बुटीक वाली प्यासी भाभी की चुदाई का मजा

पुसी लिकिंग सेक्स कहानी में मेरी नजर पड़ोस में बुटीक चलाने वाली भाभी पर थी. मेरी मम्मी के काम के बहाने मैं उनके बुटीक पर जाने लगा. मैंने उसे जल्दी पटा लिया क्योंकि उसे भी जवान लंड की जरूरत थी.

मेरा नाम अंगद है। मेरी उम्र 29 वर्ष है।
मैं हरियाणा का रहने वाला हूं और अपने परिवार के साथ शहर में रहता हूं।

जिंदगी के दिए हुए कई मौकों का फायदा उठाते हुए मैंने अपने लन्ड से कई प्यासी चूतों की खुदाई करके उनमें सफेद गर्म रस भरा है।

मैं ऑनलाइन/ऑफलाइन चूत की तलाश में रहता हूं और हर कुंवारे लड़के की तरह मौके का फायदा उठाने को तैयार रहता हूं।
और इसके लिए मैं काफी सारी एडल्ट वेबसाइट का रजिस्टर्ड यूजर हूं।

मैं इस साइट का भी काफी सालों से नियमित पाठक हूं पर प्रकाशित कहानियों पर ज्यादातर नकारात्मक कमेंट्स के चलते मेरी कहानी लिखने की हिम्मत नहीं हो पाई।

लेखक के रूप में मेरा यह पहला अनुभव है।
प्रस्तुत कहानी में मैंने ज्यादा से ज्यादा आपबीती को ही ऊपर रखा है।

तो चलिए शुरू करते हैं पुसी लिकिंग सेक्स कहानी।

यह कहानी है हमारे शहर की एक बला की खूबसूरत पाकीजा भाभी हाफिज़ा के साथ मेरी चुदाई की।

हाफिज़ा भाभी अपने घर में बुटीक चलाती है।
उसके शौहर हमारे शहर की मनिहारी मार्केट में चूड़ियों की दुकान चलाते हैं।

हाफिज़ा तीन बच्चों की अम्मी है। इसके बावजूद उसका कमाल का फिगर मुर्दों में भी जान फूंक देता है।
38 के मम्मे और गान्ड बरबस ही अपनी और आकर्षित करते हैं।

उसके गोल मटोल गाल और रस टपकाते होंठों का रसपान करके मैं धन्य हो गया।

उसकी तबीयत से चुदाई तो एक बार ही कर पाया लेकिन छोटे – छोटे मौकों का फायदा उठाकर उसके गोरे मोटे गोल – गोल मम्मों से दूध बहुत बार पीया है।

कहानी की शुरुआत उसके बुटीक पर हुई मुलाकात से शुरू हुई।

हमारे मोहल्ले से औरतें और मेरे मां अक्सर उसके बुटीक पर जाती रहती हैं।
मेरा भी कई बार आना जाना हुआ लेकिन हर बार घर के बाहर से ही वापिस आ जाता था।

एक बार मैं सूट का पता लेने अकेले गया जहां पहली बार उसके साथ मेरी आंखें दो चार हुई।

बुटीक में दाखिल होकर जैसे ही मैंने हाफिज़ा भाभी नाम से आवाज लगाई तो एक गदराए बदन वाली हुसन की मल्लिका ने ‘हां जी’ कहते हुए मेरी तरफ मुंह किया तो एक पल को जैसे वक्त थम सा गया।
मैं उसकी खूबसूरती को देखता ही रह गया और मेरे मन में एक ही लाइन आई ‘वाह बेटे .. क्या माल है यार! बस एक बार ये चोदने को मिल जाए, बेशक उसके बाद भगवान उठा ले।

फिर मैंने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया।
हाफिज़ा भाभी मुझसे बात करते हुए मुस्कुरा रही थी और साथ में बालों को संवारकर मेरी धड़कनें भी बढ़ा रही थी।

बूब्स मेरी बहुत बड़ी कमजोरी है तो मेरी निगाहें भी उसके मम्मों पर अटक गई और मन ही मन दूध पीने के ख्वाब देखने लगा।
उसने यह नोटिस किया और बिना कुछ बोले मुझे सूट का लिफाफा पकड़ा दिया।

लिफाफा लेते वक्त उसके गोरे हाथों पर मेरी नजर पड़ी तो लगा कि चूम लूं और कस के बाहों में भर लूं।
पर मेरी पहली मुलाकात थी तो मैं बात बनने से पहले बिगड़ना नहीं चाहता था।

घर आने के बाद मेरी बैचेनी और बढ़ गई।
उसके रसीले होंठ और दूधीले मम्मे मेरी आँखों से जा नहीं रहे थे।

