लंड चूत सेक्स कहानी में मैं अपनी सहेली के घर उसके साथ उसके पापा के सामने नंगी थी. पहले उसके पापा का लंड चूसा मैंने, फिर अंकल ने मेरी चूत चाट चाट कर मुझे चरम सुख दिया.
कहानी के पिछले भाग
सहेली के मम्मी पापा की चुदाई देखी
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी सहेली के घर गयी. वहां उसके मम्मी पापा की चुदाई देखी. फिर उसकी मम्मी और मेरी सहेली मुझसे सेक्स की खुली बात करने लगी. उसने अपने पापा को बुला कर उनका लंड मुझे दिखाया और खुद लंड चूसने लगी.
मैं भी इस खेल में शामिल हो गयी.
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Lund Chut Sex Kahani
अब आगे लंड चूत सेक्स कहानी:
अभी एक-दो मिनट में ही लंड को चूसा ही था कि अंकल ने कमर हिलाना रोक कर कहा- ये तो बेईमानी है भाई … कि सिर्फ मैंने ही कपड़े नहीं पहने हैं और तुम लोग कपड़े पहने हुए हो।
मैं लंड से मुँह हटा कर उन्हें देखने लगी।
तभी आंटी बोलीं- हां ये बात तो सही है।
फिर मेरे और ज्योति की तरफ इशारा करते हुए बोली- तुम दोनों भी अपने कपड़े उतारो।
इसपर ज्योति हंसते हुए बोली- और आप क्यों नहीं?
आंटी बोली- अरे मुझे तुम लोगों के लिए चाय-नाश्ता भी तो बनाना है ना!
फिर मुझे देखते हुए आंख मारकर बोली- वैसे भी तुम्हारी सहेली तो अंकल का लंड ही देखना चाहती थी ना!
इस पर मैं मुस्कुराने लगी।
ज्योति बोली- चलो ठीक है।
फिर मेरी ओर देख कर बोली- पहले मैं शुरुआत करती हूं।
यह कहकर उसने अपनी स्कर्ट का हुक खोल दिया, जिसमें से उसकी स्कर्ट नीचे गिर गई और फिर उसने पैरों से निकाल कर स्कर्ट को बाहर कर दिया।
फिर टी-शर्ट भी उतार दिया।
ज्योति अब सिर्फ ब्रा और पैंटी मैं थी।
तभी उसके पापा मुस्कुराते हुए बोले- ये भी उतारो!
इस पर ज्योति की मम्मी ने अंकल को चिकोटी काटा और हंसते हुए बोली- बड़ी जल्दी मची है अपनी बेटी को नंगी देखने की?
हम सब हंसने लगे।
ज्योति आंख मारती हुई बोली- बोल तो ऐसे रहे हैं जैसे पहली बार देखने जा रहे हैं।
फिर ज्योति बोली- मुझे तो देखा ही है, आज इसे देख लीजिये।
यह कहती हुई ज्योति मेरी तरफ देख कर बोली- अरे, अब तुझे क्या अलग से कहना पड़ेगा? मैंने अपने कपड़े उतार दिए, अब तू भी उतार।
तभी ज्योति की मम्मी कमरे से बाहर जाती हुई बोलीं- कामवाली के आने का टाइम हो रहा है। तुम लोग मजे करो, तब तक मैं कपड़े बदल कर चाय-पानी का इंतजाम करती हूं।
यह कहकर वे कमरे के बाहर निकल कर कमरे के दरवाजे पर बाहर से बंद कर काम करने चली गई।
मैंने लैगिंग और टी-शर्ट पहनना हुआ था।
ज्योति की बात पर मैंने बिना कुछ बोले बैठे-बैठे ही अपनी टी-शर्ट उतार दी और सिर्फ ब्रा और लैगिंग में रह गई।
मैं भी अब शर्माना छोड़ कर मजे लेने के मूड में आ चुकी थी।
ज्योति मुस्कुराती हुई बोली- सब उतारना पड़ेगा गरिमा!
मैं बोली- तुमने भी तो पूरे कपड़े नहीं उतारे हैं।
मेरी बात पर ज्योति के पापा बोले- वही तो मैं भी कह रहा हूँ।
इस पर हम सब हंसने लगे.
ज्योति मुझसे बोली- अच्छा तो ये बात है, चल मेरे साथ-साथ कपड़े उतार!
ये कहते हुए उसने अपनी ब्रा उतार दी।
अब वह सिर्फ पैंटी में थी.
उसने बोला- तू भी अपनी ब्रा उतार!
मैंने अपने दोनो हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया।
हुक खुलते ही मेरी दोनों चूचियां छलक कर बाहर आ गई, फिर मैंने ब्रा को उतार का रख दिया।
अब मैं सिर्फ लैगिंग में खड़ी थी।
ज्योति के पापा मेरी चूचियों को एक टक घूर रहे थे।
तब ज्योति बोली- अब लैगिंग भी उतार।
मैंने कहा- तू भी अपनी पैंटी उतार!
