होटल में ग्रुप सेक्स का मजा मेरे 5 सीनियर्स ने लिया एक साथ! उन्होंने मुझे पूरी रात पूरी नंगी रखा और मेरे तीनों छेद खोद खोद कर खुले कर दिए. मैंने भी अपनी वासना के खेल का मजा लिया.
कहानी के पिछले भाग
मैं बनी बॉस का सेक्स टॉय
में आपने पढ़ा कि होटल के एक कमरे में नए 2 मैनेजर और मोहित तो थे ही, उन्होंने सन्दीप को भी बुला लिया जो इनके साथ मनेजर प्रोमोट हुआ था.
दरवाजे पर दस्तक हुई, मोहित ने थोड़ा सा दरवाजा खोल सन्दीप को अंदर लिया।
“सन्दीप, इनसे मिलो, वीनस, हम सबकी प्रमोशन का तोहफा, दीपक की तरफ से …” मोहित लंड सहलाते हुए बोला।
सन्दीप- मैं समझा नहीं, लड़की है तोहफा?
मोहित- हां यार, ज्यादा सवाल करेगा तो इसे चोदने का मौका खो बैठेगा, बहुत गर्म माल है ये, यकीन कर … हमारे लिए ही है!
सन्दीप- पर …
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Hotel Me Group Sex
अब आगे होटल में ग्रुप सेक्स का मजा:
उधर कार्तिक मेरे चूचे दबाता हुआ मुझे चूमने लगा।
मेरे रसीले लब, जैसे होंठ नहीं, शराब के पैमाने बन गए थे, जिन्हें कार्तिक मदहोश होकर पी रहा था।
मोहित- पर … वर … कुछ नहीं, समझो कि ये दीपक सर का नए मैनेजर्स के लिए पहला ऑर्डर है. इसकी चूत और गांड का इस ट्रिप पर चोद चोद के भोसड़ा बनाना है। तू नहीं बनाएगा तो हम सब बनाएंगे, अब बाकी तेरी मर्जी!
यह कह मोहित आगे बढ़ा और राजीव जो मेरी जींस उतारने में शरमा रहा था, उसकी मदद कर मेरी जींस एक झटके में नीचे कर दी।
मैं राजीव, सन्दीप, मोहित और कार्तिक, चारों के सामने नंगी हो गई।
सन्दीप मेरे तराशे हुए जिस्म को बड़े गौर से देख रहा था … मानो अपने पर काबू पाने का प्रयास कर रहा हो।
वह एक जगह कुर्सी पर बैठ गया।
उसने तय किया कि वह इस सब में नहीं पड़ेगा।
राजीव के सामने मेरे उभरे हुए चूतड़ थे।
उसने दोनों चूतड़ों को लपक लिया और खींच कर अलग कर मेरी गांड सूंघने लगा।
मेरा एक हाथ अनायास ही कार्तिक के चुम्बन लेते चेहरे से हटके, पीछे जा राजीव के बालों से खेलने लगा।
कार्तिक ने देर न करते हुए पैंट की जिप खोल अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया।
मैं देख तो नहीं पाई, पर उसने मेरे एक हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया।
मैंने भी बिना शर्माए उसका लौड़ा अपनी हथेली में भर लिया।
राजीव उधर मेरे पीछे से मेरे चूतड़ को चाटने ओर काटने में लगा था।
दोस्तो, दुनिया में तीन तरह के मर्द होते हैं, एक जो औरत के जिस्म में चूचों को उच्चतम अहमियत देते हैं, यही ऐसे मर्द होते हैं जो चूचों को सबसे पहले पकड़ते हैं और उन्हें मसलते हैं, दूध पीते हैं और चूचुक चबाते हैं।
इन मर्दों को मिशनरी या फिर काउबॉय आसन की चुदाई प्रिय होती है जिसमें ये स्त्री के वक्ष को अपने हाथों में पकड़ सके, या चूस सकें। इन्हें औरत अपनी ओर आती हुई भाती है, ये आती हुई औरत में उनके हिलते हुए चूचे और खड़े हुए चूचुक पहले देखते हैं।