लन्ड में लगी आग को मैं उसकी चूत के पानी से ही बुझाना चाहता था तो मुठ मार कर वीर्य को बर्बाद नहीं किया।

दिन गुजरते गए और मैंने मौके का इंतजार किया।
इतनी हसीन चूत आसानी से तो मिलने वाली नहीं थी और न ही उसके दिल में मेरे लिए चुदास एकदम से हो सकती थी।

उसके दिल के कोने में दबी किसी दूसरे लन्ड की ख्वाहिश को मुझे टटोलना था।

उसकी मुस्कान मुझे चुदाई प्रस्ताव रखने को मजबूर कर रही थी और दूसरी तरफ गान्ड कुटाई की आशंका मेरे अरमान ठंडे कर रही थी।
पर आज तक भगवान की दया से मुझ पर भगवान की कृपा रही है।

अगली बार जब मैं मां के साथ उसके बुटीक पर गया तो बाहर रुकने की बजाए अंदर गया और मां – हाफिज़ा की बातचीत में शामिल हो गया।

मुझे अहसास हुआ कि हाफिज़ा मुझे बार-बार देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।

उसकी इस हरकत से मेरे सीने में चुभन हो रही थी और लन्ड हर हरकत पर प्रीकम की एक बूंद गिरा रहा था।

मेरे जीन्स पहने होने का फायदा था कि लन्ड एक कैदी की तरह छटपटा रहा था पर बाहर अहसास नहीं हो रहा था।

बातचीत करते हुए हाफिज़ा ने कहा- आंटी आप बार – बार यहां आने की तकलीफ क्यों करती हैं। आप मुझे अपने नंबर दे दीजिए और सूट तैयार है या नहीं फोन पर पूछ कर आ जाया करिए।
उसके बात करने का लहजा और अदब भरे शब्द मुझे भा रहे थे।

मां ने कहा कि उनके पास फोन नहीं है।
इस पर हाफिज़ा ने कहा- तो आप अंगद के फोन से पूछ लिया करें।

उसके मुंह से खुद का नाम सुनकर मैं हैरान रह गया और मेरा लन्ड जीन्स को फाड़कर बाहर आने को तैयार हो गया।
मेरे मन में उसका दूध पीने और चुदाई करने के लड्डू फ़ूटने लगे।

शायद कभी बातों बातों में मेरे नाम पता चला हो!

मां के कहने पर मैंने एक शरीफ लड़के की तरह उनके नंबर सेव कर लिए।

घर आने के बाद फटाफट मैंने व्हाट्सएप पर उसके नंबर चेक किए जो शो हो गए।

मैंने जैसे चुदाई की तरफ एक कदम बढ़ा दिया था।
मैं बड़ा खुश हुआ और रात होने का इंतजार किया।

मेरे लन्ड ने कई चूत चख रखी थी और अनुभव से मैं जानता था कि भाभी को धीरे – धीरे चुदाई तक लेकर आना है।

तो मैंने बिना कोई हड़बड़ी किए उसको मैसेज में हेलो भेजा।

कुछ घंटों बाद उसने रिप्लाई में पूछा- आप कौन?
तो मैंने खुद का परिचय दिया और इस तरह मां के सूट्स का बहाना बनाकर मैं रोज उससे चैट करने लगा।

कुछ दिनों बाद मैंने उसको हल्के डबल मीनिंग और फिर एडल्ट जॉक्स भेजना शुरू कर दिया।

वह धीरे – धीरे रिप्लाई में स्माइली भेजना शुरू हो गई।

दिन बीतते गए और चैट लम्बी होती गई। सीक्रेट्स शेयर होते चले गए और वह भी जान गई कि मैं कितना बड़ा चोदू हूं और उसकी चूत खुदाई को बेताब हूं।
उसने खुद के बारे में बताया कि उसकी सेक्स लाइफ में रोमांस को छोड़कर बाकी कोई कमी नहीं है, जो वह मुझसे चाहने लगी थी।

मै उसको रोज फोन कॉल पर गर्म करने लगा।
उसके बुटीक पर आंखें मिलती तो मुझे लगता कि जैसे वह चुदाई का आमन्त्रण दे रही हो।

दोनों तरफ आग भड़की हुई थी, बस मिलने भर की देरी थी।

इंतजार करते – करते मिलन की घड़ी आ ही गई।

एक बार उसके शौहर को काम के सिलसिले में दूसरे शहर जाना था।

उसके जाने के बाद और आने से पहले हमारे मिलन को बस एक रात ही थी।

मेरे लिए रात भर घर से बाहर रहना आसान था पर उनके लिए मुश्किल।
इस लिहाज से चुदाई उसके घर पर हो सकती थी जिसमें मजा और खतरा दोनों ही बहुत ज्यादा था।

