कोरोना काल में सामूहिक चुदाई- 2 (Group Chudai Ka Maja)

मैंने ग्रुप चुदाई का मजा लिया चार चार बुड्ढे अंकलों के लंड से. मेरे पड़ोसी अंकल ने अपने तीन दोस्तों को मेरी चुदाई के लिए बुला लिया. उन्होंने मेरे साथ क्या किया?

यह कहानी लड़की की आवाज में सुनें.

ग्रुप चुदाई कहानी का पिछला भाग: 55 साल के बुड्ढे से गांड मरवाने का मजा

धीरू अंकल ने 5 मिनट तक लगातार मेरी गांड मारी और फिर उनके झटके बहुत तेज हो गए.

उन्होंने आखिरी दो तीन झटके में अपना सारा पानी मेरी गांड में निकाल दिया; जिसे मैंने महसूस किया.

फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे.

लगभग आधा घंटे बाद धीरू अंकल के फोन पर घंटी बजी तो उन्होंने फोन उठाया.
यह फोन रिजवान का था.

फोन उठाते ही बोले- मेरे बराबर वाले फ्लैट में वो जो लड़की रहती है, उसके घर आ जाओ.

2 मिनट बाद ही मेरे फ्लैट की घंटी बजी तो धीरू अंकल ने कहा कि मेरा दोस्त आ गए.
तो मैंने उनसे कहा- आप जाकर दरवाजा खोलो.

मैंने उठकर टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन लिया था.

इतने में धीरू अंकल ने अपना पजामा डाला और वे दरवाजा खोलने चले गए.

दरवाजा खुलते ही उन्होंने अपने तीनों दोस्तों को अंदर बुला लिया और फिर दरवाजा बंद कर दिया.

फिर उनके दोस्तों ने उनसे पूछा कि यहाँ क्यों बुलाया है?
तो अंकल ने कहा- दोस्तों को जन्नत की सैर कराता हूं.

तभी रिजवान और सुनील ने आश्चर्य से पूछा- क्या तूने हमें उस लोंडिया की चूत दिलवाने के लिए बुलाया है?
तो धीरू अंकल बोले- हां बेटा हां … उसकी चूत और गांड सब कुछ दिलवाऊंगा.

यह सुनते ही उन तीनों की आंखों में चमक आ गई.

तभी प्रवीण बोला- वो माल कहां पर है?
तो धीरू अंकल ने इशारा करके बताया- वो माल वहां लेटी है.

तभी मैं बाहर आ गई.
मुझे देखते ही तीनों बुड्ढे मुझे घूरने लगे.

मैंने भी सोचा कि चलो हम आज इन बुड्ढों को जन्नत की सैर कराती हूं.

फिर मैं जाकर धीरू अंकल से बोली- ये लोग कौन हैं?
तो धीरू अंकल ने कहा- मेरी जान, इन तीनों से मिलो. ये हैं मेरे दोस्त रिजवान सुनील और प्रवीण!

मैंने तीनों से हाथ मिलाया.

उनकी उम्र लगभग 55 से 60 साल के बीच में थी.
रिजवान तो ऐसा लग रहा था जैसे उसके पैर कब्र में थे. ऐसा लग रहा था साला अभी मर जाएगा.
मुझे तो डर था कि कहीं वे मेरी चूत में झटके देता देता न मर जाए!

फिर हम पांचों सोफे पर बैठ गए.
मैं धीरू अंकल से चिपक कर बैठी हुई थी.

धीरू अंकल का एक हाथ मेरी जांघ पर था जिसे वे सहला रहे थे.
यह देखकर तीनों के लंड खड़े होने लगे.

मैंने तीनों की लंड की तरफ देखा तो उनके लंड उनकी पैन्ट में से फुंकारे मार रहे थे और बाहर आने को बेताब थे.
प्रवीण ने तो मुझे देख कर एक बार को अपने लंड को सहला भी दिया.

तभी धीरू अंकल ने कहा- फेहमिना मेरी जान! जाओ जाकर इनकी थोड़ी सी खातिरदारी करो.
तो मैं किचन में चली गई और जाकर वहां पर चाय बनाने लगी.

तभी मैंने देखा कि धीरू अंकल मेरे पीछे पीछे रसोई में आ गए और उन्होंने आते ही मेरी गांड पकड़ ली.
फिर वे मेरी शॉर्ट्स को नीचे करके मेरी गांड को चाटने लगे.

मैंने कहा- आप जाकर अपने दोस्तों के पास बैठो. मैं थोड़ी देर में आती हूं.
तभी मैंने रसोई में लगे शीशे में देखा कि रिजवान सुनील और प्रवीण तीनों चुपके से देख रहे थे.

मैं समझ गई कि धीरू अंकल यह सब उन्हें दिखाने के लिए कर रहे हैं.
तब मैंने भी मजे लेने का सोचा.

