ऑफिस सेक्स आइटम गर्ल बन कर रही मेरी कुलीग … उसके बाद मैं भी उसी रोल में आ गयी. तो मेरी सहेली को जो प्रोमोशन मिलने चाहिए था, नहीं मिला, बॉस ने उसे चूस कर फेंक दिया.
कहानी के पहले भाग
बॉस के केबिन में चुदाई का खुला खेल
में आपने पढ़ा कि
मीटिंग खत्म होते ही दीपक ने मेरी स्कर्ट खींचकर ऊपर उठा दी … मुझे टेबल पर झुकाया और मेरी गांड मारने लगे।
तभी दीपक के दरवाजे पे दस्तक हुई।
कोई जोर जोर से दरवाजा पीट रहा था।
यह कहानी सुनें.
Office Sex Item Girl
अब आगे सेक्स आइटम गर्ल की कहानी:
दीपक ने अंदर से ही धीरज को फोन लगाया- कौन है ये बदतमीज, जो इस तरह खटखटा रहा है?
गुस्से में दीपक बोले, उनका मेरी गांड मारने का कार्यक्रम अधूरा जो रह गया था।
“सर, रोशनी है, परेशान सी लग रही है!” धीरज ने जवाब दिया.
“तो तुम संभालो उसे, साला यहां चुदाई का सारा मूड बिगाड़ दिया रण्डी ने!” दीपक गुस्से में बोले.
“जी … मैं देखता हूं.” धीरज ने कह कर फोन काट दिया.
अब दीपक दोबारा गर्म होने के लिए मुझे चूमने लगे, बोले- वीनस तू इतनी गर्म है, जिस्म और लौड़े की ठंड का इलाज है तू! ठंडी रोशनी का भी तू ही इलाज है. कहां पहले ये रोशनी हर रोज मेरे नीचे लेटती थी, कभी चूसती थी, कभी गांड मरवाती थी, कभी चूत। धीरज और मैंने मिल के इसे बहुत चोदा है। मतलब इतना कि कोई हिसाब नहीं। इसको हमने बड़े बड़े पांच सितारा होटलों में ले जा कर मस्ती की, ये भी अपनी मर्जी से सब करती थी. जब से कॉर्बेट से आई है, साली बहुत भाव खाने लगी है। आज रण्डी को उसकी औकात पता चली है, रोने दो मादरचोद को!
फिर दीपक बोले- तू मेरे पास आ ना … जानेमन!
कहकर उन्होंने मुझे खुद से चिपका लिया.
बोले- तुझे, अपनी सेक्रेटरी बना लूं? … जहां जहां जाऊंगा, तू मेरे साथ चलेगी, और फिर यूं छुप छुप के चुदाई भी नहीं करनी पड़ेगी. तू मेरे केबिन में ही बैठा करेगी, जब चाहूंगा, तुझे चोदूंगा. बोल क्या कहती है, कैसा लगा मेरा आइडिया?
अपना आइडिया बताते बताते वे गर्म होने लगे और मुझे चूमने लगे.
मेरी स्कर्ट जो गांड मारने के लिए उन्होंने पहले ही ऊंची कर दी थी, उसमें हाथ डाल मुझे उंगली करने लगे।
“वीनस … हाय तेरी ये गर्म गीली चूत … कभी निराश नहीं करती मेरे लोड़े को! तुझे जब चोदना चाहो, तब तू गर्म हो जाती है. रोशनी हरामण तो इतनी मेहनत करवाती है, साली को पहले चूसो, उंगली करो, लोड़ा खिलाओ तब चुदने को होती है … पर तू मेरी रानी … झुकाते ही गीली चूत … हर मर्द का सपना है तू … हर लंड की जन्नत बसती है तेरी टांगों के बीच में!”
दीपक की बातें मुझे और गर्म कर रही थी.
पर मैंने उसे जाहिर नहीं होने दिया।
मेरे और दीपक के रिश्ते में मेरी अपनी सोच कोई मायने नहीं रखती थी।
इसीलिए मैं दीपक को, वे जैसा चाहे सोचने देती थी, ना उसे बढ़ावा देती, ना उसकी बात काटती।
मुझे तो केवल कुछ वक्त का तजुर्बा लेना था कंपनी से, फिर वे अपने रास्ते और मैं अपने!
बाहर से अब दरवाजा खटखटाने की आवाज बंद हो गई और किसी के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी।
गौर से सुनने पर मैं जान गई कि वह रोशनी की ही आवाज थी.
