सेक्सी कॉलेज गर्ल हॉट कहानी मेरी मौसी की युवा बेटी है. मैं पढ़ी के कारण मौसी के घर रहने लगा तो मेरी वासना भरी नजर अपनी दीदी पर रहने लगी. वह मेरी अच्छी दोस्त भी बन गयी थी.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अंकित मिश्रा है और मैं यूपी का रहने वाला हूं.
मैं 30 साल का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ.
यह सेक्स कहानी आज से 10 साल पहले की मेरे और मेरी बहन के बीच में हुई चुदाई की है.
यह घटना एकदम सच्ची है और बहुत मज़ेदार है.
मैं उम्मीद करता हूँ कि इस सेक्सी कॉलेज गर्ल हॉट कहानी को पढ़ कर आप लोगों को भी बहुत मज़ा आएगा.
जब मैं 10+2 पास करके मेरा एडमिशन दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया था.
ये बात मेरी मौसी को पता चली, तो उन्होंने मेरी मम्मी से बात की.
मेरी ये मौसी दिल्ली में ही रहती हैं.
उनके घर में कुल 5 लोग रहते हैं. मौसी-मौसा, दो बेटे (रोशन और चिराग) और एक बेटी पायल.
पायल दीदी सबसे छोटी हैं.
मैं इन सबसे छोटा था.
दीदी मुझसे उम्र में एक साल बड़ी थीं. हालांकि मैं इन सबसे काफी समय से नहीं मिला था, बस एक दो बार मौसी को देखा था.
तो मेरी मौसी को जैसे ही पता चला कि मेरा एडमिशन दिल्ली के कॉलेज में हुआ है … तो मौसी ने मम्मी पापा से जिद करके मुझे अपने घर में रहने के लिए मना लिया.
शायद मम्मी पापा भी यही चाहते थे लेकिन कहीं न कहीं मैं इस फैसले से खुश नहीं था क्योंकि मैंने सोचा था कि दिल्ली जाऊंगा तो थोड़ा मौज मस्ती करूंगा.
मौसी के घर रहने की सुनकर मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया हो.
खैर … ना चाहते हुए भी मुझे सबका फैसला मानना पड़ा.
आख़िरकार वह दिन आ ही गया जब मैं दिल्ली के लिए रवाना हो गया.
जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा तो भैया मुझे लेने आए थे.
उनको मैं नहीं पहचानता था और ना ही वे मुझे जानते थे.
लेकिन मोबाइल की मदद से हम दोनों ने एक दूसरे को ढूंढ लिया.
वे मुझे लेकर घर चले गए.
घर पहुंचते पहुंचते शाम के 7 बज गए थे.
मैं घर पहुंचा तो मैंने सबको प्रणाम किया और सबने बड़े ही प्यार से मेरा स्वागत किया.
घर में सब दिख रहे थे लेकिन दीदी कहीं नहीं दिखीं.
मैंने मौसी से पूछा- दीदी कहीं नहीं दिख रही हैं?
मौसी बोलीं- वह अपने फ्रेंड की बर्थडे में गयी है, अभी आ जाएगी.
फिर सबसे थोड़ी देर बातचीत हुई और सबने मिलकर खाना खाया.
मौसी बोलीं- अंकित बेटा तू जाकर सो जा, सफर करके आया है … थक भी गया होगा.
मैंने उनकी बात सुनकर हां में सर हिला दिया.
मौसी भैया से बोलीं- बेटा, अंकित को ऊपर वाले कमरे में ले जाओ.
मैं भैया के साथ चला गया और बेड पर जाकर लेट गया.
थकान ज्यादा थी तो ना जाने कब मुझे नींद आ गई और मैं गहरी नींद में सो गया.
फिर मेरी नींद जब खुली जब कोई मुझे हिला हिलाकर ‘अंकित अंकित’ बोल रहा था.
आवाज सुनकर मेरी नींद खुली.
जैसे ही मैंने आंख खोली, मेरा दिल वह दृश्य देखकर गदगद हो गया.
मैंने देखा एक गदराई माल बिल्कुल गोरी-चिट्टी लड़की मुझे उठाने की कोशिश कर रही है.
