उम्रदराज भोसड़े की ठरक (Umardaraj Bhosde Ki Tharak)

अपने सभी पाठकों का धन्यवाद.. मेरी कहानी पसंद आई और सैकड़ों मित्रों ने मुझे पत्र लिखा। आप सबका हृदय से धन्यवाद।

अपनी कहानी का उसी क्रम में आगे बढ़ाते हुए.. मैं दूसरी कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.. जिसमें कि मार्च के आखरी सप्ताह में नोएडा से मुझे मेल आया था..
हमेशा की तरह मैं अपने क्लाइंट का नाम बदल कर लिख रहा हूँ।

यह मेल प्रिया जैन का था.. उसने लिखा कि अन्तर्वासना पर वह मुझसे बात करना चाहती हैं।
मैंने भी उत्तर लिखा कि आप जो बात करना हो स्पष्ट बोलें।

प्रतिउत्तर आया कि वह एक 50 वर्ष की शादीशुदा महिला हैं और अपने पति के साथ रहती हैं.. सम्भोग भी करती हैं और उनके पति भी खुले दिमाग के इंसान हैं। उन्होंने पहले भी दिल्ली में और गुडगाँव में.. लड़कों से सर्विस ली है.. और अब वह मुझसे चाहती हैं कि मैं उधर आकर उन्हें अपनी सर्विस दूँ.. जिसमें कि उनको मालिश तो करना ही है.. साथ में वह सब भी करना है.. जैसा कि आपने अपनी कहानी में लिखा है.. इसके अलावा और मैं जो भी कहूँ.. वह भी तुमको करना होगा।

इसका मैंने उत्तर दे दिया कि ठीक है जो मुझसे हो सकता होगा.. वह मैं करूंगा।

उन्होंने अप्रैल के पहले हफ्ते की तारीख और समय दिया। प्रिया ने मुझे आने-जाने का पैसा पहले ही भेज दिया और मैं समय पर नई-दिल्ली उतर गया। वहाँ से मैं मेट्रो से नोएडा सिटी सेंटर पर उतर गया और प्रिया वहीं मुझे लेने आई थीं.. उनके साथ मैं उनके घर चला गया।

उनका कॉटेज सुंदर.. अच्छा.. और बहुत अच्छे से सजाया हुआ था।
घर पहुँच कर उन्होंने पूछा- फ्रेश होना है कि चाय लेनी है?

मैं पहले फ्रेश हुआ.. नहाया और फिर आया उन्होंने चाय-नाश्ता दिया और साथ में खुद भी किया।

फिर उन्होंने बताया- मेरे घर पर वह और मेरे पति ही रहते हैं.. वह आजकल अहमदाबाद में हैं। बच्चे जॉब करते हैं… एक बंगलोर में है.. दूसरा कोलकाता में है।

कार्यक्रम चालू हुआ तो उन्होंने अपनी चुदास जताई।

‘आप बिल्कुल नंगे हो जाइएगा.. मैं भी केवल एक गाउन में ही रहूँगी।’

वो मुझे कमरे में ले गईं.. क्या शानदार कमरा था। वहाँ उसने मुझे नंगा कर दिया और खुद एक झीना गाऊन पहन लिया जिसमें उसके नितम्ब उसके मम्मे साफ़ दिखाई पड़ रहे थे।

उसने मेरा लंड पकड़ा.. उनका इस तरह पकड़ना और उसको खींच कर अपने बिस्तर तक ले जाना.. जिसके लिए मैं क़तई तैयार न था। मैं खिंचता हुआ चला गया और उनके ऊपर गिर पड़ा।

एक तो उनकी 50 साल की उम्र.. लेकिन शरीर एकदम कसा हुआ.. हाँ निप्पल और नितम्ब थोड़े लटक गए थे.. पर बिलकुल नहीं.. नीचे बुर के बाल साफ़ किए हुए थीं..
वे बहुत गोरी थीं पर उनकी चूत काली थी। उन्होंने बिस्तर के सामने एक बड़ा शीशा लगा रखा था.. और उसमें मेरी और अपनी हरकत देख रही थीं।

उसके बाद मुझे कुछ सूझता.. इसके पहले ही उन्होंने मुझे अपनी बुर के पास दबा दिया। मेरा मुँह उनकी बुर के अन्दर था और वह ऐसे करके लेट गईं।

मुझसे चुदास भरी नशीली आवाज में बोलीं- अपनी जुबान से मेरी चूत को मालिश दे..

