लॉकडाउन में वासना का ज्वार- 6 (Nangi Bahan Ki Chudai)

नंगी बहन की चुदाई का मजा मुझे दिया मेरी बुआ की बेटी ने जो लॉकडाउन में मेरे फ्लैट में रहने आ गयी थी. दिल्ली में रह कर कानपुर की उस लड़की के पर निकल आये थे.

कहानी के पांचवें भाग
बहन का पहला चुम्बन और चूत दर्शन
में आपने पढ़ा कि मेरी बुआ की बेटी और मैं नशे में आपस में किसिंग कर रहे थे.

उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठाकर संकेत दिया कि अब मैं उसकी पेंटी उतार दूँ.

मोनी का मौन आमंत्रण स्वीकार करते हुए कच्छी के अंदर दोनों तरफ अपनी उँगलियाँ फ़ंसायीं और कच्छी को खींचा.
अगले ही पल वह कच्छी मेरे हाथ में थी.
मेरी बड़ी बहन मेरे सामने पूरी मादरजात नंगी लेटी थी और मेरे सामने उसकी सांवली अंदरूनी जाँघों के बीच वह चमकदार गुलाबी चूत थी.
चूत पर बाल का कोई नामोनिशान नहीं था.

अब आगे नंगी बहन की चुदाई:

मेरे सामने और उसकी भगनासा (क्लिटोरिस) पर चुंबन करके खिलवाड़ करने लगा, मोनी इस हरकत से चिंहुक उठी.
तत्पश्चात मैंने अपनी जीभ मोनी की चूत में डाल दी.

मोनी कुलबुलाहट करते हुए मदमस्त आहें भरने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा, अपने अंगूठे से भगांकुर रगड़ने लगा और अपनी तर्जनी उंगली बुर के छेद में डाल दी.

ओफ्फ … वह चिपचिपी गीली चूत … उफ्फ्फ चूत की त्वचा, अंदर की नर्माहट और उस नमक़ीन स्वाद ने मानो मुझे दूसरे लोक में भेज दिया हो.

मैंने अपनी लपलपाती हुई जीभ से मोनी की चूत पागलों की तरह चाटना शुरू किया.
मोनी के मुंह से ‘आआह्ह्ह म्मम्म … उफ़्फ़ आह … आअह्ह याह फ़क … उयू हूहू हूह हहू … अह येह बेबी’ जैसा पागलपन बरस रहा था.
उसने मेरे सर को पकड़ कर तीस सेकंड तक ज़ोर से अपनी चूत में दबाया, फिर एकाएक मुझे अपने पास खींचकर मेरे होंठों को चूसनी लगी.

एक गाढ़ा, गीला प्यारभरा चुम्मा लेते हुए मोनी ने मेरी कन्धों को पकड़ा और उठते हुए मेरी तरह अपने घुटनों पर मेरे सामने आ गयी और पूरी नंगी मुझसे लिपट गयी.

चुम्माचाटी करते हुए और मेरी नंगी पीठ पर अपने हाथ रगड़ते हुए मोनी का हाथ फिर से मेरे बॉक्सर पर पंहुचा और उसने ऊपर से मेरा लण्ड सहलाया, फिर बॉक्सर नीचे खींच दिया.

अब पूर्ण नंगेपन में शामिल होने की बारी मेरी थी.
मैं उठा और बेड के साइड में खड़ा हो गया.

मोनी के हाथों ने सहयोग करके उस फंसे हुई बॉक्सर को सरका कर नीचे फर्श पर गिरा दिया.
अब मैं आदम बनकर पूरा नंगा हो चुका था.

मोनी पहले से नंगी थी.
मेरे नंगे होते ही मेरा सात इंच का मोटा काला लण्ड, जिसका गुलाबी सुपारा था, पूरी मस्ती में तनतना कर खड़ा था.
गां/जे की वजह से एक अलग ही सख्ती आ गयी थी.
मेरी हल्की झांटें थीं.

मोनी ने लण्ड को भूखी नज़रों से देखा और लिंग की फोरस्किन (चमड़ी) को पीछे सरकाया.

मेरे सुपारे के नीचे थोड़ा सफ़ेद मसाना (स्मेग्मा या शिश्नमल) जमा हुआ था, मोनी ने उसको उंगली से छूकर पहले महसूस किया फिर पूरा चाट गयी. मानो वह मसाना न होकर चीज़ स्प्रेड हो.

