूनम एक सिसकारी से देतीं क्योंकि मेरा लंड हर धक्के में उनकी बच्चेदानी पर दस्तक दे रहा था.
पांच मिनट की चुदाई में बुआ की चुत मेरे लंड के लिए कुछ अभ्यस्त सी होने लगी थी और उनके चेहरे पर अब मुस्कराहट साफ़ देखी जा सकती थी.
मुझे अब इस खेल में और रूचि आने लगी थी. मैंने अपने लंड को बुआ की चुत से पूरा बाहर निकाला और फिर से एक तेज झटके से वापस अन्दर डालते हुए उनके होंठों पर काट लिया.
इस प्रहार के लिए जैसे पूनम बिल्कुल तैयार नहीं थीं. मेरे इस ताकतवर झटके ने पूनम की आंखों को जैसे फाड़ सा दिया था.
बुआ आखें फाड़े मुझे ऐसे देख रही थीं जैसे कह रही हों कि दोबारा ऐसा मत करना. पर मैं कहां मानने वाला था. अभी तो ऐसे और प्रहार बुआ की चुत को झेलने बाकी थे.
हम दोनों की चुदाई को चलते करीब 10 मिनट हो चुके थे.
मैंने एक बार फिर से लंड को पूरा बाहर निकाल कर जो वापस बुआ की चुत में ठूंसा तो उनके मुँह से एक चीख निकल गयी, जो थोड़ी तेज़ थी.
पूनम- ऐसा मत कर राहुल … इससे दर्द होता है.
मैं- जब मैं झटका लगाता हूँ तो आपकी चुत थोड़ी सिकुड़ जाती है. मुझे बहुत मज़ा आता है जानेमन.
पूनम बुआ- और अगर किसी ने मेरी चीख सुन ली तो?
मैं- कौन सुनेगा जान. यहां बस आप और मैं ही तो हैं.
पूनम बुआ- ओह राहुल … रआआआ … हूउउलल … आई लव यू राहुल …
बुआ का इतना कहना था कि बराबर के कमरे से नन्नू की आवाज़ आने लगी और पूनम बुआ घबरा गईं.
मैंने उनको याद दिलाया कि मैंने उनके कमरे को बाहर से बंद कर रखा है और वो यहां नहीं आ सकता.
पर नन्नू लगातार दरवाज़ा खटखटा रहा था तो हम दोनों को अलग होना पड़ा.
पूनम अपने कपड़े ठीक करके नन्नू के पास चली गईं और मैं उठ कर बाथरूम में चला गया.
बुआ करीब 20 मिनट बाद वापस आईं तो उन्होंने गाउन पहन रखा था.
मेरा अनुमान था कि उन्होंने गाउन के नीचे कुछ नहीं पहना था.
बुआ बोलीं- नन्नू ने मेरी चीख सुन ली थी और वो डर गया था. पर अब मैं उसको सुला आयी हूँ. तुम भी थोड़ा ध्यान रखना. ऐसा ना हो कि हमारी आवाज़ें अड़ोसी पड़ोसी सुन लें.
मैंने देर ना करते हुए बैठक के टीवी को चालू करके उस पर गाने चला दिए, जिससे हमारी आवाज़ें इधर उधर वाले ना सुन सकें.
अभी तो पूनम की जाने कितनी चीखें निकलनी बाकी थीं.
मैंने देर ना करते हुए फिर से बुआ के होंठों पर होंठ रख दिए और उनके चूतड़ों को मसलने लगा. बुआ भी तैयार थीं और उन्होंने जवाब में अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर एक लम्बी चुम्मी को अंजाम दे दिया.
इस बार मैंने पूनम में थोड़ा बदलाव महसूस किया. अब वो पहले की तरह संकोच नहीं कर रही थीं. शायद वो मुझसे खुल गयी थीं या बच्चों के सोने की वजह से बेफिक्र हो गयी थीं.
मैंने उनको चूमते चूमते उनके गाउन को ऊपर उठाया तो बुआ ने भी मेरी टी-शर्ट को मेरे बदन से अलग कर दिया. उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ कर अब मेरे सीने पर कब्ज़ा कर लिया था.
वो प्यासी औरत मेरे सीने को अपनी जीभ से चाट रही थीं और बीच बीच में मेरी छाती पर काट लेतीं.
चूमते चाटते वो नीचे बढ़ीं और मेरी नाभि में अपनी जीभ गोल गोल घुमाने लगीं.
उनके हाथ मेरी जींस का बटन खोल रहे थे और वो मुझ पर जैसे कोई जादू कर रही थीं.
देखते ही देखते उन्होंने मेरी जींस और अंडरवियर दोनों मेरे बदन से अलग कर मेरे लंड पर अधिकार जमा लिया था.
प्यासी औरत की चुदाई कहानी को अगले भाग में लिखना जारी रखूँगा. आप मेरी इस सेक्स कहानी पर अपने कमेंट्स और ईमेल जरूर से भेजें.
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प्यासी औरत की चुदाई कहानी का अगला भाग: बुआ की चुत गांड चोदकर मजा लिया- 3