सेक्सी पड़ोसन की गीली चूत चुदाई का मजा (GF Desi Chut Chudai Kahani)

GF देसी चुत चुदाई का मजा मुझे गाँव की एक चालू लड़की ने दिया. मैं उसके साथ वाले घर में किराए पर रहता था. मैं अक्सर उसे देखता था तो हमारी दोस्ती हो गयी.

दोस्तो, मैं आपका दोस्त राहुल देव!

मेरी पिछली कहानी थी:
मामी ने दिया जिस्म का प्यार बेहिसाब
आज मैं फिर से एक नई एवं सच्ची घटना के साथ हाज़िर हूँ.

आप लोगों को लगता होगा कि ये मेरी काल्पनिक रचनाएं हैं, लेकिन विश्वास करें दोस्तो, ऊपर वाले के करम से अभी तक काल्पनिक लिखने की नौबत नहीं आई है.

GF देसी चुत चुदाई की यह बात उन दिनों की है, जब मेरी नौकरी गुजरात के एक ग्रामीण इलाके में लग गयी थी.

जब मैं वहां ज्वाइन करने के लिए जा रहा था तो मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे क्योंकि मुझे लग रहा था कि उस गांव में मुझे क्या ही मिलेगा?

मैं अपनी जवानी को बिल्कुल ख़त्म मान चुका था लेकिन मेरे हालात इतने अच्छे नहीं थे कि मैं इस नौकरी को मना कर पाता.

शायद किस्मत मेरे लिए कुछ अलग की इबारत लिख रही थी और मुझे ये बिल्कुल भी नहीं पता था कि जहां मैं जा रहा हूँ, वह जगह मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं होने वाली थी.

मैं जहां रहता था, वह एक पहाड़ी इलाका था.
असली वाले पहाड़ नहीं, मिट्टी के पहाड़. मेरा घर थोड़ा उंचाई पर था.

साथ वाले घर में एक लड़की रहती थी; नाम था निशा.

वह दिखने में एकदम बवाल थी, लेकिन मैंने उसके किस्से भी बहुत सुने हुए थे कि चाल चलन से अच्छी नहीं है.

लेकिन मुझे किसी के चाल चलन से कभी कोई मतलब रहा ही नहीं था.

अपना तो सीधा सा हिसाब है, जो देखने लायक हो … उसे देखो और जो चोदने लायक है, उसे चोदो.
मेरी इस बाद वाली लाइन का मतलब भी आपको आगे आने वाली कहानियों में समझ आ जाएगा.

निशा से मेरी बातचीत और हमारी चुदाई की कहानी आप लोगों को तब तक समझ नहीं आएगी जब तक हम दोनों के घरों की भौतिक दिशा का ज्ञान आप लोगों को नहीं होगा.

चूँकि हम दोनों के घर एक पहाड़ी की तलहटी में रहते थे, तो थोड़ा ऊंचा नीचा होना लाजिमी था.
घर की जगह ऐसी थी कि मेरे कमरे की खिड़की और उसकी छत दोनों का लगभग एक ही स्तर था, उसकी छत का स्तर बस थोड़ा सा ही ऊंचा होगा.

मेरा घर मैंने किराये पर लिया हुआ था. ये लगभग 250 गज में बना हुआ था और बड़े से आंगन के साथ घर के तीन साइड गैलरी हुआ करती थी, जो हवा की आवा-जाही के लिए समुचित थी.

मेरे बेडरूम की खिड़की के बाद एक चार फीट का गलियारा था और उसके बाद एक पांच फीट की बाउंड्रीवाल थी.
उसके बाद से निशा के घर की हद शुरू होती थी और वहां भी बाउंड्रीवाल के बाद चार फिट से उनका घर शुरू होता था.