उसके बाद उसने लण्ड के सुपारे पर अपनी जीभ फिरानी शुरू करी, फिर सुपारा मुँह में लेकर में लेकर चुभलाने लगी जिससे मैं सातवें आसमान में पहुंच गया.

ज़ाहिर था कि मोनी पहले भी चुदी हुई थी.
मुझे लगा कि लण्ड चूसने में भी पी.एच.डी है उसकी.
उसके चुभलाने का तरीका … उफ्फ!

चाटते हुए मोनी ने मेरा लण्ड मुँह में गप्प से भर लिया और लार चुआते हुए मदमस्त होकर लंड चूसने लगी, सुपारे की नोक से लेकर नीचे जड़ तक वह ‘मम्म मम गूंगूंगूं गूंगूंगूं … मम्म्म हम्म्म्म स्लर्प स्लर्प स्लर्प … चप चप चपच नमनम नमनम … मम्मम्म च्च्च स्लर्प स्लर्प’ जैसी आवाज़ें निकाल रही थी,

और अब मेरे मुँह से भी ‘आआ अह्ह येस् श्स स … फ़क यस ससस’ जैसे स्वर उच्चारित हो रहे थे.

मेरे हाथ मोनी के सर पर थे और अब मैं उसका सर पकड़ कर अपनी कमर के मूवमेंट से उसके मुंह में लण्ड ठेलने लगा.
मोनी उत्तेजित हो उठी और उसने अपने दोनों हाथ पीछे करके बांध लिए और अपने मुंह में लण्ड लेकर आगे पीछे करने लगी.

उसके बाद उसने मेरे पेल्हड़ चाटने शुरू किये.
लगभग पंद्रह मिनट लण्ड चूसने के बाद मोनी ने अपने मुंह से लण्ड निकाला और मेरी आँखों में आँखें डालकर देखा.

मेरे लण्ड से मोनी की लार टपक रही थी.
इतनी ज़बरदस्त चुसाई से मेरे लण्ड का आकर विकराल हो गया था.

मोनी की आँखों में सीधा सन्देश था.
वह अब यौन संसर्ग के लिए पूर्ण रूप से तैयार थी.
अतः वह बेड पर मेरा आह्वान करते हुए लेट गयी और अपनी जांघे फैला दी.

मैं बेड पर चढ़ा, मोनी की जांघों के बीच सवार हुआ और अपना लण्ड उसकी भगनासा पर रगड़ने लगा.
मोनी चीखी- आआअ ह्ह्ह! आय आय यायी यायी याह्ह्ह … फ़क मी बेबी!

मैंने अपना नंगा गीला लण्ड मोनी की गीली चूत में सीधे पेल दिया.
चूत अंदर से गीली थी लेकिन टाइट थी, लगता था बहुत दिनों से नहीं चुदी है.

मैंने अपना लण्ड लेकर योनि में प्रवेश किया.
मोनी के मुंह से एक कामुक सी चीख निकली.

मैंने चार-पांच धक्कों में मोनी की पूरी चूत खोल दी और अब प्यार से अपनी बहन को पेलने में तल्लीन हो गया.

ओफ्फ फ्फ्फ़ मित्रो! उस सम्भोग का वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता.

मेरी बड़ी बहन मेरे नीचे मादरजात नंगी अवस्था में चुदवा रही थी, सेक्स का भरपूर आनंद ले रही थी.

एक तरफ कानपुर में मोनी के मां-बाप इस निश्चिंतता में सो रहे थे कि उनकी बड़ी बेटी अपने छोटे भाई के साथ है, सेफ रहेगी.
और दूसरी तरफ उसका बॉयफ्रेंड पारस दिल्ली में अपने घर में ये सोचकर सो रहा था कि मोनिका कानपुर में अपने घर में ही कैद है.

इन दोनों पहलुओं से बेखबर, बेसुध नशे और हवस में धुत्त मोनी उस समय अपनी नंगी जवानी अपने छोटे भाई को परोस रही थी.

कामवासना के खेल में वह कमरा हमारी मादक आहों, आवाज़ों और चुदाई की घप्प घप्प पच्च पच्च धप्प धप्प आवाज़ों से गूँज रहा था.

पूरे समय मेरी आंखें मोनिका की आँखों से मिली हुई थी.
हम दोनों ही हवस मिटाने में तल्लीन थे.

