देसी बाई सेक्स कहानी में मैंने अपने से दूनी उम्र की कामवाली मेड बाई की चुदाई की. मैंने पहले उसकी चूत चोदी जो काफी ढीली थी. तो मैंने उसकी गांड मारी.
कहानी के दूसरे भाग
घरेलू नौकरानी की चूत में लंड
में आपने पढ़ा कि
सक्कू ने भी शोभा काकी का भोसड़ा उंगलियों से चोद-चोद कर मेरे लौड़े के लिए तैयार कर दिया था.
शोभा काकी की सिसकारियाँ भी बता रहीं थी कि वह मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है.
अब आगे देसी बाई सेक्स कहानी:
गर्म माहौल का अंदाजा लेते हुए मैंने अपना लौड़ा शोभा के मुँह से निकाला और बिस्तर से नीचे उतरते हुए अब मैं काकी के भोसड़े की तरफ़ आ गया.
सक्कू ने तुरंत अपनी उंगलियाँ काकी के भोसड़े से बाहर निकाली.
उंगलियाँ भोसड़े के पानी से चिपचिपी हो चुकी थी.
जैसे ही मैं बिस्तर पर आया तो काकी ने ख़ुद अपनी टांगें चौड़ी करते हुए ऊपर उठा ली.
वासना की आग में जलती काकी का भोसड़ा लौड़े की मार खाने के लिए तरस रहा था.
सक्कू ने मेरे लौड़े को अपने हाथों से सुपारा शोभा काकी के भोसड़े पर रखा और बोली- बधाई हो छोटे मालिक, आज यह छिनाल औरत आपके भी लौड़े की रखैल बनेगी, लो घुसा दो इस कुतिया के भोसड़े में आपका लौड़ा!
जैसे ही सक्कू ने मेरे लौड़े को शोभा काकी के भोसड़े पर रखा तो मैंने भी बिना देर किये एक ताकतवर हमला करते हुए लौड़ा भोसड़े में आर-पार कर दिया.
सक्कू की चूत के सामने शोभा का भोसड़ा कुछ ज़्यादा ही ढीला लग रहा था.
45 साल की औरत और 35 साल की औरत चोदने में क्या फर्क होता है, यह मुझे आज समझ आ चुका था.
पर शोभा को चोदने में भी एक अलग ही मज़ा था क्यूंकि उसका बदन सक्कू से ज़्यादा गदराया हुआ था.
शोभा की जांघे, चूचियाँ सक्कू से कई ज़्यादा भरी हुई थी जिसे नोच खाने का मज़ा मैं खोना नहीं चाहता था.
पूरे ताकत से लौड़े ने उसका भोसड़ा चीर दिया तो शोभा रंडी की तरह चिल्लाती हुई बोली- ओह्ह ह्ह माँआ आआआ आआआ मर गयी मालिक! धीरे ईई कर ओ उफ मेरी चूत!
सक्कू को काकी के ऊपर से दूर करते हुए मैंने उसकी दोनों टांगें मेरे कंधे पर ले ली और उनके ऊपर मेरे बदन का बोझ डालते हुए उसे अपनी पकड़ में ले लिया.
काकी की दोनों फूली हुई चूचियाँ मुँह में भरते हुए मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा.
जैसे जैसे सुपारा भोसड़ी की दीवारें रगड़ने लगा, वैसे वैसे शोभा का दर्द कम होते चला गया.
मुझे अपने बाँहों में भरते हुए वह मुझे अपने चूचियों का रस पिलाने लगी.
हमारी चुदाई का सीधा प्रसारण देखते हुए सक्कू उंगली से अपनी चूत रगड़ रही थी.
मेरी पीठ को सहलाते हुए वह मेरे गांड से होते हुए अपना एक हाथ मेरे गोटों पर लाई और उनको सहलाने लगी; मेरे पीठ को चूमते हुए नीचे बैठती गयी.
पहले तो मुझे उसका खेल समझ नहीं आया … लेकिन जैसे ही मुझे उसकी जीभ मेरे टट्टों पर आयी तो मैंने भी अपना एक हाथ उसके सर पर रखते हुए शाबाशी दी.
