देसी मैरिड गर्ल फक़ स्टोरी में पढ़ें कि दिल्ली के बाजार में घूमते हुए एक सेक्सी लड़की दिखी, नजरें मिली और बस दोस्ती हो गयी. उसके बाद हम दोनों ने सेक्स का मजा कैसे लिया?
दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
मैं मनमीत एक बार फिर हाजिर हूँ एक नई और सच्ची कहानी लेकर!
दोस्तो, जैसा कि मेरी पिछली कहानी
भोले ग्राहक की चुदासी बेटी
पढ़ के आपको पता है कि मैं रोहतक से हूँ और मेरी खुद की मोबाइल रिपेयर और रिचार्ज की दुकान भी है.
यह देसी मैरिड गर्ल फक़ स्टोरी अभी कुछ समय पहले की ही है.
कुछ समय पहले मैं दुकान का समान लेने दिल्ली गया हुआ था.
वहीं पर ही मेरी मुलाक़ात हुई थी कामिनी से!
कामिनी दिखने में बहुत ही सुन्दर और आकर्षित करने वाली लड़की … नहीं लड़की नहीं. औरत थी.
उससे मेरी पहली मुलाक़ात दिल्ली करोल बाग में हुई थी.
अब मैं आपको सारी कहानी विस्तारपूर्वक बताता हूँ.
मै और मेरे 3 दोस्त दिल्ली गये थे.
हमारी हरियाणा वालों की आदत होती है हर जगह मजे लेने की!
तो हम ऐसे ही सबके मजे लेते हुए जा रहे थे और हमारे पीछे पीछे कामिनी और उसकी सहेली चल रही थी.
मैं इन सबसे बेखबर ऐसे ही बोलता हुआ सबके साथ टाइमपास करते हुए जा रहा था.
चलते चलते कामिनी और उसकी सहेली मुझसे आगे निकल गयी.
मगर थोड़ी दूरी पर भीड़ ज्यादा थी.
तब मैं मेरे दोस्त और कामिनी और उसकी सहेली एक ही जगह पर फंस गये.
उस वक़्त मैंने कामिनी को पहली बार देखा था.
उसके देखने के बाद मेरा उस पर से ध्यान नहीं हट रहा था.
मगर भीड़ ज्यादा थी तो मैं ऐसे ही किसी किसी को बोलने लगा- ओ ताऊ हटा ले तेरी गाड़ी नै … जीब चलानी ना आती तो लेके क्यु आया करो!
कामिनी मेरी तरफ ही देख रही थी और वह मुझे देखकर मुस्कुराई.
बस दोस्तो, मेरे लिए तो वहीं पर ही दिल्ली ठहर गयी.
उसके बाद मैं सामान लेने एक दुकान पर पहुंच गया.
वहाँ से सामान लेकर हम कुछ खाने के लिए एक दुकान पर रुक गये.
किस्मत शायद जोर मार रही थी, जिस दुकान पर हम थे, कामिनी और उसकी सहेली भी उसी दुकान पर खाना खा रही थी.
अब ऐसा हुआ कि मैं कामिनी को देख रहा था और कामिनी मुझे!
मेरे दोस्तों ने कहा- भाई ट्राई तो मार के देख! हो जाएगी!
मैंने हिम्मत मारते हुए कामिनी को हाइ बोल दिया.
उसने भी मुस्कुराते हुए मुझे हेलो बोल दिया.
इस तरह मेरी और कामिनी की बोलचाल शुरु हुई.
फिर पता चला कि वह शादीशुदा है और दिल्ली अपने मायके आयी हुई है.
मैंने कहा- लगता नहीं कि आप मैरिड हो!
क्योंकि ना तो उसने मांग भर रखी थी ना ही मंगलसूत्र डाला हुआ था.
तो उसने बताया कि मायके आने के बाद वह ये चीजें निकाल देती है.
अब हमारी दोस्ती हो चुकी थी.
मैंने उसका नंबर मांगा तो उसने बिना किसी परेशानी के नम्बर दे दिया.
थोड़ी देर बाद हम घूमने निकल गये.
मैं और कामिनी ऐसे बात कर रहे थे जैसे एक दूसरे को काफी समय से जानते हों.
उसने बताया कि उसकी शादी भिवानी में हुई है.
ऐसे ही बात करते करते शाम हो गयी और हम कामिनी और उसकी सहेली को बाय बोलकर घर की तरफ निकल आये.
मैं रोहतक स्टेशन पर पहुंचा ही था कि कामिनी का फोन आ गया- हेलो मनमीत जी, पहुंच गये आप घर?
मैं- हाय इतनी फ़िक्र जी अभी से?
कामिनी- बस जी दिल ने कहा एक बार फोन करके पूछ लो तो मैंने पूछ लिया. क्यों नहीं करना था क्या फोन?
