अकेलेपन की शिकार इंडियन भाभी (Akelepan Ki Shikar Indian Bhabhi)

हाय फ्रेंड्स.. मेरा नाम सूरज है.. मैं पुणे (महाराष्ट्र) से हूँ। मेरी उम्र 24 साल है और मैं एकदम फिट और फाइन हूँ।

दोस्तो, यह कोई झूठी गप्प नहीं है, यह बात आज से 8 महीने पहले की है.. एक बार हम सभी दोस्त ऐसे ही पूना सिटी के एफसी रोड के एरिया में घूम रहे थे.. मुझे पुणे सिटी में अपने फ्रेण्डस के साथ घूमना और एंजाय करना बहुत पसंद है।

तभी मैंने एक खूबसूरत लड़की देखी और बस.. मैं उसे देखता ही रह गया।
वो गोरे-गोरे गाल.. रेशमी बाल.. उसके होंठ कटरीना जैसे.. कमर की लचकन तो लाजवाब थी.. और उसके मम्मे एकदम मस्त.. गोल-गोल 36 साइज़ के.. वो उस वक्त साड़ी पहने हुए थी।

साड़ी में उसकी चिकनी-चिकनी कमर भी.. आहह.. मैं तो बस उसे देखता ही रह गया..
उसने भी मुझे तिरछी नजरों से देखा और मुझे घायल करके चली गई।

मैंने आज तक इतनी बार लड़कियों और आंटियों के साथ सेक्स किया है.. लेकिन ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी।

यारो, तब से 3 दिनों तक उसका चेहरा.. वो नशीला जिस्म.. मेरी नजरों के सामने से नहीं जा रहा था।
ऐसे ही फिर 4 दिन में अपने घर के बाहर अपनी बाइक साफ़ कर रहा था कि अचानक से वही लड़की मुझे सामने से आती दिखाई दी।

मैंने उसे देखा और वो अपने कदम बढ़ाते हुए मेरे पास आई और मुझसे ही किसी शॉप का पता पूछने लगी.. तो मैंने उसे बताया और बस उसको देखता ही रहा। मुझे पता ही नहीं चला कि वो कब चली गई।

जब घर के अन्दर से मम्मी की आवाज़ आई.. तब जैसे मैं होश में आया।

मैंने फिर उसका पीछा किया.. तो वो एक शॉप से सामान लेकर घर जा रही थी और वो जहाँ जा रही थी.. वहीं मेरा भी घर है। फिर वो जिस बिल्डिंग में गई.. तब तो मेरी हालत और खराब हुई क्योंकि मैं भी उसी बिल्डिंग में दूसरे फ्लोर पर रहता हूँ।

मैं बहुत खुश हुआ.. फिर मैंने बाहर घूमना भी कम कर दिया और घर के पास ही टहलता रहता था कि कहीं मुझे दिख जाए या मिल जाए।

एक दिन ऐसे ही मैं अपने बिल्डिंग की छत पर खड़ा कुछ सोच रहा था कि तभी वो वहाँ सूखे कपड़े रस्सी पर से उतारने के लिए आई।
मैंने उसे देखा तो वो मेरे पास आई और बोली- थैंक्स.. उस दिन तुमसे अड्रेस पूछने के बाद बोलना भूल गई थी.. मैं भी इसी बिल्डिंग में 8 वें फ्लोर पर रहती हूँ।
मैंने जवाब में कहा- कोई बात नहीं..

पहल उसने ही की और उसने मुझे खुद से कहा- तुम्हारा नाम सूरज है ना?
‘हाँ..’
उसने कहा- बिल्डिंग की लेडीज जब भी आपस में बात करती हैं.. तो तुम्हारा नाम सुनने को मिलता है.. उस दिन जब तुम बाइक साफ़ कर रहे थे.. तो मुझे अड्रेस जानना था। मैंने पड़ोस वाली भाभी से पूछा.. तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता और फिर तभी खिड़की से उन्होंने तुम्हें देखा और कहा कि वो नीचे सूरज है.. उससे पूछ लो वो तुम्हें सही बता देगा.. इसलिए मैं तुम्हारे पास आ गई थी।

मैंने कहा- अच्छा.. तभी मैं सोचूँ कि आप सीधा मेरे पास कैसे आईं.. चलो अच्छा हुआ भाभी ने आपको मेरा नाम बता दिया.. पर मैं आपको किस नाम से बुलाऊँ?

उसने कहा- मेरी तो शादी हो गई है.. तो भाभी बोल कर बुला देना।
मैंने कहा- फिर भी भाभी जी.. अपना नाम तो बताइए?
उसने खूबसूरत अदा के साथ कहा- सुनीता..