मैं अपनी गांड को उनके मुंह पर मारने लगी और अपने हाथों से अपने दूध दबाने लगी.
फिर मैंने अपनी टीशर्ट भी खुद ही निकाल दिया और मैं सबके सामने नंगी हो गई.

तभी वो तीनों भी रसोई में आ गए और मुझे देख कर मेरे ऊपर झपट पड़े.

सबसे पहले सुनील ने मुझे किस करना शुरू कर दिया.
मुझे लग रहा था जैसे मेरी चुदाई रसोई में ही होने वाली है.

प्रवीण मेरे दोनों दूध दबा दबा कर उनका दूध निकाल देना चाहता था.
और रिजवान पीछे से तेरी मेरी गांड चाट रहा था.

मैं तो चारों तरफ से घिरी हुई थी. एक साथ 4 – 4 मर्दों का स्पर्श मुझे रोमांचित कर रहा था.

धीरू अंकल को छोड़कर बाकी तीनों तो मुझ पर कुत्तों की तरह पड़ गए थे; जैसे मुझे आज ही नोच कर खा जाएंगे.

प्रवीण मेरे दूध बहुत जोर जोर से काट रहा था जिससे मुझे दर्द हो रहा था.
मेरी आंखों में हल्के से आंसू भी आ गए थे.

आंसू देख कर धीरू अंकल ने इन तीनों को रोका और कहा- ऐसे जंगली मत बनो. यह लड़की अपनी ही है. प्यार से करो इसके साथ!

तो उन तीनों ने मुझे मुझसे माफी मांगी और बोले- हम तुम्हारी जैसी जवान लड़की को देखकर फिसल गए थे. अब हम आराम आराम से ही करेंगे.
फिर चारों ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया.

अब चारों लोग बिस्तर पर खड़े हुए थे और मैं उनके सामने नंगी लेटी हुई थी.
उन चारों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

चारों नंगे हो गए. उनके लंड देखकर लग रहा था कि यह तो साले सच में ही बहुत बड़े वाले चोदू हैं. किसी का लंड 7 इंच से कम का नहीं था.
मगर उनके लंड अभी भी थोड़े मुरझाए हुए थे.

तभी धीरू अंकल मुझसे कहा- मेरी जान, जरा इनके लंड खड़े करो.

तो मैंने सबसे पहले प्रवीण का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया.
प्रवीण का लंड भी अच्छा खासा मोटा तगड़ा था.

रिजवान और सुनील मेरे बगल में आकर खड़े हो गए. उन्होंने मेरे हाथ अपने लंड पर रख दिया. मैं उनका लंड सहला रही थी.

उधर प्रवीण मेरे मुंह में झटके देने लगा. उसका लंड पूरी तरीके से खड़ा हो गया था.
तो मैंने अपने मुंह से बाहर निकाल कर लिया और रिजवान का लंड चूसना शुरू कर दिया.

रिजवान का लंड अच्छा खासा 2 मिनट में खड़ा हो गया.

फिर मैंने सुनील का लंड मुंह में ले लिया और उसको भी खड़ा कर दिया.

आखिर में मैंने धीरू अंकल का लंड भी मुंह में ले लिया.
क्योंकि वो पहले ही दो बार झड़ चुका था उसे खड़ा करने में मुझे बहुत टाइम लगा.
मेरे मुंह में दर्द होने लगा था तो मैंने उनके लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाल दिया.

फिर मैं बिस्तर पर लेट गई.

प्रवीण मेरी जाँघों के बीच में आकर मेरी चूत चाटने लगा.

और इधर रिजवान और सुनील मेरे दोनों बूब्स पर झपट पड़े.
वे दोनों मेरी एक-एक बूब को चूस रहे थे. बल्कि यों कहिए कि वे मेरे बूब्स को काट कर मेरे शरीर से अलग कर देना चाहते थे.

फिर मैंने रिजवान के मुंह को अपने हाथों से ऊपर उठाया और उसको किस करना शुरू कर दिया.
मैं सेक्स में पूरी तरीके से टूट चुकी थी. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रही हूं.

मैं कभी रिजवान को किस करती; तो कभी सुनील को;

उधर प्रवीण मेरी चूत में अपने दांत लगा लगा कर उसको काटने की पूरी कोशिश कर रहा था.

मुझे इससे बहुत मजा आ रहा था. मैं एक बार तो झड़ भी गई थी.

तभी वो चारों मेरे जिस्म से एक साथ अलग हो गए.
मैं जैसे बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी और बोली- मादरचोदो, आओ … आकर मेरी चुदाई करो.

लेकिन उनमें से कोई भी आने को तैयार नहीं था.
धीरू अंकल ने सब को रोक कर रखा हुआ था.

मैंने कहा- मादरचोदो क्या चाहते हो?
तो वे बोले- हम चाहते हैं कि तुम हमसे लंड की भीख मांगो.

मैंने उनसे कहा- मादरचोद ज्यादा ही अकड़ आ रही है क्या? निकल जाओ यहां से … वरना तुम सब की मां चोद दूंगी एक मिनट में! यह सब रंडीपना मुझसे नहीं होगा.
तो तीनों डर गए और माफी मांगने लगे.

