मैं एक गैंगस्टर की रखैल बनकर चुद गई- 4 (Desi Bhabi Ki Gand Chut Ki Kahani)

देसी भाभी की गांड चूत की कहानी में पढ़ें कि एज जवान भाभी घर में अकेली थी तो उसने अपने एक बदमाश यार को बुला लिया और पूरी रात उससे सेक्स का मजा लिया.

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Desi Bhabi Ki Gand Chut Ki Kahani

फ्रेंड्स, मैं आपकी रसीली जीनी एक बार फिर से आपके सामने अपनी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
गांड चूत की कहानी के तीसरे भाग
गर्म भाभी को मिला बड़ा लंड
में अब तक आपने पढ़ा था कि मुकेश मुझे चोद कर झड़ गया था और मेरे ऊपर ही गिर गया था.

अब आगे देसी भाभी की गांड चूत की कहानी:

मुकेश मेरे सीने से लगा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी.
हम दोनों यूं नंगे लिपटे काफी देर लेटे रहे.

फिर मुकेश उठा और उसने अपनी पैंट से एक शीशी निकाल कर मुँह से लगा ली.
कुछ ही पल में ही उसने पूरी शीशी खाली कर ली.

मैं अब भी सोफे पर लेटी थी; मेरे सारे शरीर में दर्द हो रहा था.
दमदार चुदाई के दो राउंड हो चुके थे.

मैंने मुकेश से कहा- अब इतनी रात को क्यों पी रहे हो?
जिस पर मुकेश बोला- अभी तो सारी रात बाकी है, मैंने तुम्हारे तन से सही से खेला भी नहीं है. अभी तो सारी रात मुझे तुम्हारे तन से खेलना है ताकि मैं अपनी प्यास बुझा सकूँ … और वैसे भी तुम तो मेरी रखैल हो और मैं अपनी हर रखैल के साथ ऐसे ही करता हूं.

मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुरा दी.
मुकेश को जहां तक मैं जानती थी, वह आने वाले कुछ घंटे तक मेरी और दमदार चुदाई करने वाला था.

मैं उठकर बोली- बस हो गया, अब बहुत चोद चुके हो.
मुकेश मेरी ओर बढ़ा और उसने मेरे बाल पकड़ते हुए बोला- देख कुतिया … आज सारी रात तेरा शरीर टूटने वाला है. मैं आज रात भर तुझे सोने नहीं दूंगा साली भैन की लौड़ी.
मुकेश मुझे बालों से पकड़ कर घसीटते हुए बेडरूम की तरफ ले जाने लगा.

उसे दारू का नशा चढ़ने लगा था और वह अब साधारण मर्द की जगह एक उन्मत्त मर्द हो गया था.

बेड के पास ले जाकर उसने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और मैं सीने के बल बेड पर जा गिरी.
मुकेश ने पास ही रखे मेरे दुपट्टे से मेरे हाथों को पीछे लेकर बांध दिया.
मैं अच्छे से उठ भी नहीं पा रही थी.

फिर मुकेश मेरे बगल में आकर बैठ गया और मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ कर बोला- जीनी, आज की रात तो मैं तेरी चूत और गांड का पूरी तरह से गड्डा बना दूंगा. तू जानती ही है कि तुझे से आज मुझसे कोई नहीं बचा सकता.

मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा- देखो वैसे ही मेरे साथ सब कुछ कर चुके हो, अब तो भगवान के लिए मुझे छोड़ दो.

मुकेश उठा और मेरी पीठ पर चढ़ते हुए मेरे बालों को एक साथ करके अपने हाथों में लेकर कहा- चल अब घोड़ी बन जा … तेरी गांड मारनी है मुझे!
मैं उसकी बात मानते हुए घोड़ी पोज में आ गई.

मेरे हाथ उसने पहले ही बांध रखे थे तो मुझे काफी परेशानी हो रही थी लेकिन फिर भी मैं उस पल को अच्छी तरह से जीना चाहती थी.

मुकेश का लंड पूरी तरह से कड़क हो गया था.
उसने मेरे बालों को खींचते हुए अपना लंड मेरी गांड पर सैट कर दिया और एक जोरदार झटका दे मारा.

मेरा तो बैलेंस बन ही नहीं रहा था इसलिए मैं थोड़ा तिलमिला रही थी लेकिन मैं उसका साथ दे रही थी.

उसने लंड मेरी गांड में पेलते ही अपनी स्पीड एकदम से बढ़ा दी और वह बीच-बीच में मेरी गांड पर जोरदार धौल भी जमा कर मारता जा रहा था.

इससे मुझे दर्द भी होता लेकिन मैं अपनी गर्दन पीछे करते हुए उसे देखती और कहती- धीरे करो, क्या तुम्हें मुझ पर दया नहीं आती.
जिस पर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती और वह अपने धक्कों में और जोर लगा देता.