दूसरे किस्म के मर्द होते हैं जो औरत के जिस्म में उनके नितम्ब यानि चूतड़ और गांड की गोलाइयों को उच्चतम अहमियत देते हैं। इन्हें गांड पकड़ के चुदाई करना, कुतिया बना के चोदना और गांड मारना बेहद पसंद होता है।
ये औरत को जाता देख सबसे पहले उनकी मटकती हुई गांड देखते हैं और चुम्बन के वक्त भी गांड पकड़ कर चूमते हैं। इन्हें गांड की मोटी मोटी गोलाइयाँ अधिक भाती हैं। इन्हें पीयर शेप को स्त्रियां पसंद होती हैं।
और तीसरे किस्म के मर्द होते हैं, जिन्हें स्त्रियों के जिस्म में ये दोनों ही पसंद नहीं होते, वे समलैंगिक पुरुषों की श्रेणी में आते हैं।
खैर, राजीव और कार्तिक के मेरे जिस्म को टटोलने के तरीके से लग रहा था कि कार्तिक पहले किस्म का मर्द था और राजीव दूसरे किस्म का।
और सन्दीप शायद तीसरे किस्म का मर्द था।
मेरे साथ ये सब होता देख वह टस से मस नहीं हुआ।
मोहित भी पास खड़ा अपना लंड अपनी पतलून के ऊपर से सहला रहा था।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
“मोहित सर, आप क्या अभी भी यहीं हैं, दीपक सर आपको बुला रहे हैं.” बाहर से आवाज आई.
मोहित ने जवाब दिया- अच्छा तुम जाओ … मैं आता हूं।
मन मसोस कर मोहित ने दरवाजे के रुख किया और बाहर चला गया।
अब कार्तिक और राजीव ने मुझे एक दूसरे के बीच जमीन पर बिठा दिया।
राजीव ने भी अपना लंड अपनी पतलून से बाहर निकाल लिया था।
दोनों ने अपने अपने लंड मेरे मुंह के आगे कर दिए।
मैं घुटनों पर बैठी दोनों के लौड़ों को अपने दोनों हाथों की हथेली में दबाए हिला रही थी, अपनी जीभ बाहर निकाल दोनों के सुपारे को चाटती।
मैंने दोनों लौड़ों को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया।
और फिर बारी बारी से दोनों को मुंह में लेकर चूसने लगी।
कभी राजीव का लौड़ा मेरे गले तक जाता, कभी कार्तिक का।
दोनों मेरी चुसाई के मज़े लेते हुए आंखें बंद कर सिसकारियां ले रहे थे- आआह आआ ह्ह्ह आआ आहह क्या चूसती है ये!
वे दोनों ही अपनी अपनी गांड आगे कर लंड जितना ज्यादा अंदर जा सके, उतना अंदर डाल रहे थे।
देखते देखते, मैंने दोनों लौड़े एक साथ मुंह में भर लिए, जैसे दो कुल्फियाँ हों।
और मैं पूरी शिद्दत से दो दो लंड चूसने लगी।
होटल में ग्रुप सेक्स से मेरा मकसद था दोनों को खुश करना ताकि वे मुझे खुश कर सकें।
फिर राजीव ने कार्तिक से कहा- पहले तू ले ले, मैं इसके मुंह में देता हूं।
यह कह कर दोनों ने मुझे सोफा की कमर वाली राइड सीधा कर इस तरह लेटा दिया कि मेरा सिर सोफे के पिछली ओर था और चूत बैठने वाली जगह की ओर।
मेरी गर्दन पीछे की ओर लटकी थी और सब मुझे उल्टा दिख रहा था।
अब राजीव सोफे के पीछे आ गया, मेरे सिर पकड़ कर उसने थोड़ा और नीचे किया और मेरे मुंह में अपना लौड़ा पेल दिया।
उधर सामने से कार्तिक भी मेरी लार में भीगा हुआ अपना लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
मेरी चूत तो पहले ही गीली थी, सुबह से चुद जो रही थी।
धीरे से कार्तिक ने अपना लौड़ा मेरी चूत में सरका दिया।
मेरी अक्सर होती चुदाई के कारण अब चूत में दर्द नहीं होता था, सिर्फ और सिर्फ चुदाई का रस और मज़ा भरा था मेरी चूत में!