मेरे चेहरे की ओर उसके दोनों बूब्स ऐसे झूल रहे थे कि मानो मुझे खुला निमंत्रण दे रहे थे कि आओ और मुझे अच्छे से मसलकर रख दो.
मैंने आज से पहले ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा था.
अगर बात करूं, तो उस माल ने एक टॉप और एक छोटी सी लोअर पहनी हुई थी जिसके कारण वह एकदम पटाखा माल लग रही थी.
मैं उसको देखकर बिल्कुल मोहित हो चुका था.
गोरी गोरी जांघें, ऊपर से मेरे मुँह की तरफ उसके लटकते मम्मे … क्या जबरदस्त नज़ारा था यार … सच में लौड़े को आग लग गई थी.
आप लोग खुद कल्पना कर सकते हो कि एक जवान लौंडिया सीने पर झुकी हो, तो लंड में क्या सनसनी हुई होगी.
मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था.
तभी वह बोली- उठ जा मेरे भाई … कितना सोएगा.
उसकी इस बात से मुझे यह बात समझने में जरा सी भी देरी नहीं लगी कि ये मेरी बहन है.
बस इसी सोच के साथ लौड़े का झाग बैठ गया और मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया.
मैंने ये कभी भी नहीं सोचा था कि मैं अपनी दीदी को कभी इस नजरिये से देखूंगा.
मेरे मन में कभी भी बहन को लेकर ये सब फितूर नहीं आया था क्योंकि मेरी खुद की एक सगी बहन है और देखने में वह भी जबरदस्त माल लगती है.
हालांकि मैंने कभी भी उसको गलत तरीके से नहीं देखा था.
लेकिन क्या करूं … आज सुबह सुबह इतना मस्त नज़ारा देखने को मिल गया था कि भाई वाली सारी फीलिंग ही खत्म हो गयी थी.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको पायल दीदी के बारे में थोड़ा सा बता देता हूँ.
हालांकि ये बात मुझे पहले बतानी चाहिए थी, लेकिन मैं भी क्या करूं … जिसको कभी देखा ही नहीं था, उसके बारे में क्या बताता.
अगर दीदी के बारे में एक लड़के के नजरिये से बताऊं तो वे चलती फिरती पटाखा आइटम थीं; बिल्कुल ऐसी नमकीन माल थीं, जिसे चोदने का हर मर्द का सपना होता है.
पायल दीदी बिल्कुल दूध सी गोरी थीं.
उनकी फिगर की बात करूं तो मेरी दीदी के मम्मों का साइज 34 इंच था और वे बिल्कुल अनछुई कली सी लग रही थीं.
उनके मम्मे एकदम नुकीले थे, कमर 28 की रही होगी और मादरचोद लड़कों की पहली पसंद गांड की बात करूं तो जबरदस्त गांड थी.
अब ये मैं आप सारे भाइयों पर छोड़ देता हूँ कि आप लोग मेरी बहन के बूब्स और कमर की साइज से मेरी दीदी की गांड का साइज अंदाज करके मुझे बताएं.
आप मुझे फेसबुक या इंस्टाग्राम पर बता सकते हैं और सही बताने वाले को मैं अपनी बहन की नंगी फ़ोटो दूंगा.
तो दीदी की कामुक फिगर को देखने के बाद पहले दिन से ही दीदी पर फिदा हो गया था और मेरा उनको देखने का नज़रिया बदल गया था.
अब मुझे दीदी में बहन कम और एक चोदने लायक मदमस्त लड़की ज्यादा दिख रही थी.
पायल दीदी घर में हमेशा छोटे कपड़े ही पहनती थीं.
जैसे चुस्त टॉप, जो छोटी आधे पेट तक आने वाला होता था. गहरे गले वाली कुर्ती, बेबी डॉल गाउन, स्कर्ट, गांड दिखाता हुआ चुस्त लोअर.
वे यही सब पहना करती थीं और घर पर ब्रा पैंटी बहुत कम पहनती थीं.
चूंकि वे दिल्ली में रहती थीं, इसलिए भी थोड़ा एडवांस भी थीं.
