वाइन डिस्टलरी में शराब और शवाब- 1

इंडियन गर्ल ओरल सेक्स कहानी में एक लड़की कम्पनी के काम के लिए फ़्रांस गयी वहां फैक्ट्री मालिक के साथ मेरी डील जल्दी हो गयी क्योंकि उसकी नजर मेरे कामुक बदन पर थी.

यह कहानी सुनें।

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दोस्तो, मेरा नाम आतिशी है। मैं 32 वर्षीया अविवाहिता लड़की हूं और मेरा शादी का कोई इरादा नहीं है।

मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में बेहद अच्छे पद पर कार्यरत हूं, मेरी कंपनी शराब या मदिरा बनाती है, और बाहर के देशों में बनने वाली शराब को भारत में आयात करती है और ऊंचे दामों में बेचती है।
साथ ही कंपनी अपने ऊंचे क्लब और क्रूज चलाती है जहां महंगी से महंगी शराब बेची जाती है।

मेरा ओहदा मुझे बाहर के देशों में बनने वाली शराब की कंपनियों से अच्छे दाम पर शराब की खरीद फरोख्त के अनुबंध के मोल भाव का अधिकार देता है।
जिसके कारण मेरा देश विदेश की यात्रा का संयोग बनता रहता है।

वीनस की लेखनी से बेहद प्रेरित होकर मैंने उनसे अपनी कहानी लिखने के लिए संपर्क किया।
हालांकि वो मुझसे उम्र में बड़ी हैं पर सेक्स के मामले में हम जैसे एक दूसरे का प्रतिबिंब हैं।

बहुत कहने के बाद भी वे मेरी कहानी लिखने को राजी नहीं हो रही थी।

फिर जब उन्होंने मुझसे अपनी फैंटेसी शेयर की जो मेरी कहानी से मिलती जुलती थी, तो कुछ बदलावों के बाद वे मेरी कहानी लिखने के लिए मान गई।
यह उस पूरी कहानी का पहला आधा भाग है।

मैं खुले विचारों से जीवन जीने में विश्वास रखती हूं।
देश विदेश की यात्रा के दौरान, दूसरी सभ्यता को समझने हेतु, वहां की धरोहर, उनका खाना, रहन सहन, क्लब और मर्द सभी परखना जरूरी समझती हूं।

ऐसे में नए शहर में हर रात नए मर्द के साथ बिताना मेरा शौक रहा है।
मैंने इटालियन, स्पेनिश, स्विस, रोमानियन, आइरिश, फ्रांसीसी, अमेरिकन, पोलिश, अरब, पाकिस्तानी, यूक्रेनियन और अंग्रेजी मर्दों को चखा और परखा है।

सच कहूं, तो इतने मर्दों को परखने के बाद, इनमें और हिंदुस्तानी मर्दों में कुछ ज्यादा अंतर तो नहीं, सभी टांगों के बीच घुसना चाहते हैं और इसके लिए किसी भी तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार रहते हैं।

पर एक अंतर जरूर है, हिंदुस्तानी मर्द औरत के सुख से ज्यादा अपने सुख की सोचते हैं.
और यह मैं अपने अनुभव से कह रही हूं.
किसी का अनुभव अलग हो भी सकता है।

पर हिंदुस्तानी मर्द का ईगो बहुत बड़ा होता है इसलिए हिंदुस्तान में अधिकतर महिलाएं ऑर्गेज्म फेक करती हैं।

खैर, यह मेरा तीसरा मौका था जब मैं फ्रांस में थी।

डील के दो दिन बाद मेरी पेरिस से दिल्ली की फ्लाइट थी।
यह यात्रा बेहद प्रभावशाली रही, बोर्दो/ बोर्डो/ बोर्दयु में एक वाइन कंपनी के साथ अनुबंध के लिए मीटिंग थी।
जिसके लिए मैं पेरिस से खास बोर्डो गई थी।

कंपनी के दो मालिक थे स्टीवन मिचल और रोजेट ग्वेन!
रोजेट ग्वेन से तो मुलाकात नहीं हो पाई।

