दोस्तो, मेरी पिछली कहानी ‘तुम बड़े बेदर्दी हो’ को आप सबने बहुत सराहा, उसके लिए आप सब का बहुत धन्यवाद। अब मेरी अगली कहानी है दिव्या की सहेली को भी चोदा।
जैसा कि मैंने आपको मालूम है कि मेरा नाम अभय है। हाइट 5फुट 7 इंच है। अब मैं कहानी पर आता हूँ। दिव्या भाभी की चुदाई के बाद मैं अक्सर भाभी की चुदाई करने लगा।
एक दिन दिव्या ने मुझे अपने घर पर बुलाया, तब मैंने देखा कि दिव्या की सहेली सरिता भी वहाँ आई थी।
सरिता मुझे देख कर मुस्काराई और मैं भी मुस्कुरा दिया, फिर हम तीनों बातें करने लगे।
फिर दिव्या यह बोल कर बाहर चली गई कि उसे मार्केट जाना है आप सब बातें करो।
वो 10 मिनट के बाद मार्केट चली गई और घर में सिर्फ़ हम और सरिता रह गए थे।
तब मुझसे जब सरिता ने पूछा- दिव्या के साथ मज़ा आया या नहीं..!
तब मैं चौंक गया कि इसे कैसे पता चला..!
मैंने आँख के इशारे से पूछा तो सरिता ने बताया- दिव्या ने बताया मुझे और दिव्या के ही कहने पर ही उसने तुम्हें बुलाया है।
मैं मुस्कुराया और सरिता ने मुझसे कहा- मेरे साथ सेक्स करना चाहोगे?
तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा और मैंने उठ कर सरिता को उसके होंठों पर चूमना शुरू कर दिया और उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
फिर हमारा असली खेल शुरू हुआ और देखते ही देखते उन्होंने हल्के से मेरे लंड को मसलना शुरू किया।
उसके ऐसा करने पर मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा था। मुझे भी जोश आ गया।
मैंने उसे खुद ही अपनी ज़िप खोल कर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया, “लो मसलो मेरे लौड़े को.. अहह… ओह…!”
और उसने सच में मेरे लौड़े को मसलना शुरू किया।
मैं तो अपने आपे में नहीं रहा। हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े निकाले, आज पहली बार दिव्या भाभी के बाद किसी दूसरी औरत को नंगी देख रहा हूँ,
मैं तो सरिता को नंगी देख कर बहुत खुश हो गया और चूत को देखा जिसे सरिता ने सुबह ही अपनी चूत साफ कर ली थी।
मैं उसकी मखमली चूत पर हाथ फिराया तो मेरे हाथ में चिकना जूस आ गया।
मैंने सरिता को पूछा- मुझे लगता है तुम बहुत चुदासी हो..!
वो बोली- हाँ… बहुत…. आज तो मेरी जान… मेरी जी भर कर चुदाई कर दो…!
बस मैंने सरिता को दोनों हाथों से उठाया और बेड पर पटक दिया और सरिता का होंठों पर चुंबन करने लगा। फिर दोनों मम्मों को हाथों से पकड़ कर बहुत जोर से मसला, उसके चूचुकों को मुँह में लेकर खूब चूसा।
अब तो सरिता बहुत चुदासी हो गई और बोली- अभय मेरी जान, अब मेरी चूत चाटो न..!
मैंने सरिता की दोनों टाँगें फैलाईं और बीच में मुँह लगाया और चूत की गुलाबी पंखुरियों को चूसने लगा और ज़ुबान से सारा जूस पीने लगा। सारी ज़ुबान चूत में डाल दी और क्लाइटॉरिस को दोनों होंठ में लेकर चूसने लगा।
सरिता पूरी मस्ती में थी, वो बोली- अभय, तुम्हें औरत की चुदाई करना बहुत अच्छे से आती है.. आह… चूस और जोर से चूस मेरी जान..!
मैंने 10 मिनट सरिता की चूत चाटी और उसके दाने को मुँह में लेकर खींचा तो सरिता को पहली झुरझुरी आ गई, वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी और झटके मारने लगी।
मैं लगातार उसकी चूत को चाटता रहा, एक मिनट तक उसकी चूत ने झटके मारे और पानी छोड़ दिया।
वो अब निढाल हो गई थी और बहुत मस्त होकर चित्त पड़ी थी। मैं भी उसकी चूत को चूस कर उसके बगल में लेट गया।
फिर सरिता ने मेरा लंड मुँह में लिया और मजे से चूसने लगी।
चारों तरफ अपना हाथ लंड पर फिराने लगी और आधा लंड मुँह में ले लिया।
फिर वो ज़ुबान से पूरा लौड़ा चाटने लगी और बोली- राजा अब ये पूरा तन गया है जल्दी से मेरी चुदाई करो, मैं बहुत तड़प रही हूँ। कितने दिन से मेरे पति ने मुझे नहीं चोदा है।
मैंने सरिता की गाण्ड के नीचे एक तकिया रखा और दोनों टाँगें फैला दीं। फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारा बेबी आयल लगाया, जब मैं अपना लंड नीचे लाया तो सरिता ने मेरा लंड हाथ से पकड़ कर चूत के होल पर रखा। मैंने आहिस्ता से लंड को चूत में डालने के लिए प्रेशर दिया, तो सुपारा चूत में अन्दर फंस गया।
दर्द से सरिता की आँखें बड़ी हुईं।
मैंने पूछा- कोई तकलीफ़ तो नहीं हो रही है?
