नई-नवेली भाभी की चुदाई देवर से-1 (Nai Naveli Bhabhi Ki Chudai Devar Se- Part 1)

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार, मैं निक (बदला हुआ नाम) अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने यहां बहुत सी सेक्स कहानियां पढ़ीं, जिनको पढ़कर मेरा भी मन किया कि मैं मेरे साथ हुई घटना को आपके साथ साझा करूं.

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर यह मेरी पहली कहानी है. मैं इसी उम्मीद में लिख रहा हूं कि मेरी यह आपबीती सेक्सी स्टोरी पढ़कर सभी पुरूष और महिलाओं का पानी निकल जायेगा.
अब ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी स्टोरी पर आता हूं.

दोस्तो, यह बात आज से साल भर पहले की है. मेरी रिश्तेदारी में मेरे एक दूर के भाई की नई नई शादी हुई थी.

आप सबको भी पता ही होगा कि शादी के बाद लड़का और लड़की को सुहागरात का इंतजार रहता है. आखिरकार वो पल भी आ ही गया था. हर लड़का और लड़की उस रात के लिए बहुत उत्साहित होते हैं.

जिस भैया की शादी हुई थी उसके मां-बाप दूर कहीं गांव में रहते थे. उस घर में केवल भैया और भाभी ही रहने वाले थे. दो-तीन दिन के बाद सभी लोग अपने-अपने घर वापस लौट चुके थे.

भैया के मां-बाप भी अपने गांव जाने की तैयार कर रहे थे. भैया के साथ मेरी अच्छी पटती थी तो मुझे वहां पर कई दिन बाद तक रुकना था. अब आप सोच रहे होंगे कि मुझे ही भैया के घर पर क्यों रुकने के लिए कहा गया था?

दरअसल मेरे भैया सुबह ही काम पर चले जाते थे और शाम को वापस आते थे. भाभी घर पर अकेली रहती थी इसलिए मुझे वहां पर शादी के कई दिन बाद तक रुकने के लिए कहा गया था.

भाभी घर में अभी नई नई थी और वो डर न जाये इसलिए मैं उनको कंपनी दे रहा था. उस दिन जब दिन भैया काम पर गये थे तो वो भाभी के साथ मेरा पहला दिन था. उस दिन मेरे और उनके बीच में कुछ खास बातचीत नहीं हुई.

फिर दूसरे दिन से धीरे-धीरे भाभी मुझसे खुलने लगी. भाभी मुझसे अब कुछ ज्यादा बात कर रही थी. मैंने भी उनसे उनकी पसंद और नापसंद के बारे में पूछा. इस तरह हम दोनों के बीच में खूब सारी बातें होना शुरू हो गईं.

भाभी और मैं धीरे-धीरे अब खुलने लगे थे. फिर पांच या छह दिन के बाद जब दोपहर में मैं सो रहा था तो मुझे पेशाब लगी. मैं उठ कर गया तो मैंने देखा कि भाभी अपने कमरे में थी.

बाथरूम में जाकर मैं अपने लंड को निकाल कर पेशाब करने लगा. मैंने सोचा कि दो मिनट की ही तो बात है इसलिए ऐसा सोच कर मैंने गेट भी नहीं लगाया था. चूंकि मैं सोकर उठा इसलिए मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था.

अपने तने हुए लंड को निकाल कर मैं पेशाब करने लगा. मुझे मस्ती सी चढ़ने लगी और लंड अपने पूरे आकार में आ गया था. जब पेशाब करने के बाद मैं अपने लंड को हिला कर वापस अपनी लोअर में डालने वाला था तो मेरी नजर बाहर गई.

मैंने देखा कि भाभी बाहर खड़ी थी. पता नहीं कब वो बाथरूम के पास आई और कब से मेरे लंड को देख रही थी. फिर मैंने हड़बड़ाहट में दरवाजा पूरा बंद कर दिया.

जब मैं बाहर निकला तो मेरी लोअर में मेरा लंड अलग से ही दिख रहा था. मैंने देखा कि भाभी की नजर नीचे थी और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराती हुई अंदर बाथरूम में चली गई.

उस घटना के बाद से मेरा दिमाग घूमने लगा. रात हो गई यही सोचते हुए कि आखिर भाभी मेरी तरफ देख कर क्यों मुस्करा रही थी. रात को लेटे हुए मेरा लंड भी पूरा खड़ा हुआ था. उधर भैया और भाभी अपने रूम में चुदाई के मजे ले रहे थे और इधर मेरा हाथ भी मेरे लंड पर चलने लगा था.

अब मेरे मन में भाभी की नई नवेली चूत के ख्याल भी आने लगे थे. मैं भाभी भी चूत चुदाई के ख्वाब देखने लगा. भाभी के बारे में सोचते हुए ही मैंने अपने लंड की मुठ मारना शुरू कर दिया. उस दिन पहली बार मैंने भाभी के नाम की मुठ मारी.