यदि मैं गलियारे में अपनी बाउंड्रीवाल पर खड़ा हो जाता था तो उंचाई के चलते निशा के कमरे में आसानी से देख सकता था क्योंकि वहां से दोनों कमरों का रोशनदान, खिड़की और एक कमरे का पीछे का दरवाजा … ये तीनों उनके घर में रात को तांक झांक करने के लिए मेरे बहुत काम आते थे.

निशा को मैं बहुत दिनों से छुप छुप कर देखा करता था लेकिन कभी बातें करने की हिम्मत नहीं की.
क्योंकि मैं उसे जब भी देखता था, वह फोन पर मादरचोद, बहनचोद वाली गलियां देती रहती थी.

एक दिन वह मुझे अपनी छत से बाउंड्रीवाल के सहारे सहारे अपने घर के गलियारे में उतरती दिखाई दी.
क्योंकि उसकी मम्मी कमरे को अन्दर से बंद करके सो गयी थीं और वे दरवाजा नहीं खोल रही थीं.
शायद इसी कारण से निशा ने पीछे वाले दरवाजे से अन्दर जाने का सोचा था.

वह उस समय भी किसी से फोन पर बात कर रही थी और मैं उस समय अपनी खिड़की से बाहर देख रहा था.
मैंने उससे कहा- संभल कर, गिर जाओगी!

उसने मुझे देखा और फोन पर बोली- पड़ोस के लड़के तक को मेरी फिक्र है, बस तुम्हें नहीं है. अब रख फोन!

उसके बाद हमारी ऐसी ही बातें होने लगीं.
वह अपने छत पर और मैं अपनी खिड़की में.

धीरे धीरे हमारी बातें फोन पर भी होने लगीं.

वह अपने मम्मी पापा के साथ रहती थी और जैसा कि मैंने बताया कि मेरा घर उंचाई पर था और मैं उनके कमरों में पूरी तांक झांक आसानी से कर लेता था.
तो मैंने कई बार उसके बाप को उसकी मां की चुदाई करते हुए देखा था.

कई बार खुद निशा को कमरे में कपड़े बदलते हुए भी देखा हुआ था.
संक्षेप में कहूँ तो निशा को पहले से ही नंगी देख चुका था.

उसके 34 इंच के एकदम टाइट बूब्स थे और गांड तो ऐसी कि देखते ही बजाने का मन करने लगता था.

एक दिन हम दोनों फोन पर बातें कर रहे थे तो उसने बताया कि उसके मम्मी पापा आज मुंबई गए हुए हैं और वह घर पर अकेली है.

मैंने ऐसे ही चांस लेने की कोशिश करने के हिसाब से पूछा कि डर तो नहीं लग रहा है? वर्ना मैं आज तुम्हारे घर आ जाता हूँ. तुमको अगर रात को डर लगता हो तो!
उसने कहा- हां, आ जाओ.

मैंने कहा- कोई देख लेगा!
तो वह बोली- दीवार कूद कर आ जाना रात को … किसी को नहीं पता चलेगा.

पता नहीं मुझमें कहां से हिम्मत आई.
मैंने 4 कंडोम अपनी जेब में रखे; फोन घर पर ही छोड़ दिया और रात को दीवार से कूद कर उसके घर जा पंहुचा.

कंडोम एहतियात के लिए रखे थे और फोन इसलिए छोड़ा ताकि तस्वीरें लेने की या वीडियो बनाने की सोचूं भी ना.
क्योंकि वह लड़की बहुत तेज थी.

यदि मैं गलती से भी कुछ बना लेता तो मुझसे मांग कर मुझे ही ब्लैकमेल करती.
इतना तो मैंने उसके बारे में सुना हुआ था.

यार सच बताऊं तो मेरी गांड फट रही थी क्योंकि मैं वहां किराये पर रहता था और मेरी उधर बहुत अच्छी इमेज थी.
ऊपर से मैं जॉब करता था तो आस पड़ोस में सब पहचानते थे.

