सिमरन को उसने सस्ती रंडी समझ लिया (Bathroom Xxx BDSM Kahani)

बाथरूम Xxx BDSM सेक्स का मजा मैंने लिया एक माल के रेस्ट रूम में यानि टॉयलेट में! मैं मॉल में मस्ती मारने थी। मेरी ड्रेस देखकर एक ठरकी आदमी मुझे रंडी समझ बैठा, कि मैं उसे फांसना चाहती हूं।

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Bathroom Xxx BDSM Kahani

दोस्तो, मैं आपकी बेबी डॉल सिमरन अपनी एक और हॉट बाथरूम Xxx BDSM सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं।

आजकल मुझे हैंडसम और कूल लड़कों को सेक्स में डॉमिनेट करने में मजा आना बंद हो गया है।
क्या आप मानेंगे कि सिमरन को BDSM सेक्स में मजा आना कम हो गया है?
खैर जाने दो, मैं इस सवाल को यहीं ऐसे ही छोड़ रही हूं.

तो एक दिन की बात है कि मैं अपने ऑफिस से लौटी थी और मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था।

मैंने हॉट शावर लिया और ढीले कपड़े पहने ताकि कुछ हल्का महसूस करूं।
लेकिन फिर भी मुझे चैन नहीं आया।

मैंने आज कुछ अलग ही करने की सोची.
और अपना हैंडबैग उठाकर मैं घर से निकल पड़ी।

मैंने बिल्डिंग से नीचे जाने के लिए लिफ्ट भी नहीं ली।
मैं चाहती थी मेरे बदन में थोड़ी गर्मी और पसीना आए.
और इसके लिए सीढियां उतरना सबसे अच्छा तरीका था।

फिर नीचे मेन रोड पर पहुंच कर मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा।

अब मैं एक शिकारी की तरह थी जो अपने शिकार की तलाश में था।
मुझे कुछ खरीदना भी नहीं था लेकिन फिर भी मैं एक मॉल में जा घुसी।

जल्दी से मैं पूरे मॉल में घूम गई लेकिन खरीदने के लिए कुछ भी पसंद नहीं आया।

अपने कॉटन के ट्राउजर को एडजस्ट करते हुए मैंने पाया कि मैंने नीचे से पैंटी तो पहनी ही नहीं थी.

यहां पर मेरे मन में ख्याल आया कि चलो अंडरगार्मेंट्स वाले सेक्शन में ही चलते हैं और कुछ महंगी चड्डियां खरीदते हैं।
वो महंगी कैसे पड़ीं, आगे स्टोरी पढ़ने पर आपको पता चले जाएगा.

मैं महिला अन्तःवस्त्र विभाग में पहुंच गई।
मुझे इस सेक्शन में पहुंचकर बड़ी हंसी आती थी।

औरतें और मर्द (उनके बॉयफ्रेंड या पति) कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड दिखते हैं।
वहीं सेल टीम भी बड़ी खुश दिखती है।

जो लेडी वहां अपनी फ्रेंड्स के साथ, या अकेली आई थीं, उनको क्लियर था कि उन्हें क्या लेना है।
जैसा कि मैंने उस दिन किया.

उन्होंने भी अपनी रोजमर्रा की अंडरगार्मेंट्स खरीदीं।
जिसके बाद वो जल्द वहां से निकल गईं।

तो वहां मैं अपनी चूत के लिए एक आरामदायक फेब्रिक ढूंढ रही थी।

मैं जब वहां घूम रही थी तो देखा कि एक आदमी लगातार मुझे घूर रहा था।
शायद वह मेरी ओर से ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहा था।

जब मैंने उसे मुझे देखते हुए पकड़ लिया तो तब भी वह घबराया नहीं और न ही उसने नजरें बचाने की कोशिश की।
उसकी हवस भरी निगाहें अभी भी मेरे सुडौल बदन पर गड़ीं थीं।

मैंने यहां वहां देखा और पाया कि सब अपने काम में लगे थे।

वह आदमी मर्दों के वेटिंग एरिया में बैठा था.
और उसके साथ कुछ मर्दों का ग्रुप और था जो अपनी ही बातचीत में व्यस्त लग रहे थे।