पर तीन घंटे चली मीटिंग में मैंने स्टीवन को शीशे में उतार लिया।
सच कहूं तो वो बेहद आसान था … क्योंकि उसकी नजर रह रह कर मेरे गहरे गले के टॉप से झांकते मेरे स्तनों पर जा रही थी।
उसकी नजरें मेरे बोलते होंटों पर टिक जाती और वह मेरी हर शर्त को बस हां में हां देता रहा।

उसकी कंपनी के एडवाइजर उसे टोक रहे थे और उसे मना करने के इशारे दे रहे थे।
जिनका मैंने हर तरह से जवाब देकर उनके सवालों पर अंकुश लगाया।

अचानक ही स्टीवन उठा- आप लोग डिस्कस कीजिए, मैं थोड़ी देर में आता हूं।

अब मेरे लिए 3 औरतों और 5 मर्दों को संभालना थोड़ा मुश्किल लग रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे ये डील गई हाथ से!
हर डील पर मेरा भी एक बोनस का हिस्सा रहता है, मैंने डील कुछ इस तरह बनाई थी, कि उसमें मुझे भी अगले 5 साल तक फायदा मिलता।

मीटिंग आगे बढ़ती रही और मैं इस डील से होने वाले फायदे उन्हें गिनाती रही।

तकरीबन 40 मिनट बाद स्टीवन लौट आया.
और आते ही उसने कहा- हमें आपकी सारी शर्तें मंजूर हैं, पर ये डील 5 नहीं 15 साल तक होगी. हर 5 साल में कीमत रिव्यू होगी, मार्केट के चढ़ाव या गिराव के हिसाब से। और इसमें हम केवल आप ही से कम्यूनिकेट करेंगे, किसी और से हम कोई बात नहीं करेंगे. नहीं तो डील खारिज कर दी जायेगी।

मुझे स्टीवन की शर्तें बिजनेस के हिसाब से काफी वाजिब लगी.
दिवालिया की शर्तों वाले कुछ सवालों के बाद मुझे उनके जवाब संतोषजनक लगे और मैंने हामी भर दी।

दिवालिया की शर्तों को डील में डलवाने के बाद स्टीवन ने तुरंत साइन कर दिए और अपने पार्टनर रोजेट से साइन कराने के लिए अपनी सेक्रेटरी लिसा को कहा।

जब तक अनुबंध रोजेट के पास साइन होने गया, तब तक हमने इधर उधर की कुछ बातें की.

स्टीवन- तुम काफी अच्छी फ्रेंच बोलती हो, क्या तुम फ्रांस में रही हो लंबे समय के लिए?
मैं- शुक्रिया, मैं जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश और अंग्रेजी जानती हूं, मेरे काम में भाषाओं का ज्ञान काफी काम आता है, वरना इस शराब के धंधे में अधिकतर मर्द ही हैं और जाने कौन आपको आप ही के सामने गाली दे दे, आपको पता भी नहीं चलेगा।
स्टीवन- वाउ, मैं तुम्हारे काम करने के तरीके से बहुत प्रभावित हूँ। और तर्क वितर्क तो तुम खूब करती हो।

मन ही मन मैं तो जानती थी कि स्टीवन मुझसे ज्यादा मेरे गले से झांकते स्तनों से प्रभावित था।
मैंने केवल उसे मुस्कुरा कर धन्यवाद किया।

स्टीवन- मुझे नहीं मालूम था हिन्दूस्तानी महिलाएं तुम्हारी तरह खूबसूरत और खुली मानसिकता की होती हैं। यकीन मानो, तुम जैसी खूबसूरत जिस्म और खुले दिमाग की औरत के साथ काम करके मुझे बहुत मजा आयेगा। पर मैं अब तक अपने सवाल के जवाब का इंतजार कर रहा हूं, कि क्या तुम फ्रांस में रहती हो?

मैं- ओह नहीं, मैं भारत में रहती हूं, पर यूरोप के देशों का चक्कर लगता रहता है, यह तीसरी यात्रा है मेरी फ्रांस में!
स्टीवन- कितने दिन के लिए हो यहां?
मैं- बस कल का दिन और, परसों मेरी फ्लाइट है पेरिस से नई दिल्ली की।

स्टीवन ने प्रस्ताव रखा- तो यहीं रुक जाओ कल, आपको बोर्डो घुमाते हैं।
मैं- नहीं, मुझे कल पेरिस में कुछ काम है, रुक नहीं पाऊंगी। दोबारा चक्कर लगा तो अवश्य बोर्डो के लिए एक दिन ज्यादा लेकर आऊंगी।

स्टीवन- तो आज की शाम हमारे लिए, इतना वक्त तो निकाल सकती हो इस नए बिजनेस पार्टनर के लिए?