मेरी हालत तो पतली हो रही थी.
उधर मेरी चूत से पानी की धार भी बहने लगी थी.
आखिर उस चुदाई का मजा ही ऐसा था.

काफी देर तक मेरी गांड मारने के बाद मुकेश ने मुझे धक्का देते हुए सीधी कर दिया.
उसने मेरे दोनों पैरों उठाकर को हवा में करते हुए पकड़े … और मेरी चूत में लंड पेलते हुए फिर से जोरदार चुदाई चालू कर दी.

मैं तो मानो मदहोश हो रही थी.

मेरे हाथ नीचे दबे होने के कारण मुझे दर्द भी हो रहा था लेकिन मैं फिर भी उसका साथ दिए जा रही थी.
काफी देर की चुदाई के बाद अब मुकेश का लंड भी अपना वीर्य छोड़ने की पोजीशन में आ चुका था.

उसने मेरे पैरों को छोड़ दिया और मेरे मम्मों को पकड़ लिया.
वह उन्हें जोर-जोर से दबाते हुए मुझे गाली देने लगा- जीनी साली रंडी … तेरी चुदाई में वाकयी बहुत मजा आ रहा है … ऐसा लग रहा है कि तुझे चोदता रहूँ.

मुझे उसकी गालियों सुनकर बड़ा अच्छा लग रहा था.
मैंने अपनी गांड उचका उचका कर उसके लंड को अपने चूत की गहराई में लेना शुरू कर दिया था.

इस बार उसने मुझे करीबन आधा घंटा चोदा होगा.

अब मेरा पानी भी कई बार निकल चुका था; मैं तो बस मस्ती में चुदाई का मजा ले रही थी.

आखिरकार काफी देर बाद मुकेश ने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में ही निकाल दिया और उसी पोजीशन में मेरे ऊपर गिर गया.
हम दोनों गहरी सांस लेते हुए पड़े रहे.

न जाने कितनी देर बाद मैंने मुकेश से कहा- अब मेरे हाथ तो खोल दो!
मुकेश ने एक साइड होते हुए मेरे हाथों को आजाद कर दिया और मैं उसके लंड से भी आजाद हो गई.

उसके ऊपर अपना एक पैर रखकर सीने पर सर रखकर लेट गई और हम दोनों को कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला.

हम लोग रात को ढाई बजे के आस-पास ही सो पाए होंगे.

सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं सीने के बल लेटी थी और मुकेश पीछे से लगभग आधा मेरे ऊपर चढ़ा हुआ लेटा था.
उसका एक हाथ मेरे मम्मों पर था.

मैं आंख खोलते ही मुस्कुरा दी और सोचा कि काश हर सुबह ऐसी ही हो.

अब मैं मुकेश का हाथ हटाकर उसकी और घूमी लेकिन तभी मुकेश ने भी आंखे खोल दीं, उसका चेहरा मेरे सामने आ गया.

मुकेश ने अपने हाथ को मेरी पीठ पर ले जाते हुए मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे गाल पर किस करने लगा.

मुझे सुबह सुबह उसके इस किस करने के तरीके से काफी अच्छा महसूस हो रहा था.
मैं भी अपने हाथों से उसके चेहरे को सहला रही थी और किस करने के लिए उसे उकसा आ रही थी.

वह मेरी पीठ को दबोच कर सहलाने लगा.

तभी मेरे घर की डोरबेल बजी.
मैं समझ गई कि ये दूध वाला आया होगा.

तो मैं उठती हुई मुकेश से बोली- तुम बाहर मत आना, मैं अभी दूध लेकर आती हूं.

मैंने उठकर एक स्लीवलैस गाउन पहना और दूध लेने चली गई.
दूध लेकर मैंने जल्दी से कॉफी बनाई और लेकर बेडरूम में आई.

बेडरूम में आते ही मेरी नजर मेरे रात वाले लहंगा चुनरी और ब्लाउज पर पड़ी, जो कि सारे रूम में अलग अलग जगह पर पड़े थे और वह मेरी रात की मस्ती को बयान कर रहे थे.

मैं मुकेश के पास जाकर उसके बगल में बैठ कर कॉफी पीने लगी.
मुकेश ने भी अपनी चड्डी बनियान पहन ली थी.

कॉफी पीने के बाद मैंने उससे कहा- अब तुम चले जाओ.
वह बोला- अब जब तक तुम्हारा पति नहीं आता, तब तक मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा … बिना किसी को बताए यहीं रहूँगा और तुमको अपनी रखैल बना कर रखूंगा.

उसकी यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हुई और मैं तुरंत उसके गले से लग गई.
उसने भी खुशी से मुझे अपनी बांहों में ले लिया.

