हॉट Xxx आंटी सेक्स कहानी मेरे दोस्त की मम्मी की चूत चुदाई की है. आंटी 40 की उम्र में भी बहुत चिकनी माल दिखती थी. मैं उनके घर जाने लगा और उनको सेक्स के लिए मना लिया.
प्रस्तुत कहानी मेरे जीवन की सच्चाई पर आधारित एक सत्य है।
यह बात कुछ साल पहले की गर्मियों की है।
तब मैं 19 साल से कुछ महीने कम का था और 12वीं की परीक्षा देकर मुक्त हुआ था।
अपनी छुट्टियों का लुत्फ लेते हुए यहां वहां भटकना, दोस्तों से मिलना, थोड़ी बहुत कसरत करना और पोर्न देखना हमारा शौक बन गया था।
मेरे घर से 5 – 6 घर छोड़कर ही मेरे दोस्त राजीव का घर था।
राजीव मुझसे आयु में 3 महीने छोटा था.
और राजीव के पिताजी एक मंडी व्यापारी थे जो अक्सर सुबह सुबह ही मंडी चले जाया करते थे. फिर दोपहर में भोजन करने आये तो आये वरना लौटने को रात हो जाया करती थी।
मैं अक्सर राजीव को मिलने उसके एक दो कमरे के मकान में जाया करता था।
उसकी माँ ललिता बड़ी ही अच्छे स्वभाव की गृहिणी महिला थी।
पर उनके गुस्से के किस्से मैं राजीव से काफी सुन चुका था।
ललिता का वर्णन अगर करूं तो ललिता आंटी सांवली थी, जिनके गदराए हुए बदन की कोमलता साफ झलकती थी 40-42 साल की उम्र में!
बिना ब्रा का लाल ब्लाउज और पीली साड़ी में वे अक्सर कहर ढाती थी।
आगे चलकर उनके पेटीकोट का रंग लाल मुझे पता लगा।
और वे पैंटी भी नहीं पहनती थी.
ललिता आंटी का जिस्म खरबूजे जैसे दो बड़े बड़े चूचे जिन पर बड़े काले मुनक्का थे.
तरबूज जितनी बड़ी बाहर निकली एक एक चूतड़, मोटी मोटी भरी हुई जांघें और हल्का सा बाहर निकला पेट।
ललिता की आंखें बड़ी बड़ी थी जिनमें अक्सर वे काजल लगाया करती थी।
उसके लंबे बाल थे जिनकी वे एक लंबी चोटी डाला करती थी।
अब आता हूँ हॉट Xxx आंटी सेक्स कहानी पर!
उस कमसिन उम्र में मैं गर्मियों में अक्सर बनियान और हाफ चड्डी पर ही मुहल्ले के भ्रमण किया करता था।
एक दिन मैं राजीव के घर गया तो उसके घर पर राजीव नहीं था।
मेरे पहुंचने पर ललिता आंटी ने मुझे बिठाया और मैं जमीन पर ही उनके सामने बैठ गया।
वे उस वक़्त सब्जी छीलने, काटने में व्यस्त थी।
पैरों को खोलकर सब्जी काटते हुए मुझे उनके पेटीकोट के दर्शन हो गए।
वहां कुछ देर बैठने और आंटी से बात करने के बाद मुझे पता लगा कि राजीव दूसरे शहर अपने मामा के यहां आज सुबह ही चला गया है।
ललिता आंटी अकेले बोर भी हो रही थी।
TV पर क्रिकेट का मैच चल रहा था पर उन्हें उसमें कोई रुचि नहीं थी।
आखिर उन्होंने मुझसे मेरे बारे में जानकारी लेने शुरू किया कि मैं आगे क्या पढ़ने वाला हूँ इत्यादि!
तभी मैंने ललिता आंटी के आंखों में आंखें डाली तो उनकी आंखों की गहराइयों में मैं डूब गया।
थोड़ी देर बाद मैं उनके गदराए हुए चूचे देख कर अपने लंड पर हाथ फेरने लगा।
ललिता आंटी को भी मेरे लंड का उभार दिख गया था।
पर उन्होंने तिरछी नजर से उसे देखकर नजरअंदाज कर दिया।
मैं दिन में उनके घर जाकर हर दोपहर में यही करने लगा।
तीसरे दिन मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने आंटी से पूछा- आपको ऐतराज ना हो तो मैं अपने फोन में यहां कुछ तस्वीरें देख लूं?
तो उन्होंने कहा कि मुझे क्यों ऐतराज होगा।
फिर मैंने नंगी माँ बेटा सेक्स वाली महिलाओं की तस्वीरें देखना शुरू किया।
कई बार उनकी नजर मेरे चायना फोन की स्क्रीन पर पड़ रही थी और उन्हें भी वो नजारा दिख रहा था.
पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
उसके बाद मेरी हिम्मत और बढ़ी और 2-3 दिन बाद मैंने अपने फोन में माँ बेटा पोर्न देखना शुरू किया, वो भी आवाज बढ़ा के!