मुझे बार बार मना करना सही नहीं लगा तो हामी भर दी।

कुछ देर बाद पेपर साइन होकर आ गए और मैंने वो अपनी कंपनी के मालिक को फैक्स कर दिए।

जिसके बाद स्टीवन मुझे अंगूर के बागान दिखाने ले गया.
वह बार बार अपनी चलने की रफ्तार धीरे कर देता और मेरे पीछे चलते हुए मेरी ऊपर नीचे होती मटकती गांड देखता।

उसने मुझे कहा- हमारी डिस्टलरी भी पास में है. आइए, आपको अलग अलग समय की वाइन चखाते हैं. और हर वाइन एक अलग तरह के खाने के साथ पी जाए तो ज्यादा स्वाद देती है।

वह अपने बागानों में इस्तेमाल होने वाली गोल्फ कार्ट में बिठा मुझे डिस्टलरी ले गया.
खड्डों और ऊबड़ खाबड़ रास्ते में मेरे गहरे गले के टॉप से उछलते चूचे, बार बार उसकी नजर को मेरी उभरी हुई छाती पर टिका देते।

भारत में मुझे गोरी माना जाता है, पर उसकी गोरी चमड़ी के सामने खुद को गोरी कहना उचित नहीं होगा।

मेरी टॉप सफेद थी वी नेक की, पतले स्वेटर जैसा उसका कपड़ा था।
ठंड के कारण मैं एक्सपोज भी करना चाहती थी और ठंड से बचना भी चाहती थी.
नीचे मैंने काली पेंसिल स्कर्ट पहनी थी घुटनों तक की।
गले में एक पतला सा सोने का नेकलेस था जिसमें एक हीरे का छोटा सा पेंडेंट था, कानों में पेंडेंट से मैचिंग टॉप्स थे।
पैरों में चमड़े के लंबे बूट्स थे, एक कंधे पर लंबा पर्स था।

यूं तो मैं ओवरकोट पहन कर गई थी, पर उसे ऑफिस में ही स्टीवन की सेक्रेटरी लिसा ने लेकर हैंगर पर टांग दिया था।
बाल साफ तरह से एक ऊंची पोनी टेल में बंधे थे।

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गई, मैं 38 28 40 आकर की हूं।

गर्मी के मौसम में भी वहां तापमान तकरीबन 14-15 डिग्री रहता है जो मेरे लिए दिल्ली की ठंड के समान था।

कार्ट पर ठंडी हवा में बाल बिखर रहे थे और गर्दन पर हल्की हल्की ठंड भी लग रही थी।
ठंड के कारण मेरे चूचुक कड़क होने लगे और स्वेटर के बाहर उभार बनाने लगे।
कोई भी उनका आकार देख सकता था।
स्टीवन भी!

खैर बागान से 5 मिनट में हम डिस्टलरी पहुंच गए।
डिस्टलरी ठंड में एक गर्म टापू के समान लगी मुझे!

स्टीवन ने मुझे अंदर लेकर डिस्टलरी का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया- तुम्हें बहुत ठंड लग रही थी, इसलिए बंद कर दिया।
उसने मेरे कड़क निप्पल देखते हुए कहा।

दोपहर के 3 बज रहे थे, सर्दियों में तकरीबन 3:30 – 4:00 के बीच वहां अंधेरा हो जाता है.
पर मैं गर्मी के मौसम में गई थी, अंधेरा रात 9 बजे से पहले नहीं होने वाला था।

स्टीवन के लिए यह एक आम मौसम है, वह तो स्वेटर भी पहने नहीं था।
मेरे बाल बिखर कर चेहरे पर आ गए थे।

स्टीवन ने मुझे एक स्टूल लाकर दिया और पास ही बने बार की टेबल के पीछे चला गया।

अपने फ्रांसीसी लहजे में उसने मुझसे पूछा- तो मैडम बताइए क्या पीयेंगी आप?
मैंने मुस्कुराते हुए अपने दिलकश अंदाज में कहा- काश व्हिस्की मिल जाय … इतनी ठंड में!

