कच्ची उम्र में चुत चुदाई का अनुभव (Kacchi Umar Me Chut Chudai Ka Anubhav)

प्रिय मित्रो, मैं दीपक 28 साल का हूँ. मैं सिर्फ बुर पीता हूँ और बुर ही खाता हूँ इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है कि बुर पिलाने वाली मेरा लंड पीयेगी या नहीं पर मुझे बुर चाटना अच्छा लगता है और मैं करता हूँ. मैं अन्तर्वासना का पिछले 5 सालों से नियमित पाठक हूँ. पहले पहले तो मुझे सारी कहानियाँ काल्पनिक लगती थी पर पिछले कुछ दिनों से कुछ कहानियाँ वास्तविक लगी तो दिल किया कि मैं भी कुछ आप लोगों से शेयर करूँ, मैं ऐसा नहीं कहूँगा कि आप सच मानो पर जो मैं कहने जा रहा हूँ वो सच हैं.

बात बचपन से शुरू करते हैं जब मैं बहुत छोटा था तो कानपुर में मेरे मकान मालिक की लड़कियाँ मुझे आपने साथ खिलाने के लिए लेकर जाया करती थी और अकेले कमरे में मेरे सामने सलवार खोल कर बुर दिखाती थी और कहती थी कि इसमे उंगली डालो, टॉफी देंगी. मुझे नहीं मालूम था कि यह क्या है, बस टॉफी के लालच में कर देता था. पर जब कुछ बड़ा हुआ तो बात समझ में आई तो पुराने माकन मालिक के घर इस लालच में जाया करता था कि मुझे फिर वैसे ही करने को मिलेगा पर अफ़सोस, कभी ऐसा नहीं हुआ.

एक समय आया कि मैं गाँव में आकर रहने लगा. गाँव में बहुत सारी भाभियाँ थी, बस मुंह से मजाक हुआ करता था मगर कभी और कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. एक दिन मेरे दोस्त ने कहा- मार्केट से आते समय कंडोम लेकर आना!

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ- बात क्या है?
उसने कहा- शाम को बताऊँगा.
मैंने कंडोम लाकर दे दिए, अगले दिन उसने बताया कि उसने अपनी बड़ी देसी भाभी को चोद दिया, जिसके पहले से एक बच्चा था.

चूंकि वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, हम लोग एक दूसरे के घर बहुत अच्छे से आते जाते थे, मेरे घर पर सिर्फ दादा और दादी थे और उसके घर पर बड़ी भाभी, मम्मी, पापा थे उसके भैया बम्बई में थे जो 6-8 महीने के बीच में 5-7 दिन के लिए आते थे. और गाँव में सिर्फ उसके ही घर पर टीवी था, देर रात तक प्रोग्राम देखते थे, मगर कभी कुछ ऐसा नहीं लगा. अब तो मेरा भी दिमाग ख़राब हो रहा था, जब भाभी उससे चुद सकती है तो मुझसे क्यूँ नहीं? अब भाभी को दूसरी नजरों से देखने लगा और मेरा दोस्त साला रोज रात की कहानियाँ बताया करता था.

अब तो लण्ड में ज्यादा खुजली होने लगी थी. एक बार रात में टीवी देखते समय लाइट गई तो मैंने भाभी की चूची छू ली तो उसने कुछ नहीं बोला, मेरी हिम्मत ज्यादा हो गई.

एक दिन अकेले में घर गया तो भाभी आँगन में नहा कर साड़ी पहन कर बाहर बिना ब्लाऊज के पानी लेने निकल रही थी, बस मैंने उसकी चूची दबा दी. उस समय उसने मुझे डांट दिया, मैं चला आया. दूसरे शाम अकेले घर पर टीवी देखते देखते मैं अपना पैर उसके बुर पास कपड़े के ऊपर से लगाया तो उसने कपड़ा हटा दिया और पैर का अगूंठा सीधे बुर में स्पर्श हुआ, मैं हिल गया… मैंने अंगूठे से बुर को सहलाया तो बुर गीली गीली लगी.

रात काफी हो गई थी, सब लोग काम करके आ गए थे, मैं घर चला आया और उसे रात तीन बार मुठ मारी.

कुछ दिन बाद दोस्त अपने भैया के पास पैसा लेने चला गया अब मैं अकेले देवर था भाभी का… अब भाभी चूची छूने देती थी और जब तक टीवी देखते थे रजाई में पैर डालकर उनकी बुर से गर्मी लेता रहता था. मेरे दोस्त की बूढ़ी मम्मी को कुछ समझ में नहीं आता था और पापा बरामदे में सोते थे. रात नौ बजे तक बुर से गर्मी मिलती रहती थी, जब कभी कहता- भाभी बुर दे दो!
तो बोलती- नहीं…

एक दिन बोली- मेरे लिए रेजर ला दो!
मैंने पूछा- क्यूँ…?
बोली- सफाई करनी है.
मैंने कहा- एक शर्त पर! सफाई मैं करूँगा!
बोली- ठीक है, दोपहर में सब लोग खेत में रहेंगे, आ जाना!

