हैलो दोस्तो, मैं राज शर्मा एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने मेरी कहानी ‘जिगोलो बनने की सच्ची कहानी’ पसंद की।
मैं आप सबके कमेंट्स का आभारी हूँ।
अब मैं अपनी अगली कहानी पर आता हूँ। मेरी वो घटना मैं कभी नहीं भूला।
हाँ.. मुझे इस काम में मजा आने लगा था।
मैंने पूजा के साथ काफी बार चुदाई की और आज भी वो मेरे सम्पर्क में है.. और क्यूँ ना हो, वो मेरी पहली ग्राहक जो थी और उसी से तो सीखा था कि एक औरत क्या चाहती है।
वो रविवार का दिन था।
मैं पूजा के साथ उसको खुश करने में व्यस्त था।
हमारे रात भर के जबरदस्त चुदाई कार्यक्रम के बाद हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में लेटे हुए थे।
सुबह हो चुकी थी हम दोनों बिना कपड़ों के पड़े थे और एक-दूसरे को चूम रहे थे।
मैंने पूजा से कहा- शायद मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।
पूजा ने हंस कर टाल दिया।
मैंने फिर कहा- सच में मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूँ।
उसने मजाक में कहा- बिल्डिंग में रह रहे हो.. शौक से रहो.. मालिक बनने की कोशिश मत करो।
मुझे बुरा लगा लेकिन वो ठीक कह रही थी। आफ्टर आल वो शादीशुदा थी।
उसने कहा- ज्यादा दिमाग मत चलाओ.. मैं हूँ ना तुम्हारे साथ.. मैं चाय बना कर लाती हूँ।
वो चाय बनाने चली गई और मैंने एक सिगरेट जला ली।
वो चाय लेकर वापस आई और बोली- बुरा मत मानना.. पर क्या तुम मेरी फ्रेंड के साथ भी चुदाई कर सकते हो?
मैं जानती हूँ कि तुम प्रोफेशनल नहीं हो.. लेकिन मेरे लिए मेरी सहेली को भी एक बार खुश कर दो।
मैंने कहा- मैं तुम्हारे साथ ये सब इसलिए करता हूँ क्यूंकि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और मैं किसी और के साथ ये सब नहीं कर सकता।
चाय पीकर मैं तैयार होकर वापस आ गया।
मेरे दिमाग में उसकी बात घूम रही थी कि वो ऐसा कैसे समझ सकती है.. पर मेरी तो वो कच्ची उम्र थी न.. उस उम्र में लगाव बड़ी जल्दी से होता है।
जबकि उसे मुझसे कोई खास लगाव नहीं हुआ था, उसे मेरा चोदने का तरीका पसंद था बस..
फिर वो हफ्ता निकल गया।
फिर से शनिवार आया।
उसने मुझे फ़ोन किया- आज आना है..
मैंने ‘हाँ’ कह दिया और हमेशा की तरह रात को उसके घर पहुँच गया।
पूजा वहाँ नहीं थी।
किसी दूसरी महिला ने दरवाजा खोला।
मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, एकदम से इतनी सुन्दर लड़की मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने अपने जज्बातों को काबू में किया और अन्दर चला गया।
मैंने उससे बिना पूछे कमरे में चारों ओर देखना शुरू किया।
पूजा के ना मिलने पर मैंने उस महिला से पूछा- पूजा कहाँ है?
उसने कहा- आ जाएगी.. तुम बैठो तो.. कुछ लोगे पानी वगैरह..
मैंने कहा- हाँ.. एक गिलास पानी लूँगा।
वो पानी लाई और मुझसे बोली- नन्हें आशिक हो पूजा के.. इतनी बेचैनी से ढूंढ रहे हो उसे.. काश हमें भी कोई ऐसे ही ढूँढता।
मैंने पूजा को फ़ोन करके पूछा- कहाँ हो?