सक्कू ने भी खुश होकर जीभ से मेरे टट्टों की मालिश करना चालू किया.
लंड के रगड़ने से सिसकती हुई शोभा काकी करहाते हुए बोली- हम्म्म्म उफ्फ मालिक … ऐसे ही रगड़ो जोर-जोर से ईई … आआह्ह अम्म आआ … चोदो मालिक … मज़ा आ रहा है छोटे मालिक!
मैं उसकी चूचियाँ जोर जोर से चूसते हुए उसके निप्पल काटते हुए बोला- साली मादरचोद शोभा रंडी, भोसड़ी की तू पैदा ही हुई है मेरे घर के मर्दों से चुदवाने कुतिया!
मेरा सर अपने चूचियों पर दबाते हुए उसने मेरा माथा चूमा और बोली- उफ्फ मालिक … सही कहा! मेरे जैसी रांड सिर्फ आप के घर के मर्दो को खुश करने के लिए पैदा हुई है, बस चोदो, जैसे चाहे चोदो मालिक!
शोभा काकी ने अपने भोसड़े को कसते हुए मेरे लंड को जकड़ लिया और ख़ुद अपनी गांड ऊपर उठाकर चोदने का इशारा करने लगी.
लंड शोभा काकी के भोसड़े में कसने के कारण रगड़ने में मज़ा आने लगा, काकी की चूचियाँ काट काट कर चूसते हुए मैंने भी धक्कों की गति बढ़ा दी.
मेरे काटने से और चूसने से शोभा काकी का सीना, गर्दन सब लाल हो चुके थे.
मेरी हवस की निशानियां शोभा काकी के बदन पर साफ़ दिखाई दे रही थी.
पर इस बात से ना तो मुझे कोई फ़र्क पड़ा … ना ही काकी को!
क्यूँकि हम दोनों ही अपने वासना की भूख मिटाने के चक्कर में एक दूसरे से लिपट चुके थे.
शोभा काकी की गर्दन चूमते हुए आज पहली बार मैंने उसके ओंठों पर अपने ओंठ जमाये तो हवस से पागल उस रंडी ने मुझे बेतहाशा चूमना चालू किया और मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
सक्कू भी अब बहुत ज़्यादा गर्म हो चुकी थी और वासना से मदहोश होकर उसने अब मेरे टट्टों के साथ साथ शोभा काकी की गांड भी चाटना चालू किया.
उसके चाटने से काकी भी अपनी गांड ऊपर उठाते हुए मेरे लौड़े की मार खाने लगी.
आंखें बंद करके मुझे अपनी बाहों में भर कर वह बाजारू रंडी की तरह मेरे लौड़े से चुद रही थी.
तेल की मालिश से काकी का भोसड़ा पहले से ही चिकना हो चुका था और ऊपर से अब उसने भोसड़े से अपना पानी भी बहाना चालू किया तो लंड की पकड़ ढीली होने लगी.
कुछ देर तक तो मैं काकी का भोसड़ा ऐसे ही पेलता रहा.
पर अब मुझे अब उस चुदाई में बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था तो मैंने गुस्से से अपना लौड़ा खींच कर बाहर निकाल लिया.
अचानक चुदाई रुकने से शोभा ने अपनी आंखें खोली और और मुझे देखने लगी.
तो मैं गुस्से से बोला- साली कितना बड़ा भोसड़ा है तेरा रंडी, पूरे गाँव से चुदवाती है क्या मादरचोद?
तभी आगे बढ़कर सक्कू बोली- अरे छोटे राजा जी, लगता है आपके मामाजी ने बहुत मेहनत की है उस छिनाल पर! आप मेरी बात मानो तो इसको कुतिया बना कर चोदो, पकड़ सही से मिल जायेगी!
सक्कू जैसी अनुभवी रंडी के सुझाव पर मैंने भी शोभा काकी को कहा- सुना नहीं तूने रंडी, चल झुक जा अब पीछे से चोदूँगा तुझे छिनाल!