रोशनी ऊंची आवाज में चिल्ला कर कह रही थी- यहां सब के सब दोगले हैं … झूठे वादे करके अपने जाल में फंसाते हैं, इस्तेमाल करते हैं हमारा, ढोंगी हैं सब के सब!
अब दीपक का पारा भी चढ़ने लगा था, वे अपनी रौबदार छवि पर दाग नहीं लगने दे सकते थे।
उनके लिए रोशनी को चुप कराना जरूरी हो गया था।
उन्होंने मेरी चूत से हाथ हटा लिया और तनाव भरे मुख से कहा- कपड़े ठीक कर लो जल्दी से!
यह बोलते हुए उन्होंने अपना लोड़ा पतलून में वापिस डाल लिया।
मुझे अपने कपड़े ठीक करने में वक्त लग रहा था, मेरी स्कर्ट तंग थी और कमीज में ब्रा के अंदर से चूचे भी बाहर निकले थे।
तो वे मुझ पर बरस पड़े- साला एक स्कर्ट भी नीचे नहीं होती तुमसे, दो बटन लगाने में और स्कर्ट नीचे करने में कितना वक्त लगता है?
रोशनी का गुस्सा मुझ पर फूट रहा था।
वे दरवाजे पर खड़े रोशनी की बातें सुन सुन कर अपना आपा खोते जा रहे थे।
गुस्से से मेरे पास आए ‘बहनचोद …’ और मेरी कमीज के बटन लगा के बोले- रण्डी साली, उतारूं भी मैं और पहनाऊं भी मैं … कुछ काम नहीं होता तुम रंडियों से … बस टांगें खुलवा लो जितनी मर्जी! अभी दो लोड़े आ जायेंगे तो एक सेकंड नहीं लगेगा छिनाल को नंगी होने में!
वे गुस्से में आग बबूला हुए जा रहे थे।
फिर केबिन से बाहर चले गए।
मैं अंदर ही बैठी रही।
अब मुझे बाहर से दीपक के जोर से बोलने की आवाज आने लगी- रोशनी, फ्लोर पर सीन क्रिएट मत करो, हम बैठ के बात कर सकते हैं, कम लेट्स टॉक. (आओ, बात करें) यूं तमाशा करके कुछ नहीं होगा, खामखा HR इश्यू बन जायेगा। आई एम हेयर टू लिस्टन ऑल यौर ग्रीवांस (मैं तुम्हारी सारी परेशानी सुनने के लिए हूं यहां)
पर रोशनी हल्के में चुप बैठने वाले भाव में नहीं थी- सर, आप क्या इश्यू सॉल्व करेंगे, आप ही तो इश्यू की जड़ हैं.
रोशनी की इस बात से दीपक को लगा कि उसका पर्दाफाश होने वाला है तो उन्होंने तुरंत धीरज को कहा- इसे लेकर जाओ, पानी पिलाओ, मैं भी HR को फोन करता हूं, ऐसा एटिट्यूड बर्दाश्त नहीं कर सकते टीम में!
अब दीपक ने पूरा मन बना लिया था रोशनी को नौकरी से निकालने का!
आप सभी तो जानते ही हैं कि गद्दी पर बैठे राजा के हाथ खून से रंगे होते हैं।
कुर्सी आहूति मांगती है … और आज रोशनी की आहूति दी जाने वाली थी, दीपक को अपनी कुर्सी बचानी थी।
तब तक शोर सुन कर HR (नीलम) भी आ गई थी।
धीरज रोशनी को ले गए।
अब रोशनी, धीरज और नीलम एक मीटिंग रूम में बैठ बात करने लगे।
यह मीटिंग तकरीबन दो ढाई घंटे चली।
तब तक दीपक का भी मूड खराब हो चुका था।
और इस सब ड्रामे के बीच में मैं चुपके से दीपक के केबिन से बाहर आ गई जब सबका ध्यान दीपक और रोशनी की लड़ाई पर था।
मैं उस दिन दफ्तर में रोशनी से बात नहीं कर पाई.
उस शाम जब मैंने रोशनी को फोन किया तो मुझे मालूम हुआ कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया है। और कंपनी उसे निकालने के एवज में कोई भुगतान भी नहीं कर रही।
वरना किसी को निकाले जाने पर नोटिस पीरियड का वेतन देने का प्रावधान होता है।
धीरज और दीपक ने मिलकर उसके साथ खेल खेला … जब तक वह हां में हां मिलाती रही, तब तक दोनों ही उसकी जवानी का पूरा मज़ा लेते रहे।
उसे घुमाते रहे, अय्याशी करते रहे … अपने दोस्तो से भी उसे चुदवाते.
