हवेली का चौकीदार- 3 (Xxx Naukar Sex Kahani)

Xxx नौकर सेक्स कहानी में पढ़ें कि अपनी हवेली के जवान चौकीदार को देखकर मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मैंने उससे चुदाई करने का मन बना लिया था. यह सब कैसे हुआ?

कहानी के दूसरे भाग
चौकीदार और गाँव की भाभी की चुदाई लाइव देखी
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी हवेली के जवान चौकीदार राजू और पड़ोसन सीमा भाभी की चूत चुदाई का नजारा अपनी आँखों से देखा.
उन दोनों की जबरदस्त चुदाई देख अब मेरे मन में भी राजू से चुदने की वासना और बढ़ गई थी।

यह कहानी सुनें.

Xxx Naukar Sex Kahani

अब आगे Xxx नौकर सेक्स कहानी:

अगली सुबह मैं फिर से पेटीकोट में ही राजू के पास गई।
राजू ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच कर मुझे पीछे से जकड़ लिया।

मैं छुड़वाने का नाटक कर रही थी लेकिन मेरे दिल में भी चोर था इसलिए मैं जोर नहीं लगा रही थी।

राजू ने मेरे पेटिकोट की डोर पर हाथ रखा और उसे खींच दिया।
मेरा पेटीकोट ढीला हो कर गिरने वाला ही था कि मैंने संभाल लिया।

मैं बोली- मुझे जाने दो राजू, मुझे नहाना है।
राजू ने कहा- भौजी, कहो तो आज हम नहला दें।
मैंने कहा- धत बेशर्म, किसी को पता चल गया तो भैया तेरी हड्डी पसली तुड़वा देंगे। ठकुराइन को छेड़ोगे तो ठाकुर साहब बहुत पीटेंगे तुझे!

राजू ने कहा- क्या भौजाई, ठकुराइन हो तो हुक्म न चलाओ … कहीं ऐसा न हो कि कोई चोर ठकुराइन की तिजोरी लूट कर ले जाए।
मैं बोली- ऐसे कैसे लूट लेगा, डंडे मार मार कर उसे सीधा कर दूंगी।

राजू बोला- ठीक है ठकुराइन, आज तैयार रहना, चोर आयेगा तुम्हारी तिजोरी लूटने, रात 10 बजे।

मैं उसका संकेत समझ गई थी और फिर मैं मुस्कुरा कर अंदर नहाने चली गई।

रात को 8 बजे मैंने फिर से स्नान किया और फिर भोजन कर के 10 बजने का इंतज़ार करने लगी।
10 बजे तो मैं बहुत बेसब्री से राजू का इन्तज़ार करने लगी।

राजू पीछे की दीवार से छत पर चढ़ गया और सामान खिसकाने लगा जिसकी आवाज मुझे आ रही थी।

मैं समझ गई कि राजू है इसलिए मैंने टॉर्च ली और छत पर चढ़ गई।

तब मैं धीरे धीरे बोल रही थी और हंसती भी जा रही थी- कौन है, जल्दी से सामने आ जाओ. वरना ठाकुर साहब से शिकायत कर दूंगी।
मैंने आज भी साड़ी नहीं पहनी हुई थी।

तभी राजू पीछे से आया और मेरी कमर से लिपट गया।
फिर बनावटी अंदाज में बोला- चोर आया है ठकुराइन और आज ये सब कुछ लूट कर ले जायेगा।

मैं हंस पड़ी और राजू से लिपट गई।
राजू ने मुझे गोद में उठा लिया और छत पर बनी कोठरी में ले आया।

कोठरी में एक लकड़ी का तख्त था और कुछ बिस्तर रखे हुए थे।
रोशनी के लिए एक दिया जल रहा था।

राजू ने मुझे तख्त पर बिठा दिया और फिर जाकर दरवाजे की चिटकनी लगाई।
मैं भी उत्तेजित हो गई थी इसलिए वो जैसे ही मेरी तरफ मुड़ा मैं जाकर उसके गले से लग गई।

राजू ने मेरे गाल पर हाथ रख दिए और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा।
‘उउम्ह उउम्ह’ की आवाज पूरे कमरे में गूंज उठी।