काकी अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि साली सड़क के कुत्ते का लौड़ा भी मिले तो उससे सामने नंगी लेट जाए.
यहाँ तो मैं था … तो भला मुझे कैसे मना करती?
मेरे इशारे पर वह झट से पलट गयी और अपनी दोनों टांगें मोड़ते हुए आगे की तरफ झुक गयी, कुतिया बन कर अपनी गदरायी गांड का प्रदर्शन कर रही थी.
सक्कू ने शोभा की गांड पर जोर से थप्पड़ मारते हुए तेल की शीशी उठाई और उसके गांड पर तेल डाल कर उसके चूतड़ चमका दिए.
शोभा की गांड की दोनों फांकें फ़ैलाते हुए सक्कू ने मुझे चोदने का इशारा किया तो मैंने भी आगे बढ़ते हुए फिर एक बार अपना लौड़ा शोभा काकी के भोसड़े पर रखा और जोर से धक्का देते हुए एक ही झटके में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया.
तेज धक्के से शोभा आगे गिरने लगी.
तभी सक्कू ने उसको संभालते हुए कहा- अरे छिनाल, ठीक से चुदवाना भी नहीं आता क्या तुझे रंडी की औलाद!
शोभा काकी को संभलने का मौका दिए बिना ही मैंने फिर से उनको ताकत से चोदना चालू किया.
सक्कू का सुझाव सच में काम कर रहा था क्यूंकि इस बार शोभा का भोसड़ा कुछ कसा हुआ लग रहा था.
काकी की चौड़ी गांड पर थप्पड़ मारते हुए मैंने उसकी कमर पकड़ ली और जोर जोर उसे चोदने लगा.
इस कारण शोभा काकी फिर से सिसकारती हुई चुदाई की भीख मांगने लगी, लौड़े की भूखी कुतिया बन कर काकी अपने बेटे के उम्र के लौंडे के सामने नंगी होकर चुद रही थी.
सक्कू ने भी खेल में शामिल होते हुए मेरे छाती को चूमना चालू किया, नीचे से मेरे टट्टे मसलते हुए वह मुझ में जोश भरने लगी.
काकी की बढ़ती सिसकारियाँ से परेशान सक्कू अब उसके सामने जाकर बैठी और अपना भोसड़ा उसके मुँह में दबाते हुए बोली- क्यूँ री कुतिया, इतना क्यों चिल्ला रही है रंडी, पहली बार चुद रही है क्या मादरचोद? ले चूस तेरे अम्मा का भोसड़ा!
पहले तो शोभा काकी ने सक्कू की चूत चूसने से मन किया पर मैंने भी उसके बाल पकड़ते हुए काकी का मुँह सक्कू के भोसड़े पर दबा दिया.
सक्कू का भोसड़ा अपने मुँह में लेकर काकी ने अपनी जीभ सक्कू की चूत में घुसा दी, मेरे लौड़े पर अब वह ख़ुद अपनी गांड पटकने लगी.
कुछ देर तक तो काकी का भोसड़ा मज़ा देता रहा पर फिर एक बार भोसड़ा ढीला पड़ने लगा.
मैं लंड बाहर निकालने ही वाला था कि तभी मेरी नज़र काकी के गांड के छेद की तरफ़ चली गयी.
गांड का छेद भोसड़े के बुक़ाबले ज़्यादा कसा हुआ लग रहा था तो मैंने काकी की चुदाई जारी रखते हुए गांड का छेद सहलाना चालू किया.
शोभा काकी को मेरे इस हरकत से और मजा आने लगा तो वह सिसकारती हुई बोली- उफ्फ मालिक … रगड़ो मेरी गांड को ऐसे ही, चोदो मालिक फ़ाड़ दो मुझे ईई!
जैसे ही पता चला कि काकी को गांड को रगड़ना पसंद आ गया तो मैंने झट से तेल की शीशी उठाई और उसके गांड का छल्ला तेल से भिगोने लगा.