मैं जहाँ ज़ोर से झटका मार रहा था.
मोनी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर लण्ड अंदर ले रही थी.

मिशनरी में चोदते हुए मैंने मोनी का गर्मागर्म चुम्मा लेते हुए नंगी बहन की चुदाई की रफ़्तार दुगुनी-तिगुनी कर दी.

हर झटके के साथ, मोनी की आवाज़ें और ज़्यादा गहरी होती चली गयी.
अब मेरी आवाज़ भी मज़े की चरम पर पहुंचकर बहुत कामुक और उत्तेजक हो गयी थी.

जहाँ मैं कामदेव बना हुआ था, मोनी रति का स्वरूप लेकर दो बार झड़ चुकी थी और तीसरी बात झड़ने को आतुर थी.

मैंने मोनी को मिशनरी पोजीशन में आधे घंटे तक घपाघप चोदा.

जैसे ही मैंने उसकी योनि में अतिरिक्त गीलापन महसूस किया, मैं वीर्यपात करने को तैयार था.
मोनी स्खलित हो रही थी.

हम दोनों ने लगभग एक ही समय पर स्खलन किया.

पसीना पसीना हो चुकी छाती लेकर मैं झड़ते हुए बहुत ज़ोर से अहअहाया और धप्प से मोनी के ऊपर गिर पड़ा.

मोनी ने मेरी नंगी पीठ पर अपने हाथों की गिरफ्त में ले लिया.
हमने एक गहरे चुम्बन का परस्पर आदान प्रदान किया.

उस वीर्यपात में जो चरम सुख मिला था, उससे मैं तो एक अलग ही दुनिया में था ही, मोनी के होंठों पर एक तृप्त मुस्कान थी.
वह मेरे जिस्म तले दबी होकर अपनी टांगों में मुझे जकड़ कर लेटी थी.

लगभग दस मिनट तक हम ऐसे ही नंगे लेटे रहे, उसके बाद मैं करवट लेकर अपनी पीठ पर लेट गया.
मेरे बगल में मोनी लेटी थी.

मोनी अचानक से नंगी ही उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ी.
वह सीधे जाकर कमोड पर बैठी और अपने मूत्राशय को खाली किया.

मोनी के पेशाब करने की आवाज़ मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी.
उसके बाद मोनी ने फ्लश किया, हाथ धोये और बाथरूम में ही तौलिये से सुखाये.

फिर नंगी चलती हुई वह बाथरूम से बाहर आयी और बिस्तर पर मेरे साथ लेट गयी, मेरे कंधे पर सर रखकर आराम से लेट गयी.
उसने हम दोनों को कम्फर्टर ओढ़ा लिया.

तब वह मेरी छाती पर अपने हाथ फिराते हुए बोली- चल अब कर ले तू बिंज वाच!
कहती हुई मोनी एक चुलबुली सी हंसी हंसी.
मैं भी हंसा.

हमारे बीच में एक अंतर्निहित तालमेल बन चुका था.
मोनी जिस तरह से मेरी छाती पर आकर लेटी थी, उसकी हरकत गर्लफ्रेंड वाली, लेकिन आँखों में प्यार बहन वाला था.

इस कामुक संयोजन का सीधा प्रसारण देखकर मैं एक अलग ही ज़ोन में चला गया था.
मोनी ने मेरी तन्द्रा तोड़ते हुए कहा- सिगरेट लेकर आती हूँ … बालकनी में डिब्बी छूट गयी होगी!

वह उठती … उसके पहले मैंने हाथ बढ़ाकर बेड की साइड में दराज़ खोला.
उसमें से सिगरेट की दूसरी डिब्बी निकलते हुए मेरी नज़र कंडोम के डिब्बे पर पड़ी.

तब मुझे याद आया, मेरे मुँह से निकला- फ़क!
मोनी ने कहा- क्या हुआ?

मैंने उसे कंडोम का डिब्बा निकल कर दिखाया.
मोनी ने हँसते हुए कहा- अरे धत … इसकी टेंशन ले रहा घोंचूराम. कल सुबह पिल खा लूंगी. चल अब सिगरेट तो पास कर!

मैं यह सुनकर पूर्ण रूप से रिलैक्स हो गया और पीठ पीछे टिकाकर बैठ गया.