मैं- करना क्यों नहीं था जी. मैं तो बस ये बोल रहा था कि इतनी फ़िक्र मत कीजिये, आदत पड़ जाएगी. फिर कौन हालचाल पूछेगा?
कामिनी- तो मैं हूँ ना … मैं पूछूंगी!
मैं- कामिनी जी, आप हमेशा तो नहीं पूछ सकती ना!
कामिनी- जब तक हूँ, तब तक तो पूछूंगी.
मैं- कामिनी जी, एक बात बोलूं, अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात पूछ सकता हूँ?
कामिनी- आप दो पूछिए मेरे मन के मीत जी!
मैं- कामिनी जी, ऐसे मत बोलो, प्यार हो जायेगा मुझे आपसे!
कामिनी- तो कर लो ना … मैंने कब मना किया है?
मैं- प्यार तो आपको पहली बार देखते ही हो गया था जब आप मुस्कुराई थी मेरी तरफ देख कर!
कामिनी- मुझे भी आप बोलते हुए बड़े अच्छे लग रहे थे. फिर आप चुप क्यों हो गये थे?
मैं- आपके कारण!
कामिनी- क्यों?
मैं- तुमसे मिली नज़र तो मेरे होश उड़ गये. लव यू कामिनी जी!
कामिनी- अच्छा जी, इतनी जल्दी?
मैं- इतनी जल्दी कहाँ कामिनी जी, 6 घंटे हो गये.
कामिनी- आई लव यू टू मेरे मन के मीत जी!
इस तरह दोस्तो, मेरी और कामिनी की कई दिन बात चलती रही.
धीरे धीरे बात फोन सेक्स तक पहुंच गयी.
एक दिन मैं और कामिनी बात कर रहे थे तो कामिनी ने वीडियो कॉल की.
उसने काले रंग का सूट डाल रखा था.
मैं- ओये होये मेरी जान, काले सूट में तो बिल्कुल जानलेवा लग रही हो. किसकी जान लेने का इरादा है?
कामिनी- आपकी!
मैं- मेरी तो जान पहले ही आपके पास है. शुक्र करो कि मैं आपके पास नहीं हूँ वरना मैं ले लेता आपकी!
कामिनी- क्या ले लेते?
मैं- बस सब कुछ ले लेता!
कामिनी- अगर मैं ना देती तो?
मैं- फिर मैं ज़बरदस्ती ले लेता मगर लेता जरूर!
कामिनी- मैं ऐसे ही प्यार से दे दूंगी मेरी जान को सब कुछ … बताओ क्या चाहिए?
मैं- आजा ना तू मेरे पास. इतना प्यार मैं कि बाद में तुझे रात गुज़ारनी मुश्किल हो जायेगी.
कामिनी- हये मेरे मन के मीत जी, मैं नहीं आ सकती. आप ही आ जाओ ना, भिवानी दूर थोड़ी है.
मैं- मेरी जान हुकुम करो, कब आऊं? आप जब बोलोगे तब आ जाऊंगा.
कामिनी- बहुत जल्द मिलेंगे हम!
मै- अच्छा, ये लाल लाल क्या है?
उसकी ब्रा दिख रही थी.
कामिनी- धत!
मैं- कामिनी, एक बात पूछूं अगर आप बुरा ना मानो और बताओ तो?
कामिनी- आपको लगता है कि मैं आपकी किसी बात का बुरा मानूंगी?
मैं- आपका साइज क्या है?
कामिनी- अपने आप माप लेना जब मिलोगे!
मैं- प्लीज!
कामिनी- 38-26-32
मैं- कामिनी जी, सारा जोर आगे ही लगा रखा है. मुझे अभी देखने हैं.
कामिनी- नहीं मेरे जानू, बाद में!
थोड़ी ना नुकर के बाद कामिनी मान गयी.
उसने शर्माते हुए अपना कमीज निकाल दिया.
ब्रा में वह ऐसी लग रही थी कि अगर सामने कोई भी होता तो उसे पकड़ कर वहीं चोद देता.
मैं उसके साथ फोन सेक्स करने लगा.
ऐसे ही अब हमारी रोज बातें होने लगी.
एक दिन कामिनी का फोन आया कि उसका कोई एग्जाम है जोकि चंडीगढ़ में है.
उसने मुझे दिन तारीख बता दी.
मैंने उसी दिन ट्रेन में सीट बुक कर ली भिवानी से और कामिनी को बता दिया.
एग्जाम से एक दिन पहले कामिनी घर से निकली तो उसका पति उसको भिवानी स्टेशन पर छोड़ कर गाड़ी में बिठाकर चला गया.
उस समय रात के साढ़े बारह बजे थे. ट्रेन का टाइम 1 बजे के करीब था.
रोहतक से मैं पहले ही भिवानी स्टेशन पर पहुंच गया था.