पर उसने जब मुंह खोल कर अपनी तरक्की चाही, तो उसे ‘अंडर परफॉर्मर’ कह कर नौकरी से निकाल दिया।
नॉन परफॉर्मर को निकाले जाने का कोई हर्जाना नहीं मिलता.
यदि गलती कंपनी की हो जैसे काम बंद हो गया, नुकसान हो गया, कंपनी डूब गई, तब कर्मचारी को हर्जाने के रूप में नोटिस पीरियड का वेतन दिया जाता है।
दोस्तो मैं आपको बता दूं, एक अच्छी कंपनी … अपने सभी कर्मचारियों का अपने अच्छे प्रावधानों से और प्रावधानों को वक्त के साथ बदलते हुए, उन्हें कर्मचारियों की सुख सुविधा देखकर बनाने का प्रयास करते हुए, उनका ध्यान रखने की हर संभव कोशिश करती है.
एक बार फिर याद दिलाऊं कि जिस कंपनी में रोशनी और मैं काम करती थी, वह अच्छी कंपनी की श्रेणी तो क्या, उसके आस पास भी नहीं थी।
रोशनी ने मुझे बताया कि नीलम ने उसे बहुत सी ईमेल्स दिखाई, जो पिछले कई महीनों से एकत्र की जा रही थी. सभी की सभी ईमेल धीरज और दीपक के बीच थी, उन सभी में रह रह कर यही जिक्र था कि रोशनी ने काम में कितनी गलतियां की. कितनी बार क्लाइंट ने काम की खराब प्रतिक्रिया दी और शिकायत की।
और इसी कारण उसकी तरक्की रोकी गई।
रोशनी ने साफ साफ नीलम से कहा- दीपक और धीरज … दोनों ने ही कभी ये सब उसके साथ साझा नहीं किया, वरना वह अपने काम पर ध्यान देती.
दोनों को अपनी रंगरलियां और बिस्तर पर होती रोशनी की तरक्की, का पूरा ख्याल था।
नीलम ने रोशनी को ये कह कर चुप करा दिया- तुम्हें निकाला जा रहा है इसलिए अब तुम सब पर कीचड़ उछालोगी, किसी भी तरह से चाहोगी, कि बदला लो. तुम्हारे इन सब बातों का कोई ठोस सबूत नहीं है. और यदि ऐसी बात थी तो पहले क्यों नहीं आई, शिकायत क्यों नहीं की?
रोशनी के पास इस सब का कोई उत्तर नहीं था क्योंकि वह भी जानती थी कि उसने भी अपने जिस्म से दीपक और धीरज का इस्तेमाल करना चाहा।
दीपक और धीरज के साथ सोना, उसकी सोची समझी चाल थी, आसान रास्ते से नौकरी में ऊपर बढ़ने की।
फोन पर रोशनी को दिलासा देने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकती थी।
इस सबके बाद मैंने भी सबक लिया और काम पर ध्यान देने की गांठ बांध ली।
परन्तु दीपक और धीरज को तो मेरी गांड मारने से मतलब था।
पर अपना करियर कैसे बनाना है, वह मेरे हाथ में था।
मैं और रोशनी हर दूसरे दिन फोन पर बात किया करती थी.
कई बार हमारी बातें फोन सेक्स में तबदील हो जाती.
पर रोशनी का फोन सेक्स मेरे लौड़ों की भूख का इलाज नहीं था।
इस सारे वाकये के दो हफ्ते बाद हमें मसूरी जाना था।
इस बार दीपक ने मुझे पहले ही कह दिया था कि वे अपनी गाड़ी लेकर जाएंगे और मैं उनके साथ ही उनकी गाड़ी में जाऊंगी। धीरज और एक नया मैनेजर भी हमारे साथ होंगे। बाकी सभी टीम के लोग बस में जायेंगे।
यह दीपक को सोची समझी चाल थी मुझे नए मैनेजर को परोसने की!