उसके शौहर के जाने के बाद मुझे उसका मैसेज मिला; जैसे हमारे बीच तय हुआ था।

मैं घर पर दोस्त के घर रात रुकने का बोल कर आया था जो हमारे शहर में ही रहता था।

मैं उसके घर के पास पहुंच कर बुलावे का इंतजार करने लगा।
कड़ाके की ठंड में कोई बाहर नहीं था।

पर मुझे किसी के देख लेने जा डर भी सता रहा था।

लेकिन चूत की चाहत और अब तक किसी के साथ न पकड़े जाने के अनुभव से मुझे होंसला भी मिल रहा था।

अब तक की सारी चुदाई में मुझे इस चुदाई ने सबसे ज्यादा तरसाया और तड़पाया था।

मुझे रात को उसके मिस्ड कॉल के बाद घर में घुसना था।
मैं इंतजार करता रहा।

उसके बच्चों के सोने के बाद उनकी मिस्ड कॉल आ गई।

मैं इधर – उधर देखते हुए बुटीक ऑफिस में घुस गया जिसका दरवाजा पहले से ही आधा खुला हुआ था। अंदर आने की जल्दी में मैं उसको नोटिस नहीं कर पाया था।

उसने मेरे पसंद की काली मैक्सी पहन रखी थी जिसमें वह कमाल की खूबसूरत लग रही थी।

हाफिज़ा ने फटाफट गेट को अन्दर से लॉक किया और दबे पांव बेडरूम में ले गई।

बेडरूम लॉक करते वक्त मैंने उसको पीछे से जकड़ लिया।
उसके बदन से कमाल की इत्र की खुशबू आ रही थी जो मुझे पागल किए जा रही थी।

हमने गले लगते वक्त एक दूसरे को आई लव यू बोला और जन्म – जन्मांतर के प्यासों की तरह एक दूसरे को बेतहाशा चूमने – चाटने लगे।

मैं दनादन चुदाई के मूड में बिल्कुल नहीं था; मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था।

हाफिज़ा हर शादीशुदा औरत की तरह चुदती तो रोज थी पर आज मैं उसे अलग अहसास करवाना चाहता था जो उसने शायद ही कभी किया हो।

थोड़ी देर बाद मैंने हाफिज़ा की ठोड़ी पर काटते हुए होंठों से होंठ मिला दिए।
उसके होंठों का रसपान करते वक्त मुझे लगा ही नहीं कि मैं एक तीन बच्चों की मैच्योर मिल्फ मां को किस कर रहा हूं।

मैंने हाफिज़ा को दीवार के साथ लगा दिया।
किस करते वक्त मैं उसके बदन को मरोड़ रहा था।

मैं कभी उसकी कमर पर हाथ फेरता तो कभी गांड को हाथों से निचोड़ता।
कभी मैं उसकी गर्दन को काटता तो कभी बूब्स को मसलता और दबाता।

मैंने जिस मौज की कल्पना की थी, मैं उससे कहीं ज्यादा मौज में था।

अब मैंने उसकी मैक्सी उतार कर उसे नंगी कर दिया।
उसने मैक्सी के नीचे कुछ नहीं पहना था जैसा मैं चाहता था।

मुझे छोटे कपड़े उत्तेजित तो करते हैं पर मैं औरत को नंगी कर उसके हुस्न को होंठों से भोगने में ज्यादा टाइम लगाता हूं जो मेरे साथ – साथ औरतों को खूब पसन्द भी आता है।

उसे दीवार के साथ चिपका कर मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके हुस्न को एड़ी से चोटी तक भोगा।
उसके बदन का कोई हिस्सा मुझसे न चूमे – चाटे जाने की शिकायत नहीं कर सकता था।

हाफिज़ा टॉप लेवल पर गर्म हो चुकी थी।
उसकी आहें सिसकारियों में बदल रही थी, आंखें बंद हो रही थी और मदहोशी छा रही थी।
सर्दी गायब थी और उसका बदन तपने लगा था।

उसको सेक्स में गालियां पसंद नहीं थी पर रोमांस बेहद पसंद था।
शायद सेक्स लाइफ की इस कमी को वो आज मेरे साथ पूरा होते हुए देख मदहोश थी।

वह कहने लगी- ओ मेरे राजा, आई लव यू! कसम से चुदती तो रोज हूं पर औरत होने का एहसास मुझे आज हो रहा है।

हाफिज़ा काफी भावुक होने लगी थी और बेतहाशा मुझे चूम रही थी।

मैं बगैर चूत चाटे और दूध पिए चुदाई नहीं करता तो मैंने उसके सामने ये प्रस्ताव रखा।
वह बोली- मुझे भी तुमसे चूत चटवानी है और दूध पिलाना है. पर मेरे राजा, तुमने मुझे इस कदर गर्म कर दिया है कि चूत लन्ड की भीख मांगने लगी है। जल्दी से चोदो राजा।

मतलब भाभी भी पुसी लिकिंग सेक्स की शौकीन थी.