मैं आज राजू का पूरा साथ दे रही थी और मैंने उसके पजामे के ऊपर से ही उसके हथियार को सहलाना शुरू कर दिया।

अब मैंने उसका लिंग हाथ में ले लिया तो मुझे करन्ट सा लगा और मेरी आँखें खुल गईं।
इस पर राजू ने पूछा- क्या हुआ, डरती क्यों हो भौजाई, मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा जिससे तुम्हें तकलीफ़ हो।

राजू मेरे पास आया और मुस्कुराते हुए कहा- मुझे लगा तुम मेरे लिंग का आकार देख कर भयभीत हो गई हो भौजी!
और वह जोर-जोर से हँसने लगा।

फ़िर मैंने उससे कहा- ऐसी बात नहीं है!
पर उसके लिंग का आकार को देख कर मुझे जरा भय तो लगा क्योंकी उसका लिंग काफी लम्बा था।

अब हम फ़िर से एक-दूसरे की बांहों में खोकर प्यार करने लगे।
मैं पूरी तरह से गर्म और गीली हो चुकी थी और राजू के लिंग में भी काफ़ी तनाव आ गया था।

राजू ने मुझसे कहा- भौजी, अब और नहीं रहा जाता, मैं जल्द से जल्द आपकी चुदाई करना चाहता हूँ।
मैंने भी सिर हिला कर उसको इशारे से ‘हाँ’ कह दिया।
मेरे अन्दर चिंगारी जल रही थी और मैं भी जल्द शांत होना चाह रही थी।

अब उसने एक तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया और मेरी जाँघों के बीच आ गया और मेरे पैरों को फ़ैला कर मेरे ऊपर लेट गया।

उसका लिंग मेरी योनि से स्पर्श कर रहा था.
उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मैंने भी उसे जकड़ लिया।

राजू ने मुझसे पूछा- क्या तुम तैयार हो?
मैंने भी हाँ में जवाब दिया।

अब राजू अपने लिंग को मेरी योनि में घुसाने की कोशिश करने लगा पर जब भी वह करता, लिंग फ़िसल जाता।

तब उसने मुझे सहयोग करने को कहा।
अब मैंने उसके लिंग को हाथ से योनि के ऊपर रखा और राजू से जोर लगाने को कहा।

उसका लिंग मेरी योनि में घुसता चला गया और मुझे हल्का सा दर्द हुआ, मैं सिसक गई।
यह देख कर राजू ने मुझे चूम लिया।

शायद वह भी जानता था कि यह सुख की सिसकी है.
और धीरे-धीरे वह जोर लगाता रहा।

हर जोर पर मैं सिसक जाती, मुझे तकलीफ़ जरूर हो रही थी पर वासना के आगे कुछ नहीं दिखता।

मैं बर्दाश्त करती रही, जब तक उसका पूरा लिंग मेरी योनि में समा न गया।

मैंने एक दो बार उसको भी देखा, शायद उसे भी तकलीफ़ हो रही थी क्योंकि मेरी योनि उसके लिये तंग लग रही थी।

अब हमने एक-दूसरे को कस लिया और फ़िर उसने एक बार फ़िर जोर लगाया।
इस बार उसका समूचा लिंग अन्दर समा गया और मेरी सिसकारी इस बार जरा जोर से निकली।

राजू बोला- क्या हुआ भौजाई … तुम्हें दर्द हो रहा है?
मैंने बस सिर हिला कर ‘ना’ में जवाब देते हुए कहा- अब देर न करो … मैं तुम्हारे नीचे आ गई हूं!

दर्द तो मुझे हो रहा था, पर जानती थी कि कुछ ही पलों में यह गायब हो जायेगा तो मैंने उसे जल्द धक्के लगाने को कहा।
उसका लिंग की ठोकर मेरी बच्चेदानी में लग रही थी जिससे मुझे हल्का दर्द तो हो रहा था.