स्टीवन- यह तो बहुत ना इंसाफी है हम फ्रेंच लोगों पर! यहां वाइन डिस्टलरी में आप व्हिस्की लेंगी तो हमारा अपमान होगा।
मैं- मैं सिर्फ वाइन की डील्स करती हूं, वाइन पीना मेरा शौक नहीं है।
स्टीवन- इसका मतलब आपने वाइन को ठीक से जाना ही नहीं कभी!

मैं- वाइन में जानने जैसा क्या है, बस अंगूर का फर्मेंटेड रस ही तो है। दो महीने पहले स्विस व्हिस्की चखी थी, बेहद लाजवाब, उसका स्वाद मेरी जुबां पर अभी भी है।

स्टीवन- आज मैं आपको अलग अलग वाइन चखाता हूं. ये लीजिए, ये चखिए, ग्लास थोड़ा घुमाते हुए, इसे सूंघिए और फिर एक हल्का सा घूंट होंठों में भरिए, उसे जुबान पर ठहरने दीजिए और साथ में ये चीज़ खाइए। आप स्विस व्हिस्की का स्वाद भी भूल जाएंगी।

स्टीवन ने मुझे पहला प्याला दिया.
मैंने उसके कहे अनुसार वाइन चखी.
काफी बेहतर अनुभव हुआ।

स्टीवन ने इसी तरह मुझे अलग अलग वाइन के तीन चार प्याले बातों बातों में पिलाए।

मुझे स्टीवन की कंपनी अच्छी लग रही थी, स्टीवन भी वाइन डालते वक्त मेरे टॉप के गले में झांकते हुए मेरे स्तनों को बार बार देखता।

स्टीवन- एक बात कहूं, तुम बहुत आकर्षक और खूबसूरत हो, क्या तुम अपने देश की टिपिकल खूबसूरत लड़की की परिभाषा को बयां करती हो?
मैं- तारीफ के लिए शुक्रिया स्टीवन, पर मैं समझी नहीं तुम्हारा सवाल?

स्टीवन- अब देखो ना, मैं अपनी नजर तुम्हारे खूबसूरत स्तनों से हटा ही नहीं पा रहा! यहां फ्रांस में लड़कियां बेहद दुबली और छोटे स्तनों की होती हैं. ऐसे में तुम्हारा फिगर कमाल का है. फ्रांस की सड़कों पर तुम कई लड़कों की फैंटेसी बन चुकी होगी अब तक तो!
ठहाका मारते हुए मैंने उत्तर दिया- क्या बात कर रहे हो? खूबसूरती को यदि दस नंबर दिए जाए तो मैं एक साधारण पैमाने पर केवल 5 ही ला पाऊंगी।

स्टीवन बार के पीछे से निकल मेरे पास आ कर खड़ा हो गया- तुम खुद को बहुत कम आंक रही हो. खुद को आईने में देखो, तुम बला की खूबसूरत हो. खासतौर पर तुम्हारा ये तराशा हुआ जिस्म, ये काली लंबी जुल्फें, जो रह रह कर तुम्हारे चेहरे पर आ रही थी।

यह कहते हुए वह मेरे जिस्म पर हाथ फिराते हुए मेरे बालों को मेरे चेहरे पर सहलाने लगा.
जल्दी ही उसके हाथ मेरे होंठों पर बढ़ गए- और ये ठंड से थरथराते गुलाबी रस भरे होंठ, तुम्हारी गहरी नशीली आंखें, जिनमें मैं डूब जाना चाहता हूं।

यह कहते हुए उसने मुझे होंठों पर एक लंबा सा फ्रेंच चुंबन दिया, मेरे होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसते हुए उसने पहले ऊपरी होंठ चूसे, फिर निचले होंठों को दांतों के बीच हल्के से दबाते हुए अपने लबों में खींचा और चूसा.
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी।

दो तीन मिनट के उस चुम्बन में मुझे अहसास हो गया कि आज स्टीवन मेरे जिस्म के हर हिस्से का मजा लूटेगा।
मेरी नशीली आंखों में कुछ तो वाइन का नशा था और कुछ स्टीवन के बढ़ते कदमों में पास आते अपने योनि सुख का।

अलग होने पर स्टीवन ने पूछा- कैसा लगा? ये वाइन होंठों से चखी जाती है, इसे अपने साथी के होंठों से पीने में सबसे ज्यादा आनंद आता है।
मैं- ये तो हो गई होंठों की वाइन, क्या कुछ और भी है आपके पास?

