पड़ोस में एक भाभी अपनी रिश्तेदारी में आई हुई थी, भाभी ने मुझे पटा के अपनी चुत की चुदाई कैसे करवाई, इस सेक्स स्टोरी में…
मेरा नाम जय है और मैं दमन का रहने वाला हूँ, मेरा कलर फेयर है और बॉडी स्लिम है। यह चुदाई की कहानी मेरे पड़ोस में रहने आई एक भाभी के संग की है।
ये बात पिछली गर्मियों की है। मेरे पड़ोस में एक भैया-भाभी रहते हैं। उनकी शादी को एक साल हुआ था। अब भाभी प्रेग्नेंट थीं.. और उनकी देखभाल को कोई नहीं था। सो भैया के बड़े भाई की वाइफ वहां रहने आई थीं।
मेरी उनकी फैमिली के साथ अच्छी बनती थी।
मेरा कमरा छत पर था और दिन में मैं ज़्यादातर अपने कमरे में ही होता हूँ। एक दिन शाम को मैं छत पर टहल रहा था। गर्मी के कारण मैं अधिकतर कॅप्री या टी-शर्ट में ही होता था।
हुआ यूँ कि बड़ी भाभी शाम को कपड़े सुखाने के लिए डाल रही थीं.. तभी मेरी नज़र उन पर पड़ी।
मेरी शर्ट के कुछ बटन खुले हुए थे तो वो मुझे देख हंस दीं।
काफ़ी जाँच पड़ताल के बाद मुझे पता चला कि ये भाभी मेरी पड़ोसन भाभी की जिठानी हैं और उनके घर में रहने आई हैं। पहले तो मैंने उनके बारे में ऐसा-वैसा कुछ नहीं सोचा.. और कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए।
एक दिन मैं छत पर बने अपने रूम में सोकर देर से उठा.. उस वक्त लगभग 11 बज गए थे। इस वक्त मैंने सिर्फ़ फ्रेंची पहनी हुई थी। मैं ऐसे ही रूम से बाहर मुँह धोने के लिए आया। जब मैंने मुँह पर पानी डाला.. जिससे मेरी हाफ बॉडी भीग गई थी। अचानक मेरी नज़र साथ वाली छत पर पड़ी.. तो देखा कि वही भाभी वहाँ कपड़े सूखने के लिए डाल रही थीं और मुझे देख रही थीं।
पहले तो मैं थोड़ा घबराया.. पर फिर दिमाग़ में घंटी बजी कि एक ट्राइ करके देखता हूँ… मैंने अपने ऊपर ज्यादा सा पानी गिराया और ऐसा शो किया जैसे मुझे नहीं पता कि वो मुझे देख रही हैं।
पानी सिर से टपक कर फ्रेंची तक जा रहा था। सुबह की ताजगी की वजह से मेरा लंड भी खड़ा हुआ था।
जब मैंने ध्यान से देखा तो भाभी की नज़र मेरे खड़े लंड को ताड़े जा रही थी। मैंने एकदम भाभी की साइड टर्न किया और लंड को जानबूझ कर हाथ में पकड़ कर बाहर निकाला।
भाभी की नज़र वहीं मेरे लंड पर गड़ी थी। मैंने जानबूझ कर सब अनदेखा किया और रूम में आ गया। उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही रोज सुबह उनसे मिलने लगा।
मेरा रोज इस वक्त बाहर आना होता तो बाहर वो वहीं होती थीं।
एक दिन उसने मेरा नम्बर माँगा.. मैंने दे दिया।
फिर उनका फोन आया- तुम हमेशा छत पर क्यूँ रहते हो?
मैं- मेरा रूम ऊपर ही है न!
भाभी- तुम इतने कम कपड़े क्यूँ पहनते हो?
मैं- छत पर कोई आता नहीं तो अपने रूम में मैं अपने हिसाब से रहता हूँ, पर आप यह सब क्यूँ पूछ रही हो?
