कुलदीप दहिया
हैलो दोस्तो, मैं कुलदीप अपनी एक कहानी लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ उम्मीद है कि आपको पसन्द आएगी। यह कहानी बिल्कुल सच्ची है और सारी कहानी जोधपुर में घटित हुई है।
मैं एक 24 साल का युवक हूँ, 5 फिट 9 इंच लम्बा हूँ और मेरा लंड 6 इंच लम्बा है। मेरी भाभी अनीता, 5 फिट 3 इंच लम्बी है।
वो भी 25 साल की है और उसकी देहयष्टि का माप 36-32-36 है, वह बहुत ही गोरी और तीखे नैन-नक्श वाली एक कामुक माल है। भाभी का भारी पिछवाड़ा है और उठे हुए मम्मे हैं।
मेरे बड़े भाई रोहन से उसकी शादी हुए एक साल हुआ है। पिछले 6 महीने से रोहन व्यापार के सिलसिले में अक्सर बाहर आते-जाते रहते हैं।
भैया रात को 12 बजे तक काम करते हैं।
कई बार मैं छुप कर भैया को भाभी की चुदाई करते देख चुका था।
एक दिन जब भैया किसी काम से 15 दिनों के लिए जोधपुर से बाहर चले गए तो मैंने देखा कि भाभी उदास-उदास सी रहने लगी थी और मैंने देखा कि वो दिन में कई बार अपनी चूत को अपने हाथ से खुजलाती रहती थी।
इन 4-5 दिनों में वो कई बार मेरे सामने भी अपनी चूत को खुजलाती रहती थी और खुजलाते वक्त मेरी तरफ़ बड़े ही मोहक और कामुक अंदाज में गहरी नज़रों से देखती भी जाती थी।
मैं जान गया था कि भाभी की चूत बड़ी मचल रही है, पर मैं क्या कर सकता था। एक सुबह मैंने देखा कि अनीता जब दूध लेने के लिए दूध वाले के पास आई तो उसके सामने अपनी चूत को खुजलाने लगी।
दूध वाला भी बड़ी मादरचोद नज़रों से भाभी को चूत खुजाते देख रहा था।
मुझे एक झटका सा लगा मैं जान गया कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वरना घर की इज़्ज़त चुदने वाली है। उस रात मैंने पक्का सोच लिया कि मुझे भाभी की मदद करनी पड़ेगी, वरना कुछ भी हो सकता है।
मैंने तो तय कर लिया था कि आज कुछ तो करके ही रहूँगा।
उस रात जब सब लोग सो गए और सबके सो जाने के बाद मैंने एक कोशिश की, मैंने पहले उनके करीब जाकर लेट गया।
फिर आहिस्ता से, उनके मम्मों पर हाथ फिराया और आहिस्ता-आहिस्ता से दबाने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि वो भी मूड में आ रही है।
फिर मैंने उसकी रात को सोते समय पहनने वाली कमीज़ में हल्के से हाथ डाला।
जब मेरा हाथ उसके मुलायम मम्मों पर गया, तब मेरे हाथ में उसकी रेशमी ब्रा अटक रही थी, जो मुझे दिक्कत कर रही थी।
इस दौरान मेरी धड़कनें तेज़ हो रही थीं।
फिर मैंने अपनी उँगलियों से उसकी ब्रा को हटाने की कोशिश की, पर नाकाम रहा क्योंकि मेरे ऐसा करने से वो थोड़ा सा हिलने लगी और मैंने फ़ौरन अपना हाथ हटा लिया।
लेकिन कुछ ही देर बाद मैं खुद ही हैरान हो गया, क्योंकि मेरे लंड पर भाभी का हाथ था और देखते ही देखते उसने हल्के से मेरे लंड को मसलना शुरू किया।
मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा था।
उसके ऐसा करने से मुझे भी जोश आ गया, मैंने उसे अपनी ज़िप खोल कर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया, धीरे से उसके कान में कहा- लो अब मसलो मेरे लण्ड को..!