स्टीवन- हमारे यहां जिस्म से चखी जाने वाली वाइन भी बनती है जिसे क्लब में अधनंगी लड़कियों पर उड़ेल कर पिया जाता है. कई जगह तो इन्हे नंगी लड़कियों के ऊपर गिरा कर उनकी योनि से पिया जाता है। क्या तुम वो अनुभव करना चाहोगी?

मैं- सुनने में काफी अलग प्रतीत हो रहा है. पर मुझे लगता है तुम्हारे साथ वो अनुभव भी कमाल का होगा।

स्टीवन ने आगे बढ़ कर मेरे स्वेटर के बांए कंधे को खींच कर मेरा कंधा नंगा कर वहां अपने होंठ लगा दिए और मुझे गर्दन पर चूमने लगा।

मैंने भी आगे बढ़, स्टीवन को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और जैसे मेरी हथेलियाँ खुद ब खुद उसके उसके बालों में चली गई।

मैं स्टीवन के नशे में डूब चुकी थी- ओह स्टीवन, तुम बहुत रोमानी हो!

स्टीवन ने स्वेटर के ऊपर से ही मेरे बाएं स्तन पर जब हाथ रखा तो बदन में जैसे सनसनी दौड़ गई।
मैंने आगे बढ़कर उसके कान चूसने शुरू कर दिए।

स्टीवन ने मेरे कान के पास आ कर कहा- जब तुम डील पर बात करने के लिए मेरे ऑफिस आई, बस तब से तुम्हें चोदने की सोच रहा हूं. तुम नहीं जानती पिछले तीन चार घंटे में मैं तुम्हें मन ही मन जाने कितनी बार और कितने तरीकों से चोद चुका हूं। बस अब अपनी कल्पना को सच करना चाहता हूं।

यह कहते हुए उसने मेरा स्वेटर ऊपर कर मेरे गले से निकाल कर उतार दिया.
अब मैं गुलाबी नेट की ब्रा और काली स्कर्ट में स्टीवन के बेहद करीब खड़ी थी।

स्टीवन के बारे में मैं बताना भूल गई, स्टीवन तकरीबन 45 वर्षीय है, पर देखने में 35 से ज्यादा का नहीं लगता। उसका शरीर 25 वर्ष के किसी सुडौल युवा सा है। उसमें काम और विलास की बहुत भूख है। उसकी आंखें नीली हैं और बलिष्ठ बाहें, चौड़ा सीना और कड़क कंधे, कमर भी सीने की सीध सी चौड़ी और पतली है।
उसके नितम्ब भी सुडौल और गोल है।

उसके व्यापार में नई नई लड़कियां चोदना, आए दिन शराब और शबाब वाली पार्टीज देना और उनमें शामिल होना, नंगा नाच देखना, क्लब में जाना एक स्टेटस सिंबल माना जाता है।

मुझे टॉपलेस कर उसने भी अपनी कमीज़ उतार दी।

उसके निप्पल गहरे गुलाबी रंग के थे, सीने पर हल्के भूरे बाल थे जो केवल छाती के बीच में थे।

उसने पास पड़ी वाइन की बॉटल उठाई और मेरे ब्रा में फंसे स्तनों के ऊपर गिराने लगा.
वाइन मेरी दोनों गोरी गोरी चूचियों पर गुलाबी छटा बिखेरने लगी, स्टीवन ने अपना चेहरा मेरी चूचियों में दबा दिया और मेरे चूचों से वाइन पीने लगा।

उसका मेरे चूचों के उभारों को चूसते हुए वाइन पीना मुझे बहुत भा रहा था.
मैंने भी अपना सीना आगे की ओर उचका कर उसका चेहरा अपनी चूचियों में दबा दिया।