उनकी चूत बहुत खुली और फैली हुई थी और कमर भी उनकी फैली ही थी.. इसके बाद उन्होंने अपना पैर उठा कर मेरे ऊपर रख दिया और उनकी फैली खुली चूत खुल कर मेरे मुँह को अपने अन्दर लेने के लिए खुल गई।

वह बोली- अब इसको खाओ..

मेरा तक़रीबन पूरा मुँह.. उनकी चूत में घुस गया था और उनकी बुर तो छोड़ो.. उनका भगनासा तक मेरी जुबान बिना किसी मेहनत के पहुँच गई।

यकीन मानिए.. मैं उसको सीधा-सीधा चाट ही रहा था.. यह मेरे पास पहला वाकिया था।

उनको इस प्रकार चूसने से.. वो एकदम से गरमा गईं.. उनका माल खुल कर गिर गया और सीधा मेरे मुँह में आ गया। इसका स्वाद अलग था.. जैसा कि मैं दूसरी कम उम्र की महिलाओं को पाता हूँ।

उनके झड़ जाने के बाद वो उठीं और बोलीं- चलो थोड़ा फ्रेश हो लो.. फिर दुबारा से करेंगे..

हम लोग मुँह-हाथ धोकर फल खाने लगे। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और बोलीं- अब जरा मालिश दे दो.. अबकी बार मेरी कमर को और चूत को भी मालिश कर देना.. साथ में ऊपर मम्मों की मालिश भी कर देना।

मैंने मालिश की पहल उनकी छातियों से की और उनको मालिश करने लगा।
तउनके मम्मों को चूस कर को धीमे-धीमे मालिश देने से उनके बदन में आग लग रही थी। इस उम्र में भी उनका अत्यधिक उतावला होना आश्चर्य दे रहा था।

कुछ देर धीमा करने के बाद उसके मम्मों को जरा दबा कर और जोर दे कर मैंने मालिश की.. तो बिल्कुल पनिया गईं और उनकी चूत एकदम से गीली हो गई।

फिर मैं धीरे से उनकी कमर पर गया.. उनको उल्टा करके और मालिश देने के बाद.. धीरे से उनकी गाण्ड के छेद पर तेल डाल दिया.. कुछ तेल उनके चूतड़ों पर भी गिर गया।

उनको अपने चूतड़ों पर तेल टपकना अच्छा लगा और उन्होंने एक उंचा सा मसनद लिया और अपने पेट के नीचे लगा लिया.. जिससे उनकी गाण्ड ऊपर को होकर खुल गई और अब उसके अन्दर तेल आराम से गिरने लगा।

मैंने गाण्ड के छेद में ऊँगली डाली.. उन्होंने बड़े आराम से अपनी गाण्ड में ले ली.. मुझे अचरज हुआ.. लेकिन फिर तो मेरा ऐसा करते-करते पूरा हाथ ही उनकी पिछाड़ी पर चला कि वे खुद ही उँगलियों को अन्दर लेने की कोशिश करने लगीं.. उनको मजा आने लगा।

मैं हाथ धोकर आया.. फिर उनकी चूत पर तेल गिरा कर उसको मालिश देने लगा। उनकी फांकें खुली हुई थीं.. जिसकी वजह से उसको इतने अराम से पकड़ा हुआ था.. जैसे कोई छिलका पकड़ा हुआ हो।

चूत की फांक से मुझको पकड़ अच्छी मिलने से उसको जो मालिश मिली.. उनकी गर्मी बढ़ गई और तो और.. उनका पानी झड़ने लगा था.. लेकिन उनकी फलक मैंने खींच रखी थी और लगातार मालिश दे रहा था.. ऐसे ही उनकी दूसरी फलक को किया।

अब उनके ऊपर के दाने को मैंने पकड़ कर मसल-मसल कर मालिश जैसी दे दी.. इससे उनका उत्तेजनावश हाँफते हुए बुरा हाल हो रहा था।

लगातार रगड़ से उनका दाना ऊपर की तरफ फूल गया था और इसके बाद उनकी बुर के अन्दर मेरी ऊँगली जो घुसी.. तो जैसे अन्दर क्या बताऊँ ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई घड़ा फूट गया हो..