अगले दिन मैं ठीक समय पर पहुँच गया… भाभी अकेली थी, मैंने कहा- मैं रेजर ले आया!
बोली- ठीक है, रख दो!
मैंने कहा- क्यूँ? आपने तो कल क्या कहा था…?
बोली- नहीं, मैं कर लूंगी!
मैंने कहा- मैं रेजर ले जा रहा हूँ!
बोली- नहीं, ठीक है, कुछ शरारत ना करना!
मैंने कहा- ठीक है…

उनके घर में दो दरवाजे थे एक पीछे की तरफ खुलता था जहाँ पर जानवर बांधे जाते थे, मैंने कहा- चलो घर में!
वो साड़ी को ऊपर उठा कर लेट गई और बोली- लो!
मैंने कहा- साड़ी खोलो!
बोली- नहीं…

फिर मैंने पहली बार बुर देखी थी, मैं अचम्भे में रह गया… फ़िर बाल बनाने शुरू किये, धीरे बाल साफ़ हो गये, अब भाभी की बुर एक दम चिकनी लग रही थी…
मैंने कहा- मैं कुछ करूँगा नहीं, बस सहलाने दो!
बोली- ठीक है…

सहलाते सहलाते मैंने अपनी जीभ उनकी बुर पर लगा दी और जितना गीला गीला था, चाट गया…
यकीन करो दोस्तो, उस समय उससे अच्छा ड्रिंक मुझे कुछ नहीं लगा था…
भाभी भी आश्चर्यचकित रह गई- ये क्या…?
क्यूंकि उनके लिए ये बहुत बड़ी और बिल्कुल नई चीज थी. मैं उससे पहले बहुत सारी सेक्सी किताबें पढ़ चुका था… मैंने चाटना शुरू किया.

पता नहीं भाभी को मैं कितना बेचारा लगा या कि उन्हें बहुत मजा आया, उन्होंने धोती खोल दी… सिर्फ ब्लाऊज में थी… अब भाभी मेरा लण्ड पकड़ कर हिला रही थी…
मैं बुर चाटते चाटते 2-3 मिनट में झड़ गया… फिर भी चाटना जारी रहा. उन्हें कुछ गीला लगा तो बोली- अरे या क्या…
मैं कुछ नहीं बोला, सिर्फ चाटता रहा…

कुछ देर बाद भाभी के सहलाने से लंड कुछ ही देर में खड़ा हो गया…
मैंने भाभी से जिद की- सिर्फ एक बार लंड को बुर से छुआने दो…
किसी तरह वो मान गई… मैंने लंड उनकी बुर में डाल दिया…
लेकिन शायद अब कुछ मेरे अन्दर था नहीं, लंड खड़ा था पर करते करते 15 मिनट हो गए थे, भाभी गर्म हो गई थी, मेरे चूतड़ों को पीछे से कसकर पकड़ लिया था… आ आह आह करते वो झड़ गई पर मुझे कुछ भी नहीं हुआ और भाभी झड़ गयी… बोली- कोई आ जायेगा, निकालो…
मैंने कहा- कैसे आप तो हो गई…?
बोली- मैं हाथ से कर दूँगी! तुम्हारे भैया को कभी कभी ऐसे ही करती हूँ…

मैंने लण्ड बुर से निकाल लिया… भाभी हाथ से लंड पकड़कर हिला रही थी… मैंने कहा- मुझे बुर चाटने दो… और आप हाथ से हिलाओ! मैं हो जाऊँगा!
उन्होंने वैसे ही किया… बस मैं थोड़े देर में हो गया.

मुझे मालूम है कि इसे पढ़कर आपको कुछ ख़ास उत्तेजना नहीं आई… लेकिन यह वास्तविक घटना है… घटनायें बहुत सारी हैं पर एक बार में सारी नहीं बता सकता हूँ.

उसके बाद से मैं भाभी… या फिर कोई भी भाभी की उम्र की दिखने वाली होती थी, उसको चोदने की कोशिश जरूर करता था… रिश्ते में वो कोई भी लगे… और मैंने ये एहसास किया कि जब आप बहुत पिछड़े इलाके में रहते हैं तो गाँव 80% औरतें चुदाने के लिए तैयार रहती हैं… मैंने किया भी बहुत… मैंने पहले ही आप से बता दिया था कि कई सालों से मैं बुर पीता और खाता आ रहा हूँ तो कारण यही है.

इस देसी कहानी के बारे में अगर आप कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं या फिर चुदाई के बारे में कुछ पूछना चाहते हैं तो मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं.
[email protected]

About Abhilasha Bakshi

Check Also

नीम्बू का अचार (Jungle Me Bhabhi Ki Chudai)

मेरा नाम अंकित शर्मा है, मैं 22 साल का गोरा, स्मार्ट दिखने वाला लड़का हूँ। …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *