लंदन में किरायेदार लड़की की चूत गांड चोदी- 2 (Wild Sex With Drunk Girl)

वाइल्ड सेक्स विद ड्रंक गर्ल का मजा लीजिये इस सेक्स कहानी में! भारत के अमीर पर्दानशीं घर की एक लड़की लन्दन पढ़ने गयी. उसे वहां की हवा लग गयी.

दोस्तो, मैं मानस पाटिल एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
किरायेदार लड़की की भड़की जवानी
में अब तक आपने पढ़ा था कि सोहा मेरे साथ सेक्स करने के लिए पागल हो चुकी थी. मैंने भी उसे नंगी करके पेलने का मूड बना लिया था.

अब आगे वाइल्ड सेक्स विद ड्रंक गर्ल का मजा:

सोहा जैसे ही सोफ़े पर गिरी, मैंने उसकी टांगें खोलकर उसकी जवान चूत को अपने हाथ से सहला दिया, तो एक दर्द भरी सिसकी लेकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मुझे रोकने की नाक़ाम कोशिश करती हुई वह उठने की कोशिश करने लगी पर मेरी ताकत के सामने वह कमजोर हो चुकी थी.

सोहा को और गर्म करने के हेतु से मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ ली और जोर से मुट्ठी भींच दी.
सोफ़े पर नंगी पड़ी सोहा रंडी दर्द से तड़पने लगी; उसकी चीखें निकलने लगीं.

वह शायद कुछ बताना चाह रही थी, पर दर्द के कारण उसके मुँह से सिसकारियों के अलावा और कुछ नहीं निकल पाया.

चूत मुट्ठी में लेकर मैंने उसकी हाथ की दो उंगलियां चूत में घुसा दीं और बोला- अब क्या हुआ बहनचोद, अभी तो तुझे ठीक से रंडी बनाया ही कहां मैंने भोसड़ी क़ी … बड़ी आग लगी है ना तुझे मादरचोद? अब देख तेरा क्या हाल करता हूँ मैं!

एक हाथ से मैंने सोहा का गला दबा दिया ताक़ि उसको और दर्द का आभास हो सके.
वहीं दूसरे हाथ को मैंने जोर जोर से सोहा की फुद्दी पर रगड़ना चालू किया.

मेरे इस राक्षसी बर्ताव से सोहा कांपने लगी.
अपने एक हाथ से वह अपनी चूत और दूसरी हाथ से अपना गला छुड़वाने की कोशिश करने लगी.
वह जोर जोर से आहें भरने लगी.

मेरे इस हब्शी बर्ताव से कुछ ही देर में सोहा चुदाई की आग में फिर से गर्माने लगी.
उसकी चीखें अब कामुक सिसकारियों में बदल चुकी थीं और उसका विरोध भी कम हो चुका था.

सोहा की चूत में घुसी मेरी दो उंगलियां भी उसके चूतरस से गीली होने लगी थीं
अब वह ख़ुद अपनी कमर हिलाती हुई मेरी उंगलियों की रगड़न का मज़ा लेने लगी.

मैं भी उसका गला छोड़कर उसके बाज़ू में बैठ गया और सोहा के तने हुए चूचुक अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

सोहा का 36 इंच का उभरा हुआ सीना मसलते हुए मैंने फ़िर से अपना जंगली रवैया अपनाया और उसके एक चूचुक को अपने दांतों से हल्के हल्के से काटने लगा.

एक हाथ से सोहा ने भी मेरे बालों को सहलाते हुए मेरा मुँह अपने चूचों पर दबाया और दूसरे हाथ से फिर से मेरा लंड पकड़ लिया.

मेरे लंड को सहलाते हुए सोहा बोली- और जोर से मानस्स्स् … आह और जोरर से रगड़ मेरी चुतत्त्त को!

मुझे समझ में आ गया कि अब ये रंडी झड़ने वाली है.
पर मेरे हुए अपमान का बदला लेना भी तो ज़रूरी था!

जैसे ही उसकी सिसकारियां बढ़ने लगीं, मैंने झट से अपना हाथ उसकी चूत से बाहर निकाला और सोफ़े से दूर जाकर फ़िर से दारू का गिलास भरने लगा.

सोहा का मुँह देखने लायक हो चुका था.
वह झड़ने के इतने करीब थी पर मैंने उसका वह परमानन्द उससे छीन लिया था.

सोहा वासना से तड़पती हुई मेरे पास आयी और वह फ़िर से मुझे चूमने लगी.
मेरे लंड को सहलाते हुए उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत की तरफ बढ़ाया.

मैं उसकी आंखों में हवस देख रहा था.
पर मैंने अपना हाथ उसकी चूत से हटाया और उससे दूर होकर अपने कमरे की तरफ जाने लगा.