तो उसने बोला- मुझे तो एक जरूरी काम से किसी रिश्तेदारी में जाना पड़ा। मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकती थी इसलिए मैंने अपनी फ्रेंड को बुला लिया।
मैं सारा माज़रा समझ गया कि यह पूजा की वही फ्रेंड थी.. जिसके बारे में पूजा ने मुझसे कहा था।
पहले तो सोचा कि मना कर दूँ.. पर उसकी फ्रेंड थी ही इतनी खूबसूरत कि मेरे होंठ अपने आप सिल गए।
उसका नाम योगिता था, पंजाबन थी, उसने सिल्क का लाल पटियाला सूट पहना था।
काफी धनाड्य परिवार से लग रही थी।
क्या फिगर था बाई गॉड.. बड़ी-बड़ी आँखें.. हाथ में अभी भी चूड़ा पहना था। ऐसा लगा रहा था..
जैसे अभी शादी हुई है।
मैं फ़ोन पर बात करते-करते उसमें खो गया.. तभी उसने एक कातिल सी मुस्कान दी और बोली- हो गई बात? मैंने कहा- हाँ.. हो गई।
अब मैं पूजा को भूल कर उससे बात करने लगा।
वो आकर मेरे पास बैठ गई।
हम बातें करने लगे.. मैंने उसे अपने बारे में बताया और उसने अपने बारे में।
मैंने अपने और पूजा की उस घटना के बारे में बताया।
मैंने कहा- मैं प्रोफेशनल नहीं हूँ.. पर तुम्हें देख कर खुद को रोक भी नहीं पा रहा हूँ।
उसने कहा- मैं तुम्हारे बारे में जानती हूँ.. मुझे पूजा ने बताया है कि बिस्तर में मस्त हो और मैं यह सुन कर तुमसे मिलने से खुद को रोक नहीं पाई।
मैं तनिक मुस्कुराया।
उसने बताया- मेरी अभी 3 महीने पहले ही शादी हुई है.. इंटर-कास्ट लव मैरिज की है.. पर शादी के बाद पता चला कि मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता है।
मैंने कहा- तुम्हें डाक्टर से मिलना चाहिए था।
उसने बताया- मेरे पति बहुत जिद्दी है, वो अपने आपको बिल्कुल ठीक समझता है और डाक्टर को नहीं दिखाना चाहता।
‘हम्म..’
वो हँस कर बोली- वैसे भी अब मेरे पास राज़ है.. मुझे क्या जरूरत.. वो चाहे जो करे।
मैंने सर हिल कर ‘हाँ’ कह दिया।
मुझे भूख लगी थी.. सो पहले हमने खाना खाया।
उसके बाद हम शयनकक्ष में जाकर बैठ गए.. टीवी पर डिस्कवरी लगा था.. मैं टीवी देखने लगा।
वो बोली- मैं कपड़े बदल कर अभी आती हूँ।
वो काले रंग की लिंगरी में वापस आई.. उसे देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
मैं बोल पड़ा- तुम्हारा पति पागल है.. मैं उसकी जगह होता तो तुम्हें खा जाता।
वो बोली- किसने कहा.. तुम नहीं हो.. आज रात तो मैं तुम्हारी ही दुल्हन हूँ.. खा लो.. खा कर ख़त्म कर दो।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। कितनी सुन्दर लग रही थी वो..
मैं अपनी किस्मत पर इतरा रहा था। वो एक वाइन की बोतल लाई थी।
मैं उस वक्त ड्रिंक लेने लगा था तो मैंने कोई विरोध नहीं किया।
उसने एक गिलास में वाइन डाली।
मैंने पूछा- तुम नहीं लोगे?