सरिता मरी सी आवाज में बोली- मूसल ठूँस दिया और पूछते हो कि तकलीफ तो नहीं…अभी तो सिर्फ़ चूत स्ट्रेच हुई ऐसा महसूस हुआ है..!
मैंने और प्रेशर दिया और आधा लंड चूत में डाल दिया।
फिर मैं सरिता के होंठों पर चुंबन करने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता लंड अन्दर-बाहर करके चोदना शुरू किया। चार स्ट्रोक और मारे और पूरा 7 इंच लंड चूत में घुसा दिया।
सरिता ने मेरे कूल्हे पकड़ कर लंड को चूत में जाने से रोका और बोली- ठहरो अभि..ऐसे ही चूत में थोड़ी देर रखो.. बहुत दर्द हो रहा है..!
मैंने लंड को चूत में फँसा कर धक्के रोक दिए और उसके खरबूजों को चूसना जारी रखा और मम्मों को मसलने लगा।
दो मिनट के बाद सरिता नीचे से चूतड़ उठाते हुए बोली- बस अब जी भर के मेरी चुदाई करो..!
मैं अपना लंड आधा से ज़्यादा अन्दर-बाहर करके चुदाई करने लगा। पूरी 10 मिनट चुदाई की और सरिता का बदन अकड़ने लगा। वो मुझे बहुत जोर से पकड़ कर झटके लेने लगी।
मैंने आहिस्ते-आहिस्ते चुदाई चालू रखी।
दो मिनट तक सरिता का शरीर अकड़ता रहा और वो जोर जोर से सीत्कार करने लगी, “आह आ ओह ई ई ई …!”
फिर वो अपना दोनों हाथ बेड पर फैला कर झड़ गई और नशीली आवाज में बोली- माय गॉड.. अभय तुम तो अजीब किस्म के चोदू हो, मुझे ऐसा कभी मेरे पति ने कभी नहीं चोदा।
मैंने कहा- सरिता रानी.. अभी चुदाई खत्म नहीं हुई है… मेरा माल निकलेगा तब मुझे पूरा मजा आएगा।
सरिता बोली- हाँ मूझे मालूम है, बस अपनी सरिता को जी भर के चोदो… बहुत मज़ा आता है।
मैंने लंड पूरा बाहर निकाल लिया और ज़्यादा सा बेबी आयल लंड पे फिर से लगाया, फिर चूत में वापस डाला।
अब तो मैं लम्बे-लम्बे स्ट्रोक मारने लगा।
अब सरिता दोबारा से बहुत रसीली हो गई और बोलने लगी- फाड़ दो मेरी फाड़ दो मेरी चूत.. पूरा लंड अन्दर डाल दो..!
मुझे पसीना आने लगा। सरिता ने अपने पेटीकोट उठा कर मेरा माथे पर पसीने को पोंछने लगी और चुंबन देने लगी।
पूरे 10 मिनट मैंने खूब चुदाई की, बाद में बोला- सरिता मैं आ रहा हूँ..!
सरिता बोली- हाँ अन्दर ही आना…!
और मैं लौड़े की पिचकारियों को चूत में छोड़ने लगा.. गरम-गरम पिचकारियां मारीं। सरिता तो बेहोश हो गई। वो भी साथ में झड़ गई और उसका पूरा बदन झटके खाने लगा।
दो मिनट तक हम दोनों झड़ते रहे और आख़िर में निढाल होकर मैं सरिता के ऊपर ही ढेर हो गया।
दो मिनट के बाद मेरा लंड नर्म होने लगा, मैंने उठ कर लंड बाहर निकाला, पूरा लंड मेरे वीर्य से भरा हुआ चमक रहा था।
हम दोनों बाथरूम में गए।
सरिता कमोड पर बैठी और मेरा लौड़े से टपकने वाले माल को देख कर सरिता खिलखिला कर बोली- अभि तुम्हारा माल तो देखो, सांड की तरह टपक रहा है? कितने कप निकलता है..? और एक मेरा पति है उसका तो कुछ बूँदें ही टपक जाएँ तो गनीमत समझो।
मैं हँसने लगा, और सरिता को बांहों में लेकर बहुत चुंबन किया और पूछा- क्या तुम्हारा यह देवर तुम्हारी चुदाई के लायक है?
सरिता ने प्यार से मुझे चुम्बन दिया और बोली- थैंक्स फॉर मस्त चुदाई… अब तो अच्छी तरह चुदवाने के लिए तुम्हारे पास ही आऊँगी।
मैंने अपना लंड साबुन से धोया और हम दोनों ने कपड़े पहन लिए।
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