अंगूठे से रगड़ते हुए मैं शोभा की गांड खोलने लगा.
चुदाई से थिरकती गांड ने भी अब खुलना चालू किया.
कुछ ही देर में शोभा काकी की गांड का छेद अपने आप खुलने और बंद होने लगा.
जिससे मैं समझ गया कि काकी की गांड भी अब चुदाई के लिए तैयार हो चुकी है.
पर ज़्यादा जल्दबाजी करना मैंने उचित नहीं समझा.
काकी को चुदाई में और मदहोश करने के लिए मैंने अब अपना हाथ उनके पेट से नीचे ले जाते हुए भोसड़े से बाहर आया हुआ दाना रगड़ना चालू किया.
शोभा काकी बिल्कुल सड़क छाप लावारिस रंडी की तरह मेरे चुदाई की प्रशंसा करते हुए वो जोर जोर से सक्कू का भोसड़ा चूसते हुए बोली- उफ्फ ह्म्म्म म्म अम्मआआ … चोदो ओओ छोटे मालिक … भोसड़ा चोदो मेरा!
मैंने भी जोर जोर से दाना मसलते हुए अपना लौड़ा काकी के भोसड़े में पेलना चालू रखा ताकि मदहोशी में आकर शोभा कुछ भी करने के लिए तैयार हो सके.
मेरे अंगूठे ने काकी के गांड पर जादू कर दिया था और मुझे वहीं समय लगा कि जब मैं बिना बताये मेरा लौड़ा शोभा काकी की गांड में घुसा दूँ.
सटासट अंदर बाहर करते हुए मैं भोसड़ा पेल ही रहा था कि तभी मैंने लौड़ा उसके भोसड़े से बाहर निकाला और उसे कुछ पता चले इससे पहले मेरे लौड़े का सुपारा काकी की गांड का छल्ला फाड़ते हुए उनेक गांड में घुसा दिया.
तेल के मालिश से और मेरे अंगूठे की रगड़ से काकी की ढीली हुई गांड का छल्ला मेरे धक्के का बिल्कुल विरोध नहीं कर पाया, गांड की दीवार भेद कर आधा लौड़ा काकी की गांड में घुस चुका था.
अचानक हुए हमलसे से और गांड फटने के दर्द से काकी चिल्लाते हुए उठने लगी.
पर तभी मैंने अपना पैर उसके पीठ पर दबाते हुए बोला- कहाँ भाग रही है रंडी की पैदाइश, आज तो तुझे यहाँ से नंगी भेजूंगा मादरचोद!
इतना कहकर मैंने फिर से तेज धक्का लगाया.
तो पूरा लौड़ा शोभा रंडी की गांड चीरता हुआ उसके गांड में दाखिल हुआ.
दर्द से छटपटाती शोभा मेरा विरोध करने लगी.
सक्कू को भी इस बात का पता चला कि मैंने मेरा लौड़ा शोभा की गांड में पेल दिया है तो सक्कू ने भी शोभा को पकड़ कर उसको दबा के रखा.
हम दोनों की ताकत के सामने शोभा काकी का जोर कमज़ोर पड़ने लगा और अब तो मेरा लौड़ा उसकी गांड में पूरा घुस चुका था.
शोभा रोती हुई मुझे रुकने के लिए विनती कर रही थी पर एक बार शेर के मुँह में खून लगे तो वह किसी की नहीं सुनता.
उसके दर्द की चिंता किये बिना ही मैंने धीरे धीरे अपना लौड़ा उसके गांड में अंदर बाहर करना चालू किया.
तेल से चिकनी हुई गांड होने के बावजूद भी बहुत ही ज़्यादा तंग थी.
शोभा रोती रोती चिल्ला रहीं थी, सक्कू को ग़ाली देते हुए बोली- सक्कू साली मादरचोद रांड, छोड़ मुझे कुतिया गांड फाड़ दी मेरी … मालिक छोड़ दो … छोड़ दे री कुतिया!