खैर … मेरा कॉलेज शुरू हो गया.
मैं कॉलेज जाता तो था लेकिन मुझे हमेशा घर जाने की जल्दी होती थी.
उसका एक ही कारण मेरी पायल दीदी थीं.
मुझे बिना दीदी के कहीं मन ही नहीं लगता था.
हर समय और हमेशा मेरे दिमाग में दीदी का संगमरमरी बदन घूमता रहता था.
जब भी मैं घर पर होता तो दीदी को चोर नज़रों से देखता रहता था.
मेरी आंखों का मुख्य आकर्षण दीदी की चूचियां और उनकी उभरी हुई गांड थी.
मैं उनकी इन कसी हुई पहाड़ियों को देख कर रोजाना सोचता था कि ये सब गलत है, मुझे अपनी बहन को इस नजर से नहीं देखना चाहिए. अब से नहीं देखूँगा.
लेकिन दीदी को देखते ही सब भूल जाता था.
बस मैं अपने मन में दीदी की जवानी के बारे में सोचने लगता था.
काफी दिन हो गए थे और मैं दीदी के साथ अच्छे से घुल-मिल गया था.
हम दोनों में अच्छी बॉन्डिंग बन गयी थी.
जब भी मैं कॉलेज से आता, दीदी मेरे कमरे में आ जातीं और हम ढेर सारी बातें किया करते.
अब मैं मौका पाकर दीदी के अंगों को भी छूने लगा था, कभी कभी दीदी की गांड को टच कर देता था.
लेकिन दीदी कुछ नहीं बोलती थीं. शायद उनको भी अच्छा लगता था.
इसी वजह से मेरी हिम्मत धीरे धीरे बढ़ती गयी.
हम दोनों के बीच में अब बच्चों जैसी फाइटिंग शुरू हो गयी थी, जिसका मैं भरपूर फायदा उठाता था.
फाइटिंग के दौरान मैं उनकी गांड को खूब दबाता था, कभी कभी मम्मे भी मसल देता था.
उससे मेरा लंड टाइट होने लगता था और शायद दीदी भी ये बात जानने लगी थीं.
वे भी शायद वही चाहती थीं, जो मैं चाहता था.
पर हम दोनों में से किसी की भी पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
अब हम रोजाना फाइटिंग करने लगे थे या इसे ऐसे भी कह सकते है कि हम दोनों इंतज़ार करते थे कि कब एक दूसरे के अंगों के मसलने के लिए मौका मिले.
हम दोनों को इस खेल में बहुत मज़ा आने लगा था.
मैं अब दीदी की चूचियां और गांड को अच्छे से मसल देता था और दीदी भी मेरे लंड को पकड़ कर मसल देती थीं.
हम दोनों के अन्दर आग लग चुकी थी और हमारे जिस्म एक दूसरे में खोना चाहते थे.
इसी सबमें ना जाने कैसे एक साल बीत गया और मेरे कॉलेज में छुट्टी हो गईं.
अब वह मौका आ गया था, जब मैं दीदी की चुदाई कर सकता था.
लेकिन शायद ऊपर वाले को ये मंजूर नहीं था.
मुझे ना चाहते हुए भी जबरदस्ती घर जाना पड़ा.
अब मुझे दीदी के बिना घर पर मन ही नहीं लग रहा था और शायद दीदी का भी यही हाल था.
जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों फोन पर लगे रहते थे.
एक दिन बातों ही बातों में मैंने दीदी को बोल दिया- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
इतना सुनते ही दीदी ने झट से फोन काट दिया.
मेरी गांड फट गई.
कुछ देर रुक कर मैंने फिर से उन्हें कॉल किया.
लेकिन दीदी कॉल कट कर दी.
ना जाने कितनी बार मैंने फोन किया लेकिन दीदी बार बार काट दे रही थीं.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
मन में अलग अलग तरह के विचार आने लगे थे.
मुझे अब डर लगने लगा था और समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
मैं घर से बहाना बनाकर फिर से दिल्ली आ गया.