मोनी ने डिब्बी में से सिगरेट निकाल कर सुलगायी और मेरे मुझसे चिपक कर अधलेटी हुई सिगरेट के कश खींचने लगी.
फिर उसने सिगरेट मुझे पास की.

दोस्तो, सेक्स के बाद की उस सिगरेट में जो सुकून था, उसका उल्लेख फिर से मेरे लिए शब्दों में करना मुश्किल है.

अगर आप में से कोई भी पाठक उस समय हमारे फ्लैट के बाहर होते तो उस सिगरेट की गंध में आप बहुत आराम से हमारे सेक्स की विशिष्ट कामगंध भी सूंघ पाते.

मैंने सिगरेट पीते हुए घड़ी देखी, रात के ढाई बज रहे थे.

पिछले दो घंटों में जो हुआ था, उसमें हमें समय का पता ही नहीं चला था.

मोनी ने टीवी पर ‘मनी हाइस्ट’ का सीजन-2 प्ले कर दिया और मुझसे पूछा- कॉफ़ी?
“व्हाई नॉट!”

“पांच मिनट दे!” कह के वह नंगी ही उठी और कमरे से बाहर निकल गयी.

उठकर बॉक्सर पहना मैंने और वाशरूम से हो आया.

मैंने दूसरी सिगरेट जलाई ही थी कि मोनी दो मग में गर्मागर्म कॉफ़ी बनाकर ले आयी.
वह अपने कमरे में जाकर एक टी-शर्ट पहन कर आयी जो उसकी सत्तर प्रतिशत जांघों को नंगा ही छोड़ रही थी.

हमने बिस्तर में घुसकर टीवी देखते हुए गर्मागर्म कॉफ़ी के साथ सिगरेट का मज़ा लिया.
मोनी ने अंदर कुछ नहीं पहना था.

टीवी देखते हुए मैंने तीसरा जॉइंट जलाया और मैं और मोनी चालीस-पचास मिनट में फिर से हाई हो चुके थे.

मोनी लेट गयी और मैं भी चिपक कर लेट गया.
कुछ ही देर में मैंने अपने जिस्म की रगड़ घिस, अपने हाथों के जादू के साथ चुम्बन लेते हुए मोनी को फिरसे गर्म कर दिया था.
अब वह दूसरे राउंड के लिए तैयार थी.

कुछ ही पलों में हम फिर से पूरे नंगे थे.
मोनिका ने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया और चूसा.

फिर बिस्तर पर कुतिया बनकर डॉगी स्टाइल का निमंत्रण देते हुए अपनी चूत की छुच्छी रगड़ी.

मैंने पीछे से अपना लण्ड फिरसे अंदर डाला और मोनी को चोदने लगा.
मोनी को घोड़ी बनाकर मैंने लगाम की तरह उसके बाल अपने हाथ में ले लिए.

जितना ज़्यादा रफ़ और कठोर मैं हो रहा था, मोनी को उतना ज़्यादा मज़ा आ रहा था.

मेरी जांघें मोनी की नंगी गांड से टकराकर थप्प थप्प की आवाज़ कर रहे थे.
मोनी फिर से नंगी आहें भर रही थी.

अब तक मैं सब समझ गया था.
मेरी सेक्सी बहन दिल्ली आकर बिगड़ैल और चुदक्कड़ हो चुकी थी.

जितना बिगड़ा हुआ मैं था, मोनी भी उतनी ही बिगड़ी हुई थी.

मेरे मन में उसके कारनामे जानने की एक उत्सुकता थी किन्तु कोई जल्दी नहीं थी.
मुझे पता था कि मेरे हाथ बिना मांगे जैकपॉट लग गया है, पूरे लॉकडाउन का जुगाड़.
सब भरपूर मिलेगा लज़ीज़ खाना, प्यार बहन का और मज़ा रखैल का!

दूसरी बार जब मैं झड़ने को हुआ तो मोनी ने अपना मुँह मेरे लण्ड के सामने जीभ निकालकर लेकर वीर्य चखने की मूक इच्छा व्यक्त की.
तो मैंने पूरी पिचकारी मोनी के मुँह पर दे मारी.

गाढ़ा, गाढ़ा सफ़ेद वीर्य.
इतना वीर्य निकला था कि मोनी का मुँह सफेदम सफ़ेद हो गया था.