पर उसके गर्म लिंग के सुखद अहसास के आगे ये सब कुछ नहीं था।

उसने सम्भोग की प्रकिया को शुरू कर दिया.
पहले धीरे-धीरे धक्के लगाए, फ़िर उनकी रफ़्तार तेज हो गई।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था; बहुत मजा आ रहा था।
मेरी योनि में जितना अधिक धक्के लगते, उतनी ही गीली हो रही थी।

मैं राजू को पूरी ताकत से अपनी बांहों और पैरों से कस चुकी थी और उसने भी मुझे जकड़ा हुआ था।
ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों एक-दूसरे में आज समा जायेंगे।

राजू धक्कों के साथ मुझे चूमता चूसता, कभी मेरे स्तनों से दूध पीने लगता और मैं भी उसे उसी तरह चूसने और चूमने लगी।
मेरे अन्दर हलचल सी मची थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

तभी राजू ने कहा- भौजाई कैसा लग रहा है, कोई तकलीफ़ तो नहीं हो रही तुम्हें?

मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसके सिर से पसीना आ रहा था।
मुझे उसके चेहरे पर एक सन्तोष और खुशी नजर आई जो मेरी वजह से थी।
वह हांफ रहा था।

उसने प्यार से मुझे पूछा तो मैंने भी कहा- नहीं कोई तकलीफ़ नहीं है और मुझे बहुत मजा आ रहा है, बस रुकना मत!
यह सुन उसने एक धक्का दिया और मुझसे चिपक कर मेरे मुँह से अपने मुँह को लगा दिया।

अब राजू धक्के नहीं बल्कि अपने लिंग को मेरी योनि में पूरा घुसा कर अपनी कमर को घुमाने लगा।

हम एक-दूसरे के होंठों और जुबान चूसने लगे, साथ ही अपनी-अपनी कमर घुमाने लगे।
मैं समझ गई थी कि राजू थक गया है इसलिए ऐसा कर रहा है पर मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा था।

उसके लिंग को मैं अपने बच्चेदानी में महसूस कर रही थी, जिससे मुझे एक अलग तरह का मजा आ रहा था।

हल्का दर्द होता था, पर वह भी किसी मजे से कम नहीं था इसलिए मैं बस उसका आनन्द लेती रही।

उसकी सांसें जब कुछ सामान्य हुईं तो फ़िर से धक्के लगाने लगा।

कुछ ही देर में मेरा बदन सख्त होने लगा, तब उसने धक्के लगाने बन्द कर दिए।
वह समझ गया कि मैं स्खलित होने वाली हूँ पर शायद वो ऐसा नहीं चाहता था।
तब मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?

राजू ने मुझसे कहा- इतनी जल्दी नहीं!
मैं यह भूल गई थी कि वो गांव की कई भाभियों को चोद चुका है।

अब उसने मेरी कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ, अपना पैर मेरी कमर से भींचे रखो और लंड को बाहर न आने देना।

मेरे लिए ये एक अलग तरह का अनुभव था।

अब हमने अपनी अवस्था बदली, मैं उसके ऊपर थी, उसी वक्त मेरा ध्यान तकिये पर गया मेरी चूत से निकले पानी से उसका खोल भीग गया था पर उसे दरकिनार कर अपने सम्भोग में ध्यान लगाने लगी।

मैं राजू के ऊपर लेट गई और उसके सीने पर हाथ रख दिया।
राजू ने मेरी कमर पर हाथ रख दिया और मैं अब धक्के लगाने लगी।

हमारी मस्ती अब आसमान में थी।

उसके लिंग का स्पर्श मुझे पागल किए जा रहा था। जब उसका लिंग अन्दर-बाहर होता तो मैं उसके लिंग के ऊपर की चर्म को अपनी योनि की दीवारों पर महसूस कर रही थी।

कुछ देर के बाद मेरी भी सांसें फूलने लगीं, मैं भी थक गई थी।
राजू इस बात को समझ गया और कहा- भौजाई, तुम भी अब थक गई हो, अब तुम अपने शरीर को ऊपर करो।
मैंने वैसा ही किया।

अब राजू ने अपने हाथ मेरी कमर पर रखा और कहा- तुम अपनी कमर को ऐसे घुमाओ जैसे तुम मेरे लंड से रस निचोड़ रही हो।
मैं वैसा ही करने लगी।

सच में क्या गजब का मजा आ रहा था।
मेरी बच्चेदानी से जैसे उनका लिंग चिपक गया हो, ऐसा लग रहा था।

करीब दस मिनट तक मैं वैसे ही मजे लेती रही।

आखिरकार मेरा सब्र जवाब देने लगा, मेरा शरीर अकड़ने लगा, अब मैं स्खलित होने वाली थी।

पर राजू नहीं चाहता था कि मैं अभी स्खलित होऊँ।
इसलिए उसने मुझसे कहा- अभी नहीं … इतनी जल्दी … हम साथ में होगें, खुद पर काबू करो ठकुराइन!