उसके बाद हम रोज मिलते गए.. बातें होने लगी.. ‘हाय-बाय’ चलने लगा.. फिर नजरें भी गहराई से मिलने लगीं।

ऐसे ही एक दिन फिर छत पर मिले.. तो वो नाराज़ और गुमसुम सी बैठी थी।
मैंने उसे देखा और आवाज़ लगाई.. लेकिन उसने सुना नहीं.. मैं पास गया और कहा- सुनीता भाभी कैसी हो.. क्या हालचाल हैं?
वो गुमसुम सी थी.. उसने कुछ नहीं कहा और बस रोने लगी।
मैंने बहुत बार पूछा- क्या हुआ.. लेकिन नहीं बताया सिर्फ़ रोती रही।

तभी मैंने भाभी के हाथ पर हाथ रखा और कहा- प्लीज़ बताओ न?
तभी अचानक से हाथ लगते ही भाभी ने उठ कर मुझे गले से लगा लिया..
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फिर बोली- मेरे पति मुझे टाइम ही नहीं देते.. सुबह जाते हैं तो रात को देर तक थक कर आते हैं और आते ही खाना खा कर सो जाते हैं। क्या ये भी कोई जिंदगी है.. ना घूमना.. ना बातें.. ना शॉपिंग.. ना मूवी और सबसे बड़ी बात.. न ही कोई रोमान्स..! ये बोलते हुए वे और अधिक रोने लगी।

मैंने कहा- भाभी आप टेन्शन मत लो.. मैं हूँ आपके साथ..
उसने कहा- तुम ही तो हो.. जिसकी वजह से मुझे टाइम कब जाता है.. पता भी नहीं चलता और अकेलापन भी महसूस नहीं होता.. जब तुम साथ रहते हो तो मुझे बहुत खुशी मिलती है।

तभी मैंने भाभी को अपने से अलग किया और उन्हें समझा कर उनके चेहरे पर स्माइल लाकर जाने लगा।
तभी सुनीता भाभी ने जोर से आवाज़ लगाई- सूरज रूको.. और भागती हुई मेरे पास आई और मुझे फिर से गले लगाती हुई बोली- आई लव यू सूरज..

मैं तो ये सुनकर पागल हो गया.. मैंने भी तुरंत ‘आई लव यू टू’ बोल दिया। मुझे तो खुद पर यकीन ही नहीं हुआ कि जिसे पाने के मैं सपने देख रहा था.. आज वही मुझे ‘आई लव यू’ बोल रही है।

फिर वो मेरी आँखों में देखती रही.. तभी मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से मिलाकर किस करने लगा। फिर 10 -15 मिनट तक किस करने के बाद हम अलग हुए.. सुनीता भाभी बहुत गर्म हो चुकी थी।

तभी उसने कहा- मेरा पति रात 8-9 बजे तक आएगा.. अभी दोपहर के 1 बजे हैं सिर्फ़..
मैं समझ गया.. वो मुझे अपने फ्लैट में ले गई।

जैसे ही मैं अन्दर आया.. उसने डोर लॉक किया.. तभी मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसके रेशमी बालों पर हाथ फेरता रहा.. गालों पर उंगलियां घुमाता रहा। एक बार फिर से किस करना चालू किया और इस बार बहुत लंबा किस किया। करीब 25 -30 मिनट तक.. और फिर झटके से उसकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। अब मैं उसके वो रसीले मम्मों को दबाने लगा।

मम्मों को दबाते ही उसके मुँह से आवाज़ आने लगी ‘आहह.. स्शहूहह.. जोर से.. ईहझहह.. ऊहहाहह.. उउम्न्ह..’
वो बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी.. मैं भी पूरा नशे में चला गया।
मैंने जल्दी से उसकी साड़ी पूरी खोल दी और फिर जल्दी-जल्दी ब्लाउज खोलकर पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया।

वो अब मेरे सामने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा और पिंक कलर की पैन्टी में थी।
उसने भी देर ना करते मेरी टी-शर्ट और पैंट निकाल दी। अब मैं भी सिर्फ़ अंडरवियर पहने हुए रह गया था।
मेरा लण्ड तंबू बना चुका था।

तभी सुनीता भाभी मुझे लिपटे-लिपटे ही मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी और मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी निकाल कर उसका दूध चूसने लगा.. उसकी सिसकारियां निकलने लगी ‘आहह.. ऊहफ़फ़.. उउम्माहह और ज़ोर से.. चूसो चूसो.. स्शहूउस्स.. इम्महह..’

फिर मैंने अपनी अंडरवियर निकाली.. तो सुनीता भाभी की आँखें खुली की खुली रह गईं.. और वो बोली- ओह्ह.. इतना बड़ा लण्ड कैसे? मेरे पति का तो आधा ही है इससे..
वो लौड़ा हिलाने लगी.. लण्ड को प्यार करने लगी और तभी नीचे बैठ कर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी ‘आहह.. उम्मह.. ऊहह..’
मेरी सिसकारियां निकलने लगीं और बड़ा मज़ा आने लगा।

वो 15 मिनट लण्ड चूसती रही.. फिर मेरा माल निकल गया और वो पूरा माल पी भी गई।

इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगें फैलाकर देखा उसकी चूत पूरी शेव की हुई थी और गुलाबी-गुलाबी थी। मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा और ज़ोर-ज़ोर से दाना हिलाने लगा।
वो बड़बड़ा रही थी- ज़ोर से.. और ज़ोर से.. ज़ोर-ज़ोर से.. आहह.. और.. आने दो.. उउन्नमंह.. मेरी चूत आहह.. मेरा दाना.. ऊहह मेरा दाना..