कुछ वीर्य सीधे मोनी के मुंह में, उसकी जीभ पर भी पड़ा था और कुछ चू कर उसके स्तनों पर भी लग गया था.

हवस की प्यासी मोनी चखते-चखते मेरा पूरा वीर्य वीर्य चट कर गई.
जो इधर उधर लगा था, उसको उँगलियों में लेकर चाट गयी.

फिर अपनी उंगली चूसते हुए लण्ड के पास आयी और उसकी चमड़ी आगे पीछे करके उसने लण्ड चूसते हुए बचा वीर्य भी पी गयी.

जब मेरा लण्ड उसने अपने मुंह से निकाला, वीर्य की एक भी बूँद बर्बाद नहीं की थी उसने!

मोनी को वीर्य चाटते देखकर मेरे दिमाग में वह कौंधा जो इस घटना का बीज था जो मैंने अचेतन रूप से बोया था.

बाथरूम में मोनी की कच्छी चाटने के पश्चात वीर्यपात करके जो कच्छी मैंने टांग दी थी, शायद मोनी तक मेरी हवस का पैग़ाम पहुँचाने में कामयाब रही थी.

अब मैं सारे बिंदुओं को मिला पा रहा था.

मैंने जोश में आकर मोनी के होंठों का चुम्बन लिया और किस करते करते लेट गया.

हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपककर बिस्तर में ढह गए. हम नींद के आगोश में कब समा गए, हमें पता भी नहीं चला.

तो दोस्तो, इस बार कथानक में यहीं विराम लेते हैं.
हालाँकि मैं आपको बता दूँ कि 3 अप्रैल हमारी पहली रात थी.
हमने आगे जाके ऐसे ऐसे गुल खिलाये जो हम दोनों ने भी नहीं सोचे थे.

इलीट, सोफिस्टिकेटेड सेक्स से लेकर देसी, रचनात्मक गन्दी भाषा, और गन्दी गन्दी कनपुरिया गालियां – मां बहन की गालियां भी जिसके सामने फीकी लगें.
मोनी पूरी तरह खुल गयी मेरे साथ … और मुझको उसके काम-व्यक्तित्व के नंगे दर्शन कराये.

जहाँ मोनी दो-तीन हफ्ते के लिए मेरे फ्लैट रुकने आयी थी, अक्टूबर 2020 तक वह मेरे फ्लैट में रही.
पूरे लॉकडाउन में हमने हवस का नंगा नाच मचाया.
हमने सुनसान सड़क पर खुले में चुदाई करी, अनजान मर्दों को मोनी ने अपनी अदाओं से जलाया.

मोनी के साथ मैं लेट 2021 तक इस इन्सेस्ट रिलेशनशिप में रेगुलर रहा.
हमारे बीच कोई बाँध या बंदिश नहीं थी तो मोनी ने भी इस बीच दो बॉयफ्रैंड बदले और चुदी तो कितनों से … उसका तो हिसाब सुनकर दंग रह जायेंगे आप.

हम बी डी एस एम में भी घुसे, आगे चलकर हम आगे चलकर बहुतेरी ट्रिप्स पर भी गए और बहुत से अतरंगी काण्ड किये.
कुछ तो ऐसे की आप पढ़ के दांतों तले उंगलियाँ दबा लेंगे.

खैर वह सब आगे के अध्यायों में!

फिलहाल के लिए आपको बता दूँ कि 2022 में मोनी की शादी हो गयी और वह इंदौर सेटल हो गयी.

उसकी शादी के बाद हम … उम्म्म चलिए आराम से बताता हूँ बाद में!

आपको मेरा अनुभव और मेरा ये लेख़ पसंद आया हो तो ईमेल पर कमैंट्स दें.
नंगी बहन की चुदाई पर आपके विचार और सुझाव मेरी नीचे दी गई ई मेल आईडी पर अवश्य प्रेषित करें.

आप चाहेंगे तो अगली सुबह जब हम दोनों उठे, वहां से आरम्भ करूँगा, अन्यथा कहीं और से.
ईमेल पर कमैंट्स में यह भी बताएं कि आप अगले अध्याय में मेरे और मोनी के इस सम्बन्ध में किस समय की, और किस प्रकार की घटना जानना पसंद करेंगे.
धन्यवाद.
[email protected] नीलेश शुक्ला

इससे आगे की कहानी: लॉकडाउन में भाई बहन की हवसलीला- 1

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