इतनी जल्दी आने का कारण सब पूछने लगे तो मैंने बोल दिया कि कॉलेज का कुछ काम है.
लेकिन दीदी सब कुछ जानती थीं.
मैं दीदी से बात करने की कोशिश करने लगा.
पर दीदी मुझसे बात ही नहीं कर रही थीं.
बिना बात किए पूरा दिन बीत गया.
शाम में दीदी अकेली मिलीं तो मैं बोला- दीदी मुझे माफ़ कर दो. वह गलती से मेरे मुँह से निकल गया था. प्लीज़ माफ़ कर दो.
दीदी बिना कुछ बोले मौसी के पास चली गईं.
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
बस दिल की बेचैनी मुझे परेशान किए हुई थी.
शाम को सभी ने साथ में डिनर किया और सब अपने अपने कमरे में चले गए.
इधर सब अलग अलग रूम में सोते हैं और सबके रूम नीचे में ही थे.
मेरा रूम ऊपर था और मेरे रूम के साथ में एक रूम और था, जो हमेशा खाली रहता था.
तभी मौसी बोलीं- पायल बेटा तुम ऊपर जाओगी कि या हम लोग चले जाएं.
मुझे यह बात समझ नहीं आई कि ये लोग ऊपर क्यों जाना चाहते हैं.
मैं कुछ समझ पाता, इतने में दीदी बोलीं- आप लोग अपने रूम में रहो. मैं ही चली जाउंगी.
मौसी बोलीं- ठीक है.
मुझे अब भी कुछ समझ नहीं आया था.
लेकिन मैं खुश था कि चलो दीदी मेरे बगल में आ गईं.
मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया और दीदी के आने का इंतज़ार करने लगा.
करीब आधा घंटा बाद तकरीबन 11 बजे दीदी की आने की आहट सुनाई दी.
तभी दीदी अपना कमरा खोलकर अन्दर चली गईं.
फिर मैं बाहर निकला और देखने लगा कि कोई बाहर देख तो नहीं रहा है.
जब मैंने देखा तो सब अपने अपने कमरे में चले गए थे.
फिर मैं अपना रूम लॉक करके दीदी के रूम की ओर बढ़ा तो देखा कि दीदी का रूम खुला हुआ था.
मैं बिना आवाज़ किए दीदी के रूम में चला गया.
दीदी आज भी हाफ लोअर और टॉप पहनी थीं.
मैं रूम में गया तो दीदी की पीठ मेरी ओर थी जिससे मेरी नज़र दीदी की उभरी हुई गांड पर पड़ गयी.
मेरी नीयत तो दीदी की गांड देखकर ही ख़राब हो गयी.
तब भी मैं कुछ कर नहीं सकता था.
मुझे कमरे में आया देख कर दीदी बोलीं- तू यहां क्यों आया है?
मैं बिना कुछ बोले दीदी के पैरों में गिर गया और दीदी से माफ़ी मांगने लगा- प्लीज़ दीदी माफ़ कर दो, अब से ऐसी गलती नहीं होगी. प्लीज़ माफ़ कर दो.
मैं रोने लगा.
दीदी बोलीं- तू जा, मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती हूँ.
लेकिन मैं माफ़ी मांगे जा रहा था.
फिर दीदी बोलीं- तू ऐसा बोला कैसे? इतना गन्दा तू सोच कैसे सकता है?
मैं बोला- मैं बहक गया था, प्लीज़ माफ़ कर दो.
फिर दीदी ने मुझे कंधे से पकड़कर उठाया और मुझे सोफे पर बिठाकर खुद मेरे बगल में बैठ गईं.
वे बोलीं- चल ठीक है, माफ़ किया. लेकिन एक बात बता, अपनी बहन से कोई ऐसी बात करता है क्या?
मैं बोला- सॉरी दीदी, वह मैं थोड़ा सा बहक गया था!
इस पर दीदी बोलीं- अपनी बहन को देखकर कैसे बहक गया था!
मैंने फिर से सॉरी बोला.
दीदी बोलीं- अच्छा बता कैसे बहक गया था?
मैं बोला- अरे दीदी छोड़ो वह सारी बात!