बोले- हम तो धीरू के कहने में आ गए थे. हम तो तुम्हें चोदना चाहते हैं.
मैंने कहा- चुपचाप आकर मेरी चुदाई करो.

तभी रिजवान सबसे पहले आ गया और मेरी टांगें अपने कंधे पर रख ली.
एक झटके में उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.

मैंने उसको कहा- भोंसड़ी के … सबसे पहले कंडोम लगा मादरचोद!
उसने लंड चूत से बाहर निकाल दिया.
मैंने उसको कंडोम दे दिया.

अब मैंने कहा- अब एक-एक करके मेरी चुदाई करो.
सबसे पहले रिजवान ही आया और उसने मेरी टांगों के बीच में एक झटके में अंदर डाल दिया.
इससे मेरी आह निकल गई.

फिर वह जोर-जोर से मेरी चूत में झटके देने लगा.
मैंने उसका जोश बढ़ाने के लिए कहा- चाचा औ भोसड़ी वाले चाचा … जरा आराम से करो! वरना 2 मिनट में निकल लोगे.

यह सुनकर उसे और ज्यादा जोश आ गया.
फिर उसने और जोर जोर से झटके देने शुरू कर दिए.

5 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना सारा पानी चूत मेरी चूत में कंडोम में निकाल दिया और थक कर बराबर में लेट गया.

फिर सुनील ने मोर्चा संभाला और आकर मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी.

मैंने उसे रोका और बोली- मुझे दोनों के साथ एक साथ चुदाई करवानी है.
यह कह कर मैंने प्रवीण को नीचे लिटाया और उसके खड़े लंड पर जाकर बैठ गई.

फिर मैंने उसकी छाती पर गिरकर चिपक गई.
पीछे से सुनील ने मेरी गांड को फैलाया और मेरी गांड के छेद में लंड को डाल दिया.

अब मेरी चूत में प्रवीण का लंड और मेरी गांड में सुनील का लंड था.

फिर मैंने धीरू अंकल को बुलाया और उनके लंड से कंडोम निकाल कर उनका लंड चूसना शुरू कर दिया.
वे मेरे मुंह में धक्के दे रहे थे.

मेरे 3 छेदों में लंड थे.
यह पहला चुदाई अनुभवथा कि मैं 4 मर्दों से एक साथ चुद रही थी.
और वे भी चारों बुड्ढे ही थे.

लेकिन मुझे बहुत मजा भी आ रहा था. मैं बस ‘आह्ह आअह … और जोर से चोदो … मादरचोदो लंड में जान नहीं है क्या चूतियो’ ही कर रही थी.

लगभग 10 मिनट बाद हमने पोजीशन बदली.

मैंने प्रवीण का लंड मुंह में ले लिया; धीरू अंकल मेरी चूत में लंड डालकर धक्के देने लगा.
मैं तो जैसे किसी सैंडविच की तरह पिस रही थी. मेरे चारों तरफ से और वे लोग मेरी जोरदार चुदाई कर रहे थे.

लम्बी चुदाई के बाद वे चारों बुड्ढे लोग झड़ गए.
मेरी दायीं तरफ दो और मेरी बायीं तरफ दो आदमी बिस्तर पर लेटे हुए थे. उन चारों के हाथ मेरे जिस्म पर लगातार चल रहे थे.

उनकी चुदाई से मैं पूरी तरीके से थक चुकी थी तो मैंने कहा- अब तुम लोग अपने घर जाओ. शाम को मिलते हैं.

यह सुन कर वो लोग उदास हो गए. वो शायद जाना नहीं चाहते थे.
मगर मेरे ज्यादा बोलने की वजह से वे लोग वहां से चले गए.

उनकी चुदाई से मेरा बदन बुरे तरीके से दर्द कर रहा था. मैं जाकर गेट बंद करके आई और आकर बिस्तर पर आकर सो गई.

फिर मेरी आंख अगले दिन सुबह ही खुली.

उसके बाद यह सिलसिला कुछ दिन तक चलता रहा.

फिर एक दिन धीरू अंकल से खबर आई कि रिजवान इस दुनिया में नहीं रहा.
मैंने मन में सोचा कि लगता है साले को आखिरी बार मेरी चूत ही मारनी थी. इसी के लिए रुका हुआ था.

खैर अब उन चार में से तीन रह गए थे.
उसके बाद भी उन तीनों ने मेरी चुदाई जारी रखी.

फिर लॉकडाउन खुल गया और सब का काम पहले की तरह से शुरू हो गया.

अब मैं कभी कभी चुदाई धीरू अंकल से करवा लेती हूँ. बाकी उनके दोनों दोस्तों से मैंने सारे संबंध खत्म कर लिए हैं.

तो दोस्तो आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी? आप सब मेल करके बता मुझे सकते हैं।
आप सबके मेल का इंतज़ार रहेगा।
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