मेरी जांघें पकड़ कार्तिक धक्कों के साथ मेरी चुदाई करने लगा।
राजीव भी अपनी ओर से अपना लंड मेरे मुंह में टिकाए हुए मेरा मुखचोदन कर रहा था।
सन्दीप दूर बैठे सब देख रहा था।
मैं समझ नहीं पा रही थी कि सन्दीप को आखिर क्या चीज मेरे पास आने से रोक रही थी।
मेरी इतनी जबरदस्त होती चुदाई देख कोई कैसे रुक सकता है, मुझे चोदे बगैर कोई कैसे रह सकता है।
खैर मैं दो लौड़ों के मज़े लेने में व्यस्त थी।
जल्दी ही कार्तिक ने तेज झटकों के साथ अपना सारा पानी मेरी चूत में गिरा दिया।
मेरी योनि से कार्तिक के माल की धारा बहने लगी।
कार्तिक के हटते ही राजीव ने मुखचोदन बंद कर दिया, वह सामने की तरफ आ गया।
जैसा मैंने सोचा था, राजीव दूसरी किस्म का मर्द था, उसने मुझे सोफा पर उल्टा कर दिया.
अब मेरी ऊंचे उठे मोटे चूतड़ उसके सामने थे।
उसने लगातार तीन चार तमाचे मेरे चूतड़ों पर दे मारे।
सच कहूं दोस्तो, चूतड़ पर तमाचे खाने का जो मज़ा है, वह तो चूचे चुसाई में भी नहीं है।
जब अपने लाल लाल चूतड़ मैं आईने में देखती हूं, तब जाकर लगता है कि मेरी बढ़िया चुदाई हुई है।
खैर राजीव को भी मेरे चूतड़ देखते ही भा गए थे।
उसने मेरी उचकी हुई चूत पर लौड़ा टिकाया और धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा।
मैंने कहा- फाड़ मेरी चूत!
यह सुनते ही राजीव को जोश आ गया और उसने एक जोरदार झटके से अपना साढ़े छह इंच का लौड़ा अंदर पेल दिया।
उसने मेरे कूल्हे हाथ से अलग किए और मेरी गांड में अपना अंगूठा टिका दिया और अब मेरी चूत को ऐसे भेदने लगा जैसे घुड़सवारी कर रहा हो।
कार्तिक तब तक अपना लौड़ा धोकर बाथरूम से बाहर आ गया था।
अब वह सन्दीप के साथ बैठ शराब पीने लगा. वह राजीव और मेरी चुदाई को देख कर मज़े लेने लगा- चोद साली हरामजादी को, साली को 6 लौड़े चाहिए थे, बहन की लोड़ी, पक्की वाली रण्डी है!”
पीछे से कार्तिक राजीव को बढ़ावा देते हुए बोला।
गर्मजोशी में राजीव भी बोल पड़ा- आज तुझे इतना चोदेंगे बहन की लौड़ी कि रोज दीपक की जगह हमसे चुदने आयेगी तू!
मैंने राजीव को ललकारते हुए कहा- दीपक गांड मारते हैं मेरी, तुम मार पाओगे?
इतना सुनते ही राजीव ने लौड़ा चूत से निकाला और सीधा मेरी गांड में पेल दिया।
मैं अचानक हुए हमले से दर्द से सिहर उठी- आह … आराम से!