दीदी थोड़ी गुस्से में बोलीं- सच सच बता … तू क्या देखकर बहक गया था!
मैं डरते हुए बोला- वह दीदी आपका वह …
दीदी बोलीं- क्या वह … बोल ना!
मैंने डरते हुए बोल दिया कि वह आपके बूब्स देखकर मुझसे ऐसा हो गया था.
दीदी बोलीं- अच्छा जी, मेरे भाई की नज़र अपनी दीदी के बूब्स पर है?
जब दीदी ने यह बात कही तो मैंने महसूस किया कि उनकी टोन अलग थी.
मैंने उनकी तरफ देख कर नजरें फिर से नीचे कर लीं.
दीदी बोलीं- मेरा और कुछ देखकर भी तू बहकता है क्या?
अब मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ गयी थी.
मैंने बिना रुके बोल दिया- दीदी, आपकी गांड देखकर तो मैं और भी ज्यादा मचल जाता हूँ.
दीदी बोलीं- साले, तुझे ऐसा करते शर्म नहीं आती है?
मैं बोला- माफ़ कर दो दीदी अब से नहीं करूंगा.
दीदी बोलीं- मैं कैसे विश्वास करूं?
मैं चुप था.
इतने में दीदी जोर देती हुई बोलीं- बोल ना … कैसे करूं तेरा विश्वास?
मैंने धीरे से कहा- आप जो बोलोगी, मैं वही करूंगा.
उन्होंने कुछ नहीं कहा.
मैं हिम्मत करके फिर से बोला- दीदी, अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात बोलूँ!
दीदी बोलीं- बोल.
अब मैं दीदी का हाथ अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए बोला- दीदी, आप ना बहुत हॉट हो. जिस दिन से आपको देखा है, उसी दिन से हमेशा आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ.
शायद दीदी को मेरा हाथ सहलाना अच्छा लग रहा था इसलिए वे थोड़ी नर्मी से बोलीं- अच्छा … लेकिन क्यों सोचते हो मेरे बारे में!
मैंने झट से बोल दिया- दीदी, आप हो ही इतनी मस्त!
अब दीदी थोड़ी सी शर्माती हुई बोलीं- अच्छा!
मुझे साहस आ गया और मैं बोला- आप बहुत मस्त माल हो दीदी!
इस बार दीदी हंसती हुई बोलीं- साले कुत्ते, दीदी को माल बोलते हो बेशर्म.
यह सुनते ही मैं अपने एक हाथ से दीदी की नंगी जांघ को सहलाते हुए बोला- माल तो माल होता ना दीदी, फिर वह चाहे बहन हो या गर्लफ्रेंड!
दीदी बोलीं- पर मैं तेरी दीदी हूँ, गर्लफ्रेंड नहीं … समझा!
मैं गिड़गिड़ाते हुए बोला- तो बन जाओ ना दीदी मेरी गर्लफ्रेंड.
इस पर दीदी बोलीं- पागल है क्या … बहन को गर्लफ्रेंड बनाता है! लोग क्या बोलेंगे?
मैं एक हाथ से दीदी को अपने सीने से चिपकाते हुए बोला- अरे दीदी किसी को पता नहीं चलेगा. दुनिया के लिए हम भाई-बहन रहेंगे.
हॉट सेक्सी कॉलेज गर्ल दीदी मेरे सीने पर अपनी गर्म सांसें छोड़ती हुई बोलीं- अच्छा बेटा … अब मेरी लेने की सोच रहा है.
यह सुनते ही मैं समझ गया कि इस भाषा का मतलब है कि मेरी दीदी पर भी सेक्स की खुमारी चढ़ने लगी है.
दोस्तो, अगले भाग में मैं आपको अपनी पायल दीदी की चुदाई की कहानी पूरी लिखूँगा.
आप मुझे मेल कर सकते हैं कि सेक्सी कॉलेज गर्ल हॉट कहानी कैसी लग रही है.
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सेक्सी कॉलेज गर्ल हॉट कहानी का अगला भाग: मौसेरी बहन की सीलतोड़ चुदाई का आनन्द- 2