उनमें से किसी का भी ध्यान उस आदमी पर नहीं था कि कैसे वो लगातार मुझे घूरे जा रहा था।

मैं भी अब बिना कोई हाव-भाव दिखाए उसकी तरफ देखने लगी।
मैंने कुछ पैंटी उठाईं और फिर उन्हें ट्रायल रूम की ओर लेकर चल दी।

वे काफी महंगी थीं लेकिन मैं कौन सा उन्हें खरीदने वाली थी।
लेकिन मैं हैरान हुई कि वो आदमी भी मेरी तरफ आया।

वह इतने आत्मविश्वास के साथ आ रहा था जैसे कि मैं उसे जानती हूं।
आदमी- ये पैंटी खरीदने की बजाए मुझे ही बुला लिया होता रंडी! और क्या पहना है ये तुमने? मैंने लूज कपड़ों के लिए कहा था, न कि कैजुअल कपड़ों के लिए, जो लूज हों!

वहां पर कोई सीन न बन जाए इसलिए उसने मुझे स्माइल दी।
फिर जब उसने अगली बात बोली तो मुझे सारा खेल समझ में आ गया।

उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

आदमी- चलो यहां से निकलते हैं, मैं नहीं चाहता कि तुम्हारा दलाल हमारे साथ आए।

शायद वो सोच रहा था कि मैं कोई रंडी हूं जो मर्दों को यहां फंसाने आई हूं।

लेकिन दोस्तो, अगर कोई सेक्सी लड़की शाम को 7 बजे के बाद दिल्ली की सड़कों पर निकलती है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो धंधे वाली है!

वह आदमी देखने में अच्छा था लेकिन मुझे उसका वो अधिकार जताने वाला बर्ताव पसंद नहीं आ रहा था।
वहीं पर मेरे दिमाग की खुराफात भी चली और मैंने अपना ही प्लान बना डाला।

मैं बोली- नहीं, हम ये पैंटी खरीदे बिना नहीं जा सकते हैं, यह कायदे के खिलाफ है।
आदमी- ओह, तुम मजाक कर रही मुझसे? तुम्हें लगता है कि मैं इसके पैसे दूंगा? फेंको इन्हें, और कार में बैठो। रास्ते में मैं तुम्हें ऐसी जगह उतार दूंगा ताकि तुम्हारा ठीक हो जाएगा।

मैं- देखो, अगर हम लोग बिना कुछ खरीदे यहां से निकले तो स्टोर वालों को हम पर शक होगा। मेरी एजेंसी की लड़कियां यहां पर कई बार अपने क्लाइंट्स से मिलने आती हैं। तुम चिंता मत करो, मेरा दलाल तुम्हें तुम्हारे पैसे लौटा देगा।

मैंने ये इतने शांत और प्यारे अंदाज में कहा कि वह मेरी बात मान गया।

तब मैंने ब्रा और पैंटी का अच्छा कलेक्शन लेकर दिया और बिल काउंटर पर बिल बनवाने के लिए भेजा।

जब वह बिल बनवा रहा था तो मैं फोन पर बात करने का नाटक करती रही।
क्योंकि मैंने उसे बोला था कि मैं अपने दलाल को इस मीटिंग के बारे में बताऊंगी.

उसने बिल चुका दिया और बैग मुझे दे दिया।

वह सोच रहा था कि वो कहां पर मेरी चूत मारेगा, जब मैंने उसका सारा प्लान बिगाड़ ही दिया है।

मैं- सुनो, मुझे वॉशरूम जाना है। यहां पर इंतजार करो, फिर चलते हैं।

आदमी- तुम्हें लगता है कि मैं कल ही पैदा हुआ हूं, छोटा बच्चा हूं? रंडी, कहीं जाने की जरूरत नहीं है। मुंह बंद करके चुपचाप मेरे साथ चलो।
मैं- ठीक है, तो तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारा मजा खराब करूं, तो चलो …

फिर उसने गहरी आह भरी और मुझे वॉशरूम जाने का इशारा किया।
जिस वॉशरूम की ओर उसने इशारा किया था, उससे एग्जिग पॉइंट काफी दूरी पर था।