आंटी सुन के भी ध्यान नहीं दिए जैसे करती थी।
2 दिन ऐसे ही बीत गए।
तीसरे दिन मैंने आंटी को पास बुलाया और उन्हें हिम्मत कर कहा- आप भी देखिए।
वे पहले तो ना नुकुर करने लगी पर कुछ देर बाद देखते हुए कहने लगी कि उनके पति भी उन्हें ये मोबाइल में दिखाते हैं।
आखिर हम दोनों अब पोर्न देखने वाले दोस्त बन गए थे।
2 – 3 दिन हमने ऐसे ही साथ में बस पोर्न देखा, कुछ किया नहीं।
ऐसे ही हमारे कुछ घंटे कट जाते।
हल्का होने के लिए मैं आंटी का बाथरूम भी उपयोग में लेने लग गया था।
एक दिन पोर्न देखते देखते मैंने आंटी की जांघों पर हाथ फेर दिया।
आंटी ने कुछ नहीं कहा.
तो मैंने हिम्मत कर आंटी की साड़ी उठाई और चूत में अपनी दो उंगलियां घुसा दी।
उनकी गीली झांटदार चूत का रस मेरे उंगलियों पर आ रहा था।
आंटी ‘आह … आह … उफ्फ्फ’ की सिसकारियाँ ले रही थी।
आखिर कुछ देर बाद आंटी ने मेरे हाथ को दूर कर कहा- यह गलत है। हम पोर्न दोस्त की तरह देखते हैं. पर मेरा बेटा तुम्हारा दोस्त है और तुम उसकी उम्र के हो. मैं शादीशुदा हूँ मेरा भी घर संसार है और मैं अपने पति से संतुष्ट भी हूँ।
मैंने उन्हें मनाया- आँटी, कब तक आप एक ही लंड लेती रहोगी? आपका कभी नए टेस्ट का मन नहीं करता। आपको मेरी तरह एक कवला लड़का मिल रहा है जिसे आप जैसे चाहो उपयोग कर सकती हो। आप मुझ पे राज कर सकती हो। आप खुद मुझ पर चढ़कर मुझे चोद सकती हो। और रहा सवाल आपके बेटे और मेरे दोस्ती का … तो मैं अपने मुंह से बोलकर अपनी दोस्ती क्यों खराब करूंगा भला?
आखिर 3 – 4 दिन की ब्रेन वाशिंग के बाद आंटी मान गई।
आज आंटी के पेटीकोट को उठाने के बाद उसमें पहले मेरी मेरी उंगलियां घुसी, फिर मेरा मुंह उनकी चूत चाट रहा था।
आंटी की चूत के होंठ खोलकर मैं उन्हें चूसते हुए उनके चूत के चने का आनंद ले रहा था।
उनकी चूत का नमकीन पानी गटके जा रहा था.
यह करते हुए मैंने उनका पेटीकोट और साड़ी अपने ऊपर ले लिया था।
आंटी दोनों टांगों का हवन कुंड बनाये हुए मेरे चूसने का आनंद लेती जा रही थी।
कुछ देर बाद मैं आंटी के पेटीकोट से बाहर निकला और उनके सामने अपना 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लौड़ा तान दिया।
आंटी तो शादीशुदा थी ही … उन्होंने अपना पूरा अनुभव मेरे लंड की जबरदस्त चुसाई करते हुए मुझे दर्शा दिया था।
19 साल का लन्ड 40 साल की आंटी के मुँह में था।
और मैं आंटी के चेहरे पर ही झड़ गया जिसमें उनकी आंखों पर मेरे लंड का रेशा और उनके बालों में भी मेरा वीर्य घुस गया।
पर उन्होंने चुसाई नहीं रोकी।
15 – 20 मिनट की चुसाई के बाद फिर मेरा लंड तैयार हो गया।
अब ललिता आंटी को मैंने जमीन पर ही लिटा दिया और मैं उन पर चढ़ गया।
उनकी गीली चूत में, जो चूत नहीं भोसड़ा था, उसमें मैं अपना लंड पेलने लगा।
आंटी खुद मेरी गांड पकड़ कर मुझे अंदर खीचने लगी और उनके चूत की दीवारें मेरे लंड को अंदर ही निचोड़ने लगी।
उनकी चूत चोदने से एक बात तो ध्यान में आ रही थी कि आंटी थी पक्की पतिव्रता!
हर रात को अपने पति को जरूर चूत देती थी।
खच खच चूत में मेरा लन्ड घुसता गया. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं आंटी की चूत में ही झड़ गया।
अब हर रोज आंटी को मैं चोदने लगा।
आंटी अब दिन में मेरे साथ मेरी रखैल जैसा पेश आती।
कभी मैं बाहर से घूम कर आता तो मुझे अपने घर बुलाती, एक कमरे में ले जाकर पूछती- कौन सी लड़कियां ताड़ने गया था। मेरी चूत छोड़कर और कितनी ले रहा है? और कई बार तो मुझपर चढ़ कर खुद ही मेरे लन्ड की सवारी करते हुए मुझे चोद देती।
बहुत दिन तक आंटी की यह चुदाई ऐसी ही चली.
और बाद में मैं अपनी आगे की पढ़ाई करने शहर शिफ्ट हो गया।
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