करीब पाँच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लिपटे रहे.
फिर मैंने मुकेश से कहा- चलो फ्रेश हो जाओ और नहा लो.
उसने कहा- नहीं, हम लोग एक साथ नहाएंगे.

मैंने कहा- हां ज़रूर, तुम जो चाहो. तुम अन्दर चलो, मैं आती हूँ.
वह बोला- नहीं, मैं तुम्हें उठा कर ले चलता हूँ.

मुकेश उठा, तो मैंने कहा- रुको.
लेकिन मुकेश नहीं माना और मुझे उठाकर बाथरूम की तरफ ले गया.

मैंने उसकी गोद में रहते हुए ही दरवाजा खोला.
मुकेश मुझे अन्दर ले गया और खड़ा कर दिया.

मैंने अपने गाउन को निकाल दिया और उसके सामने फिर से पूरी नंगी हो गई.
इस बार उसने भी अपनी चड्डी बनियान उतार दी और शॉवर चालू कर दिया.

पानी की बूंदें मेरे शरीर पर पड़ने लगीं और जल्द ही मैं पूरी तरह पानी में भीग गई.
मुकेश भी मेरे साथ शॉवर में साथ आ गया और वह भी पूरी तरह भीग गया.
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और एक दूसरे के शरीर के साथ खेलने लगे.

वह मेरे पूरे शरीर पर हाथ घुमा रहा था और मैं भी उसके पीठ और सीने को सहला रही थी.
कुछ ही देर मेरे बाल पूरे गीले हो चुके थे. मैंने अपने बालों को एक साइड करके जूड़ा बना लिया.

फिर मैं मुकेश के सीने पर किस करते हुए नीचे की ओर आने लगी.
कुछ क्षणों में मुकेश का लंड पूरी तरह से चोदने की पोजीशन में कड़क ही गया था.

मैंने अपने गालों से उसके लौड़े को सहलाना चालू कर दिया और उसे अपनी जीभ से चाटने भी लगी.
मुकेश को काफी अच्छा लग रहा था.

फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में तेजी से चलाना शुरू कर दिया.
उसका लंड पूरे मेरे गले तक आ रहा था.
मैं भी लॉलीपॉप की तरह उसके लंड को चूसे जा रही थी.

मुकेश ने मेरे बालों को पकड़ा और अपने लंड पर जोर लगाते हुए मेरे मुँह को पूरी ताकत से चोदना चालू कर दिया.

कुछ समय बाद मुकेश ने मेरे बाल पकड़ते हुए मुझे उठाया और मेरे पीछे आकर मुझे स्टैंडिंग पोजिशन में ही घोड़ी बना दिया.

उसने अपने लंड को मेरी गांड पर रखा और एक शॉट में पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.
मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, लेकिन मुकेश में अपना चोदना चालू रखा और मेरी गांड के पूरे परखच्चे उड़ा दिए.

मेरी आंखों से आंसू भी आने लगे और मैं रोने भी लगी लेकिन मुकेश ने अपना काम जारी रखा.
मैं बार-बार उससे बोल रही थी कि छोड़ दो मुझे … थोड़ा रुको तो सही.
मगर वह नहीं माना.

मेरे मुँह से अजीब अजीब आवाज से निकल रही थीं, जिससे मुकेश को बहुत मजा आ रहा था.
वह कभी मेरी गांड पर जोरदार चमाट मारता, तो कभी मेरी कमर को पकड़ कर पूरे जोर से अपना लंड मेरी गांड में डाल देता.

वह मेरे बालों को पकड़ कर खींचते हुए मेरी गांड मार रहा था.
मुझे दर्द के साथ काफी मजा भी आ रहा था और मुकेश भी उस समय मुझे गाली देते हुए चोदे जा रहा था.
वह मेरी गांड मार रहा था.

काफी देर बाद मुकेश ने अपना सारा का सारा वीर्य मेरी गांड में ही डाल दिया.
हम लोग वैसे ही बाथरूम में बैठ गए.

मुकेश का लंड मेरी गांड से निकल चुका था और मैं और वह दोनों जोर-जोर से सांस ले रहे थे.

कुछ देर बाद हम लोग एक साथ नहाए और मुकेश तौलिया लेकर बाहर चला गया.
मैं भी बड़ा तौलिया लपेट कर बाहर आ गई.

जब मैंने देखा तो मुकेश बिस्तर पर लेटा था. मैं भी तौलिया में थी. वह मेरे घुटने से हल्का सा ऊपर था.

तौलिया से मेरे बूब्स ढके हुए थे. मैं उसके बगल में जाकर लेट गई.
मेरे बाल पूरे गीले थे.

हम दोनों लेटे हुए बात करने लगे.
बात करते करते मैं मुकेश की बांहों में आ गई और एक दूसरे को सहलाते हुए कब हमारी आंख लग गई, मुझे कुछ पता ही नहीं चला.
हम दोनों वापस से गहरी नींद में सो गए.