मैं उस रात कांड करने पहुंच गया था.
गलती से भी किसी को पता चल जाता तो इज्ज़त और नौकरी दोनों जाती.

लेकिन जब दिल और दिमाग दोनों में चूत घूम रही हो, तो अपनी गांड का फटना किसे दिखाई देता है.

अब हम दोनों साथ में उसके मम्मी पापा वाले कमरे में थे.
मैं जीवन में पहली बार झिझक रहा था क्योंकि ये सब एकदम अचानक से हुआ था.

हमने अभी तक नॉनवेज जोक्स तक आपस में शेयर नहीं किए थे.

फिर मैंने थोड़ा खुद को शांत करने को और अपने लिए मौका बनाने को उससे कहा- अपना रूम दिखाओ मुझे!
वह अपने कमरे में ले गई.

मैंने कहा- मुझे तेरी अलमारी देखनी है.
इससे पहले वह कुछ समझ पाती कि मैंने खुद आगे जाकर उसकी अलमारी खोल ली, जो चाहिए था वह सामने ही था.

मैंने उसकी अलमारी से एक ब्रा और एक पैंटी उठा ली.

वह कहने लगी- ये क्या कर रहे हो? इनका क्या करोगे?
मैंने कहा- मैं इनके साथ खेलूंगा.

वह हंसने लगी और बोली- तो इसके लिए अलमारी तक क्यों जाना था, वह तो मैंने पहनी ही हुई थी. मुझसे कह देते.

अब मैं तैयार था क्योंकि अभी तक कन्फर्म नहीं था कि लड़की ने चुदवाने को बुलाया था या बस बातें करने को.
उसकी बात सुनते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.

वह हंस कर बोली- वैसे तो बड़ा शरीफ बनकर घूमते हो. मुझे कितने टाइम से इग्नोर करते आ रहे थे … और आज रुका भी नहीं जा रहा?
मैंने कहा- तुम गालियां इतनी ज्यादा देती हो कि मेरी पहले से फटी रहती थी.

वह बोली- वह तो उनको देती थी, जो फोन पर गंदी गंदी बातें करते हुए कुछ कुछ उल्टा-सीधा बोलते रहते थे.

उसके बाद हम दोनों बातें करने लगे और बहुत देर हो गई थी.
अब काम करने की बारी थी.

शुरूआत आंखों में आंखें डालकर बातें करने से हुई.
मैं उस रात को थोड़ा रोमांटिक बनाना चाहता था क्योंकि तब तक गुजरात में मुझे बस अपने से बड़ी उम्र की महिलायें ही मिली थीं और उनके साथ बस चूत चुदाई तक ही मतलब रहा था.

लेकिन निशा मेरी हमउम्र थी और मैं इस रिश्ते को थोड़ा लम्बा चलाने के मूड में था.

वैसे भी अगले दिन ऑफिस की छुट्टी थी और मैं कंडोम भी 4 लाया था तो मैं पूरी रात को इस्तेमाल करने के मूड में था.

मैंने आए बढ़ कर उसे किस करना शुरू किया और 5 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा.

उसका मेरा पूरा साथ देना ये बता रहा था कि उसके पास मुझसे ज्यादा अनुभव है … और जो किस्से मैंने सुने थे, वे एकदम सही थे.

अब तक मैंने उसका टॉप उतार कर एक ओर रख दिया था.

उसने अन्दर एक स्किन कलर की नॉनपैडेड ब्रा पहनी हुई थी जिससे उसकी चूचियों ने पूरी शेप ली हुई थी.

मैंने पहले भी छुप छुप कर उसकी चूचियां देखी थीं लेकिन सामने से देखने का मजा ही कुछ और होता है … और वह भी तब, जब आप कुछ ही देर में उनका रस निचोड़ने वाले हो.
फिर मैंने उसकी ब्रा भी हटा कर साइड में कर दी.

इस बीच हमारा चूमने वाला सिलसिला लगातार चालू था.
ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों ही बहुत दिनों से एक दूसरे को पाना चाहते थे.