उन्होंने सच में मेरे लौड़े को मसलना शुरू किया। मैं तो अपने आपे में नहीं रहा।
फिर हम दोनों एक-दूसरे के कपड़े निकाले।
मैं अपने जीवन में आज पहली बार साक्षात नंगी औरत को देख रहा था।
सच में मैं भाभी को नंगी देख कर बहुत खुश हो गया और उसकी चूत देखी तो पता चल गया कि भाभी ने सुबह ही अपनी चूत साफ़ कर ली थी।
मैंने चूत पर हाथ फिराया तो मेरे हाथ में चिकना रस आया मैंने भाभी से पूछा- आप बहुत चुदास महसूस कर रही हो?
वो बोली- बहुत.. आज तो देवर जी मेरी जी भर के चुदाई कर दो।
बस मैंने भाभी को दोनों हाथों से उठाया और भाभी के होंठों पर चुम्बन करने लगा।
फिर दोनों मम्मों को अपने हाथों से पकड़ कर बहुत प्यार से मसलने लगा। फिर उनके चूचुकों को मुँह में लेकर खूब चूसा।
अब तो भाभी और भी अधिक चुदासी हो गई- देवर जी, अब मेरी चूत चाटो।
मैंने भाभी की दोनों टाँगें फैलाईं और बीच के छेद में मुँह लगा दिया, उसकी चूत के होंठों को मस्ती से चूसने लगा।
उसकी चूत ने रस छोड़ दिया मैंने अपनी ज़ुबान से उसका सारा रस पीने लगा।
शुरू में उसका रस अज़ीब सा लगा, फिर भाभी का रस ऊँगलियों पर लगा कर अपने लौड़े पर लगाने लगा।
भाभी मुझे ऐसा करते देख पागल होने लगी।
मैंने भाभी को अपने लौड़े को मुँह में लेने का इशारा किया।
फिर क्या था भाभी ने मेरा लंड मुँह में ‘गप्प’ से ले लिया और प्यार से चूसने लगी, अपना हाथ लंड पर चारों तरफ फिराने लगी और आधा लंड मुँह में ले लिया।
फिर वो ज़ुबान से सारा लौड़ा चाटने लगी और बोली- अब मेरी चुदाई करो, मैं बहुत तड़प रही हूँ… कितने दिन से तुम्हारे भैया ने मुझे अच्छी तरह से नहीं चोदा है।
मैंने भाभी की गाण्ड के नीचे एक तकिया रखा और दोनों टाँगें फैला दीं। फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारा बेबी आयल लगाया।
जब मैं अपना लंड नीचे लाया तो भाभी ने व्याकुल हो कर मेरा लंड हाथ से पकड़ कर चूत के छेद पर रख दिया।
मैंने आहिस्ते से लंड को चूत में डालने के लिए दवाब दिया तो मेरा लण्ड का सुपारा चूत में अन्दर घुस गया।
भाभी की आँखें फ़ैल गईं तो मैंने पूछा- कोई तकलीफ़ तो नहीं हो रही है?
भाभी बोली- नहीं, ऐसा महसूस हुआ कि सिर्फ़ चूत फ़ैल गई हो।
मैंने और जोर दिया और आधा लंड चूत में पेल दिया, फिर मैं भाभी के होंठों पर चुम्बन करने लगा और आहिस्ते-आहिस्ते लंड अन्दर-बाहर करके चोदना चालू किया।
फिर चार धक्के और मारे और पूरा 6 इंच लंड चूत में घुसेड़ दिया।
भाभी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपने नाखून मेरी पीठ पर गाड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था और मैं तो जन्नत की सैर पर निकल गया था।
मैंने लंड को चूत में पेलना जारी रखा और उनके मस्त मम्मों को मसलने लगा।
दो मिनट के बाद भाभी बोली- बस अब और तेज़ करो देवर जी… मेरी जी भर के चुदाई करो, फाड़ डालो इसे… बहुत तड़पाया है इस कमीनी चूत ने..!