इस पर ज्योति ने अपनी पैंटी को पकड़ कर घुटनो तक खींच दिया और फिर पैरों से बाहर कर दिया।
फिर मैंने भी अपनी लैगिंग को खींच कर नीचे कर दिया और फिर झुक कर पूरी पैरों से बाहर निकाल दिया।
मैंने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी।
अब कमरे में हम तीनों मैं, ज्योति और उसके पापा नंगे खड़े थे।
अंकल थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आ गए और मेरी एक हाथ मेरी चूची पर रख कर सहलाने लगे।
चूची सहलाते-सहलाते वो थोड़ा झुके और मेरी एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे।
मेरी दूसरी चूची को वो अभी भी अपने हाथ से सहला रहे थे।
अचानक उन्हें मेरी चूची को सहलाना छोड़ कर अपने हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगे।
मेरी चूत एकदम पनिया चुकी थी।
तभी ज्योति मेरे बगल आकर खड़ी हो गई और एक हाथ से मेरी चूची को सहलाने लगी और दूसरे हाथ से अपने पापा के सख्त लंड को पकड़ कर हिलाने लगी।
फिर कुछ देर बाद उसने मेरी चूची पर से अपने हाथ को हटा लिया और घुटनों के बल नीचे बैठ कर अपने पापा का लंड चूसने लगी।
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा.
उसके बाद ज्योति उठ कर खड़ी हो गई और मुझसे बोली- तू पापा का लंड चूसेगी एक बार और?
मैं तो कब से इसके लिए तैयार खड़ी थी … मैं तुरंत बैठ गई और अंकल का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
उधर अंकल ज्योति की चूची मुंह में लेकर चूस रहे थे और एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहे थे।
लंड चूसते हुए कुछ ही देर हुई थी, तभी ज्योति अपने पापा से बोली- पापा, अब आप की बारी है अब आप हम दोनों की चाटिये।
यह सुनकर मैं लंड चूसना छोड़ कर खड़ी हो गयी।
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- अरे तो मैंने कब मना किया है, तुम दोनों बताओ पहले किसकी चाटूँ?
ज्योति मेरी तरफ इशारा करते हुए बोली- मेरी तो कोई नहीं बात नहीं है इसलिए पहले इसकी चाट लीजिए, फिर मेरी!
अंकल मेरे पास आ गए और बोले- बोलो कैसे चटवाओगी बेटा, खड़ी होकर या लेट कर?
मैंने शर्माते हुए धीरे से कहा- जो आप को पसंद हो!
इस पर ज्योति मेरी गांड पर हाथ फेरती हुई आंख मार कर अपने पापा से बोली- अरे पापा की पसंद तो कुछ और ही है … क्यों पापा … गलत तो नहीं कह रही?
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- बाप की पसंद बेटी से ज्यादा कौन जानेगा।
हम तीनों हंस दिये।
मैं समझ गई कि अंकल को गांड मारने में ज्यादा मजा आता है।
वैसे सोनू (मेरा छोटा भाई) भी मेरी गांड काई बार मार चुका था मगर ज्योति के पापा के लंड का साइज में सोनू का लंड बड़ा और मोटा था।
मेरी चूत तो लंड के साथ, मोटे-मोटे बैगन और मूली को भी झेल चुकी है तो वो अंकल का लंड भी आसान से झेल लेगी।
मगर इतना बड़ा लंड मेरी गांड में कभी नहीं गया था और ना ही मैंने कभी बैगन और मूली गांड में डाली थी।
ज्योति मुझसे बोली- वैसे भी आज जो तू चाहे वही होगा।
मैंने पॉर्न मूवी में तो देखा था मगर कभी खुद खड़े होकर चूट नहीं चटवायी थी।
तो मैंने कहा- ठीक है, तो खड़े होकर ही कर लेते हैं।
इस पर अंकल मेरे सामने बैठ गए।
अब उनका मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था।
अंकल अपने दोनों हाथ को मेरी चूत के अगल-बगल जांघों पर रख कर मेरे पैरों को हल्का सा फैलाने की कोशिश करने लगे।
जिस पर मैंने खुद ही अपने पैरों को फैला कर चूत को उनके मुंह के पास कर दिया।
अंकल ने अपनी नाक को मेरी चूत के पास लाकर पहले चूत की खुशबू ली।
और फिर अपनी उंगलियों से मेरी चूत के दोनों फाँकों को फैला दिया और जीभ से चाटने लगे।
मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथों को अंकल के सर पर रख दिया और उत्तेजना में अपने कमर को हल्का-हल्का हिला कर चूत चटवाने लगी।
ज्योति मेरे पीछे आकर मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई अपने दोनों हाथ को अगल-बगल से आगे लेकर मेरी चूचियों को दबाने लगी।
उसकी चूची मेरी पीठ से दबी हुई थी।
मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी।
मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं- आआआह …उह … आआ आआह … उम्म … आआ … हांह!
ऐसे लग रहा था कि शरीर का सारा खून छूट रहा है।
चूत चटवाते हुए अभी 4-5 मिनट हुए होंगे कि अचानक मुझे लगा जैसे चूत की नसें फटने वाली हों।
मेरा चेहरा एकदम गर्म हो गया था।
मैंने अंकल का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर चिपका दिया और कमर को तेजी से हिलाने लगी।
अंकल अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल कर तेजी से हिला रहे थे।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आआआह … आआहाहा … आआ आआ आहा … अंकल और तेज … हां हाँअ … बस्स्स स्स्स … अंकल.. आआ आआआ आआ निकलने वाला है।
मैं तेजी से अपनी कमर को झटके देने लगी और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
हल्के ठंड के मौसम में भी मेरे शरीर पर पसीना आ गया था।
मैं एकदम निढाल हो गई थी।
अगर ज्योति ने मुझे पीछे से पकड़ा ना होता तो मैं शायद गिर जाती।
अंकल ने मेरी चूत का पूरा पानी चाट कर साफ कर दिया और खड़े हो गए।
मैं बिस्तर पर बैठ गई, पैरों को नीचे लटकाए हुए आंख बंद कर लेट गई और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
मैं अभी भी हांफ रही थी।
एक-दो मिनट में थोड़ा सामान्य होने पर मैंने आंखें खोली तो देखा कि ज्योति मेरे बगल में ही नीचे खड़ी है और झुक कर अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिकाए हुए है।
अंकल ज्योति के पीछे घुटनोंके बल नीचे बैठ कर उसकी चूत चाट रहे हैं।
मैं उठकर बैठ गई और वही ज्योति के बगल में ही बिस्तर पर बैठी रही।
मैंने देखा कि ज्योति के पापा ज्योति की चूत चाटने के साथ ही उसकी गांड के छेद को भी जीभ से चाट रहे थे।
कुछ देर पहले ही मेरी चूत का पानी निकला था मगर बाप-बेटी के बीच का ये सेक्स सीन देखकर मेरी कमसिन चूत में एक बार फिर कुलबुली होने लगी।
ज्योति उत्तेजना में आंखें बंद कर चूत और गांड चटवा रही थी।
थोड़ी देर तक तो मैं उन दोनों बाप बेटी को ओरल सेक्स करती देखती रही, फिर मैं बैठे-बैठे ज्योति की चूची को एक हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी चूची को पकड़ा, ज्योति ने आंखें खोलकर मुझे देखा और फिर मदहोशी में ही हल्का सा मुस्कुराई और फिर आंख बंद कर मजे से अपने पापा से चूत चटवाती रही।
उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी.
तभी ज्योति के पापा ने चूत चाटना छोड़ कर खड़े हो गए।
मैंने देखा कि उनका लंड एकदम तना हुआ था और ठीक ज्योति की गांड के पीछे था।
ज्योति भी खड़ी हो गई और मुड़ कर अपने पापा से थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए बोली- क्या पापा … थोड़ी देर और चाटते ना … बस पानी निकालने ही वाला था मेरा!
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- अरे, यही तो नहीं चाहता था मैं! तुम्हारा पानी निकल जाता है तो तुम मेरी पसंद वाला काम नहीं करने देती हो।
इस पर ज्योति मेरी तरफ इशारा करते हुए मुस्कुरा कर बोली- अरे तो क्या हुआ, मेरी सखी तो है ना … आपकी पसंद का काम ये कर देती।
ज्योति फिर मेरे गाल पर चुटकी काट कर बोली- तू समझ रही है या नहीं पापा की पसंद? पापा को आगे से ज्यादा पीछे वाला पसंद है.
अंकल बोले- अरे तुम आगे और पीछे वाला क्या होता है ज्योति … ठीक से बताओ ना अपनी सहेली को!
ज्योति हंसती हुई मुझसे बोली- अरे पापा को चूत चोदने से ज्यादा गांड मारना पसंद है … अब समझी या नहीं?
बाप-बेटी की लंड चूत सेक्स की बातचीत में मुझे भी मजा आ रहा था और अब तक मैं भी बेशर्म बन चुकी थी।
मैंने हंसते हुए कहा- अरे तो क्या हुआ, जो अंकल चाह रहे हैं वो क्यों नहीं कर देती?
इस पर अंकल और ज्योति दोनों हंसने लगे।
ज्योति बोली- अरे बड़ी चिंता है अंकल की … तो तू ही क्यों नहीं उनकी पसंद को पूरा कर दे रही?
मैंने कहा- ठीक है. मगर पहले आप दोनों कर के दिखाओ तो फिर मैं भी कर लूंगी।
फिर हम तीनों हंस दिये।
प्रिय पाठको, आपको मेरी यह लंड चूत सेक्स कहानी आपको मजेदार लगी होगी.
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