अपना वीर्य निकालने के बाद मैं सो गया. अगले दिन सुबह जब उठा तो एक बार फिर से टट्टी करते हुए मैंने भाभी के बारे में सोचते हुए मुठ मारी. मैं अपने लंड को शांत करने की कोशिश कर रहा था मगर मेरे अंदर की हवस और बढ़ती जा रही थी.

अब मेरी नजर भाभी के लिए बदल गई थी. अब मैं उनके पास बैठने के बहाने ढूंढता रहता था. कभी कभी हंसी मजाक में उनको आंख भी मार देता था. वो भी मुझे फुल लाइन दे रही थी. मगर अभी तक न तो मेरी ही हिम्मत हो रही थी पहले करने की और न ही भाभी की तरफ से ही कोई इशारा मिल रहा था.

एक दिन की बात है कि मैं भाभी के रूम में ही टीवी देखते हुए सो गया. मुझे कब नींद लग गई पता नहीं चला. काम खत्म करने के बाद भाभी भी रूम में आ गई. मुझे लेटा हुआ देख कर वो भी मेरे बगल में ही लेट गई मगर उन्होंने मुझे उठाया नहीं.

नींद में ही मेरा हाथ उनके बूब्स पर चला गया. उन्होंने भी मेरे हाथ को अपने ऊपर से नहीं हटाया. जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि भाभी की चूचियों पर मेरा हाथ रखा हुआ था. मैं एकदम से अलग हट गया और उनकी बगल में चुपचाप लेट गया.

मैंने आंखें बंद कर रखी थीं मगर अंदर एक तूफान सा उठा हुआ था. कुछ देर के बाद भाभी ने मेरी तरफ ही करवट ले ली और अपना मुंह मेरी तरफ कर लिया.
मैंने आंख खोल कर देखा तो भाभी मेरी तरफ ही देख रही थी.

अपनी गलती के लिए मैंने उनसे सॉरी कहा तो भाभी बोली कि कोई बात नहीं.
फिर भाभी बोली- निक, मेरे मन में एक बात है जो मैं तुमसे कहना चाहती हूं.
मैंने पूछा- क्या बात है भाभी?
वो बोली- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. मगर यह बात अपने भैया के सामने मत बता देना.

मेरे मन में लड्डू से फूट पड़े.
मैं बोला- नहीं बताऊंगा. भाभी मुझे भी आप बहुत पसंद हो मगर मेरी किस्मत में आप हो ही नहीं. इसलिए मैं खुद को कोसता रहता हूं.

भाभी ने कहा- क्यों, किस्मत में क्यों नहीं हूं मैं? अगर तुम चाहो तो मुझे अपनी बना सकते हो.
मैंने कहा- सच भाभी!
वो कहने लगी- तो क्या मैं तुमसे ये सब मजाक में कह रही हूं?

इतना कहते-कहते वो मेरे सीने के करीब आ चुकी थी. उनकी सांसें मेरी सांसों से टकराने लगी थीं. मुझे घबराहट भी हो रही थी और रोमांच भी महसूस हो रहा था.
फिर उन्होंने मेरे चेहरे के करीब अपने होंठों को लाते हुए मेरे होंठों पर एक किस कर दिया.

यह सब इतना जल्दी हो गया कि मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया.
अब मैंने भी भाभी के होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और दोनों एक दूसरे को बांहों में लेकर किस करने लगे. दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में जाने लगी.

आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी. किस करते हुए ही हम दोनों कब नंगे हो गये हमें खुद भी पता नहीं चला. पहली बार भाभी को नंगी देख कर मैं तो जैसे पागल सा हो गया. मैंने पहली बार किसी लड़की को इस तरह से पूरी की पूरी नंगी देखा था.

बहुत ही मस्त फीगर था उनका. चूचियां मीडियम साइज की थीं. शरीर गदराया हुआ, चूत फूली हुई और गांड एकदम से उठी हुई. मैं उनको ध्यान से देख रहा था.

भाभी- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- आपको देख रहा हूं.
वो बोली- ये देखा-देखी बाद में कर लेना, अभी पहले जिस्मों का मिलन कर लेते हैं.

इतना बोल कर भाभी ने मेरे तने हुए लंड को अपने हाथ में भर लिया. उन्होंने उसके टोपे को खोल कर देखा. मेरे लंड को गुलाबी सुपारा पानी छोड़-छोड़ कर चिकना हो चुका था. मेरे रसीले लंड को भाभी को एकदम से अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी.

आह्ह … मैं तो पागल सा हो गया. मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. दो मिनट के अंदर ही मेरे लंड का वीर्य निकल गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था. इसलिए मैं खुद को कंट्रोल ही नहीं कर पाया. मेरे वीर्य को भाभी अंदर ही पी गई.

अब मेरी बारी थी. मैंने भाभी की नंगी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया. उनकी चूचियों को हाथ में भर कर दबाने लगा. नर्म चूचियों को दबा कर उनके निप्पल खड़े हो गये. मैंने देखा कि भाभी की चूचियों के निप्पल एकदम से लाल हो गये हैं.