मैंने ताबड़तोड़ चुदाई की अभी 61-62 कर ही रहा था कि भाभी अचानक अकड़ गईं और मुझे कस कर पकड़ लिया और झड़ गईं।
फिर क्या मैंने अपना लंड आधा से ज़्यादा अन्दर-बाहर करके चुदाई करने लगा, पूरा कमरा ‘फच-फच’ की आवाज़ से भर गया।
पूरी दस मिनट चुदाई की और भाभी का दूसरी बार भी स्खलन हो गया, वो मुझे बहुत जोर से पकड़ कर झड़ गई।
अब मैंने आहिस्ते-आहिस्ते चुदाई चालू रखी, दो मिनट तक भाभी का रस रुक-रुक कर निकलता रहा।
फिर वो अपने दोनों हाथ बेड पर फ़ैला कर बोली- मेरे प्यारे देवर जी आप तो कमाल के चोदू हो, तुम्हारे भाई ने मुझे कभी ऐसा कभी नहीं चोदा।
मैंने कहा- भाभी अभी चुदाई खत्म नहीं हुई है, मेरा माल निकले तब खत्म होगी।
भाभी बोली- हाँ.. मुझे मालूम है, बस अपनी भाभी को जी भर के चोदो… मुझे चुदने में बहुत मज़ा आता है।
मैंने मेरा लंड पूरा बाहर निकाल लिया और ज़्यादा सा बेबी आयल लंड पर लगाया, फिर चूत में वापस डाला।
ऐसा करने से चुदाई का वक्त बढ़ जाता है।
अब तो मैं लम्बे-लम्बे धक्के मारने लगा और भाभी बहुत मस्त हो गईं, बोलने लगी- फाड़ दो मेरी.. फाड़ दो मेरी चूत.. पूरा लंड अन्दर डाल दो।
मुझे पसीना आने लगा भाभी अपना लहँगा लेकर मेरा माथा पोंछने लगी और चुम्बन देने लगी।
पूरे दस मिनट तक मैंने खूब चुदाई की, बाद में मैं बोला- भाभी मैं आ रहा हूँ।
भाभी बोली- हाँ.. अन्दर ही मार दे पिचकारी।
मैंने अपने लंड की पिचकारी चूत में छोड़ने लगा। जब मैंने गरम-गरम पिचकारी मारी, भाभी तो मस्त हो कर शिथिल हो गईं।
वो भी साथ में झड़ गई। उसका पूरा बदन झटके खाने लगा, दो मिनट तक हम दोनों को होश ही नहीं रहा कि किस लोक की सैर कर रहे हैं।
आख़िर में मैं भाभी पर ही लेट गया, दो मिनट के बाद मेरा लंड नरम होने लगा। मैंने उठ कर लंड को चूत से बाहर निकाला, मेरा पूरा लंड वीर्य से भरा चमक रहा था।
हम दोनों बाथरूम में गए।
भाभी बोली- राज तुम्हारा माल तो देखो, सांड की तरह इतना अधिक निकलता है और तुम्हारे भाई तो एक चम्मच ही निकलता है।
मैंने अपना लंड साबुन से धोया और हम दोनों ने कपड़े पहन लिए।
मैं भाभी को बाँहों में लेकर बहुत चूमने लगा।
मैंने पूछा- क्या तुम्हारा देवर चुदाई के लायक है?
भाभी ने प्यार से मुझे चुंबन दिया और बोली- इस चुदाई के लिए शुक्रिया.. अब तो तुम्हारे पास ही हूँ खूब अच्छी तरह से चुदवाऊँगी।
दोस्तो यह थी मेरी कहानी। आप मुझे अपने ईमेल ज़रूर कीजिए।
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