आखिर दोनों बहुत थक चुके थे.

जब मेरी आंख खुली तो मैंने सामने घड़ी में देखा.
शाम के 5:30 बज रहे थे.

मैं टाइम देख कर जल्दी से उठी.
मेरा तौलिया जिसे मैं लपेट कर सोई थी, वह खुल चुका था और उधर मुकेश का तौलिया भी लगभग खुल ही चुका था.

वह फिलहाल गहरी नींद में सो रहा था.
मैं फिर जाकर बाथरूम में गई और पेशाब करके बाहर आई.

मुझे जोरों की भूख लग रही थी तो मैंने जल्दी से फास्ट फूड बनाया और उसी के साथ रात के लिए भी कुछ खाना भी बना दिया.
फिर मैंने मुकेश को उठाया और वह भी अपने कपड़े पहन कर तैयार होकर बाहर हॉल में बैठ गया.

मैंने मुकेश से कहा- बताओ क्या पहन लूँ?
वह बोला- कुछ भी पहन लो जीनी, तुम सभी कपड़ों में अच्छी लगती हो.

मैंने उससे कहा- ओके मैं तैयार होकर आती हूं, फिर हम साथ में खाना खाएंगे.

मैं तैयार होने में लग गई लेकिन इस बार मैंने कुछ हॉट कपड़े पहनने का सोचा.
इसलिए मैंने अपनी रेड कलर की एक फ्रॉक निकाली जिसे मैंने बहुत दिनों से नहीं पहनी थी.

मैंने अन्दर ब्लैक कलर की जालीदार ब्रा और पैंटी पहन ली. ऊपर से फ्रॉक डाली जो कि मेरे घुटनों के ऊपर तक आ रही थी.
ये स्लीवलैस गहरे गले वाली फ्रॉक थी और पीछे से फुल कवर थी.

मैंने अपने बालों को कंघी करके सीधा किया और तैयार होकर बाहर आ गई.

मुकेश टीवी देख रहा था.
वह उठा और मेरे पास आकर मुझे पकड़ने लगा.

मैंने कहा- रुको, पहले कुछ खा लेते हैं.

हम दोनों ने खाना खाया लेकिन खाने के दौरान भी उसका सारा ध्यान मेरी ओर ही था.

वह मुझे बार-बार छेड़ने की कोशिश कर रहा था.
कभी वह मेरे पैरों पर पैर रख देता, कभी मेरे हाथों को सहला देता.

हमने जैसे तैसे खाना खत्म किया और मैं प्लेट्स को लेकर रसोई में रख आई.

मुकेश सोफे पर जाकर बैठ गया था और टीवी देखने लगा था.
मैं भी सोफे पर जाकर उसकी गोद में बैठ गई.

उसने मुझे अपनी गोद में ही लेटा लिया. अब वह अपने हाथों से मेरे सारे शरीर पर चलाने लगा, अपना हाथ मेरे चेहरे से होते हुए नीचे लेकर आने लगा.
फ्रॉक के ऊपर से ही मेरे बूब्स, फिर मेरी कमर, फिर मेरी जांघों को सहलाने लगा.

मेरी फ्रॉक चूंकि मेरे घुटनों से ऊपर तक आ रही थी, इसलिए वह मेरी नंगी जांघों को सहला रहा था.
मैं तो बस उसकी हरकतों पर मुस्कुरा रही थी और उसकी ओर देखे जा रही थी.

कुछ देर बाद मुकेश ने मुझे वहीं पर घुमा दिया.
अब मेरे बाल पूरे बिखर चुके थे, जिसे उसने एक साइड कर दिया था और वह मेरी पीठ को सहला रहा था.

धीरे धीरे मुकेश मेरी गांड के ऊपर सहलाने लगा और मेरी फ्रॉक को पीछे से ऊपर करते हुए मेरी गांड पर चमाट भी मारे.
मैं मुड़कर उसकी ओर देखती और मुस्करा देती.

मुकेश ने अब मेरी पैंटी को नीचे करते हुए उसे निकाल दिया और एक साइड फेंक दिया.
वह मेरी गांड पर किस करने लगा.
मुझे गुदगुदी हो रही थी.

फिर अचानक से मुकेश के फोन पर एक फोन आया.
मुकेश ने मुझसे कहा- मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूँ और रात के दस बजे तक वापस आ जाऊँगा.

वह जल्दी से किस लेते हुए मुझे तड़पती हुई छोड़ कर निकल गया.
मैं भी अपने मन को समझाती हुई अपने घर के कामों में लग गई.

तो ऐसी थी मेरी और मुकेश की मुलाकात.
दोस्तो आपको देसी भाभी की गांड चूत की कहानी कैसी लगी, बताना ज़रूर.
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