मैं अंदर गई और इससे पहले कि मैं खुद को शीशे में देखती, वह मेरे साथ आ खड़ा हुआ।

मैं- क्या कर रहे हो मिस्टर? तुम यहां औरतों के वॉशरूम में अंदर कैसे आए?
आदमी- चुप हो जा रंडी, जल्दी से मेरा लंड चूस दे। मैं अपनी सारी गर्मी यहां निकाल देना चाहता हूं ताकि बिस्तर में तुझे लम्बे टाइम तक चोद सकूं।

उसने ऐसे लहजे में कहा जैसे कि पलंगतोड़ सेक्स मेरा इंतजार कर रहा है।
लेकिन मैं जानती थी कि मुझे उसकी गोटियां तोड़ देनी हैं।

मैं चिल्लाते हुए बोली- निकलो यहां से! तुम्हारी यहां आने की हिम्मत कैसे हुई?
आदमी- साली कुतिया … चिल्ला मत! वो पकड़ लेंगे मुझे!

मैं स्थिति का फायदा उठाते हुए- तो फिर अपने घुटनों पर हो लो और वही करो, जैसा मैं कह रही हूं, वरना मैं चिल्लाऊँगी। अब दिखाओ कि तुम मेरे जिस्म के लिए कैसे मरे जा रहे हो। नहीं तो खैर नहीं तुम्हारी!

वह वहीं पर कांपने लगा।
फिर वह अपने घुटनों पर झुक गया और मुझे गु्स्सैल निगाहों से देखा।
मैं- अपने कपड़े उतारो। मैं तुम्हें दिखाती हूं कि दूसरे पर हुक्म कैसे चलाया जाता है।

आदमी- मैंने तुम्हें इस सब के लिए पैसे नहीं दिए हैं। भाड़ में जाओ, मैं यहां से चला!

तो दोस्तो, अगर वह उस वक्त वहां से चला जाता तो मुझे तो कोई परेशानी नहीं होने वाली थी।
लेकिन उसकी बॉडी मुझे पसंद आ गई थी। और मैं उसको सबक भी सिखाना चाहती थी।
इसलिए मैं उसके साथ चुदाई करना चाहती थी।

मैं- देखो डियर, अगर मैं तुम्हें यहां गर्म नहीं करूंगी तो फिर बेड में तुम मुझे कैसे चोदोगे? तो जैसा मैं कह रही हूं वैसा करो। अपने कपड़े उतार दो।

जब वह नंगा हो गया तो मैंने उसे मेरा ट्राउजर भी उतारने को कहा।
उसकी बॉडी चिकनी थी और मेरा जी ललचा रहा था उसे देखकर!
लेकिन मैंने अपनी चुदास पर काबू रखा।

वह मेरी चूत की ओर देख रहा था और उससे रुका नहीं जा रहा था।

वह चाह रहा था कि बस मेरी चूत पर उसका हाथ आ जाए।

उसने एकदम से मेरी गर्म चूत पर हाथ रख दिया जिससे मेरे बदन में सिरहन दौड़ गई।

उसकी उंगलियां काफी सख्त और गर्म थीं जो मेरी चूत में खलबली मचा रही थीं।

मैंने जल्दी से अपनी टांगें भींच लीं और उसके हाथ को थप्पड़ मार दिया।
मैं- कंट्रोल करो … ठरकी कहीं के! जब तक मैं तुम्हारे कंधे पर अपनी गांड को टिकाती हूं, मेरी सॉफ्ट-सॉफ्ट जांघों की मसाज करो।

मैंने उसके सिर को अपनी जांघों के बीच में जकड़ लिया।
उसके कंधों पर मैं बैठ गई जिन पर पसीना आया हुआ था।

उसने मेरे घुटनों पर बैठे हुए ही मेरे वजन को संभाले रखा।
वह मेरे पैरों को सहलाने लगा।

उसने बड़े ही प्यार से मेरे पंजों को सहलाया, मेरी चूत की फांकों को खोलकर देखा, मेरी झांटों को खींचकर सीधा किया।
वह जांघों को पूरा मजा दे रहा था।