मेरे ऐसे बर्ताव से सोहा परेशान होकर मेरे पीछे पीछे आने लगी.
मेरा हाथ पकड़ कर उसने मुझे रोकने की कोशिश की, पर मैं अपना हाथ झटक कर आगे बढ़ा.

सोहा अब भी नशे में थी, लड़खड़ाई चाल से वह मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गयी और मुझसे चिपक कर मेरा सीना चूमने लगी.

मैंने भी अब ज़्यादा नाटक करना उचित नहीं समझा और उसके बाल पकड़ कर उसको चूमने लगा.

सोहा के होंठों जोर से काट कर मैंने उसे कहा- अब बता रंडी … कौन हूँ मैं मादरचोद? अब कैसे इस नामर्द की ज़रूरत महसूस हुई तुझे … साली रंडी की औलाद?

उसने मेरी आंखों में देखा और झट से मेरे सामने ज़मीन पर बैठ गयी.
मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर बोली- माफ कर दो मालिक … आज से ये सोहा आपकी पालतू कुतिया बन गयी. आप जैसे चाहें, जब चाहें, मेरी जवानी का मज़ा ले सकते हैं, पर अब मुझे आपसे अलग ना करो!

सोहा जब ये सब बोल रही थी, तब मैंने देखा कि उसकी आंखों में नमी थी.
मतलब उसका प्यार सच्चा था और शायद बहुत पहले ही उसे मेरे लिए प्यार हो चुका था.

वह गुस्सा इसलिए थी कि मैं कभी उसकी तरफ ध्यान ना देते हुए बाज़ारू रंडियां चोद रहा था.

ख़ैर … सोहा के उन प्यार भरे शब्दों ने मुझ पर जादू कर दिया.

सोहा को खड़ी कर मैं उसे बिस्तर की तरफ ले गया और चूमते हुए उसे मेरे नीचे लिटा लिया.

उसने भी मुझे बांहों में भरते हुए मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और चूसने लगी.

उसके समर्पण में एक प्यार था, जैसे मैं कोई उसका अपना हूँ.

मैंने भी अपना कर्तव्य समझते हुए सोहा को अपने ऊपर लिया और मेरा मुँह उसकी चूत की तरफ कर दिया.
सोहा के मुँह में मेरा लंड फिर से सैर करने लगा और पहली बार मैं सोहा की चूत चाटने जा रहा था.

हम दोनों एक दूसरे से विपरीत दिशा में होकर चूसने का काम करने लगे.

सोहा ने मेरे लौड़े पर चारों ओर से प्यार बरसाना चालू कर दिया.
तो मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर घुसा दी.

सोहा की गांड के नीचे मेरा मुँह दब रहा था.
तब मुझे पता चला कि उसकी गदरायी हुई गांड कम से कम 40 इंच की होगी.

उसकी गीली भोसड़ी का पानी ऐसे मेरे मुँह को लगा जैसे शेर के मुँह को ख़ून … बस अब फिर से मेरे अन्दर के हब्शी मर्द ने अपना सर ऊपर उठाया.

सोहा के दोनों चूतड़ फैलाते हुए मैंने उसकी चूत और गांड के छेद पर हमला बोल दिया.

इस हमले से सोहा मेरा लौड़ा चूसना भूलकर जोर जोर से सिसकने लगी.

उत्तेजना के मारे सोहा अब ख़ुद अपनी कमर हिलाती हुई अपनी फुद्दी मेरे मुँह पर रगड़ने लगी.
मैं भी उसकी गांड का छेद चाटने लगा.

एक साथ दोनों छेदों पर ख़ुरदरी जीभ से चाटने से सोहा मदहोश होकर मुझे फिर से गालियां बकने लगी.
पर इस बार मैं उसको नज़रअंदाज़ करते हुए अपना काम करने लगा.

मेरे इस बर्ताव से आनंदित होकर सोहा ने फिर से लंड मुँह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी.
मेरे टट्टे और गांड का छेद उंगलियों से रगड़ते हुए उसने पूरा का पूरा लंड उसके गले तक ले लिया.

हम दोनों एक दूसरे को ख़ुश करने में इस तरह व्याकुल थे कि हमें चुदाई करने की आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई.

पर जैसे जैसे मेरे टट्टों पर भार बढ़ने लगा, मैंने सोहा को अपने आप से दूर कर दिया.

उसको बिस्तर पर नंगी देख मेरे लंड ने एक हुंकार भरी और मैं उसके ऊपर कूद पड़ा.

सोहा की मांसल जांघें मसलते हुए मैंने उसके पैर फैला दिए और दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया.

उसने भी चुदाई का आरंभ करते हुए मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर चूत के मुहाने पर लौड़े के सुपारे को दबा दिया.