भाभी सिसकारने लगी. आह्ह … निक … अब मेरी चूत की तरफ भी थोड़ा ध्यान दो. भाभी बेबाकी से बोल रही थी.
मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और उनकी चूत पर अपने होंठों को रख दिया. मैं भाभी की चूत को चूसने लगा.

उनकी चूत से मस्त सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. भाभी अब जोर से सिसकारने लगी थी. आह्ह .. स्स्स … यह्ह अअ … ऊऊस्स्स … करके वो काफी गर्म हो चुकी थी.
वो बोली- अब उंगली डाल कर चूसो.

मैंने वैसा ही किया. मैंने भाभी की चूत में उंगली डाल दी और चूसने लगा.
मेरे होंठों पर भाभी की चूत का रस लग गया था.
मैंने कहा- भाभी, गाली दो मुझे.

वो बोली- कुत्ते, जोर से चूस. तेजी के साथ चाट. पूरी घुसा दे अपनी जीभ भाभीचोद.
अब मुझे और मजा आने लगा.
वो बोली- चोद दे रंडी की औलाद, अपनी भाभी की चूत को फाड़ दे. मुझे चोद कर अपनी रंडी बना ले साले.

अब मैं भी जोश में आ गया और मेरा लंड भी दोबारा से खड़ा हो चुका था. मैंने भाभी की टांगों को फैला दिया और उनकी टांगों के बीच में उनकी लाल हो चुकी फूली हुई चूत पर अपने लंड को रख दिया और लंड से उसको सहलाने लगा.

वो तड़पने लगी.
बोली- चोद दे ना हरामी, अब किसका इंतजार कर रहा है!
मैंने भाभी की चूत में लंड को घुसाना शुरू किया मगर लंड अंदर नहीं घुस रहा था.

भाभी बोली- तेरा लंड बहुत मोटा है. इतनी आसानी से नहीं जायेगा. मैंने जिस दिन बाथरूम में तेरे लंड को देखा था उस दिन से ही मेरी चूत तेरे लंड को लेने के लिए मचल रही थी. तेरे भाई का लंड तो बहुत छोटा है. वो आसानी से चला जाता है. मगर तेरे लंड को अंदर जाने के लिए और अधिक चिकनाई चाहिए. जाकर तेल की शीशी उठा कर ले आ. जल्दी कर.

मैं उठा और तेल की शीशी लेकर आ गया. अपने लंड पर तेल लगा कर मैंने लंड को एकदम से चिकना कर दिया. मैंने तेल लगे हुए लंड को भाभी की चूत पर लगा दिया और एक झटके में ही भाभी की चूत में घुसा दिया.

भाभी चीखते हुए गाली देने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दी मेरी चूत हरामी! आराम से डालने के लिए कहा था.
मेरी चूत अगर ढीली हो गई तो तेरे भैया को पता लग जायेगा. आराम से कर भड़वे. जब से मैंने तेरे लंड को देखा है तब से ही मेरी चूत में गर्मी हो रही थी. इसको चोद कर मेरी चूत की गर्मी को शांत कर दे.

अब मैं तेजी के साथ भाभी की चूत की चुदाई करने लगा. दोनों के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं. दोनों ही चुदाई का मजा लेने लगे. अब मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उनकी चूत में लंड को पेलने लगा.

मैंने भाभी की चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और तेजी से उसकी चूत को फाड़ने लगा. वो भी मस्त हो चुकी थी और पूरे लंड को आराम से चूत में अंदर तक ले रही थी. अब मेरा दम भी फटने लगा था. मैं झड़ने की कगार पर पहुंचने ही वाला था.

तीन-चार शॉट जोर से खींच कर भाभी की चूत में घुसाए और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में गिरने लगी. पंद्रह मिनट तक चली इस चुदाई में भाभी दो बार झड़ गई थी. फिर हम दोनों नंगे ही पड़े रहे और मैं भाभी के बोबे चूसते हुए ही उनकी बांहों में ही सो गया.

जब हम उठे तो शाम होने वाली थी. अब हम दोनों अलग हो गये और भाभी शाम के खाने की तैयारी करने लगी. भैया के आने में कुछ ही घंटे का समय रह गया था. मैं भी अपने कमरे में चला गया. भाभी की चूत चोद कर मुझे मजा आ गया था.

कहानी के अगले भाग में मैं बताऊंगा कि भाभी और मेरे बीच में और क्या-क्या हुआ. कैसे मैंने भाभी की प्यास को शांत किया. भाभी को और क्या क्या पसंद था.

इस कहानी पर अपनी राय देने के लिए मुझे मेल करके बतायें. कहानी पर अपने कमेंट भी छोड़ें ताकि अगली कहानी में मैं आपके लिए और मजा पैदा कर सकूं. मुझे आपके कमेंट्स और मैसेज का इंतजार रहेगा.
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कहानी का अगला भाग: नई-नवेली भाभी की चुदाई देवर से-2

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