भाभी- ऐसे ही..!
मैं- नम्बर क्यूँ लिया आपने?
भाभी- मुझे आप काफ़ी हैण्डसम लगे।
मैं- ऐसा क्या देख लिया आपने?
भाभी- सब कुछ..
मैं- सब कुछ माने क्या?
भाभी- छत पर आओ.. बताती हूँ।
भाभी थोड़ी देर में छत पर आईं। उनके छत पर कपड़े सूख रहे थे तो हम दोनों ने वहीं चेयर्स पर बैठ कर बात शुरू की। भाभी ने बताया कि भैया भाभी दोनों हॉस्पिटल में हैं और घर पर वो अकेली हैं।
मैंने पूछा- तो रात को मिलूँ?
उन्होंने स्माइल दी.. और फिर बात टालते हुए दूसरी बात छेड़ दी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- हाँ है।
भाभी- उसको कभी प्यार किया है?
मैं- हाँ बहुत बार..
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे गाल पर किस करके चली गईं।
मैंने पूरे दिन रात होने का वेट करता रहा। फिर काफी देर बाद उनकी कॉल आई। उन्होंने मुझे छत से नीचे अपने कमरे में आने को कहा।
मैं काफ़ी हिम्मत के बाद नीचे पहुँचा। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। भाभी भी बस यह कहे जा रही थीं कि जो करना है.. जल्दी करो।
मैंने भाभी को कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींच कर जोर से अपने होंठों से उनके होंठों को किस किया। भाभी एकदम गरम हो गईं और मेरी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी।
मैंने भी जल्दी-जल्दी भाभी की कमीज़ उतार दी। भाभी ने ब्लू ब्रा पहनी हुई थी.. जो कि उनको बहुत सूट कर रही थी। इस वक्त मैं भाभी की मस्त फिगर को बेहद कामुकता से देख रहा था। उनकी फिगर बहुत मस्त थी। अभी भी याद आ रही है.. मेरा तो लंड खड़ा हो रहा है। भाभी की एकदम सांचे में ढली हुई 38-30-38 की नशीली फिगर थी।
फिर मैं भाभी के पूरे शरीर को चूमने चाटने लगा। भाभी भी काफ़ी हॉट हुई जा रही थीं।
मैंने भाभी को उल्टा लेटाया और पास रखी आयिल की शीशी से तेल निकाल कर उनकी पीठ पर डाल दिया.. और मसाज करने लगा। फिर एकदम से भाभी की ब्रा का हुक खोल कर हाथों को आगे ले जाकर उनका नाड़ा खोल दिया।
भाभी ने भी मदद की तो मैंने जल्दी-जल्दी उनकी सलवार उतार दी।
भाभी ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी.. उन्हें सीधा किया तो उनकी चुत पूरी तरह क्लीन थी। मैं भाभी की सफाचट चुत को देखते ही पागल हो गया और भाभी को की टाँगें अपने कंधों पर रख के सीधा चुत पर चुम्मा किया।
भाभी एकदम से कांप गई और कहने लगीं- यह मत करो.. मेरे हज़्बेंड ने भी कभी ऐसा नहीं किया।
मैं नहीं माना क्योंकि भाभी हो या लड़की.. चुत अगर क्लीन हो तो आई लव टू लिक इट।
मैंने एकदम भाभी की चुत के होंठ खोल दिए और अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी गर्म होने लगीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगीं। भाभी जोर-जोर से कह रही थीं- खा जाओ मेरी फुद्दी.. अह.. चाटो इसे.. साले घरवाले ने मेरी चुत को कभी नहीं चूसा.. चूस लो.. और जोर से.. आह.. और जोर से..