वाइन गिरने से मेरी गुलाबी ब्रा गीली हो गई थी।

स्टीवन ने दूसरा हाथ पीछे कर मेरी ब्रा एक ही झटके में खोल, खींच कर अलग कर दी।

उसने मेरे चूचुक मुंह में ले लिए और वाइन गिराते हुए मेरे दूध पीने लगा।

मेरे बायां स्तन उसकी दाहिनी हथेली में था, मेरा कड़क निप्पल और एयरोला उसके होंठों के बीच दबे थे।

वह मेरे जिस्म से वाइन पी रहा था, और नशा मुझे चढ़ रहा था।

अब वो दाहिने दूध पर लपका और उसे ऐसे हथेली में दबोच लिया जैसे उसका गला दबा रहा हो।

मेरे दाहिने निप्पल और एयरोला को अपनी जुबां से सहलाने लगा, फिर वाइन गिराते हुए उसने वो भी मुंह में भर लिए।

फिर रुक कर वह बोला- तुम्हारे स्तन इतने रसीले हैं कि इनसे दूध नहीं वाइन ही निकलनी चाहिए। तुम्हारे चूचों की शेप की बॉटल में अगर वाइन बेचूं तो खूब बिकेगी।

मैंने उसके हाथ से वाइन की बॉटल ले ली और उसके कंधे पर गिराते हुए उसकी चौड़ी छाती चाटने लगी, उसके गुलाबी निप्पल से वाइन पीने लगी.

उसने मेरे बंधे बाल से हेयर बैंड निकाल दिया और मेरे काले घने बाल खोल दिए।

मैं उसकी सुडौल छाती को अपने नंगे चूचों से छेड़ने लगी.

अब गिरती हुई वाइन उसकी छाती से होती हुई मेरे चूचे भिगोते हुए कमर से गिरती हुई मेरी स्कर्ट के अंदर जाकर मेरी चूत से टपकने लगी.

स्टीवन के हाथ अब मेरे नितंबों की गोलाइयां मापने लगे।

फिर उसकी उंगलियां ठहरी मेरी स्कर्ट की जिप पर … और उसने मेरी स्कर्ट खोल दी, मेरी स्कर्ट को नीचे गिरा दिया।

उसके हाथों को मेरी गुलाबी नेट की कच्छी के भीतर जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा.
मेरी हल्की सी कच्छी कब तक उसकी उंगलियों से बच पाती!

उसने मेरे नितंबों के बीच उंगलियां फंसाते हुए पीछे से मेरी चूत और गांड पर कब्जा कर लिया।
अब मैं पूरी तरह उसके वश में थी.

उसने दूसरे हाथ से रिमोट से डिस्टलरी का दरवाजा खोल दिया।

स्टीवन- इस ठंड में तेरी गर्म जवानी का अलग मजा आयेगा। तेरी गर्म चूत को वाइन के नशे की जरूरत तो नहीं … पर मुझे तो तेरे जिस्म से ही पीनी है!

मेरी कच्छी को चूत से हटा कर उसने मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया।

मैं भी साथ देते हुए अपने पेट पर वाइन गिराने लगी ताकि स्टीवन मेरी चूत से वाइन पीकर मजा ले सके।

मैं सातवें असमान पर थी.
मैंने स्टीवन के लिए अपनी टांगें चौड़ी कर दी और स्टीवन का सिर अपनी चूत में दबा दिया।

“अह्ह्ह स्टीवन … मेरी चूत को वाइन से भर दो. इसे इतना चूसो कि प्यासी होकर ये चुदने पर तुम्हारे लंड का रस चूस कर खाली कर दे!”

स्टीवन अपनी जुबां का कमाल मेरी भगनासा पर दिखा रहा था.
उसने साथ ही मेरी गांड के छेद में उंगली डाल दी.