ताकि वह बाकी बने तीन नए मैनेजर को दीपक के कारनामों में शामिल करने में मदद करे।
मैनेजर लोगों का व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाया गया, जिस पर अपडेट करने की जिम्मेदारी सभी नए मैनेजर को थी कि बस किस वक्त कहां पर थी।
मुझे दीपक ने मेरे घर से पिक कर लिया, मैं उन दिनों पूर्वी दिल्ली के एक भीड़ भाड़ वाले इलाके में रहती थी।
मेरे से पहले वे धीरज को एम्स से पिक कर चुके थे।
नए नए बने मैनेजर मोहित वैशाली में अपने परिवार के साथ रहते थे।
मेरे बाद उन्हें पिक करना बाकी था।
जब मैं गाड़ी में बैठी तो दीपक गाड़ी चला रहे थे और धीरज आगे उनकी बगल को सीट पर बैठे थे।
मैं पीछे बैठने लगी तो धीरज गाड़ी से उतरते हुए बोले- तुम आगे बैठो, थोड़ा दीपक को भी मज़ा लेने दो।
तो मैं आगे बैठ गई।
अब धीरज ठीक मेरे पीछे वाली सीट पर थे।
उन्होंने सीट के दोनों ओर से हाथ आगे कर मेरे चूचे भींच दिए और मेरी आह सुन … ठहाके मार के हंसने लगे, बोले- अब तो आदत डाल लो … अगर इतनी चुदाई के बाद भी चूचे भींचने पर तुम्हें अचंभा हो रहा है, इसका मतलब चुदाई ठीक से हो नहीं रही तुम्हारी!
दीपक भी मुस्कुरा के बोले- “कोई बात नहीं, मसूरी में पूरा मसल देंगे तुम्हें!
धीरज के हाथ अब मेरी टी शर्ट के अंदर घुस चुके थे.
तभी दीपक ने मेरी सीट के साइड में लगा सीट पीछे गिराने का लीवर उठा दिया और मेरी सीट धीरज की गोद में जा गिरी।
मुझे सीट बेल्ट में बंधा पाकर धीरज बेकाबू हो रहा था।
उसने हाथ बाहर निकाल के टीशर्ट के गले से अंदर डाल दिए और मेरे उरोज मसलने लगा।
दीपक ने अपने गियर वाले हाथ से देखते ही देखते मेरी जींस की जिप खोल दी और एक हाथ मेरी कच्छी में डाल दिया।
मैं ऑफिस की आइटम गर्ल थी, जानती थी कि गाड़ी में ये दोनों मिलकर मेरे साथ यही कुछ करने वाले हैं।
तभी वैशाली का नाका आने को था, धीरज ने मेरे चूचे छोड़ कर मोहित को फ़ोन लगाया- हां मोहित, हम वैशाली के नाके पर हैं, पहुंचने वाले हैं.
मोहित की बताई जगह पर पहुंचते पहुंचते मेरी सीट दोबारा खड़ी कर दी।
तब मोहित पीछे वाली सीट पर धीरज के साथ बैठ गया।
“मोहित, इनसे मिलो, ये हैं वीनस, दीपक सर की खास …” धीरज ने मेरा परिचय कराया।
तो मोहित भी हल्के से मुस्कुरा दिया.
मोहित दीपक के पीछे बैठा था और मेरी भरी हुई जवानी से तराशे हुए जिस्म को कपड़ों के ऊपर से देख सकता था.
वह देख पा रहा था कि दीपक रह रह कर बार बार मेरी जांघ पर हाथ रख के फिरा रहे थे।
मोहित को समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि मैं दीपक की रण्डी थी।
अब गाड़ी में द्विअर्थी बातों का दौर शुरू हो गया।
दीपक बोले- बड़े इंजन की गाड़ी सभी को चाहिए … पर हर किसी को नहीं मिलती!
मोहित भी बोले- सर, बड़े इंजन की गाड़ी में पेट्रोल भी तो ज्यादा ही लगता है!
ये सभी बड़े लंड और मोटे उरोजों वाली औरतों की बारे में बात कर रहे थे।
थोड़ी देर में दीपक ने मोहित को आगे बैठने को कहा और गाड़ी साइड पे लगा दी।
जब मैं गाड़ी से बाहर निकली तो मोहित ने मुझे ऊपर से नीचे तक अच्छे से देख लिया.
उसने देखा कि मेरी जींस की जिप और ऊपर का बटन खुला था।
वह हल्के से कामुक मुस्कान देकर आगे बढ़ गया और आगे वाली सीट पर बैठ गया।
मैं अब पीछे आ गई।
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सेक्स आइटम गर्ल की कहानी का अगला भाग: वासना के समुन्दर में प्यार की प्यास- 3