एकदम जोर की सिसकी से भाभी का काम हो गया.. भाभी काफ़ी जोर से चीख पड़ीं और झड़ गईं।
हम दोनों बिल्कुल चुदासे हो चुके थे.. मैंने भाभी के मम्मों को हाथों में पकड़ा और दबाने लगा।
भाभी लंड लेने के लिए मचल रही थीं और मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रही थीं। मैंने उनके निपल्स को जोर से सक करने लगा साथ ही भाभी के मम्मों को पूरा मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगा।
भाभी मेरे लंड को हाथ में लेकर हिला रही थीं।
मैंने पूछा- भाभी क्या तुम लंड चूसना चाहोगी?
पहले तो वो लंड को देखती रहीं। फिर अचानक उन्होंने मेरे लंड को मुँह में डाल कर जोर-जोर से चूसने लगीं। भाभी कभी मेरा पूरा लंड अन्दर ले रही थीं.. तो कभी बाहर निकाल कर सुपारे को चाटने लगतीं।
मैं पूरी तरह से पागल हो रहा था। भाभी अपनी जीभ को लंड से आंडों तक रोल करने लगी और अंडकोषों को चूसने लगीं। वो जोर-जोर से लंड सक कर रही थीं।
फिर भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और कहने लगीं- प्लीज़ मुझे चोद दो.. मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत है। मेरा पति साला नपुंसक है.. उस भोसड़ी वाले से कुछ नहीं होता है.. प्लीज़ मुझे चोद दो.. मेरी फुद्दी फाड़ दो।
मैं भाभी के ऊपर आ गया और अपने लंड को चुत पर रगड़ने लगा। भाभी मछली जैसे तड़पने लगीं और मेरे लंड को अपनी चुत के अन्दर लेने की कोशिश करने लगीं।
मैंने भाभी को बिस्तर से उठाया और उन्हें दीवार के साथ टच करके उनकी चुत में अपना लंड सीधा डाल दिया, वो चीखने लगीं।
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि वो इससे पहले कभी अपने हज़्बेंड के अलावा किसी से नहीं चुदी.. और मेरा लंड उनके हज़्बेंड के लंड से काफ़ी ज़्यादा लम्बा और मोटा है।
फिर मैंने भाभी की एक टांग उठाई और अपने कंधे पर रख कर लंड से तेज-तेज धक्के मारने लगा। मेरा पूरा लंड भाभी की चुत के अन्दर जा रहा था।
मैं उन्हें काफ़ी जोर-जोर से चोद रहा था। वो तो पागल हुई जा रही थीं।
फिर मैंने भाभी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और उनके चूतड़ों पर चुम्मी की और चूतड़ों को खोल कर लंड को उनकी गांड में पेल दिया।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ भाभी बहुत खुश हो गईं। हालांकि मेरे लंड के हिसाब से भाभी की गांड बहुत टाइट थी। मेरा लंड काफ़ी मुश्किल से अन्दर गया। मैं उनको डॉगी स्टाइल में चोद रहा था। मेरे हाथ उनके मम्मों पर थे और मैं पीछे से झटके दिए जा रहा था।
मैंने भाभी को लगातार 20 मिनट तक चोदा और आख़िर में मैंने चुत में लंड डाल कर उन्हें अपने ऊपर बिठा लिया। फिर भाभी को अपनी कमर से पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा।
भाभी की आँखें चुदाई के नशे से भर गईं.. ऐसा सेक्स उन्होंने कभी नहीं किया था। आख़िर में मैंने उन्हें नीचे गिराया और अपना सारा रस उनकी चुत में भर दिया।
इस बीच भाभी तीन बार झड़ चुकी थीं, भाभी ने मुझे खूब चुम्मियां की।
उसके बाद भाभी 6 दिन वहां और रहीं। इन छह दिनों में मैंने काफ़ी बार भाभी को चोदा।
इसके बाद मैं उनके पति की अनुपस्थिति में घर भी गया और उधर भी उन्हें 6 दिन तक लगातार भाभी की चुत की चुदाई की।
वो सेक्स स्टोरी फिर कभी लिखूँगा।
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