उसने कहा- नहीं.. मैं इसी से पियूंगी।
और हमने बारी-बारी से एक ही गिलास में वाइन पी।
उसने वाइन को अपने मुँह में भर लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए।
मैं उसके मुँह की सारी वाइन पी गया।
मैं उसके जिस्म के नशे में पागल हो रहा था।
मैंने उसके गहने उतारने शुरू किए उसके कान के बुँदे.. गले का लॉकेट.. वगैरह-वगैरह।
मैंने उसका चूड़ा उतारना चाहा.. उसने मना कर दिया।
उसके यहाँ कोई रिवाज था कि 6 महीने तक चूड़ा पहनते हैं।
मैंने कहा- अब कौन सा रिवाज निभा रही हो.. जब तुम अपने के इतर किसी गैर मर्द की बाँहों में सुख लेने जा रही हो।
उसने कहा- नाराज क्यों होते हो.. उतार दो.. वैसे भी आज ये योगिता तुम्हारी है।
मैंने उसके सारे गहने निकाल दिए। ब्लैक साटन की लिंगरी में क्या खूब लग रही थी।
मैंने पैन्टी के ऊपर से ही उसे सहलाना शुरू किया। वो अपने होंठ काटने लगी और ‘आह.. आह..’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने उसकी पैन्टी नीचे की और उसकी चूत में ऊँगली डाल दी।
काफी कसी हुई चूत थी..
केवल एक ही ऊँगली अन्दर जा पाई।
मैंने उसके ‘जी-स्पॉट’ को सहलाना शुरू किया.. वो उछलने लगी और मेरे हाथ को अपनी जाँघों में दबाने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने हल्का सा रस छोड़ दिया।
हालांकि उसका चरम नहीं हुआ था।
मैंने तभी हाथ निकाल लिया।
अब मैंने उसके स्तनों से खेलना शुरू किया।
मैंने उसकी काले रंग की ब्रा उतार दी.. हय.. उसके मम्मों की क्या छटा थी.. उठे हुए आम.. आह.. किसी के भी मुँह में पानी आ जाए।
मैंने मम्मों को दबाना और चूसना शुरू किया।
वो बेसुध सी मस्त और मदहोश होकर मेरी बाँहों में किसी खिलौने की तरह पड़ी थी।
मैं उसे खूब चूम रहा था.. उसके मम्मों को मुँह में भर कर चूस रहा था। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि आज तुझे जो खजाना मिला है.. लूट ले इसे.. फिर नहीं मिलेगा।
मैं उसके पूरे बदन को चूमते हुए उसकी जाँघों में पहुँचा।
मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और उसकी गुलाबी मासूम सी चूत पर टूट पड़ा।
क्या खुश्बू थी.. उसके मद भरे जिस्म की.. मुझे नशा सा चढ़ रहा था।
वो मेरे बाल खींच रही थी.. अचानक उसने मेरे मुँह में पिचकारी मार दी और बेहोश सी हो गई।
मैं उसकी चूत का सारा पानी चट कर गया।
मैं फिर भी वहीं लगा रहा और दांतों से उसकी चूत के होंठों को काटने लगा।
वो गनगना उठी और उसे फिर से जोश चढ़ गया और उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया।
उसने मुझे घुमाया और मेरा अंडरवियर उतार दिया।
अब हम 69 की अवस्था में थे.. पूरी जान लगा कर एक-दूसरे को चूस रहे थे।
इस बार फिर से वो झड़ गई और मेरे मुँह के साथ-साथ मेरी नाक में भी उसका पानी आ गया।
मुझे एक छींक आई और उसी छींक के साथ मैं उसके मुँह में झड़ गया।
उसने मेरा पूरा पानी चट कर लिया।
हम थोड़ी देर उसी अवस्था में पड़े रहे।
फिर मैं उसके बाजू में लेट गया और उसके पेट पर हाथ फिराने लगा।
लगभग 30 मिनट बाद मुझे फिर से जोश चढ़ने लगा और शायद उसे भी मस्ती छाने लगी थी।
अब वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैंने अपना घुटना उसकी चूत पर लगा दिया और सहलाने लगा।
उसने मेरा होंठ काट लिया मैंने उसे उठा कर बाजू में किया और उसके ऊपर हो गया।
अब मैं उसके होंठ चबा रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके स्तनों को निचोड़ रहे थे।
उसने पूछा- हम सेक्स नहीं करेंगे क्या?
बस अभी कहानी को यहीं रोक रहा हूँ।
मुझे ईमेल करके अपने विचार व्यक्त करना ना भूलें।
अभी कहानी का मुख्य भाग बाकी है मेरे साथ बने रहिए।
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कहानी का अगला भाग : खूबसूरत पंजाबन की प्यास-2