उसकी चूत को मैंने ठीक उस तरह चाटना शुरू किया जैसे शेर अपनी जीभ से पानी पीता है। फिर 20 मिनट बाद वो झड़ गई और उसका नमकीन पानी निकल पड़ा जो मैं चाट गया।

कुछ देर बाद मेरे लगातार प्यार की हरकतों से वो फिर से गर्म हो गई.. और मेरा लण्ड भी तैयार हो गया।

अब मैं सुनीता भाभी के ऊपर चढ़ गया मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं और फिर अपना लोहे की सख्त लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और उसे पहले किस करने लगा.. क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरा लण्ड जैसे ही इसकी चूत में अन्दर जाएगा.. तो ये चीखेगी जरूर.. इसलिए मैंने उसके मुँह को चूमने के साथ दबा रखा था ताकि इससे उसकी आवाज़ दब जाए।

ये उसका पहला टाइम था.. जब वो मेरा बड़ा और मोटा लण्ड लेने जा रही थी।

उसको चुम्बन करते-करते मैंने लण्ड को चूत पर लगा कर धीरे से अन्दर पेलने लगा और जैसे ही मेरा सुपारा उसकी चूत की फांकों में फंसा.. मैंने पूरा लण्ड एक ही ज़ोरदार झटके में अन्दर घुसेड़ दिया.. लौड़ा सरसराता हुआ अन्दर चला गया।

वो ज़ोर से चिल्लाने की कोशिश करने लगी.. मगर होंठ दबे हुए होने के कारण उसकी आवाज़ दब गई.. वो मछली की तरह झटपटाने लगी।

उसकी चूत में बहुत तेज परपराहट के साथ दर्द होने लगा.. क्योंकि उसकी चूत पूरी कसी हुई थी और मेरा लण्ड बड़ा और मोटा भी था। मेरा लौड़ा अभी उसकी चिकनी और गुलाबी चूत देख कर कुछ ज्यादा ही फूल गया था।

खैर.. थोड़ी देर अन्दर-बाहर करने के बाद वो कुछ शांत हुई और अब वो मज़े लेने लगी.. और बोलने लगी- आह्ह.. सूरज चोदो.. और चोदो.. आहह.. उऊहहुउ.. उउम्महगाह.. प्लीज़ ये आग बुझा दो.. मेरी चूत आहह..

मैंने चोदने की स्पीड बढ़ा दी.. और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। उसका जिस्म एकदम से इठ गया और शायद वो झड़ने की कगार पर आ चुकी थी।

फिर मेरा भी काम होने को था.. तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो बोली- अन्दर ही आ जाओ.. आज मेरी चूत के ज्वालामुखी को शांत कर दो।

मैंने अपना आख़िरी जोरदार धक्का मारकर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और वो भी मेरे साथ पिघल गई।

मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया और फिर उसको दूसरी तरह से चोदा.. वो उस दिन 4 बार की चुदाई में 9 बार झड़ी.. मैंने भी निढाल हो जाने की हद तक उसे बार-बार चोदा।

हर बार अलग-अलग तरह से चुदाई की.. उसे मेरे साथ चुदाई में बहुत मज़ा आया। फिर हम अलग हुए.. अपने-अपने कपड़े पहने.. अब तक शाम के 7 बज चुके थे।
सुनीता भाभी से चलना भी नहीं हो पा रहा था.. वो किसी तरह उठी.. फ्रेश हुई फिर चाय बनाई।

हम दोनों ने चाय पी.. फिर मैं जाने लगा तो मुझे फिर गले लगी और बोली- आज सही मायने में मैं एक शादीशुदा हो पाई हूँ.. हर शादीशुदा औरत को जो चीजें चाहिए होती हैं और जो उसकी इच्छाएं होती हैं.. वो तुमने आज पूरी की हैं.. तुम ही मेरे सही मायने में पति हो.. आई लव यू सूरज..

उसने मुझे चूमा और फिर मैंने विदा ली।

उसके बाद मैंने उसकी कई बार बजाई एक बार उसकी गाण्ड भी मारी.. वो बाद में बताऊँगा..
ऐसा ही हमारा चुदाई प्रोग्राम 8 तक महीने लगातार चलता रहा और अब उसके पति का तबादला बंगलोर में हो गया है..
वो अपने पति के साथ वहीं है.. उससे सिर्फ़ अब फोन पर बातें होती हैं।
आज मैं अकेला हूँ..

फ्रेण्डस उसका मोबाइल नम्बर मत माँगना.. क्योंकि मैंने उसे प्रोमिस किया है और मैं नहीं चाहता कि किसी का घर बर्बाद हो।
उसकी जानकारी भी इसलिए गुप्त रखी है।

अगर मेरा यह किस्सा अच्छा लगा या नहीं, प्लीज़ कमेंट्स और ईमेल कीजिएगा!
[email protected]

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