उसमें मैंने अपना हाथ काफी अन्दर तक घुसा दिया और उनकी बुर की चारों तरफ मालिश देने से उनको बहुत मजा आया.. इसके साथ मैं भगनासा को भी रगड़ दे रहा था।

उनका पानी बार-बार निकल जा रहा था। इतना सब होने से उनको इतना मजा आया कि उन्होंने मेरे हाथ में एक रबर का लिंग दे दिया और बोलीं- इसको अन्दर डालो.. साथ में अपना लण्ड भी पेल देना।

मैंने पहले रबर का लिंग अन्दर किया और इतना जगह थी कि मेरा लिंग भी ऊपर से घुस गया।

अब उनकी चूत में असली और नकली दो लण्ड एक साथ चुदाई के लिए तैयार थे।

मैं उनको रगड़ने लगा.. साथ में उन्होंने भी रबर वाले लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था।

मुश्किल से कोई 3 से 4 मिनट में वह बुरी तरह से ऐंठती चली गईं और अपना पानी गिराने लगीं.. उन्होंने रबर का लिंग छोड़ दिया था.. और मुझे कस कर भींच लिया था।
उनकी गर्म सांसें निकल रही थीं।

मुझे अभी झड़ने में समय था.. मैंने धीरे से अपना लिंग निकाल लिया और उनके ऊपर ही लेटा रहा।
कुछ देर फिर से धकापेल करके मैंने अपना पानी छोड़ दिया।
यही कोई 15 मिनट बाद उनके ऊपर से हटा।

उनको शायद बहुत मजा आया था। वह सो गईं.. वहीं मैं भी थक गया था सो मैं भी वहीं लेट गया.. और टीवी चला कर देखने लगा।

कोई 2 घंटे के बाद वे जगीं.. उठ कर फ्रेश हुईं.. और खाना खाया।
मुझे कहा- आलोक आप भी खाना खा लीजिए.. फिर मैं कुछ अलग तरह से करना चाहती हूँ।

मैं वैसे भी काम के समय खाना कम ही लेता हूँ.. सो मैंने हल्का खाना लिया।
उसके बाद वह अपना आराम करने चली गईं और मुझसे बोला- तुम भी आराम कर लो.. जब बुलाऊँ तो चले आना.. फिर देखते हैं।
कोई आधे घंटे के बाद वह मेरे कमरे में आईं और बोलीं- आलोक आओ..

मैं उनके साथ चला गया.. वह अपने कमरे में एक आराम कुर्सी पर नंगी होकर बैठ गईं और बोलीं- मैं अपनी बुर में खाने की चीज डाल रही हूँ.. तुमने जैसा अपनी पुरानी क्लाइंट्स के साथ किया था.. वही मेरे साथ करो।

फिर उन्होंने मीठी क्रीम को अपनी बुर में खोल कर भर लिया और अपनी दोनों टांगें आराम कुर्सी के ऊपर कर लीं।
मुझे अपने घुटने के बल बैठ कर उनकी बुर के मुँह पर अपना मुँह सटा कर मीठी क्रीम खाना था।
मुझे तो बड़ा मजा आया.. एक तो खुली चूत और ऊपर से अन्दर तक जीभ डाल कर क्रीम चाटना था।

मैंने पूरी चूत चाट डाली।
उसने फिर से यही किया.. मैंने फिर चाट ली।
फिर बोली- मैं घोड़ी बन रही हूँ। तुम चूत को नीचे से चाटना।

फिर क्या हुआ कि जैसे ही मैं नीचे लेटा.. वो तकरीबन मेरे मुँह पर बैठ गईं और मैं उनकी चूत की फलकों को एक-एक कर.. अपने दांत से धीरे से चबाता जाता.. उनको बहुत ही अधिक मजा आने लगा..।

वो ‘आह्ह.. अहह..’ करने लगीं और फिर जो उन्होंने पानी गिराया.. तो मेरा पूरा मुँह गीला हो गया।
वह थक कर गिर गईं और हांफते हुए बोलीं- ओह्ह.. आज मजा आ गया..
मैं भी वहीं लेट गया।

अब शाम हो गई थी.. बोलीं- चलो फ्रेश हो लो.. मैं तुमको ड्राप कर दूँगी, फिर उधर से मैं भी निकल जाऊँगी।

उन्होंने मुझे मेट्रो तक ड्राप किया और मैंने वापस स्टेशन आकर ट्रेन पकड़ ली।

आप सबको मेरी यह छोटी सी कहानी कैसी लगी जरूर बताईएगा।
आपका आलोक
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