सोहा के नंगे बदन पर झुकते हुए मैंने एक हल्का सा धक्का दिया तो पक की आवाज़ करते हुए सोहा की चूत ने मेरे लंड का स्वागत किया.

बहुत देर की चटाई से चूत अन्दर से बिल्कुल भीग चुकी थी.

चूत रस से भीगी दीवारों को रगड़ते हुए लंड आराम से सोहा की भोसड़ी में फिसलने लगा.

जैसे ही लंड चूत की दीवारें ख़ोलने लगा, सोहा ने एक लंबी आह भरी और मुझे अपनी बांहों में दबा लिया.

लौड़े को आज़ादी देने के लिए उसके पैर अपने आप ही खुलते चले गए.
बिना कोई परेशानी के मिली एक जवान लड़की की चूत चोदने के लिए मैं भी भूखा भेड़िया बन चुका था.

जैसे ही लंड पूरा अन्दर दाख़िल हुआ, मैंने उसे लगभग पूरा बाहर निकाल कर जोर से अन्दर पेल दिया.

अचानक हुए इस हमले से सोहा चीख़ती हुई छटपटाने लगी.

पर मैंने उसे इस तरह से दबोच कर रखा था कि उसकी एक ना चली.

सोहा की चूत में लंड दबा कर मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- साली बाजारू रांड … अब क्यों फड़फड़ा रही है मादरचोद? देख कैसे तेरी चूत का भोसड़ा बनाता हूँ कुतिया!

उसकी एक चूची मुँह में लेकर चूसते हुए मैंने जंगली तरीक़े से उसकी चूत चोदनी चालू की.
लौड़े के प्रहार से सोहा की चीखें पूरे कमरे में बजने लगीं.

‘आह … उफ़्फ़्फ़्फ़् … मम्मीइई.’ करते हुए सोहा बस चुदवा रही थी.
लौड़े का सुपारा चूत की दीवारों पर रगड़ता हुआ मुझे साफ महसूस हो रहा था.

चूत कसी होने के कारण लंड को अपनी गिरफ़्त ले रही थी और इसी वजह से सुपारे में अज़ीब सी गुदगुदी होने लगी थी.
सोहा के उभरे चूचे मसलते हुए मैं उनकी घुंडियां अपने दांतों से काट रहा था.
मेरे काटने के … और मसलने के निशान से उसकी चूचियां लाल हो चुकी थीं.

जैसे जैसे चुदाई का रंग जमने लगा, वैसे वैसे सोहा की चूत में लौड़े ने अपनी जगह बना ली और वह आसानी से चूत की सैर करने लगा.

सुपारा जब जब उसके बच्चेदानी से टकराता तो सोहा बुरी तरह से चीख़ पड़ती.

पर चुदाई की आग में ज़लने की ख़ुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी.

कमरे में सोहा की चीखें, मेरी हुंकार और थपथप की आवाज़ें शोर मचा रही थीं.
सोहा ने भी अपनी गांड उठाते हुए मेरे लंड का मज़ा लेना चालू कर दिया था.

मेरे नीचे दबी 24 साल की लड़की मेरे लौड़े की रखैल बन कर चुद रही थी.
उसकी भोसड़ी से निकलता हुआ पानी मेरे लंड पर सफ़ेद परत बना रहा था.

उसका गला दबाते हुए मैं बोला- अब बता रंडी कौन नामर्द है मादरचोद? आज़ के बाद तू ख़ुद आएगी मेरे लौड़े से चुदवाने … साली रंडी की औलाद!
सोहा ने भी सिसकारियां लेते हुए कहा- आहह मालिक … आज़ के बाद सोहा ख़ुद आएगी आपकी सेवा करने … बस मुझे चोद दो … फाड़ दो मेरी चूत!

काफ़ी देर तक मैं उसे अपने नीचे दबाते हुए पेलता रहा.
पर मुझे अब थोड़ी थकान सी महसूस होने लगी थी इसलिए मैंने अपना लंड खींच कर बाहर निकाल लिया.

अचानक चूत ख़ाली होने से सोहा ने मुझे देख कर अपनी आंखें बड़ी की और गुस्से से मुझे घूरने लगी.

उसको बिना कुछ कहे मैं आराम से बिस्तर पर लेट गया और उसके गले में फँसा बेल्ट पकड़ कर उसको अपनी तरफ खींचा.
उसका गदराया हुआ बदन सहलाते हुए मैंने उसके बोबे पकड़ लिए और उनको मसलते हुए सोहा को चूमने लगा.

सोहा को चूमते हुए मैंने कहा- पूरी मेहनत मैं ही करूँ क्या रंडी? चल बैठ मेरे लौड़े पर … और चुदवा ले अपनी भोसड़ी!

सोहा तो चुदवाने के लिए मरी जा रही थी, वह झट से अपने पैर मेरी कमर के दोनों बाज़ू करके घुटनों के बल बैठ गयी.

