दोस्तो, मैं हूँ आपकी दोस्त सेक्सी पूर्वा.. आज मैं आप लोगों को बताऊँगी कि मेरी चुदाई मेरे ही भाई ने कैसे की।
चलो, तो पहले मैं अपने बारे में बताती हूँ। मैं बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की हूँ.. मेरे बड़े-बड़े चूचे किसी का भी लण्ड हिला सकते हैं।
अब ज़्यादा समय ना लेते हुए मैं अपनी स्टोरी पर आती हूँ।
बात उस समय की है.. जब मैं अपना एसएससी का एग्जाम देने भोपाल गई थी। भोपाल में मेरा भाई रहता था.. तो मैं उसके यहाँ रुक गई। वो मेरे दूर के मामा का लड़का था और भोपाल में रूम लेकर रहता था।
जब मैं भोपाल पहुँची.. तो वो मुझे लेने आया था। मैं उसके साथ उसके कमरे पर चली गई।
उसके कमरे पर जाकर देखा तो केबल एक ही बिस्तर था। उसने बोला- पूर्वा तुम थक गई होगी.. जा के नहा लो.. मैं तेरे लिए चाय लाता हूँ।
मैं नहाने जैसे ही गई.. तो देखा वहाँ पर कुछ सफेद कलर का जैल जैसा कुछ था।
मैं समझ गई कि आज भाई ने मुठ मार कर माल यहीं गिरा दिया है।
उसको देख कर मेरा मन भी कुछ करने लगा.. सो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नहाने लगी और अपनी चूत में उंगली करने लगी। पता ही नहीं चला कि कब भाई आ गया.. जैसे ही उसने आवाज़ लगाई.. मैं एकदम से डर गई और जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर आ गई।
मेरा मन अब भाई की तरफ खिंच रहा था.. क्योंकि मैंने चूत में उंगली की.. तो तो मैं बहुत गरम हो गई थी.. और अब तो मुझे हर हाल में लंड चाहिए था.. पर मैंने थोड़ा संयम बरता।
फिर मैंने अपने कपड़े पहने.. खाना खाया.. और भाई से थोड़ी बातें की और सो गई।
कमरे में एक ही बिस्तर था.. तो भाई भी मेरे बगल में सो गया था, मैं थकी हुई थी.. तो नींद जल्दी आ गई।
रात में करीब 2 बजे मेरी नींद खुली.. मैंने देखा कि भाई का लंड खड़ा हुआ है।
यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया.. और मैं भाई से चिपक कर सो गई।
जब कोई आहट न मिली.. तो मैंने भाई की बनियान को ऊपर करके उसके पेट पर हाथ रख लिया और आराम-आराम से उसकी चड्डी में भी हाथ घुसेड़ दिया।
भाई शायद उठ गया था.. पर सोने का नाटक कर रहा था।
मैं समझ गई कि इसकी नींद खुल चुकी है।
अब मैंने भाई की चड्डी नीचे को की और अपना लोवर नीचे करके अपनी पैन्टी भी नीचे सरका दी और भाई से बिल्कुल चिपक कर लेट गई।
अब भाई से कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने भी अपना हाथ मेरी चूत पर रख कर छेद में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
जैसे ही उसने अपनी उंगली अन्दर की.. मैं तो एकदम से तड़फ़ उठी।
उसको चूम लिया तो भाई ने बोला- ये सब क्या चल रहा है?
मैंने कुछ नहीं बोला और उठ कर उसका लंड लपक कर अपने मुँह में ले लिया।
भाई तो ये देख कर दंग रह गया और बोला- चल आज तुझे मैं असली चुदाई का मज़ा देता हूँ।
फिर भाई ने मेरे सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए।
मैंने भी भाई के सारे कपड़े उतार दिए, अब हम लोग एक-दूसरे में खो गए।
भाई ने मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया.. मैं इस रस से तड़फ़ने लगी थी।
मैंने भाई से सीत्कार करते हुए बोला- आह्ह.. भाई मैं तड़फ़ रही हूँ.. अपने लंड का मज़ा दो.. एयाया.. भाईईई ईईई.. मुझे छोड़ दो… अपनी सिस्टर को चोद दो..
इतना सुन कर वो बोला- मेरी रानी अब से तुम मेरी रानी हो.. और मैं तेरा राजा.. ये भाई-बहन का रिश्ता खत्म..
मैंने ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला दी।
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आकर एक-दूसरे को चाटने चूसने लगे।
फिर मैंने उससे बोला- मेरे राजा अब और मत तड़फा.. अपने लंड से फाड़ दे मेरी चूत.. और बना ले मुझको अपनी रंडी..
उसने देर ना करते हुए मेरी चूत पर अपना लंड रखा और एक ही झटके में पूरा 7 इंच का मुस्टंडा लंड मेरी चूत में पेल दिया।
जैसे ही लंड मेरी चूत में गया.. मुझे बहुत तेज दर्द हुआ।
मैंने चिल्लाते हुए बोला- ओह्ह.. बहनचोद.. निकालो इसे.. बाहर.. बहुत दर्द हो रहा है..
पर वो कहाँ सुनने वाला था.. वो तो मेरी चूत ऐसे चोद रहा था.. जैसे कोई रंडी को चोदता है।
थोड़ी देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा, मैं भी उसका उछल-उछल कर साथ दे रही थी।
करीब 10-15 मिनट बाद उसने बोला- मैं आने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
मैंने बोला- अपना लण्ड जल्दी से बाहर खींचो अन्दर मत झड़ना.. अपना रस मेरे मुँह में निकाल दो..
उसने तेजी से मेरी चूत से लौड़ा निकाला और उठ कर मेरे मुँह के पास लौड़ा चिपका दिया.. मैंने भी अपना मुँह खोल दिया और उसका हलब्बी मेरे मुँह में था।
फिर मैंने उसके लंड का रस खूब चचोर कर पिया.. और हम दोनों थक कर वहीं लेट गए।
पता ही नहीं चला कि हम दोनों की नींद कब लग गई।
मॉर्निंग में जब उठे तो मेरा राजा मेरे ऊपर ही चढ़ा था.. तो मैंने उसे उठाया और बोला- मुझे एग्जाम देने जाना है यार.. मुझे सेंटर तक छोड़ दो..
इसके बाद मैं पूरे 7 दिन वहाँ रुकी.. और कहानी के अगले भाग में मैं आपको बताऊँगी कि उसने मेरी गाण्ड कैसे मारी और फिर मेरे साथ क्या-क्या हुआ।
आपको मेरी चुदाई कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ ईमेल लिखिएगा।
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