कामिनी के पति के जाने के बाद मैं उसको उस डिब्बे से उतारकर बुकिंग वाले डिब्बे में ले गया.
सारी रात हमने बात करते करते एक दूसरे को देखते हुए निकल दी सुबह हम 7:00 बजे के करीब चंडीगढ़ पहुंच गये.
वहाँ जाकर मैंने ओयो में कमरा बुक किया और होटल पहुंच गये.
होटल में जाते ही हम कमरा बंद करके एक दूसरे पर टूट पड़े.
मैं- ओह कामिनी, कब से मुझे इस दिन का इंतज़ार था!
कामिनी- हाये मेरे मन के मीत, मैं भी कबसे तड़प रही थी आपसे मिलने के लिए!
फिर हमारे होंट एक दूसरे से ऐसे भिड़े कि 10 मिनट कब निकल गये पता ही नहीं चला.
कामिनी के होंट सच में इतने मीठे थे जैसे शहद घुला हो.
धीरे धीरे मेरे हाथ उसके 38 इंच के चूचों पर पहुंच गये.
उधर कामिनी ने हाथ बढ़ा कर नीचे से पेंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.
फिर जब हम अलग हुए तो कामिनी ने मुझे बहुत जोर से गले से लगा लिया.
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु कर दिये.
कुछ ही पल में कामिनी मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी थी.
थोड़ी देर तो मेरी आँखें ही ठहर गयी.
वह सच में काम की देवी लग रही थी.
मैं अपने आपको ख़ुशक़िस्मत समझने लगा कि कामिनी जैसी लड़की मुझे मिली है.
फिर कामिनी ने भी धीरे धीरे मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी.
वह बोली- मनमीत, आज मुझे अपनी बना लो. मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ. आई लव यू मेरे मन के मीत!
हमारे होंट फिर से जुड़ गये.
मेरे हाथ उसके चूचों को दबाने लगे और वह मेरे लंड को ऐसे पकड़ के हिला रही थी जैसे तोड़ ही देगी.
उसके बाद मैंने उसको बेड पर लिटा लिया और उसके चूचों को मुँह में भरकर चूसने लगा.
कामिनी के मुँह से बस सिसकारियाँ निकल रही थी- आआआ अह्ह्ह हह मनमीत … बड़ा अच्छा लग रहा रहा है. और जोर से चूसो ना … खा जाओ इनको! कब से इंतज़ार था मुझे इस दिन का! आई लव यू मनमीत. आआ आह्ह!
फिर मैं धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ बढ़ता गया उसकी चूत ऊपर से हल्की सांवली थी और लड़कियों या औरतों से बहुत अलग थी.
उसकी चूत देखकर लगता था कि इसकी ज्यादा चुदाई नहीं हुई है.
मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी जो कुछ नमकीन सा था.
कुछ ही देर में कामिनी झड़ कर शांत सी हो गयी और मेरे होंटों को चूसने लगी.
मैंने उसको मुँह में लंड लेने के लिए बोला तो वह मना करने लगी, बोली- मैंने आज तक ऐसा नहीं किया.
तो मैंने भी उस पर ज्यादा जोर नहीं दिया.
मैं दोबारा उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा.
कामिनी दोबारा गर्म होने लगी और मेरे लंड को हिलाने लगी.
फिर वह बोली- मनमीत, अब जल्दी से डाल दो इसको अंदर!
मैंने बोला- क्या अंदर डाल दूँ?
उसने मेरा लंड पकड़ कर कहा- ये डाल दो!
मैंने उसको बोला- इसका नाम लेकर बोलो ना!
तब वह मेरे कान के पास आकर बोली- अपना लंड डाल दो मेरी चूत में … चोद दो मुझे!
और मेरे होटों पर किस करने लगी.
मैं उसकी मोटी मोटी मोटी चूचियों को चूसते हुए उसके उपर आ गया.
वह मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी और गांड उठाकर अंदर लेने की कोशिश करने लगी.
जब उसने लंड को चूत पर सेट कर लिया तो मैंने जोरदार धक्का मारकर आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
कामिनी एकदम छटपटाने लगी- आआह्ह्हा आअ ह्ह्ह मनमीत … म्मार ही डालोगे क्या मुझे? आराम से चोदो … आई लव यू मनमीत!
मैंने फिर प्यार प्यार से पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और धीरे धीरे चोदने लगा.
जब कुछ पल बाद उसको मजा आने लगा तो वह गांड उठाकर कर खुद ही चूत में लंड लंड लेने लगी.
अअअ अआअअ ह्ह्हा आअह्ह ह मनमीत … जोर जोर से चोदो मुझे … आज तक मेरे पति ने ऐसे नहीं चोदा. आआ आह्ह्ह ह्हाआ अह्ह्ह मनमीत … जोर से चोदो!