काकी के बाल खींच कर सक्कू ने उसके मुँह पर थूकते हुए ज़ोरदार तमाचा देते हुए कहा- चुपचाप पड़ी रह भोसड़ी की, साली दो कौड़ी की बाज़ारू रांड मालिक के लौडे की रखैल है अब तू मादरचोद!
सक्कू के समर्थन के बाद मैंने भी शोभा की गांड पेलते हुए कहा- साली इतनी बड़ी गांड लेकर घूमेगी तो कोई ना कोई चोद ही देगा छिनाल, ज़्यादा चिल्ला मत वरना बाकी मज़दूर भी आकर तेरे गांड का भोसड़ा बना देंगे!
शोभा मेरे धमकी से डर कर चुपचाप झुकी रही और वह मुझे धीरे धीरे चोदने की विनती करने लगी.
पर मैं कहाँ उसकी बात मानने वाला था.
शोभा का ब्लाउज़ ज़ो बिस्तर पर था, उसे उठाकर मैंने शोभा के मुँह में ठूँस दिया ताकि उसकी चीखें सबको ना सुनाई दें.
सक्कू ने शोभा के हाथ कसते हुए मुझे इशारा किया.
शोभा को अपने पैरों तले दबाते हुए मैं उसकी गांड पर टूट पड़ा.
तेल की वज़ह से मुझे उसकी गांड मारने में थोड़ी आसानी हो रही थी.
पर अब भी उसके गांड में कसाव था. मेरे लंड को ज़कड़ने से गांड की दीवारें अच्छे से रगड़ रही थी.
गुदाज़ गांड के मख़मली दीवारों ने मेरे लंड का सुपारा चूसना चालू किया.
जैसे जैसे लौडा अंदर बाहर होने लगा, वैसे वैसे शोभा रंडी की गांड ने मेरे लौडे को अपना लिया.
अब शोभा का चिल्लाना भी लग़भग ना के बराबर था.
गांड चुदवाने में अब काकी को भी मज़ा मिलने से उसने अपना विरोध कम किया और आंखें बंद करते हुए धीरे से आहें भरने लगी.
उसकी आह आह की आवाज़ें सुनकर मैं और सक्कू समझ गए कि अब काकी भी गांड चुदवाने का मज़ा ले रही है.
सक्कू ने अब शोभा के मुँह से ब्लाउज़ निकाला और उसका मुँह अपने चूत पर दबा कर ख़ुद अपनी चूत उसके मुँह पर घिसने लगी.
शोभा काकी भी बेशर्म आवारा रंडी की तरह सक्कू के चूत का पानी चाटने लगी.
काकी के ऊपर से मैंने भी अपना पैर निकाल लिए.
शोभा के पपीते अपने मुट्ठी में दबाते उनको ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.
साली के चूचे इतने बड़े थे कि मेरे पंजों में ठीक से समा नहीं रहे थे.
और हवस की वज़ह से उसके निप्पल बिल्कुल खड़े हो चुके थे.
शोभा की गर्दन और पीठ को चूमकर मैंने धक्के लगाते हुए कहा- क्यूँ रंडी … अब तो मज़ा आ रहा है छिनाल? देख सक्कू, कैसे रंडी शोभा गांड चुदवा रही है मेरे लंड से!
सक्कू ने भी शोभा की तारीफ़ करते हुए कहा- सच कहते हो छोटे मालिक, देखो कैसे रंडी बेशर्मों की तरह मेरा मूत पी रही है. लगता है आपके मामाजी ने अच्छी ट्रेनिंग दी है इस कुतिया को!
शोभा सक्कू के भोसड़े को चूसते चूसते बिना कुछ बोले अब अपनी गांड पीछे धकेलने लगी.
गांड को अंदर से रगड़ता मेरा चिकना लंड लाल हो चुका था.
सक्कू भी ख़ुद के आम दबाते हुए नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसके भोसड़े को शोभा काकी काट काट कर चूस रही थी.
कुल मिलाकर पिछले एक घंटे से चल रहे हवस के ख़ेल में हम तीनों सुधबुध ख़ोकर एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े थे.
शोभा की गांड का मज़ा लेते हुए मैंने उसके चूचे मसल मसल कर उनको सुज़ा दिया था.
एक हाथ से शोभा का भोसड़ा उंगलियों से घिस घिसकर उसे मज़े दे रहा था.
शोभा ने भी अब अपनी उंगलियां सक्कू के चूत में डाल कर रगड़ते हुए कहा- साली कुतिया … कितना पानी है तेरे कुएं में मादरचोद … ले चुद साली रंडी की औलाद … आज़ मैं भी तेरे चूत का भोसड़ा बना दूँगी छिनाल!
सक्कू पलट कर उसके सामने कुतिया बन गयी और अपनी गांड शोभा काकी के मुँह पर दबाते हुए बोली- तेरे माँ का भोसड़ा शोभा रंडी, मेरे गांड को क्या तेरी अम्मा आके चाटेगी भोसड़ी की?
वो दोनों एक दूसरे को गालियाँ देती हुई मज़े ले रही थी और मैं शोभा काकी की गांड ढीली करने में लगा हुआ था.
काफ़ी देर तक शोभा मेरे दोनों तरफ़ के हमले को बर्दाश्त करती रही पर आख़िर उसके भोसड़े ने मेरे हमलों के आग़े घुटने टेक दिए.
‘ह्म्म्म म्म उफ़्फ़ मालिक’ करते हुए उसने मेरा हाथ ज़ो उसके भोसड़े को रगड़ रहा था उसे अपने हाथ से रोक लिया.
सक्कू की गांड में अपना चेहरा छुपाती हुई वह ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और अगले ही पल उसका कामरस मेरे हाथ पर बहने लगा.
झड़ने से ठीक पहले शोभा काकी ने ज़ोर से चीख़ते हुए अपने झड़ने का ढिंढोरा पिट दिया था तो सक्कू ने भी अपनी गांड उसके मुँह पर दबा दी.
थरथर कांपते हुए काकी लग़भग मेरे हाथ पर मूत रही थी, उसके भोसड़े से निकलता रस का फ़व्वारा मेरा हाथ, जांघें और बिस्तर गीला करने लगा.
शोभा का पूरा पानी निकलने के बाद वह बिस्तर पर ही आग़े होते हुए लेट गयी और इस वज़ह मेरा लौडा भी उसके गांड से बाहर निकल आ गया.
बिना चुदी हुई गांड का दरवाजा तोड़ने की वज़ह से लंड भी थोड़ा दर्द दे रहा था; पर अब भी उसमें जान तो बाकी थी.
बिस्तर पर नंगी लेटी शोभा काकी गांड चुदाई के बाद बेहोशी की हालत में आंखें बंद कर के आराम करने लगी.
मेरा लौड़ा देख सक्कू ने काकी का ब्लाउज से मेरा लौड़ा साफ़ किया और झट से मेरे सामने अपनी गांड खोल कर झुक गयी.
मैंने भी उसका इशारा समझते हुए एक ही झटके में लौड़ा उसकी गांड में घुसा दिया.
सक्कू ने भी झट से मेरे लंड का स्वागत करते हुए अपनी गांड मुझे सौंप दी.
मेरे लंड का पानी निकालने के लिए मैं सक्कू के दर्द की चिंता किए बिना उसे चोदने लगा.
पिछले एक घंटे से मेरा लंड चुदाई की लड़ाई में डट कर खड़ा था पर मेरा शरीर और लौडा दोनों भी बुरी तरह से ठक चुके थे.
जैसे ही मैंने सक्कू को अपने हवस का शिकार बनाना चालू किया, वैसे मेरा वीर्य भी मेरे टट्टों से उछलता हुआ मेरे सुपारे की तरफ़ दौड़ने लगा.
सक्कू की चूचियाँ भींचते हुए मैंने आख़िर के कुछ धक्के मारे और पूरा लंड उसके गांड में दबाते हुए झड़ने लगा.
सक्कू के चूचे बुरी तरह से भींच कर झड़ते समय मैं बोला- ले मादरचोद सक्कू … तेरी माँ का भोसड़ा साली बाज़ारू रांड … पिला मेरा माल तेरी गांड को हिजड़े की औलाद!
मेरे लंड रस से सक्कू की गांड का कोना कोना भरने लगा.
एक के बाद एक सात आठ पिचकारियाँ सक्कू की गांड का गोदाम भरती चली गयी.
थक हार कर मैं वहीं सक्कू और शोभा के बग़ल में लुढ़क गया.
तो देखा कि शोभा आंखें खोलकर सक्कू की गांड से निकलता मेरा वीर्य देख रही थी.
मैंने सक्कू को देख कर आँख से इशारा किया तो उसके अपनी गांड का छेद बंद किया और शोभा की तरफ़ अपनी गांड ले गयी.
जंगली चुदाई से अधमरी शोभा वैसे ही बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी.
सक्कू ने इसी बात का फ़ायदा उठाते हुए अपनी गांड फ़िर से शोभा के मुँह पर रख़ दी.
शोभा का मुँह अपने गांड के नीचे दबाते हुए उसने अपनी गांड ढीली कर दी और बोली- ले शोभा, चाट तेरे माँ की गांड, पी जा छिनाल मेरे गांड से मालिक की ताज़ी मलाई!
वह बेबस होकर अपनी ज़ीभ से सक्कू की गांड चाटने लगी, गांड से निकलता मेरे लंड का वीर्य शोभा खा रही थी. गांड से सारी मलाई शोभा के मुँह में ख़ाली करने के बाद सक्कू ने मेरे लंड को भी चूस चाट कर साफ़ कर दिया.
अपने कपड़े उठाते हुए उसने शोभा काकी के कपड़े भी उठाकर उसके मुँह पर फेंक दिए.
शोभा दर्द और थकान के वज़ह से वैसी ही लेटी हुई अपने सांसों को नियंत्रित करती हुई वह आंखें बंद कर करके मेरी मलाई को चाट रही थी.
चुदाई के बाद मैं मूतकर वापिस आया और अपने कपड़े पहनकर तैयार होने लगा.
शोभा को वहीं पड़ी देख मैंने कहा- सक्कू, लगता है मर गयी ये रंडी मेरे लंड से चुदवाकर, देख तो ज़रा!
सक्कू ने उसके पास जाते हुए उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर बिठाया और बोली- क्या शोभा, कैसा लगा मालिक का लंड रंडी? लगता है तेरे साथ साथ तेरे माँ का भोसड़ा भी चुद गया आज? चल उठ ज़ा हरामण … वरना फ़िर से चुदेगी!
फ़िर से चुदाई का नाम सुनते ही शोभा झट से कपड़े उठा कर पहनने लगी.
उसकी हालत देख कर ऐसे लग रहा था जैसे एक साथ 4-5 मर्दों से अकेली चुदवाकर बैठी है.
सक्कू ने अपने कपड़े पहन लिए और मुझे चूमते हुए कल मिलने का वादा करते हुए कमरे से निकल गयी.
उसके जाने के बाद मैंने काकी को उसके कपड़े पहनने में और उसकी हालत संवारने में मदद की, उसको अपनी बाहों में भर लिया और प्यार से उसका माथा चूम लिया.
मेरे इस प्यार भरे व्यवहार से शोभा काकी के आँखों में आंसू निकल आए, मुझे गले लगते हुए काकी ने मेरे ओंठों को चूम लिया.
इस दिन के बाद मैं लग़भग रोज़ ही शोभा की गांड और सक्कू के चूत का मज़ा लेने लगा.
पर एक दिन शोभा काकी ने मेरे सामने एक ऐसा प्रस्ताव रखा जिसे सुनकर तो मेरे होश उड़ गए.
आग़े क्या क्या हुआ और काकी ने क्या प्रस्ताव रखा ये सब आप मेरे अग़ली कहानी में ज़ान ही लोगे.
तब तक आप सबको नमस्कार!
मेरी इस देसी बाई सेक्स कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
मानस पाटिल
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