पर अब मुझसे ये नहीं होने वाला था।
उसने मुझे तुरन्त नीचे उतार दिया और अपना लिंग बाहर निकाल दिया।

अब मैं बेकाबू सी होने लगी और उससे विनती करने लगी- राजू प्लीज़, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, मैं जल्द से जल्द झड़ना चाहती हूँ!
राजू ने कहा- इतनी जल्दी नहीं … कुछ देर और करते हैं, जब तक ये न लगे कि हमारा शरीर पूरी तरह जवाब न दे जाए!

मैंने दोबारा विनती की- प्लीज़ … अब मैं और इस आग में नहीं जल सकती, मेरी आग को शान्त करो। मैं झड़ जाना चाहती हूँ!

उसने मेरी विनती सुन ली और अपने लिंग को हाथ से कुछ देर सहलाने के बाद मेरे ऊपर आ गया।

अब उसने मेरे पैरों को फ़ैलाया और बीच में आ गया।
मैं तो पहले से ही व्याकुल थी तो मैंने बिना देर किए उसके गले में हाथ दे दिया और कस लिया।

उसने अपने लिंग को हाथ से मेरी योनि पर रख कर जोर दिया, लिंग अन्दर चला गया।
मैं सिसक गई।

फ़िर उसने मुझे चूमा और धक्के लगाने लगा और कहा- भौजाई, मैं चाह रहा था कि तुम इस पल को पूरी तरह मजा लो, पर तुम मेरा साथ नहीं दे रही!
मैंने जवाब दिया- मुझे बहुत मजा आ रहा है, बस अब मैं चरम सुख चाहती हूँ!

उसने कहा- अगर तुम मुझसे पहले झड़ गई तो मेरा क्या होगा?
मैंने जवाब दिया- मैं साथ दूँगी, जब तक तुम झड़ नहीं जाते!

यह सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और धक्कों की गति तेज़ होने लगी।

अब मैं ज्यादा दूर नहीं थी, मेरे मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
हम दोनों के मुँह आपस में एक हो गए, एक-दूसरे की जुबान से हम खेलने लगे और नीचे हमारे लिंग और योनि का खेल चल रहा था।

मैंने महसूस किया कि राजू का शरीर भी अब अकड़ने लगा है, मैं समझ गई कि अब वो भी चरमसुख से दूर नहीं है।

उसके धक्के लगातार तेज़ और पहले से कहीं अधिक दमदार होते जा रहे थे, उसने अपने शरीर का पूरा जोर मुझ पर लगा दिया और मैंने भी उस पर अपना शरीर चिपका दिया।

हमारी साँसें तेज होने लगीं, हम हांफ़ने लगे थे।

तभी मुझे ख्याल आया कि राजू ने कंडोम नहीं लगाया है।

इससे पहले मैं कुछ कह पाती, मेरे शरीर ने आग उगलना शुरू कर दिया।
मैं जोरों से अपनी कमर को ऊपर उछालने लगी.

तभी राजू ने भी पूरा जोर मुझ पर लगा दिया।

Xxx नौकर सेक्स करती हुई मैं झड़ गई और कुछ जोरदार धक्कों के बाद राजू भी स्खलित हो गया, उसके गर्म वीर्य को मैंने अपने अन्दर महसूस किया।
हम दोनों थक कर ऐसे ही कुछ देर लम्बी सांसें लेते हुए पड़े रहे।

कुछ देर बाद राजू मुझसे अलग हुआ, मैंने देखा उनका लिंग सफ़ेद झाग में लिपटा हुआ था जो मेरी योनि से बह रहा था।

उसके चेहरे पर सन्तोष और खुशी थी।

उसने अपना लिंग और मेरी योनि को मेरे पेटिकोट से साफ़ किया और मेरे बगल में लेट गया।
हम कुछ देर बातें करते रहे और अब हम खुल कर बातें कर रहे थे।

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