मैंने सोचा था कि आज सब कुछ बहुत आराम से करूंगा लेकिन उसकी चूचियां देख कर अब मेरा खुद पर से कंट्रोल छूट चुका था.

उसे मैंने दीवार के सहारे लगाया और पास ही पड़ा एक स्टूल खींचकर बैठ गया.

स्टूल की ऊंचाई एकदम सही थी क्योंकि मेरा मुँह बिल्कुल उसकी चूचियों की ऊंचाई तक पहुंचा हुआ था और मैं अब बिना किसी ख़ास मेहनत के उसकी चूचियों को खाए जा रहा था.

वह भी पागल हो रही थी और अपने दोनों हाथों से मेरे बालों को नोच रही थी.

मेरे हाथ उसके जिस्म से फिसलते हुए उसकी चूत तक जा पहुंचे, जहां का तापमान किसी भट्टी से कम नहीं था.

मैंने एक उंगली से शुरू करते हुए अपनी तीन उंगलियां उसकी चूत में घुसा दीं और अन्दर बाहर करने लगा.

वह चरम सीमा पर थी, उसने मुझे स्टूल से धक्का देकर नीचे गिरा दिया और अपनी चूत को लाकर सीधा मेरे मुँह पर रख दिया.

मैं तो कब से इसी पल के इंतजार में था … मैंने पूरी ताकत से जीभ को उसकी चूत में अन्दर तक धकेलना शुरू कर दिया और उंगलियों से उसकी गहराई नापने लगा.
उससे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

वह कराह कर बोली- बेड पर चलो.

मैं बेड पर जाकर लेट गया और वह मेरे ऊपर आकर बैठ गयी.
उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर सैट किया और एक झटके से पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया.

ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाया.
वह पूरी तेज़ी से मेरे लौड़े पर ऊपर नीचे होने लगी.

उसकी स्पीड देखकर मुझे लगा कि आज बेइज्जती होनी तय है क्योंकि न तो उसने कंडोम लगाने का मौका दिया … और दूसरा जिस स्पीड से वह अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी, उतनी स्पीड से मेरा ज्यादा देर तक टिक पाना मुमकिन नहीं था.

लेकिन मुझे अचम्भा तब हुआ, जब वह एक झटके के साथ झड़ती हुई मेरे ऊपर लेट गयी.

मैंने उससे पूछा- क्या तेरा हो गया?
उसने बताया- मेरी देसी चूत तो लंड अन्दर लेते ही झड़ने को तैयार रहती है.

मुझे सुनकर अजीब लगा और अच्छा भी लगा क्योंकि औरत को शांत करने में बड़ी मेहनत लगती हैं.
इधर वह शांत हो चुकी थी.

अब मैंने अपना खेल शुरू करते हुए कंडोम लगाया और GF की देसी चूत को चोदना शुरू किया.
इस बीच मैंने नोटिस किया कि वह हर 30 या 40 धक्कों पर झड़ जा रही थी.

रात के अँधेरे में उसकी आवाज गूँज रही थी.
वह जब भी झड़ती तो जोर जोर से हंसती हुई मेरी हौसला अफजाई करती.

मेरे लिए यह पहली बार था कि मैं एक ऐसी लड़की को चोद रहा था जिसे हम मर्दों की तरह शीघ्र पतन दोष कहते हैं.

उस रात मैंने अपने चारों कंडोम इस्तेमाल किए और वह झड़ झड़ कर निढाल हो चुकी थी.

मैं उस दिन एक जवान चूत का इस कदर पानी निचोड़ कर बहुत खुश था.

हम अगले तीन रातों तक इसी तरह मजे करते रहे.

दोस्तो इसके बाद की बातें मैं फिर कभी लिखूँगा.

मेरी GF देसी चुत चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके अवश्य बताएं.
[email protected]

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