मैं उसको जोर जोर से चोदने लगा.
दोस्तो, कामिनी को चोदने में जो मज़ा मिला, वह मज़ा मुझे पहली बार पहली चुदाई में मिला था.
फिर मैंने कामिनी को ऊपर आने को कहा.
कामिनी मेरे लंड पर बैठकर लंड को अंदर लेने लगी और अपनी मोटी मोटी चूची मेरे मुँह में देकर चुसवाने लगी.
वह जोर जोर से अपनी चूत को मेरे लंड पर पटक रही थी.
थोड़ी दर में जब कामिनी थकने लगी तो मैंने उसको घोड़ी बना लिया और पीछे से उसको चोदने लगा.
कसम से दोस्तो, कामिनी की चूत इतनी मस्त थी कि चोदते चोदते मज़ा आ गया- ऊऊओ ह्ह्ह्हह कामिनी … बहुत मस्त चूत है तेरी! अअअअ अअअह मज़ा आ गया. आई लव यू कामिनी!
कामिनी- आआआ ह्ह्ह ह्हहआ … मेरे मन के मीत … और जोर से चोद ना … फाड दे आज मेरी चूत को!
चुदाई करते करते कब 15 मिनट बीत गये, पता ही नहीं चला.
फिर कामिनी झड़ने लगी तो उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और मुझे इतनी जोर से कस लिया जैसे अजगर अपने शिकार से लिपट जाता है’
वह चिल्लाते चिल्लाते झड़ गयी- अअअ अअअह्ह ह्हहा हाहा … आई लव यू मनमीत!
उसके कुछ पल बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया.
अब हम दोनों शांत होकर एक दूसरे से लिपट कर लेट गये और एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मैंने कामिनी से पूछा- मेरी जान, मज़ा आया?
तो वह मेरे गले लगकर बोली- हाँ मनमीत, बहुत मज़ा आया. आज पहली बार मेरी चूत से पानी निकला है चुदाई के दौरान … वरना मेरा पति तो महीने में एक आध बार करता है और जल्दी से करके सो जाता है.
कामिनी- मनमीत, आप मेरा कभी साथ मत छोड़ना. मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहती हूँ. आई लव यू मनमीत!
मैं- आई लव यू टू मेरी काम की देवी कामिनी!
फिर दोस्तो हम सो गये.
दोपहर को कामिनी मुझसे पहले उठ गयी.
जब मैं उठा तो हमारी दोबारा किस शुरु हो गयी.
मगर इस बार कामिनी ने मेरे लंड को बिना कहे मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
अअअ अअह्ह्ह ह्हा दोस्तो, वे पल भुलाये नहीं भूले जाते.
कामिनी के लंड चूसते ही लंड अपनी औकात में आ गया और दोबारा चुदाई के लिए तैयार हो गया.
अब मैं कामिनी की चूत चाटने लगा और कामिनी मेरे लंड को चूसने लगी।
कामिनी दोबारा चुदने के लिए अपनी टांगें फैलाने लगी और बोली- चोदो मनमीत, फाड़ दो इसको!
मैंने उसकी चूची मुँह में लेते हुए दोबारा उसकी चुदाई शुरु कर दी.
चुदाई में कभी वह मेरे ऊपर … कभी मैं उसके ऊपर!
कामिनी की चूत से मन ही नहीं भर रहा था.
फिर देसी मैरिड गर्ल फक़ के बाद हम फिर से झड़कर शांत हो गये.
तो मैंने कामिनी से पूछा- कामिनी, तुम तो मना कर रही थी मुँह में लेने के लिए! फिर ये सब?
कामिनी- मैं नहीं चाहती कि मेरा मनमीत किसी भी कारण से मुझसे नाराज हो. इसलिए!
और वह दोबारा मेरे गले लग गयी.
अबकी बार कामिनी थोड़ी भावुक हो गयी थी.
मैंने उसके माथे पे किस किया और उसको आई लव यू बोला.
फिर शाम को हम दोनों उसका एग्जाम सेंटर देखने चले गये.
वहाँ पर सब मुझे उसका पति समझ रहे थे.
और कामिनी भी ऐसे कर रही थी जैसे मैं ही उसका पति हूँ.
फिर पूरी रात चुदाई के बाद अगले दिन उसका एग्जाम दिला कर मैं वापस उसको भिवानी छोड़ आया.
भिवानी स्टेशन पर वह अलग होते हुए रोने लगी तो मैंने उसको प्यार से समझा कर घर भेज दिया.
कामिनी से आज भी मेरी बात होती है.
उसके बाद मैं कई बार उसको भिवानी जाकर भी चोद कर आया हूँ.
दोस्तो, आपको मेरी देसी मैरिड गर्ल फक़ स्टोरी कैसी लगी? जरूर बतायें.
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