मैं तो जैसे पागल ही हो गई; मन हुआ अभी उसका लंड लेकर अपनी गांड में डाल लूं।

अपनी गांड में स्टीवन का लंड सोचने भर से मैं स्खलन प्राप्त करने लगी, मेरी झांघें कम्पकपाने लगी और बदन में अकड़न आ गई।
मेरी चूत ने अपने रस की फुहार स्टीवन के चेहरे पर छोड़ दी।

स्टीवन- तुम स्क्वर्ट करती हो? तुम तो वासना की अप्सरा हो। तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से में रस भरा है।
मैं- अप्सरा नहीं … वासना की देवी! अब मुझे भी दिखाओ कि तुम कामदेव से कम नहीं हो।

स्टीवन ने अपनी पैंट उतार दी.
उसका 6 इंच का गोरा गुलाबी लंड मेरी आंखों के सामने था.
उसके टोपे के ठीक नीचे एक तिल था।
उसके लंड पर झिल्ली नहीं थी।

मैंने तुरंत उसका लंड अपनी हथेली में भर लिया और उसे अपने से चिपका लिया.
मेरे चूचे उसके कड़क सीने से दब गए।

उसने भी खुद को मुझे सौंप दिया।

मैंने उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़ा तो उसकी भी आह निकल गई।

मेरे बालों को उसने अपनी बांह में लपेट लिया और मुझे वाइन का एक बड़ा घूंट भरने को कहा।

उसने कहा- अपने मुंह की वाइन से मेरे लौड़े को नहलाओ।

मैं उसकी टांगों के बीच बैठी तो दरवाजे से एक ठंड का झोंका आया।
शायद पहले भी आ रहा था पर उसके चौड़े शरीर के कारण मुझे नहीं छू पा रहा था।

मैंने उसकी मांसल जाँघों को अपनी बाहों में भर लिया और उसके लंड पर अपने मुंह में रखी वाइन धीरे धीरे गिराने लगी।

मेरे मुंह में पड़ी वाइन थोड़ी गर्म हो चुकी थी।
उसका चमकता गुलाबी लंड मुझे मदहोश कर रहा था.

मैंने ज्यादा देर ना करते हुए उसका लंड अपने मुंह में ले लिया।

उसने भी मेरे सिर पर हाथ रख लिया और दूसरे हाथ से अपने लंड पर वाइन गिराने लगा।
मैं भी उसके लंड से वाइन पीने लगी।

मुंह में जाता उसका गुलाबी लंड जैसे मेरे गुलाबी होंठों के लिए ही बना था.
मैं उसके लंड के सुपारे से वाइन ऐसे चूसने लगी जैसे कोई बर्फ के गोले से उसका रस चूसता है।

स्टीवन भी सीत्कारें भरने लगा और मेरा मुंह अपने लंड पर दबाने लगा.
उसका लम्बा लंड मेरे गले तक जा रहा था।

चूंकि इतने मर्दों को भोगने के बाद मैं लंबे लंड चूसने में माहिर हूं, मुझे उसका लंड गले तक भरने में ज्यादा तकलीफ नहीं हुई।

मैं एक कुशल चुसाईबाज की तरह स्टीवन को भी अपने मुख चोदन का सुख देना चाहती थी जैसे उसने मुझे दिया था।

जल्दी ही वो वाइन की बॉटल भी खत्म हो गई.
पर मैंने स्टीवन को हिलने नहीं दिया और लगातार चूसती रही।

स्टीवन भी अब इंडियन गर्ल ओरल सेक्स का मजा लेकर अपना आपा खोता जा रहा था- आतिशी, मेरा हिंदुस्तानी लड़कियों को चोदने का इतना अनुभव तो नहीं रहा. पर सच कहूं तो तुम यहां रहने वाली फ्रांसीसी और दूसरी यूरोपियन लड़कियों से कहीं बेहतर चूसती हो।
अगर कोई चूसने का इनाम होता तो तुम्हें ही मिलता।

यह कहते हुए वह मेरे गले में झटके से झड़ने लगा।
उसका बदन अकड़ गया और उसने कसकर मेरा मुंह अपने लंड पर दबा दिया।

मैंने स्टीवन का रस पी लिया।
वाइन के कारण मुझे ज्यादा पता नहीं लगा उसका स्वाद … चूंकि लंडरस सीधा गले में डिलीवर हुआ था।

मेरे प्यारे दोस्तो, इंडियन गर्ल ओरल सेक्स कहानी अगले भाग में समाप्त होगी. अभी तक की कहानी पर अपने विचार मेल और कमेंट्स में लिखें.
[email protected]

इंडियन गर्ल ओरल सेक्स कहानी का अगला भाग: वाइन डिस्टलरी में शराब और शवाब- 2

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