उसकी प्यार भरी अपील मुझसे ठुकराई नहीं गई और मैं जल्दी से नंगा हो गया।
उसे बेड पर लेटा कर मैं उसके पर चढ़ गया।

हाफिज़ा अपनी टांगें चौड़ी करके मेरे लन्ड का स्वागत करने लगी।
उफ्फ … क्या चूत थी उसकी!

एकदम गोरी ताजा शेव्ड चूत जो सिर्फ पोर्न विडियो में देखने को मिलती हैं।

उसकी चूत की उभरी हुई क्लिट और अंदरूनी लब मेरे लन्ड को चुदाई का इन्विटेशन दे रहे थे।

उसको देख कर लग रहा था जैसे साक्षात पोर्नस्टार एवा एडम्स नंगी मेरे सामने टांगें चौड़ी करके चुदने को तैयार हो।

मैंने बिना वक्त गंवाए प्रीकम से गीले लन्ड का टोपा चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
लन्ड के छूने भर से हाफिज़ा नागिन की तरह लपेटे खाने लगी।

तीन डिलिवरी और रोज की चुदाई से चूत टाइट तो नहीं थी पर मुझे मेरे लन्ड की मोटाई ने उसका ज्यादा अहसास नहीं होने दिया।
मेरे लन्ड की लंबाई 7 इंच और मोटाई भी अच्छी है जो हर प्यासी औरत की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त है.

थोड़ी देर रगड़ने के बाद मैंने लन्ड धीरे – धीरे चूत में उतारना शुरू कर दिया।
उफ्फ … क्या अहसास था … चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ जब लन्ड चूत में उतरता है तो चुदाई का लीगल और इल्लीगल होना कोई मायने नहीं रखता।

हाफिज़ा की चूत में उतरता हुआ लन्ड इस अहसास की गवाही दे रहा था।

हर झटके के साथ हाफिज़ा का उचकते हुए गान्ड उठाना, मेरे कंधों पर मजबूत पकड़, होंठों से होंठ मिलाना।
ये सब ऐसे लग रहा था जैसे वह इसकी हकदार हो.

और वह मुझे कभी होंठ पिलाती, कभी दूध पिलाती ऐसे लग रही थी जैसे इस पर मेरा हक हो।

हाफिज़ा ने मेरी कमर को अपनी टांगों से ऐसे गिरफ्तार कर रखा था जैसे चूत से लन्ड को कभी बाहर निकलने ही नहीं देगी।

8 से 10 बार इस अहसास से गुजरने के बाद मुझे ऐसे लगा जैसे मेरा लन्ड शरीर में जमा सारा गर्म सफेद लावे को आज ही हाफिज़ा की चूत की गहराई में उगल देगा।

मैंने हाफिज़ा से कहा- मैं छूटने वाला हूं!
तो उसने अंदर ही छूटने को कहा।

मैंने किसी जख्मी की तरह कराहते हुए सारा लावा हाफिज़ा की चूत की जड़ों में डाल दिया।
लग रहा था जैसे हर झटके के साथ लन्ड और गहराई में जा रहा था और पिचकारी मार रहा था।

मेरे हर झटके के साथ हाफिज़ा का बदन ढीला, उसकी पकड़ कमजोर और गर्मी ठंडी होती चली गई।

मैं एक थके हुए सिपाही की तरह हाफिज़ा के ऊपर गिर पड़ा.
और हाफिज़ा भी हाम्फने लगी थी।

कुछ देर बाद सांस बहाल होने पर हमने एक जोरदार हग किया, किस की।
थोड़ी देर तक एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद चुदाई का वीर सिपाही फिर से मैदान में उतरने को तैयार हो गया।

इस बार की चुदाई मेरी पसन्द के अन्जदा में हुई।

उस रात हमने चार बार चुदाई की; हर बार अलग अंदाज और अलग जोश के साथ चुदाई।

लेकिन बाकी तीन हसीन चुदाई की दास्तान आपको अगली कहानियों में सुनाऊंगा।

आपको मेरी पुसी लिकिंग सेक्स कहानी कैसी लगी?
अपनी राय और कमेंट्स जरूर भेजें।
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