मेरी चूत से अब पानी निकलने लगा था।
मैंने चूत के होंठों को उसकी गर्दन और कंधों पर रगड़ना शुरू किया।

मैं देख सकती थी कि उसका लंड एकदम से तन गया था; वो झटके ले रहा था।

किसी तरह मैं पैरों से उसके लंड को दबाकर रगड़ रही थी।
मैंने उसकी बालों भरी छाती को पकड़ लिया और नीचे से उसके लंड को पैर से ही रगड़ती रही।

तब मैंने उसके निप्पलों को भींच दिया जिससे वो एकदम से पागल हो उठा।

मैं- लगता है तुम्हें मेरे ये सब करने में मजा आ रहा है, है न?
आदमी बोला- तुम तो मंझी हुई रंडी लग रही हो!

मैंने उसके निप्पलों को फिर से जोर से भींचते हुए कहा- मुझे मैडम कहो, अभी तुम मेरे रहम पर हो।

आदमी- आउच!
निप्पल भींचने से उसकी चीख निकल गई थी

“हां, मुझे मजा आ रहा है मैडम। मेरी निप्पलों से खेलती रहो। मुझे यह बहुत उत्तेजित कर रहा है। मेरे मन में ख्याल आ रहे हैं कि कैसे कैसे मैं तुम्हें चोद सकता हूं, कैसी तुम्हारी टपकती चूत से प्यार कर सकता हूं।”

मैं- येस … अब अपनी उंगलियों को मेरी गीली चूत पर चलाओ। लेकिन याद रखना, चूत में उंगली नहीं करनी है, सिर्फ चूत के होंठों पर ही फेरनी है।

उसने मेरी चूत की बाहरी त्वचा को सहलाना शुरू कर दिया।
अब मैं अपने मालकिन वाले रूप को बरकरार भी नहीं रख पा रही थी।

मेरी चुदास बढ़ने लगी थी और मन ही मन मैं चाह रही थी कि वह जोर से मेरी चूत में उंगली से चोद डाले।
जितने भी मर्दों के मजे मैंने लिए थे, वे सब इस आदमी के रूप में मुझसे बदला ले रहे थे।
मुझे तड़पाया जा रहा था।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
और उसे भी इस बात की भनक शायद लग गई थी।
अब वह ज्यादा गर्मजोशी पर उतर आया था।
उसने चूत में उंगली अंदर घुसा दी और मैं पागल होने लगी।

उसकी उंगलियां मेरी चूत को अंदर तक खोद रही थीं।
जैसे ही उसने मेरी चूत के दाने को छुआ, मैंने उसे रोक दिया।

मैं उसके कंधे से नीचे उतर आई और अपना ट्राउजर पहन लिया।

मैं- पहले मैं बाहर जाऊंगी, और मॉल के एंट्री गेट पर खड़ी मिलूंगी। तुम पांच मिनट बाद वॉशरूम से बाहर आना। अगर तुम पहले निकले तो फिर मुझे पाने की सोचना भी मत, समझे सूअर?
आदमी- येस मैडम, समझ गया …

उसकी आंखों में गंभीरता दिख रही थी।
शायद वह सोच रहा था कि मैं सच में उसके लिए बाहर इंतजार करने वाली हूं।

मैं निकलने लगी, तब तक भी वो यूं ही नंगा खड़ा था वहां!
मैं जल्दी से मॉल से बाहर निकली और ऑटो ले लिया।

ऑटो में बैठते हुए मेरी जोर से हंसी छूट गई।

अब मुझे उस गधे को सोचकर बार बार हंसी आ रही थी कि कैसे वह मुझे मॉल के कोने कोने में ढूंढ रहा होगा।

लेकिन फिर उस दिन के बाद जब भी मैं उन महंगी पैंटियों को पहनती तो मुझे उसी की याद आ जाती थी।

यह थी एक हवसी मर्द की बाथरूम Xxx BDSM सेक्स कहानी जो मुझे एक रंडी समझ रहा था और सिमरन रांड को पाने की कोशिश कर रहा था।

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