मेरे लंड पर अपना थूक मलकर उसने लंड अपनी फुद्दी के मुहाने पर रखा और धीरे धीरे लंड पर बैठने लगी.

पर मैं ठहरा हरामी आदमी … ऐसे कैसे उसको आसानी से मजे देने लगता?
उसके गले का बेल्ट पकड़ कर मैंने जोर से अपनी गांड ऊपर करते हुए पूरा लंड चूत में घुसा दिया.

सोहा अचानक हुए दर्द के कारण लंड से ऊपर उठने लगी तो मैंने उसके गले का बेल्ट खींच कर उसे रोक लिया.

एक हाथ से बेल्ट और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ते हुए मैंने कहा- अब कहां भाग रही है? लगता है तेरी अम्मी ने तुझे मर्द से चुदवाना नहीं सिखाया भोसड़ी की!
सोहा को लौड़े पर बिठाकर मैंने उसे अपनी कमर हिलाने का इशारा किया.

उसने भी मेरे आदेश का पालन करते हुए अपने दोनों हाथ मेरे छाती पर रखे और धीरे धीरे कमर आगे पीछे करने लगी.

चुदी चुदाई चूत अन्दर से गीली हो चुकी थी तो लंड को ज़्यादा मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ी.

लंड के घिसने से सोहा को फिर से मज़ा आने लगा.
अब वह ख़ुद हल्के हल्के ऊपर नीचे होने लगी.

मैंने भी उसका जोश बढ़ाने के लिए उसके झूलते हुए चूचे मुँह में भर लिए और उनकी घुंडियां प्यार से चूसने लगा.
सोहा ने भी आअह्ह अह्ह्ह अम्मीईई करते हुए लंड को फिर से अपने भोसड़ी में लेना चालू कर दिया.

गले में बंधा हुआ बेल्ट मैं जोर से खींच कर सोहा को पीड़ा देने लगा.
उसके चूचे चूसते चूसते अब मैं उनको काटने लगा तो कभी उसके गुब्बारों को जोर जोर थप्पड़ मारने लगा.

बेल्ट और ज़्यादा कसने के कारण उसकी आंखों में पानी आने लगा.
वाइल्ड सेक्स में दर्द के कारण उसकी गति भी कम होने लगी.

पर उसके दर्द की चिंता किए बिना मैं नीचे से अपनी कमर उठाकर जोर जोर से उसे चोदने लगा.

लगातार हो रहे चुदाई के कारण सोहा की चूत से निकलते कामरस का झाग बनता जा रहा था जो मेरे काले लौड़े पर जमा होते हुए मेरे काले लंड को गोरा बना रहा था.

काफी देर तक मैंने सोहा को ऐसे ही मेरे लौड़े पर बिठा कर चुदाई का मजा लिया पर अब मेरी कमर में भी थकान लगने लगी थी.
इसलिए मैंने सोहा को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.

शायद उसे मेरे लंड की रगड़ का मज़ा आने लगा था पर लंड चूत से बाहर निकलने के कारण अब वह दुखी हो गयी और फिर से अपनी आंखें बड़ी करके मुझे घूरने लगी.

जैसे ही मेरा लौड़ा सोहा की फुद्दी से बाहर निकला तो मैंने देखा उसका रंग बिल्कुल सफ़ेद हो चुका था.
इसका मतलब सोहा एक बार मेरे लंड पर अपना पानी निकाल चुकी थी, जिसका मुझे पता ही नहीं चला.

सोहा भी मेरे लौड़े को घूरने लगी तो मैंने उसके मुँह की तरफ मेरा लौड़ा करके कहा- अब इसे क्या तेरी रांड अम्मी आकर साफ़ करेगी बहनचोद? चल चूस मादरचोद!

सोहा को शायद ये बात पसंद नहीं आयी कि मैं उससे वही लौड़ा चूसने के लिए कह रहा था, जो अभी उसकी भोसड़ी के अन्दर घुसकर बाहर निकला था और जिस पर उसकी चूत का रस लग चुका था.

मेरी आंखों में वह एक दया के भाव से देखने लगी कि वह लंड चूसने के लिए खुश नहीं है.

मैं भी उसके भाव को अच्छे से समझ चुका था.
पर मुझे आज सोहा से वह सब करवाना था जिसकी उसने कभी कल्पना भी न की होगी.

दोस्तो, वाइल्ड सेक्स विद ड्रंक गर्ल कहानी के अगले भाग में सोहा की भीषण चुदाई का मजा लिखना जारी रखूँगा.
आप मुझे अपने विचार मेल से प्रेषित कर सकते हैं.
[email protected]

वाइल्ड सेक्स विद ड्रंक गर्ल कहानी का अगला भाग: लंदन में किरायेदार लड़की की चूत गांड चोदी- 3

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