अब राजीव ने कसकर मेरे चूतड़ थामे और और धक्कम पेली कर मेरी गांड बजाने लगे।
मेरे हिलते हुए बड़े बड़े कूल्हे पच पच की आवाज़ के साथ आगे पीछे हो रहे थे।
“क्यों कैसी रही? दीपक इतने जोश से चोद पाएगा क्या?” राजीव गौरवान्वित हुआ बोला.
“आहह आआ आआह आराम से कर मादरचोद, पूरी रात चोदना है मुझे!” मैं कराह कर बोली.
“क्यों हो गई सारी गर्मी गुल? ये ले हरामजादी चुद!” कहते हुए राजीव ने धक्के तेज कर दिए और मेरी गांड में झड़ने लगा।
आह आ आ आह!
मैं भी गर्म गर्म आहें भरती हुई ‘आह आआ आह आह फाड़ डालो मेरी गांड …’ कहती हुई राजीव के साथ झड़ने लगी।
उसने अपना गर्म गर्म लंड रस मेरी गांड के भीतर छोड़ दिया।
अब मैं सोफे पर निढाल पड़ गई।
राजीव भी अपना लौड़ा धोने बाथरूम में चला गया।
मैं सुस्ताने लगी।
मेरी उठने की हालत नहीं थी।
मुझे यूं ही नंगी लंड रस से भीगी पड़ी छोड़ कार्तिक और राजीव तैयार होकर पार्टी में शामिल होने चले गए।
मैं अब भी अपनी हुई तगड़ी चुदाई से उबर रही थी।
पर मेरी प्यास अब तक शायद नहीं बुझी थी।
जिस्म को चोदना और जी भर प्यार करने में कितना अंतर है, ये तो आप सभी जानते ही होंगे।
मैं इन भूखे मर्दों के बीच एक प्यासी आधी भरी प्याली सी थी कि कोई कब लबों को छू ले और मैं प्यार के अमृत से भर जाऊं।
अब सन्दीप और मैं अकेले थे.
उसने मुझे भी एक शराब का पेग बना कर दिया, बोला- थक गई होगी, क्या मिला इन हरामियों से चुद के?
“इन हरामियों को लगता है, मैं उनसे चुदी, जबकि वे नहीं जानते कि मैंने उनको चोदा.”
मैंने जाम होंठों से लगाते हुए घूंट मुंह में लिया और गटक गई।
देखते ही देखते मैं और सन्दीप छलकते जामों के बीच गहरी होती हुई बातों में खो गए।
सन्दीप ने मुझे बताया कि कैसे उसने अपनी टूटती हुई शादी और कचहरी के चक्करों में खोती अपनी सुखी जीवन की यादों को दबा दिया है।
कचहरी में पति पत्नी के बीच होती इस लड़ाई ने उसके जीवन को इस कदर झकझोर कर रख दिया है कि अब उसकी सभी यौन इच्छाएं मर चुकी हैं. अब औरत का जिस्म, जिंदगी में चल रहे तूफानों से उसका ध्यान नहीं भटकाता।
मैंने भी सन्दीप को बताया कि कैसे दीपक और धीरज की नज़रें मुझ पर पड़ी और कैसे उन दोनों ने मुझे अपने जाल में फंसाया।
हालांकि दोस्तो, मैं खुद भी वासना के समंदर में फैले इस जाल में जाना चाहती थी।
पर मैंने सन्दीप की गहरी होती बातों में थोड़ी और गहराई जोड़नी चाही।
मेरी होटल में ग्रुप सेक्स का मजा कहानी पर आप अपनी राय मुझे मेल और कमेंट्स में भेजते रहें.
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होटल में ग्रुप सेक्स कहानी का अगला भाग: वासना के समुन्दर में प्यार की प्यास- 6